प्रधानमंत्री कार्यालय
15वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन का संयुक्त वक्तव्य: हमारी अगली पीढ़ी की सुरक्षा और समृद्धि के लिए साझेदारी
Posted On:
29 AUG 2025 7:06PM by PIB Delhi
जापान के प्रधानमंत्री महामहिम श्री इशिबा शिगेरु के निमंत्रण पर, भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 15वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए 29-30 अगस्त 2025 को जापान की आधिकारिक यात्रा की। प्रधानमंत्री मोदी का 29 अगस्त 2025 की शाम प्रधानमंत्री कार्यालय (कांतेई) में प्रधानमंत्री इशिबा ने स्वागत किया, जहाँ उन्हें औपचारिक गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के दौरान भारत और जापान के बीच दीर्घकालिक मित्रता को याद किया जो सभ्यतागत संबंधों, साझा मूल्यों और हितों, समान रणनीतिक दृष्टिकोण और एक-दूसरे के प्रति पारस्परिक सम्मान में निहित हैं। दोनों प्रधानमंत्रियों ने पिछले दशक में भारत-जापान साझेदारी द्वारा की गई महत्वपूर्ण प्रगति की सराहना की और आने वाले दशकों में पारस्परिक सुरक्षा और समृद्धि के लिए रणनीतिक और दूरंदेशी साझेदारी को मजबूत करने के तरीकों पर रचनात्मक चर्चा की।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने दोनों पक्षों के बीच निरंतर उच्च-स्तरीय आदान-प्रदान, तथा मंत्रिस्तरीय एवं संसदीय सहभागिता का स्वागत किया, जो आपसी विश्वास और संबंधों की गहराई को दर्शाता है। पिछले एक दशक में यह साझेदारी सुरक्षा, रक्षा, व्यापार, निवेश, वाणिज्य, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, कौशल एवं गतिशीलता, तथा सांस्कृतिक एवं लोगों के बीच संबंधों जैसे व्यापक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण ढंग से बढ़ी है। दोनों प्रधानमंत्रियों ने इस बात की सराहना की कि भारत और जापान के बीच विभिन्न क्षेत्रों में सत्तर से अधिक संवाद तंत्र और कार्य समूह हैं, जो विभिन्न मंत्रालयों, एजेंसियों और विभागों के बीच गहन सहभागिता और सहयोग को बढ़ावा देते हैं।
दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच यह आम सहमति बनी कि भारत-जापान साझेदारी एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है और यह अनिवार्य है कि हम अपनी उपलब्धियों के आधार पर एक परस्पर पूरक संबंध विकसित करें और अपनी-अपनी शक्तियों के साथ-साथ उत्कृष्ट संबंधों का लाभ उठाकर अगली पीढ़ियों की सुरक्षा और समृद्धि सुनिश्चित करें। उन्होंने साझा उद्देश्यों को साकार करने और विशेष रणनीतिक एवं वैश्विक साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करना जारी रखने का संकल्प लिया। इस दिशा में, दोनों प्रधानमंत्रियों ने तीन प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर ध्यान केन्द्रित करते हुए अनेक घोषणाएँ कीं: हमारे रक्षा और सुरक्षा सहयोग को मजबूत करना, हमारी आर्थिक साझेदारी को सुदृढ़ करना और हमारे लोगों के बीच आदान-प्रदान को गहरा करना। उन्होंने स्वच्छ ऊर्जा, महत्वपूर्ण खनिज, डिजिटल साझेदारी, अंतरिक्ष, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और राजनयिक प्रशिक्षण सहित प्रमुख क्षेत्रों में महत्वपूर्ण दस्तावेजों पर हस्ताक्षर का स्वागत किया। नेताओं ने निम्नलिखित समझौतों को स्वीकार किया :
(i) अगले दशक के लिए एक संयुक्त दूरदर्शिता, जो अर्थव्यवस्था, आर्थिक सुरक्षा, गतिशीलता, पर्यावरण, प्रौद्योगिकी और नवाचार, स्वास्थ्य, लोगों से लोगों के बीच संबंध और राज्य-प्रान्त जुड़ाव जैसे आठ स्तंभों में साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए पूरे देश के प्रयासों की रूपरेखा तैयार करता है;
(ii) सुरक्षा सहयोग पर एक संयुक्त घोषणा, जो क्षेत्र में समकालीन भू-राजनीतिक वास्तविकताओं और सुरक्षा बनावट को ध्यान में रखते हुए हमारे रक्षा और सुरक्षा संबंधों को अगले स्तर तक ले जाती है; और
