प्रधानमंत्री कार्यालय
प्रधानमंत्री ने विश्व जल दिवस के अवसर पर ‘जल शक्ति अभियान: कैच द रेन’ अभियान की शुरुआत की
ऐतिहासिक केन-बेतवा लिंक परियोजना पर हस्ताक्षर किए गए
भारत का विकास और आत्मनिर्भरता जल सुरक्षा और जल कनेक्टिविटी पर निर्भर : प्रधानमंत्री
जल परीक्षण को काफी गंभीरता के साथ लिया जा रहा है : प्रधानमंत्री
Posted On:
22 MAR 2021 2:25PM by PIB Delhi
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व जल दिवस के अवसर पर आज नई दिल्ली में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से 'जल शक्ति अभियान: वर्षा जल संचयन (कैच द रेन)' अभियान की शुरूआत की। प्रधानमंत्री की उपस्थिति में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री और मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने केन-बेतवा लिंक परियोजना के क्रियान्वयन के लिए एक समझौते पर भी हस्ताक्षर किए। यह परियोजना नदियों को आपस में जोड़ने के लिए राष्ट्रीय परिपेक्ष्य योजना की पहली परियोजना है। इस दौरान श्री मोदी ने राजस्थान, उत्तराखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र और गुजरात के सरपंचों तथा वार्ड पंचों के साथ भी संवाद किया।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय जल दिवस पर ‘कैच द रेन अभियान’ की शुरुआत के साथ केन-बेतवा लिंक नहर के लिए भी एक बड़ा कदम उठाया गया है। उन्होंने कहा कि यह समझौता नदियों को जोड़ने के लिए भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी की परिकल्पना और स्वप्न को साकार करने के लिए महत्वपूर्ण है। श्री मोदी ने जोर देकर कहा कि जल सुरक्षा और प्रभावी जल प्रबंधन के बिना तेजी से विकास संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत के विकास और भारत की आत्मनिर्भरता की परिकल्पना, हमारे जल स्रोतों और हमारी जल कनेक्टिविटी पर निर्भर है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के विकास के साथ जल संकट की चुनौती समान रूप से बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि देश की वर्तमान पीढ़ी की जिम्मेदारी आने वाली पीढ़ियों के लिए अपनी जिम्मेदारी को निभाना है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार ने अपनी नीतियों और फैसलों में जल प्रशासन को प्राथमिकता दी है। पिछले 6 वर्षों में, इस दिशा में कई कदम उठाए गए हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, हर खेत को पानी अभियान, प्रति बूंद अधिक फसल अभियान और नमामि गंगे मिशन, जल जीवन मिशन और अटल भूजल योजना के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि इन सभी योजनाओं पर तेजी से काम किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत जितने बेहतर तरीके से वर्षा के जल का प्रबंधन करता है उतना ही देश की भूजल पर निर्भरता कम होगी, इसलिए, 'कैच द रेन' जैसे अभियानों की सफलता बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों को जल शक्ति अभियान में शामिल किया गया है। उन्होंने मानसून तक जल संरक्षण के प्रयासों को तेजी से आगे बढ़ाने का आह्वान किया। श्री मोदी ने सरपंचों और जिलाधिकारियों तथा उपायुक्तों के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि जल शपथ ’जो पूरे देश में आयोजित की जा रही है, हर किसी की प्रतिज्ञा और दूसरा स्वभाव बननी चाहिए। उन्होंने कहा कि जब पानी को लेकर हमारा स्वभाव बदलेगा तो प्रकृति भी हमारा साथ देगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्षा जल संचयन के अलावा, हमारे देश में नदी जल के प्रबंधन पर भी दशकों से चर्चा हुई है। देश को जल संकट से बचाने के लिए अब इस दिशा में तेजी से काम करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि केन-बेतवा लिंक परियोजना भी इस दृष्टि का हिस्सा है। उन्होंने इस परियोजना को साकार करने के लिए उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सरकारों की सराहना की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि डेढ़ साल पहले, हमारे देश के 19 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से सिर्फ साढ़े तीन करोड़ को ही पाईप लाइन के जरिये पीने का पानी उपलब्ध था। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि जल जीवन मिशन के शुभारंभ के बाद इतने कम समय में लगभग 4 करोड़ नए परिवारों को पाइपलाईन के जरिये पेयजल कनेक्शन मिले हैं। उन्होंने कहा कि जन भागीदारी और स्थानीय शासन मॉडल जल जीवन मिशन के मूल में हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के बाद पहली बार कोई सरकार पानी की जांच को लेकर इतनी गंभीरता से काम कर रही है। उन्होंने बताया कि पानी की जांच के इस अभियान में ग्रामीण बहन-बेटियों को हिस्सेदार बनाया गया है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 की अवधि के दौरान, लगभग 4.5 लाख महिलाओं को पानी की जांच के लिए प्रशिक्षित किया गया था। हर गाँव में कम से कम 5 प्रशिक्षित महिलाएँ पानी की जांचकर रही हैं। प्रधानमंत्री ने अंत में कहा कि जल प्रशासन में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी के साथ बेहतर परिणाम मिलना निश्चित है।
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