प्रधानमंत्री कार्यालय

PM CARES के अंतर्गत बने PSA ऑक्सीजन प्लांट्स के लोकार्पण के अवसर पर प्रधानमंत्री के सम्बोधन का मूल पाठ

Posted On: 07 OCT 2021 3:04PM by PIB Delhi

भारत माता की जय, भारत माता की जय, उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल सेवानिवृत्त गुरमीत सिंह जी, युवा, ऊर्जावान और उत्साही मुख्यमंत्री मेरे मित्र श्री पुष्कर सिंह धामी जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्री मनसुख मांडविया जी, श्री अजय भट्ट जी, उत्तराखंड विधानसभा के स्पीकर श्री प्रेम चंद अग्रवाल जी, उत्तराखंड सरकार में मंत्री और आज उनका जन्मदिन भी है, डॉक्टर धन सिंह रावत जी, उनको जन्मदिन की बहुत – बहुत बधाई। देश के अनेक स्थानों से जुड़े राज्यों के मुख्य मंत्रीगण, लेफ्टिनेंट गवर्नर्स, राज्यों के अन्य मंत्रिगण, सांसद और विधायक गण और मेरे प्यारे भाइयों और बहनों !!

ये देवभूमि ऋषियों की तपोस्थली रही है। योगनगरी के रूप में ये विश्व के लोगों को आकर्षित करती रही है। मां गंगा के समीप, हम सभी को उनका आशीर्वाद मिल रहा है। आज से नवरात्र का पावन पर्व भी शुरु हो रहा है। आज प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है। मां शैलपुत्री, हिमालय पुत्री हैं। और आज के दिन मेरा यहां होना, यहां आकर इस मिट्टी को प्रणाम करना, हिमालय की इस धरती को प्रणाम करना, इससे बड़ा जीवन में कौन सा धन्य भाव हो सकता है। और मैं आज जो उत्तराखंड आया हूं तो एक विशेष रूप से भी बधाई देना चाहता हूं। क्योंकि इस बार टोक्यो ऑलंपिक में ये देवभूमि ने भी अपना झंडा गाड़ दिया है और इसलिए आप सब अभिनंदन के अधिकारी हैं। उत्तराखंड की दिव्यधरा ने मुझ जैसे अनेक लोगों के जीवन की धारा को बदलने में बड़ी भूमिका निभाई है। ये भूमि इसलिए मेरे लिए महत्वपूर्ण है। इस भूमि से मेरा नाता मर्म का भी है, कर्म का भी है, सत्व का भी है, तत्व का भी है।

 

साथियों,

जैसा अभी मुख्यमंत्री जी ने याद दिलाया आज के ही दिन 20 साल पहले मुझे जनता की सेवा का एक नया दायित्व मिला था। लोगों के बीच रहकर लोगों की सेवा करने की मेरी यात्रा तो कई दशक पहले से चल रही थी। लेकिन आज से 20 वर्ष पूर्व गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मुझे नई जिम्मेदारी मिली थी। वैसे ये भी एक संयोग है कि उत्तराखंड का गठन साल 2000 में हुआ, और मेरी यात्रा इसके कुछ ही महीनों बाद, साल 2001 में शुरू हुई।

साथियों,

सरकार के मुखिया के तौर पर पहले मुख्यमंत्री और फिर देश के लोगों के आशीर्वाद से देश के प्रधानमंत्री पद पर पहुंचना, इसकी कल्पना मैंने कभी नहीं की थी। 20 वर्ष की ये अखंड यात्रा, आज अपने 21वें वर्ष में प्रवेश कर रही है। और ऐसे महत्वपूर्ण वर्ष में, जिस धरती ने मुझे निरंतर अपना स्नेह दिया है, अपनत्व दिया है, वहां आना, मैं अपना बहुत बड़ा सौभाग्य समझता हूं। हिमालय की ये तपोभूमि, जो तप और त्याग का मार्ग दिखाती है, उस भूमि पर आकर, कोटि-कोटि देशवासियों की सेवा का मेरा संकल्प और दृढ़ हुआ है, और मजबूत हुआ है। यहां आकर एक नई ऊर्जा मुझे मिलती है।

 