(iii) भारत-जापान मानव संसाधन आदान-प्रदान और सहयोग के लिए एक कार्य योजना, जो पांच वर्षों में 500,000 से अधिक कर्मियों के आदान-प्रदान के माध्यम से प्रतिभा गतिशीलता और लोगों के बीच संबंधों को गहरा करने के लिए एक रोडमैप तैयार करती है, जिसमें भारत से जापान के लिए 50,000 कुशल कर्मी और संभावित प्रतिभाएं शामिल हैं।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने आर्थिक सुरक्षा के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को गति प्रदान करने के लिए भारत-जापान आर्थिक सुरक्षा पहल की भी घोषणा की, जिसमें महत्वपूर्ण वस्तुओं और क्षेत्रों में आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुरक्षित और सुदृढ़ बनाना, दूरसंचार, फार्मास्यूटिकल्स, महत्वपूर्ण खनिजों, अर्धचालकों और स्वच्छ ऊर्जा को विशेष प्राथमिकता देते हुए महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों में सहयोग में तेजी लाना शामिल है। उन्होंने नवम्बर 2024 में रणनीतिक व्यापार और प्रौद्योगिकी सहित आर्थिक सुरक्षा पर संवाद शुरू करने की सराहना की। दोनों प्रधानमंत्रियों ने अपने विदेश मंत्रालयों को उद्योग और शिक्षा जगत के साथ मिलकर रणनीतिक क्षेत्रों में ठोस परिणामों और परियोजनाओं की पहचान करने के साथ आर्थिक सुरक्षा पर नीतिगत स्तर के आदान-प्रदान में तेजी लाने का कार्य सौंपा। इस संदर्भ में, दोनों पक्ष निर्यात नियंत्रण चुनौतियों को पारस्परिक रूप से कम करते हुए उच्च प्रौद्योगिकी व्यापार को और अधिक संरक्षित करने की दिशा में काम करने पर सहमत हुए। दोनों पक्षों ने रणनीतिक क्षेत्रों में चल रहे कुछ सहयोगों की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए एक आर्थिक सुरक्षा तथ्यपत्र जारी किया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारतीय और जापानी कंपनियों को आपूर्ति श्रृंखला विविधीकरण और लचीलेपन की दिशा में प्रोत्साहित करने के लिए आर्थिक सुरक्षा के क्षेत्र में व्यवसाय-से-व्यवसाय सहयोग को बढ़ावा देने की पहल का स्वागत किया। उन्होंने व्यापारिक अवसरों के विस्तार के इरादे से महत्वपूर्ण खनिजों के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए दोनों पक्षों के बीच खनिज संसाधनों के क्षेत्र में सहयोग ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाने का स्वागत किया।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारत-जापान डिजिटल साझेदारी के तहत हुई प्रगति पर संतोष व्यक्त किया, जो डिजिटल प्रतिभाओं के आदान-प्रदान, अनुसंधान एवं विकास, स्टार्टअप और कॉर्पोरेट साझेदारी के माध्यम से उभरती प्रौद्योगिकियों में संयुक्त सहयोग को बढ़ावा देती है। उन्होंने भारत-जापान डिजिटल साझेदारी 2.0 का स्वागत किया, जो सहयोग को डिजिटल क्रांति के अगले चरण तक ले जाएगी। दोनों प्रधानमंत्रियों ने जापान-भारत एआई सहयोग पहल की शुरुआत की भी घोषणा की, जिसका उद्देश्य लार्ज लैंग्वेज मॉडल (एलएलएम) सहित कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग को गहरा करना, उद्योग और शिक्षा जगत के बीच आदान-प्रदान के लिए मंच स्थापित करना, संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं का समर्थन करना और भारत में डेटा केन्द्रों के विकास और संचालन को सुगम बनाना है। प्रधानमंत्री मोदी ने प्रधानमंत्री इशिबा को एआई इम्पैक्ट समिट में भाग लेने का निमंत्रण दिया, जिसकी मेजबानी भारत 19-20 फरवरी 2026 को करेगा। इसके अलावा, दोनों प्रधानमंत्रियों ने स्टार्टअप्स के लिए सहयोग के महत्व पर ज़ोर दिया और जापान-भारत स्टार्टअप सपोर्ट इनिशिएटिव (जेआईएसएसआई) के माध्यम से भारत में दोनों देशों के स्टार्टअप्स की गतिविधियों को बढ़ावा देने पर सहमति व्यक्त की।