सूचना और प्रसारण मंत्रालय
एआई युग में बढ़ते दुष्प्रचार और गलत सूचनाओं के बीच प्रेस की विश्वसनीयता की सुरक्षा करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है
पत्रकार को मार्गदर्शन देने वाले मानवीय मन, निर्णय शक्ति, विवेक और जिम्मेदारी की भावना को एआई कभी भी प्रतिस्थापित नहीं कर सकता है: प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया
पारंपरिक मीडिया और सोशल मीडिया में क्रमशः गति और जुड़ाव के बजाय, सटीकता को प्राथमिकता दें: प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया के सीईओ
श्री अश्विनी वैष्णव ने नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय प्रेस दिवस समारोह में भाग लिया
Posted On:
16 NOV 2025 4:44PM by PIB Delhi
किसी लोकतांत्रिक देश के नागरिकों के लिए प्रेस आँखें और कान के समान है। आज हम राष्ट्रीय प्रेस दिवस मना रहे हैं ऐसे में एआई युग में बढ़ते दुष्प्रचार के बीच नागरिकों को सशक्त बनाने के लिए प्रेस की विश्वसनीयता की सुरक्षा करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह भावना आज नई दिल्ली के नेशनल मीडिया सेंटर में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रतिभागियों द्वारा एक चिंता के रूप में व्यक्त की गई। इस वर्ष की थीम – 'बढ़ते दुष्प्रचार के बीच प्रेस की विश्वसनीयता की सुरक्षा' – के साथ कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए, पीसीआई की अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजना प्रकाश देसाई ने कहा, 'एआई कभी भी मानवीय मन को प्रतिस्थापित नहीं कर सकता है।' निर्णय शक्ति, अंतरात्मा और जिम्मेदारी की वह भावना जो हर पत्रकार को दिशा देती है, उसे गलत सूचना के प्रसार को रोकना चाहिए।

अपने मुख्य भाषण में, पीटीआई के सीईओ श्री विजय जोशी ने उस 'इन्फोडेमिक' यानी सूचना-महामारी से निपटने का समाधान प्रस्तावित किया, जिसका सामना आज हम सभी एक समाज के रूप में कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'पारंपरिक मीडिया में गति के बजाय सटीकता को और डिजिटल मीडिया में एआई एल्गोरिदम आधारित गतिविधियों को बढ़ावा देना चाहिए।' इस कार्यक्रम में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण, रेल और इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री, श्री अश्विनी वैष्णव भी उपस्थित रहे। इस अवसर पर केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण और संसदीय कार्य राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव, श्री संजय जाजू और पीसीआई की सचिव, सुश्री शुभा गुप्ता भी उपस्थित थीं।
न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई ने प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा और उच्च पत्रकारिता मानकों को बनाए रखने की प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की दोहरी जिम्मेदारी पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता के लिए ईमानदारी, सटीकता और सही जानकारी साझा करने की प्रतिबद्धता जरूरी है, खासकर आज के दौर में जब गलत सूचना और तकनीक का दुरुपयोग बढ़ रहा है।
उन्होंने उल्लेख किया कि पीसीआई ने समितियाँ और फैक्ट-फाइंडिंग टीमें बनाई हैं और पत्रकारों को जिम्मेदारी से काम करने और हर तथ्य को सत्यापित करने की याद दिलाई। उन्होंने कल्याणकारी योजनाओं और बीमा के माध्यम से पत्रकारों के लिए वित्तीय सुरक्षा के महत्व पर भी जोर दिया और कहा कि पीसीआई के इंटर्नशिप कार्यक्रम युवा पत्रकारों को नैतिक प्रथाओं को सीखने में मदद करते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि एआई उपयोगी हो सकता है, लेकिन पीसीआई इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए भी सतर्क है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ये उपकरण चाहे कितने भी उन्नत क्यों न हों, ये कभी भी मानव मस्तिष्क, निर्णय और विवेक की जगह नहीं ले सकते।
एआई युग में विश्वसनीयता बनाए रखना
पीटीआई के सीईओ श्री विजय जोशी ने कहा कि लोकतंत्र के नैतिक प्रहरी के रूप में प्रेस को दृढ़ नैतिकता बनाए रखनी चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि पेड न्यूज़, विज्ञापन और सनसनीखेज और अतिशयोक्तिपूर्ण पत्रकारिता ने जनता का विश्वास कम किया है। डिजिटल व्यवधान के बदलाव का एक गंभीर परिणाम यह है कि अब सटीकता की जगह जुड़ाव को अधिक प्राथमिकता दी जा रही है जिससे पक्षपातपूर्ण सूचनाओं का बुलबुला बनता है। इसने दिखाया है कि सच्चाई और गलत सूचना कितनी जल्दी एक हो सकती हैऔर आज एआई ने इस खतरे को और बढ़ा दिया है।
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि पत्रकारों को सत्य की पुष्टि सुनिश्चित करने की साझा जिम्मेदारी लेनी चाहिए। उन्होंने 99 अख़बारों द्वारा स्थापित पीटीआई की सत्यता, सटीकता, निष्पक्षता और स्वतंत्रता की विरासत पर प्रकाश डाला। उन्होंने जोर देकर कहा कि सटीकता को हमेशा गति से ऊपर रखा जाना चाहिए और समाचार किसी भी विशिष्ट उद्देश्य और एजेंडे से मुक्त होना चाहिए।
फैक्ट चेक जैसी पहल बहुस्तरीय सत्यापन के साथ गलत सूचनाओं की बाढ़ से निपटने में मदद करती हैं। उन्होंने कहा कि विश्वसनीयता की रक्षा के लिए, भावी पत्रकारों को नैतिकता और आलोचनात्मक सोच का प्रशिक्षण दिया जाना आवश्यक है। श्री जोशी ने याद दिलाया कि प्रेस की स्वतंत्रता सूचना इकोसिस्टम को प्रदूषित करने का लाइसेंस नहीं है और पत्रकारिता विश्वास पर आधारित एक जन सेवा है।

भारतीय प्रेस परिषद के विषय में
भारतीय प्रेस परिषद की स्थापना संसद के एक अधिनियम द्वारा 1966 में एक अर्ध-न्यायिक प्राधिकरण के रूप में की गई थी (जिसे 1979 में पुनर्गठित किया गया था), जिसका उद्देश्य प्रिंट मीडिया के लिए एक आंतरिक स्व-नियामक तंत्र स्थापित करना था ताकि स्वतंत्र और उत्तरदायी रिपोर्टिंग सुनिश्चित हो सके। तब से, प्रेस परिषद देश में प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा और संरक्षण तथा देश में समाचार पत्रों और समाचार एजेंसियों के स्तर को ऊँचा उठाने के लिए निरंतर प्रयासरत है और इसने विधायिका और अन्य प्राधिकारियों के लिए एक सलाहकार निकाय के रूप में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
*************
पीके/केसी/डीवी
(Release ID: 2190587)
Visitor Counter : 87
Read this release in:
Gujarati
,
Khasi
,
English
,
Urdu
,
Marathi
,
Assamese
,
Odia
,
Tamil
,
Telugu
,
Kannada
,
Malayalam