भाइयों और बहनों,

योग और आयुर्वेद की शक्ति से जिस क्षेत्र ने जीवन को आरोग्य बनाने का समाधान दिया है, वहीं से आज देश भर में अनेक नए ऑक्सीजन प्लांट्स का लोकार्पण हुआ है। ये देश के अलग-अलग राज्यों में ऑक्सीजन प्लांट्स की नई सुविधा के लिए मैं आप सभी को, देशवासियों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

 

साथियों,

सौ साल के इस सबसे बड़े संकट का सामना हम भारतीय जिस बहादुरी से कर रहे हैं, ये दुनिया बहुत बारीकी से देख रही है।कोरोना से लड़ाई के लिए इतने कम समय में भारत ने जो सुविधाएं तैयार कीं, वो हमारे देश के सामर्थ्य को दिखाता है। सिर्फ एक टेस्टिंग लैब से करीब 3 हजार टेस्टिंग लैब्स का नेटवर्क बनना, मास्क और किट्स के आयात से प्रारंभ हमारी जिंदगी आज निर्यातक बनने का सफर तेजी से पार कर रही है। देश के दूर-दराज वाले इलाकों में भी नए वेंटिलेटर्स की सुविधाएं, मेड इन इंडिया कोरोना वैक्सीन का तेज़ी से और बड़ी मात्रा में निर्माण, दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे तेज़ टीकाकरण अभियान भारत ने जो कर दिखाया है, वो हमारी संकल्प-शक्ति, हमारे सेवाभाव, हमारी एकजुटता का प्रतीक है।

 

भाइयों और बहनों,

भारत की कोरोना से लड़ाई के लिए, एक बड़ी चुनौती हमारी जनसंख्या तो थी ही, भारत का विविध भूगोल भी बड़ी चुनौती रहा है। ऑक्सीजन की सप्लाई से लेकर वैक्सीन तक, ये दोनों चुनौतियां देश के सामने आती रहीं, निरंतर आती रहीं। देश इनसे कैसे लड़ा, ये जानना, ये समझना, हर देशवासी के लिए बहुत ज़रूरी है।

साथियों,

सामान्य दिनों में भारत में एक दिन में 900 मीट्रिक टन, लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन का प्रॉडक्शन होता था। डिमांड बढ़ते ही भारत ने मेडिकल ऑक्सीजन का प्रॉडक्शन 10 गुना से भी ज्यादा बढ़ाया। ये दुनिया के किसी भी देश के लिए अकल्पनीय लक्ष्य था, लेकिन भारत ने इसे हासिल करके दिखाया।

 

साथियों,

यहां उपस्थित कई महानुभाव इस बात से परिचित हैं, कि ऑक्सीजन के प्रॉडक्शन के साथ ही उसका ट्रांसपोर्टेशन भी कितनी बड़ी चुनौती होता है। ऑक्सीजन ऐसे ही किसी टैंकर में नहीं ले जाया जा सकता। इसके लिए खास टैंकर चाहिए होता है। भारत में ऑक्सीजन प्रोडक्शन का काम सबसे ज्यादा पूर्वी भारत में होता है, लेकिन मुश्किल ये कि ज़रूरत सबसे अधिक उत्तर और पश्चिमी भारत में पड़ी।

 

भाइयों और बहनों,

लॉजिस्टिक्स की इतनी चुनौतियों से जूझते हुए देश ने युद्धस्तर पर काम किया। देश और दुनिया में दिन-रात जहां से भी संभव हो, वहां से ऑक्सीजन प्लांट्स, ऑक्सीजन टैंकर अरैंज किए गए। स्पेशल ऑक्सीजन ट्रेन चलाई गई, खाली टैंकरों को तेज़ी से पहुंचाने के लिए वायुसेना के विमान लगाए गए। प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए DRDO के माध्यम से तेजस फाइटर प्लेन की टेक्नॉलॉजी को लगाया गया। पीएम केयर्स से देश में PSA ऑक्सीजन प्लांट्स लगाने पर काम तो तेज हुआ ही,  एक लाख से अधिक ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के लिए पैसा भी दिया गया।

 