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने इस बात पर गहरा संतोष व्यक्त किया कि भारत और जापान के बीच रक्षा और समुद्री सुरक्षा सहयोग तेज़ी से बढ़ रहा है। उन्होंने अगस्त 2024 में नई दिल्ली में अपने विदेश और रक्षा मंत्रियों की तीसरी 2+2 बैठक आयोजित करने का स्वागत किया और अपने मंत्रियों को जल्द से जल्द टोक्यो में चौथे दौर की बैठक आयोजित करने के निर्देश दिए। उन्होंने मार्च 2022 में हुए पिछले शिखर सम्मेलन के बाद से दोनों सेनाओं के बीच हुए आदान-प्रदान पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने भारत की मेजबानी में बहुपक्षीय, मिलान अभ्यास में जापान मैरीटाइम सेल्फ डिफेंस फोर्स (जेएमएसडीएफ) की भागीदारी, और भारतीय वायु सेना द्वारा आयोजित पहले बहुपक्षीय अभ्यास, तरंग शक्ति में जापानी टीम की भागीदारी का स्वागत किया। उन्होंने जापान एयर सेल्फ डिफेंस फोर्स (जेएएसडीएफ) और भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के बीच द्विपक्षीय लड़ाकू अभ्यास 'वीर गार्जियन 2023' के उद्घाटन संस्करण के आयोजन और 2023 में पहली बार एक कैलेंडर वर्ष में तीनों सेवाओं के द्विपक्षीय अभ्यासों के आयोजन का भी स्वागत किया। उन्होंने रक्षा उपकरण और प्रौद्योगिकी सहयोग के क्षेत्र में चल रहे सहयोग को स्वीकार किया और दोनों पक्षों के संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे जल्द से जल्द चल रहे सहयोग के माध्यम से ठोस परिणामों को मूर्त रूप देने के प्रयासों में तेजी लाएं और साथ ही दोनों पक्षों की संचालन रणनीति की सफलता के लिए भविष्य के लिए विशिष्ट क्षेत्रों की पहचान भी करें।
विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी के एक प्रमुख स्तंभ के रूप में आर्थिक सहयोग के महत्व को स्वीकार करते हुए, दोनों प्रधानमंत्रियों ने 2022 से शुरू होकर पाँच वर्षों में जापान से भारत में 5 ट्रिलियन येन के सार्वजनिक और निजी निवेश एवं वित्तपोषण के लक्ष्य की दिशा में हुई प्रगति का स्वागत किया। भारत में जापानी निवेशकों के लिए कारोबार के माहौल में सुधार लाने हेतु भारत द्वारा उठाए गए कदमों और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने तथा कारोबार को सुगम बनाने के अन्य उपायों का उल्लेख करते हुए, दोनों प्रधानमंत्रियों ने जापान से भारत में 10 ट्रिलियन येन के निजी निवेश का नया लक्ष्य निर्धारित किया। प्रधानमंत्री इशिबा ने जापानी कंपनियों के लिए भारत में अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं को गहन बनाने की अपार संभावनाओं को पहचाना और भारतीय पक्ष से इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु अपने नियामक और अन्य सुधारों को जारी रखने का अनुरोध किया। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत में रोज़गार के अवसर पैदा करने और विकास एवं नवाचार को बढ़ावा देने में जापानी कंपनियों और संस्थानों के योगदान की सराहना की। उन्होंने भारत में निवेश को सुगम बनाने के लिए अतिरिक्त नियामक और अन्य सुधार करने की अपनी मंशा दोहराई और अधिक जापानी व्यवसायों को इनका लाभ उठाने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने जापान औद्योगिक टाउनशिप (जेआईटी) को समर्थन देने और भारत-जापान औद्योगिक प्रतिस्पर्धात्मकता साझेदारी (आईजेआईसीपी) के अंतर्गत लॉजिस्टिक्स, वस्त्र, खाद्य प्रसंस्करण, कृषि, ऑटोमोटिव, औद्योगिक पूंजीगत वस्तुओं और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) में सहयोग को मज़बूत करने के द्विपक्षीय प्रयासों का समर्थन किया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने और विविधतापूर्ण बनाने की आवश्यकता पर बल दिया, जिसमें व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) के कार्यान्वयन की समीक्षा में तेज़ी लाना भी शामिल है ताकि इसे और अधिक दूरदर्शी बनाया जा सके।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने पिछले दशकों में भारत को जापान द्वारा दिए गए विकास सहयोग पर संतोष व्यक्त किया, जिसने भारत के आर्थिक और सामाजिक विकास के साथ-साथ क्षेत्र में शांति और स्थिरता में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के लिए अपनी निरंतर प्रतिबद्धता की पुष्टि की, जिससे इस क्षेत्र में व्यापक रूप से आर्थिक समृद्धि आई है और आगे भी आएगी। उन्होंने हार्ड, सॉफ्ट और लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने के अपने प्रयासों को और मज़बूत करने और इस प्रकार, क्षेत्रीय भागीदारों के साथ घनिष्ठ सहयोग में एक्ट ईस्ट फ़ोरम (एईएफ) के माध्यम से इस क्षेत्र की अपार संभावनाओं को उजागर करने के अपने इरादे को दोहराया।
