रेल मंत्रालय
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स्वदेश निर्मित विकसित कवच 4.0 को दिल्ली-मुंबई मार्ग के मथुरा-कोटा सेक्शन पर चालू किया गया


रिकॉर्ड समय में व्यस्त दिल्ली-मुंबई रूट के मथुरा-कोटा सेक्शन पर कवच 4.0 का चालू होना एक बड़ी उपलब्धि: श्री अश्विनी वैष्णव

कवच प्रभावी ब्रेक अनुप्रयोग के माध्यम से लोको पायलटों के लिए गति नियंत्रण सक्षम बनाता है; लोको पायलटों को कोहरे में भी कैब के अंदर सिग्नल की जानकारी मिलेगी

भारतीय रेलवे 6 वर्षों के भीतर पूरे देश में कवच 4.0 चालू करेगी; कई विकसित देशों को ट्रेन सुरक्षा प्रणाली तैनात करने में 20-30 साल लगे

रेलवे की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता: कवच सहित कई अन्य सुरक्षा उपायों को   1 लाख करोड़ रुपए के वार्षिक निवेश का समर्थन प्राप्त है

Posted On: 30 JUL 2025 5:58PM by PIB Delhi

भारतीय रेलवे ने उच्च-घनत्व वाले दिल्ली-मुंबई मार्ग के मथुरा-कोटा सेक्शन पर स्वदेश निर्मित कवच 4.0 को रेलवे सुरक्षा प्रणाली के लिए चालू कर दिया है। देश में यह रेलवे सुरक्षा प्रणालियों के आधुनिकीकरण की दिशा में सराहनीय कदम है।

केंद्रीय रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, "माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' विजन से प्रेरणा लेते हुए, रेलवे ने कवच स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली का स्वदेश में ही डिज़ाइन, विकास और निर्माण किया है। कवच 4.0 एक प्रौद्योगिकी-प्रधान प्रणाली है। इसे अनुसंधान डिज़ाइन एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) द्वारा जुलाई 2024 में अनुमोदित किया गया था। कई विकसित देशों को ट्रेन सुरक्षा प्रणाली विकसित करने और स्थापित करने में 20-30 साल लग गए। कोटा-मथुरा सेक्शन पर कवच 4.0 का निर्माण बहुत ही कम समय में पूरा किया गया है। यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि है।"

आजादी के बाद पिछले 60 वर्षों में देश में अंतरराष्ट्रीय स्तर की उन्नत रेल सुरक्षा प्रणालियां स्थापित नहीं की गई थीं। रेल और यात्री सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हाल ही में कवच प्रणाली को चालू किया गया है।

भारतीय रेलवे छह वर्षों की छोटी सी अवधि में देशभर के विभिन्न मार्गों पर कवच 4.0 को लागू करने की तैयारी कर रहा है। कवच प्रणालियों पर 30,000 से ज़्यादा लोगों को पहले ही प्रशिक्षित किया जा चुका है। आईआरआईएसईटी (भारतीय रेलवे सिग्नल इंजीनियरिंग एवं दूरसंचार संस्थान) ने कवच को अपने बीटेक पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए 17 एआईसीटीई-अनुमोदित इंजीनियरिंग कॉलेजों, संस्थानों और विश्वविद्यालयों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।

कवच, प्रभावी ब्रेक लगाकर लोको पायलटों को ट्रेन की गति बनाए रखने में मदद करेगा। कोहरे जैसी कम दृश्यता की स्थिति में भी लोको पायलटों को सिग्नल के लिए केबिन से बाहर देखने की जरूरत नहीं पड़ेगी। पायलट केबिन के अंदर लगे डैशबोर्ड पर जानकारी देख सकते हैं।

कवच क्या है?