साथियों,

भविष्य में कोरोना से लड़ाई के लिए हमारी तैयारी और पुख्ता हो, इसके लिए देशभर में PSA ऑक्सीजन प्लांट्स का नेटवर्क तैयार हो रहा है। बीते कुछ महीनों में पीएम केयर्स द्वारा स्वीकृत 1150 से अधिक ऑक्सीजन प्लांट्स काम करना शुरू कर चुके हैं। अब देश का हर जिला, पीएम केयर्स के तहत बने हुए ऑक्सीजन प्लांट्स से कवर हो गया है। पीएम केयर्स के सहयोग से बने इन ऑक्सीजन प्लांट्स को जोड़ लें, तो केंद्र सरकार, राज्य सरकार, इन सभी के प्रयासों से देश को करीब 4 हज़ार नए ऑक्सीजन प्लांट्स मिलने जा रहे हैं। ऑक्सीजन की चुनौती का मुकाबला करने में अब देश और देश के अस्पताल, पहले से कहीं ज्यादा सक्षम हो रहे हैं।

 

साथियों,

ये हर भारतवासी के लिए गर्व की बात है कि कोरोना वैक्सीन की 93 करोड़ डोज लगाई जा चुकी है। बहुत जल्द हम 100 करोड़ के आंकड़े को पार कर पाएंगे और पार कर जाएंगे। भारत ने Cowin प्लेटफॉर्म का निर्माण करके पूरी दुनिया को राह दिखाई है कि इतने बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन किया कैसे जाता है। पहाड़ हो या रेगिस्तान, जंगल हो या समंदर, 10 लोग हों या 10 लाख, हर क्षेत्र तक आज हम पूरी सुरक्षा के साथ वैक्सीन पहुंचा रहे हैं। इसके लिए देशभर में 1 लाख 30 हजार से ज्यादा टीकाकरण केंद्र स्थापित किए गए हैं। यहां राज्य सरकार के प्रभावी मैनेजमेंट की वजह से उत्तराखंड भी बहुत जल्द शत-प्रतिशत पहली डोज़ का पड़ाव पूरा करने वाला है, और इसके लिए मुख्यमंत्री जी को, उनकी पूरी टीम को, यहां के हर छोटे- मोटे सरकार के साथियों को मैं हृदय से बहुत – बहुत बधाई देता हूं।

 

भाइयों और बहनों,

जहां तराई जैसी समतल भूमि है। वहां शायद इन कामों में सरलता रहती है। मैं इस धरती से बहुत जुड़ा रहा। यहां वैक्सीन पहुंचाना भी कितना कठिन होता है। हिमालय के पहाड़ों के उस पार पहुंचकर के लोगों के पास जाना कितना कठिन होता है। ये हम भलि भांति जानते हैं। उसके बावजूद भी इतनी बड़ी सिद्दी प्राप्त करना वाकई आप सब अभिनंदन के अधिकारी हैं।

 

भाइयों और बहनों,

21वीं सदी का भारत, जनता की अपेक्षाओं, जनता की आवश्यकताओं का पूर्ण समाधान करते हुए ही आगे बढ़ेगा। आज सरकार इस बात का इंतज़ार नहीं करती कि नागरिक उसके पास अपनी समस्याएं लेकर के आएगा तब कोई कदम उठाएंगे। सरकारी माइंडसेट और सिस्टम से इस भ्रांति को हम बाहर निकाल रहे हैं। अब सरकार नागरिक के पास जाती है। गरीबों को पक्का घर हो,बिजली, पानी, शौचालय और गैस कनेक्शन हो, 80 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त राशन हो, किसानों के बैंक खाते में सीधे हज़ारों करोड़ रुपए भेजने हों, पेंशन और बीमा की सुविधा हर भारतीय तक पहुंचाने के प्रयास हों, जनहित के ऐसे हर लाभ, इसी वजह से तेज़ी से सही हकदार तक पहुंचे हैं।

साथियों,

स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी भारत इसी अप्रोच से आगे बढ़ रहा है। इससे गरीब और मध्यम वर्ग की बचत भी हो रही है और उसे सुविधा भी मिल रही है। पहले जब किसी को गंभीर बीमारी होती थी, तो वो आर्थिक मदद के लिए यहां वहां नेताओं या फिर सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटता था। आयुष्मान भारत ने इस परेशानी को हमेशा के लिए खत्म कर दिया है। अस्पताल के बाहर लंबी लाइनों, इलाज में होने वाली देरी, मेडिकल हिस्ट्री का अभाव, इस वजह से कितने ही लोग परेशान होते रहे हैं। अब आयुष्मान भारत डिजिटिल मिशन इसे पहली बार इसका समाधान करने का भी प्रयास शुरु हुआ है।

 