प्रधानमंत्रियों ने भारत और जापान के बीच एक प्रमुख परियोजना के रूप में मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल के महत्व पर चर्चा की। उन्होंने जल्द से जल्द इसका परिचालन शुरू करने की दिशा में काम करने और भारत में नवीनतम जापानी शिन्कानसेन तकनीक की शुरुआत में सहयोग करने पर सहमति व्यक्त की। भारतीय पक्ष 2030 के दशक की शुरुआत में जापानी सिग्नलिंग प्रणाली पर चलने वाली शिन्कानसेन की ई10 श्रृंखला शुरू करने के जापान के प्रस्ताव की सराहना करता है। इस उद्देश्य से, जापानी प्रणाली सहित सिग्नलिंग की शीघ्र स्थापना के लिए आवश्यक कार्य तुरंत शुरू करने, साथ ही सामान्य निरीक्षण ट्रेन (जीआईटी) और ई5 श्रृंखला शिंकानसेन रोलिंग स्टॉक के एक सेट की शुरुआत करने पर सहमति व्यक्त की गई।
ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने, निरंतर आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और जलवायु परिवर्तन से निपटने के महत्व को स्वीकार करते हुए, दोनों प्रधानमंत्रियों ने 2022 में शुरू की गई स्वच्छ ऊर्जा साझेदारी के आधार पर द्विपक्षीय ऊर्जा सहयोग को और मज़बूत करने के उद्देश्य से, अपनी इस साझा मान्यता की पुष्टि की कि शुद्ध-शून्य अर्थव्यवस्था प्राप्त करने का कोई एक रास्ता नहीं है, बल्कि विभिन्न रास्ते हैं जो प्रत्येक देश की राष्ट्रीय परिस्थितियों को दर्शाते हैं। इस संबंध में, उन्होंने संयुक्त ऋण व्यवस्था (जेसीएम) पर सहयोग ज्ञापन और स्वच्छ हाइड्रोजन एवं अमोनिया पर संयुक्त आशय घोषणा पर हस्ताक्षर का स्वागत किया।
दोनों देशों की जनता के बीच संपर्क के क्षेत्र में, दोनों प्रधानमंत्रियों ने लोगों के एक दूसरे के यहां आने-जाने की एक नई लहर की ओर इशारा करते हुए मनुष्य के ज्ञान और कौशल के आर्थिक रूप से लाभकारी पूरकताओं का दोहन करने के अपने संकल्प की पुष्टि की। उन्होंने फुकुओका में भारतीय वाणिज्य दूतावास के उद्घाटन का स्वागत किया जो जापान के क्यूशू क्षेत्र और भारत के बीच संबंधों को गहरा करेगा। उन्होंने निहोंगो पार्टनर्स कार्यक्रम और 360 घंटे के शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के माध्यम से भारत में जापानी भाषा शिक्षा में हुई प्रगति की सराहना की। दोनों प्रधानमंत्रियों ने जापान-भारत विनिर्माण संस्थानों और जापानी एंडोड पाठ्यक्रमों की उपलब्धियों को आगे बढ़ाने के अपने साझा संकल्प की पुष्टि की, जिन्होंने 2016 में अपनी स्थापना के बाद से जापानी विनिर्माण और प्रबंधकीय कौशल में निपुण 30,000 लोगों की प्रतिभा पाइपलाइन तैयार की है। दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारत और जापान के लोगों के बीच एक-दूसरे के देश और संस्कृति को जानने की बढ़ती रुचि पर संतोष व्यक्त किया, जैसा कि दोनों देशों के बीच बढ़ते पर्यटक प्रवाह से परिलक्षित होता है। उन्होंने "हिमालय को माउंट फ़ूजी से जोड़ना" विषय के अंतर्गत भारत-जापान पर्यटन विनिमय वर्ष (अप्रैल 2023-मार्च 2025) के सफल आयोजन की सराहना की। दोनों देशों के बीच सदियों पुराने सभ्यतागत संबंधों का लाभ उठाते हुए, नेताओं ने इस क्षेत्र में पर्यटन आदान-प्रदान को बढ़ावा देने पर सहमति व्यक्त की।