  • कवच एक स्वदेशी रूप से विकसित रेल सुरक्षा प्रणाली है। इसे रेलगाड़ियों की गति की निगरानी और नियंत्रण करके दुर्घटनाओं को रोकने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • इसे सुरक्षा अखंडता स्तर 4 (एसआईएल 4) पर डिज़ाइन किया गया है। यह सुरक्षा डिज़ाइन का उच्चतम स्तर है।
  • कवच का विकास 2015 में शुरू हुआ। इस प्रणाली का 3 वर्षों से अधिक समय तक बड़े स्तर पर इसका परीक्षण किया गया।
  •  तकनीकी सुधारों के बाद इस प्रणाली को दक्षिण मध्य रेलवे (एसीआर) में स्थापित किया गया। पहला परिचालन प्रमाणपत्र 2018 में प्रदान किया गया।
  • दक्षिण-मध्य रेलवे में प्राप्त अनुभवों के आधार पर एक उन्नत प्रारूप 'कवच 4.0' विकसित किया गया। इसे मई 2025 में 160 किमी प्रति घंटे तक की गति के लिए अनुमोदित किया गया।
  • कवच के घटकों का निर्माण स्वदेशी रूप से किया जा रहा है।

कवच की जटिलता

कवच एक अत्यंत जटिल प्रणाली है। कवच का चालू होना एक दूरसंचार कंपनी स्थापित करने के बराबर है। इसमें निम्नलिखित उप-प्रणालियां शामिल हैं:

  1. आरएफआईडी टैग: ये टैग पूरी पटरी पर हर 1 किलोमीटर पर लगाए जाते हैं। हर सिग्नल पर भी टैग लगाए जाते हैं। ये आरएफआईडी टैग ट्रेनों की सटीक लोकेशन बताते हैं।

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 (पटरियों पर आरएफआईडी टैग की स्थापना)

  1. दूरसंचार टावर: ऑप्टिकल फाइबर कनेक्टिविटी और बिजली आपूर्ति सहित पूर्ण दूरसंचार टावर, हर कुछ किलोमीटर पर ट्रैक की पूरी लंबाई में लगाए जाते हैं। लोको पर लगे कवच सिस्टम और स्टेशनों पर कवच नियंत्रक इन टावरों के माध्यम से लगातार संचार करते रहते हैं। यह एक दूरसंचार ऑपरेटर की तरह एक संपूर्ण नेटवर्क स्थापित करने के बराबर है।

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(दूरसंचार टावर स्थापित)

  1. लोको कवच: यह पटरियों पर लगे आरएफआईडी टैग से जुड़कर दूरसंचार टावरों तक सूचना पहुँचाता है और स्टेशन कवच से रेडियो सूचना प्राप्त करता है। लोको कवच को इंजनों के ब्रेकिंग सिस्टम से भी जोड़ा गया है। यह सिस्टम यह सुनिश्चित करता है कि आपातकालीन स्थिति में ब्रेक लगाए जाएं।

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 (लोको कवच की स्थापना)

  1. स्टेशन कवच: प्रत्येक स्टेशन और ब्लॉक सेक्शन पर स्थापित। यह लोको कवच और सिग्नलिंग प्रणाली से सूचना प्राप्त करता है और लोको कवच को सुरक्षित गति के लिए मार्गदर्शन करता है।

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(स्टेशन कवच की स्थापना)

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 (स्टेशन कवच)

  1. ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी): ऑप्टिकल फाइबर को पटरियों के साथ बिछाया जाता है, जो उच्च गति डेटा संचार के लिए इन सभी प्रणालियों को जोड़ता है।
  2. सिग्नलिंग प्रणाली: सिग्नलिंग प्रणाली को लोको कवच, स्टेशन कवच, दूरसंचार टावरों आदि के साथ एकीकृत किया गया है।

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 (स्टेशन प्रबंधक का संचालन पैनल)

इन प्रणालियों को यात्री और मालगाड़ियों की भारी आवाजाही सहित रेलवे परिचालन को बाधित किए बिना स्थापित, जांचा और प्रमाणित किया जाना आवश्यक है।

कवच प्रगति

क्रमांक

वस्तु

प्रगति

1

ऑप्टिकल फाइबर बिछाया गया

5,856 किमी

2

दूरसंचार टावर स्थापित

619

3

स्टेशनों पर कवच स्थापित

708

4

लोको पर कवच स्थापित

1,107

5

ट्रैकसाइड उपकरण स्थापित

4,001 आरकेएम

भारतीय रेलवे सुरक्षा संबंधी गतिविधियों पर प्रति वर्ष 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश करता है। कवच, यात्रियों और ट्रेनों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए शुरू की गई कई पहलों में से एक है। कवच की प्रगति और इसकी तैनाती की गति, रेलवे सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रति भारतीय रेलवे की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

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(Release ID: 2150342)