साथियों,

छोटे-छोटे उपचार के लिए, बीमारी के दौरान रुटीन चेकअप के लिए बार-बार आना-जाना कितना मुश्किल होता है, ये उत्तराखंड के लोगों से बेहतर कौन समझ सकता है। लोगों की इस मुश्किल को दूर करने के लिए अब ई-संजीवनी ऐप की सुविधा दी गई है। इससे, गांव में अपने घर पर बैठे-बैठे मरीज़, शहरों के अस्पतालों में डॉक्टर से कंसल्टेशन ले रहे हैं। इसका लाभ अब उत्तराखंड के लोगों ने भी उठाना शुरू किया है।

 

भाइयों और बहनों,

स्वास्थ्य सुविधाएं सभी तक पहुंचाने के लिए लास्ट माइल डिलिवरी से जुड़ा एक सशक्त हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर भी बहुत ज़रूरी होता है। 6-7 साल पहले तक सिर्फ कुछ राज्यों तक ही एम्स की सुविधा थी, आज हर राज्य तक एम्स पहुंचाने के लिए काम हो रहा है। 6 एम्स से आगे बढ़कर 22 एम्स का सशक्त नेटवर्क बनाने की तरफ हम तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं। सरकार का ये भी लक्ष्य है कि देश के हर जिले में कम से कम एक मेडिकल कॉलेज जरूर हो। इसके लिए बीते 7 वर्षों में देश में 170 नए मेडिकल कॉलेज शुरू किए गए हैं। दर्जनों नए मेडिकल कॉलेज का काम जारी है। यहां मेरे उत्तराखंड में भी रुद्रपुर, हरिद्वार और पिथौरागढ़ में नए मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी दी गई है।

 

साथियों,

उत्तराखंड के निर्माण का सपना अटल जी ने पूरा किया था। अटल जी मानते थे कनेक्टिविटी का सीधा कनेक्शन विकास से है। उन्हीं की प्रेरणा से आज देश में कनेक्टिविटी के इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए अभूतपूर्व स्पीड और स्केल पर काम हो रहा है। मुझे संतोष है कि उत्तराखंड की सरकार इस दिशा में गंभीरता से काम कर रही है। बाबा केदार के आशीर्वाद से केदारधाम की भव्यता को और बढ़ाया जा रहा है, वहां श्रद्धालुओं के लिए नई सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। मैं भी कई बार ड्रोन कैमरा के माध्यम से इन कार्यों की प्रगति की समीक्षा करता रहता हूं। चारधाम को जोड़ने वाली all weather road पर काम तेज़ी से चल रहा है। चारधाम परियोजना, देश और दुनिया से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए बहुत बड़ी सुविधा तो बना ही रही है, गढ़वाल और कुमाऊं के चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों को भी आपस में जोड़ रही है। कुमाऊं में चारधाम रोड के लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर हिस्से से इस क्षेत्र के विकास को नया आयाम मिलने वाला है। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन से भी उत्तराखंड की रेल कनेक्टिविटी को और विस्तार मिलेगा। सड़क और रेल के अलावा एयर कनेक्टिविटी को लेकर हुए कार्यों का लाभ भी उत्तराखंड को मिला है। देहरादून हवाई अड्डे की क्षमता को 250 पैसेंजर से बढ़ाकर 1200 तक पहुंचाया गया है। मुख्यमंत्री श्रीमान धामी जी के उत्साही और ऊर्जावान नेतृत्व में उत्तराखंड में हैलीपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।

 

साथियों,

पानी की कनेक्टिविटी को लेकर भी उत्तराखंड में आज सराहनीय कार्य हो रहा है। इसका बहुत बड़ा लाभ यहां की महिलाओं को मिलना शुरु हुआ है, उनका जीवन और आसान बन रहा है। 2019 में जल जीवन मिशन शुरू होने से पहले उत्तराखंड के सिर्फ 1 लाख 30 हजार घरों में ही नल से जल पहुंचता था। आज उत्तराखंड के 7 लाख 10 हजार से ज्यादा घरों में नल से जल पहुंचने लगा है। यानि सिर्फ 2 वर्ष के भीतर राज्य के करीब-करीब 6 लाख घरों को पानी का कनेक्शन मिला है। जैसे उज्जवला योजना के तहत मिले गैस कनेक्शन ने महिलाओं को राहत दी, स्वच्छ भारत मिशन के तहत बने शौचालयों ने महिलाओं को सुविधा, सुरक्षा और सम्मान दिया, वैसे ही जल जीवन मिशन से हो रहा पानी का कनेक्शन, महिलाओं को बहुत राहत दे रहा है।

 

साथियों,

उत्तराखंड की देश की सुरक्षा में बहुत बड़ी भूमिका है। यहां का वीर नौजवान, वीर बेटियां, भारतीय सुरक्षा बलों की आन, बान और शान हैं। हमारी सरकार, हर फौजी, हर पूर्व फौजी के हितों को लेकर भी पूरी गंभीरता से काम कर रही है। ये हमारी ही सरकार है जिसने वन रैंक वन पेंशन को लागू करके अपने फौजी भाइयों की 40 साल पुरानी मांग पूरी की। और हमारे धामी जी तो खुद फौजी के बेटे हैं। वो बता भी रहे थे कि वन रैंक वन पैंशन इस फैसले ने, फौजियों को कितनी बड़ी मदद की है।

 

साथियों,

ये हमारी ही सरकार है जिसने दिल्ली में नेशनल वॉर मेमोरियल बनाकर देश के वीर जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की है। ये हमारी ही सरकार है जिसने Battle Casualties Welfare Fund का लाभ आर्मी के साथ-साथ नौसेना और वायुसेना के शहीदों को भी सुनिश्चित किया है। ये हमारी ही सरकार है जिसने JCO और अन्य Ranks की पदोन्नति को लेकर पिछले 4 दशकों से चला आ रहा मामला सुलझा दिया है। पूर्व-सैनिकों को पेंशन से जुड़ी दिक्कतें ना आएं, इसके लिए भी हम डिजिटल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बढ़ा रहे हैं।

 

साथियों,

जब फौज के वीर जांबाजों के पास आधुनिक हथियार होते हैं, अपनी रक्षा के लिए आधुनिक उपकरण होते हैं, तो वो उतनी ही आसानी से दुश्मन से मुकाबला कर पाते हैं। ऐसी जगहों पर जहां मौसम हमेशा खराब रहता है, वहां भी आधुनिक उपकरणों से उन्हें बहुत मदद मिलती है। हमारी सरकार ने रक्षा क्षेत्र में जो आत्मनिर्भरता का अभियान चलाया है, वो भी बहुत बड़ी मदद हमारे फौजी साथियों की करने वाला है। और निश्चित तौर पर सरकार के इन सभी प्रयासों का लाभ उत्तराखंड को होगा, यहां के लोगों को भी होगा।

 

भाइयों और बहनों,

हम दशकों की उपेक्षा से देवभूमि को निकालने का बहुत ईमानदारी से, पूरी गंभीरता से प्रयास कर रहे हैं। बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर बनने के बाद, वीरान पड़े गांव फिर से आबाद होने लगे हैं। कोरोना काल में मेरी यहां के अनेक युवाओं से, किसानों से कई बार बातचीत हुई है। जब वो बताते हैं कि उनके घर सड़क पहुंच चुकी है, अब उन्होंने Home Stay खोल दिया है, तो मन को बहुत संतुष्टि मिलती है। नए इंफ्रास्ट्रक्चर से कृषि, पर्यटन-तीर्थाटन और उद्योगों के लिए, युवाओं के लिए अनेक नए अवसर खुलने वाले हैं।

 

साथियों,

यहां उत्तराखंड में युवा ऊर्जा से भरपूर उत्साही टीम है। अगले कुछ वर्ष में उत्तराखंड अपने गठन के 25 वर्ष में प्रवेश करेगा। उत्तराखंड को बहुत निकट भविष्य में 25 वर्ष होने वाले हैं।  तब उत्तराखंड जिस ऊंचाई पर होगा, ये तय करने, उसके लिए जुट जाने का यही समय है, सही समय है। केंद्र में जो सरकार है, वो उत्तराखंड की इस नई टीम को, पूरी मदद दे रही है। केंद्र और राज्य सरकार के साझा प्रयास, यहां के लोगों के सपनों को पूरा करने का बहुत बड़ा आधार हैं। विकास का यही डबल इंजन उत्तराखंड को नई बुलंदी देने वाला है। बाबा केदार की कृपा से, हम हर संकल्प को सिद्ध करें, इसी कामना के साथ आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

 

धन्यवाद !

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DS/SH/DK



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