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने प्रसन्नता व्यक्त की कि वर्ष 2025 को भारत-जापान विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार आदान-प्रदान वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है, जो दोनों देशों के बीच विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर पहले समझौता ज्ञापन की 40वीं वर्षगांठ का प्रतीक है। उन्होंने शैक्षणिक संस्थानों के बीच संयुक्त अनुसंधान सहयोग, दोनों देशों के वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं की एक-दूसरे के यहां यात्राओं और लोटस कार्यक्रम तथा साकुरा विज्ञान विनिमय कार्यक्रम के सहयोग से जापानी कंपनियों में इंटर्नशिप के अवसरों के प्रावधान के माध्यम से हाल ही में शुरू किए गए उद्योग-अकादमिक सहयोग का स्वागत किया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन और जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी के बीच चंद्र ध्रुवीय अन्वेषण (ल्यूपेक्स) मिशन में हुई प्रगति पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने केईके, त्सुकुबा में भारतीय बीमलाइन पर समझौता ज्ञापन को हाल ही में छह वर्षों के लिए बढ़ाने का स्वागत किया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने 5 जून 2025 को आयोजित विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग पर 11वीं संयुक्त समिति की बैठक में हुई प्रगति की सराहना की - विशेष रूप से क्वांटम प्रौद्योगिकी, स्वच्छ प्रौद्योगिकी, आपदा प्रबंधन, जैव प्रौद्योगिकी और भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों जैसे नए और उभरते क्षेत्रों में।
यह स्वीकार करते हुए कि क्षेत्रीय संबंध दोनों देशों के बीच आर्थिक और लोगों के बीच संबंधों को गहरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, प्रधानमंत्रियों ने हाल ही में आंध्र प्रदेश और तोयामा, तमिलनाडु और एहिमे, उत्तर प्रदेश और यामानाशी, गुजरात और शिज़ुओका के बीच स्थापित राज्य-प्रान्त साझेदारी का स्वागत किया, साथ ही भारत के साथ व्यापारिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए कंसाई समन्वय बैठक, कंसाई क्षेत्र में क्षेत्रीय साझेदारी का भी स्वागत किया। प्रधानमंत्री मोदी ने जापान के ओसाका, कंसाई में चल रहे एक्सपो 2025 के लिए प्रधानमंत्री इशिबा को बधाई दी और एक्सपो में भारत की सक्रिय भागीदारी के लिए जापान के सहयोग की सराहना की, जिसने हाल के महीनों में राज्य-प्रान्त साझेदारी को भी जबरदस्त गति दी है। प्रधानमंत्री इशिबा ने योकोहामा में आयोजित होने वाले ग्रीन x एक्सपो 2027 में भारत की भागीदारी का स्वागत किया।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने मौजूदा वैश्विक स्थिति को ध्यान में रखते हुए, कानून के शासन पर आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने का संकल्प लिया और एक स्वतंत्र एवं खुले, शांतिपूर्ण, समृद्ध और लचीले हिंद-प्रशांत क्षेत्र के प्रति अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता की पुष्टि की। उन्होंने व्यावहारिक परियोजनाओं के माध्यम से ठोस लाभ प्रदान करके क्षेत्र के आर्थिक विकास और समृद्धि के लिए अपने दृढ़ समर्थन को दोहराया। उन्होंने क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच क्वाड जैसे बहुपक्षीय ढाँचों के माध्यम से समान विचारधारा वाले देशों के बीच सहयोग को आगे बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता भी दोहराई। इस संबंध में, उन्होंने क्वाड के एक महत्वपूर्ण और स्थायी क्षेत्रीय समूह के रूप में विकसित होने का स्वागत किया, और उन्हें इस वर्ष भारत द्वारा आयोजित अगले क्वाड लीडर्स समिट की प्रतीक्षा है।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने पूर्वी चीन सागर और दक्षिण चीन सागर की स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने किसी भी एकतरफा कार्रवाई का कड़ा विरोध दोहराया जो नौवहन और उड़ान की सुरक्षा और स्वतंत्रता को खतरे में डालती हो, और बल या दबाव से यथास्थिति को बदलने का प्रयास करती हो। उन्होंने विवादित क्षेत्रों के सैन्यीकरण पर अपनी गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि समुद्री विवादों का समाधान शांतिपूर्ण तरीके से और अंतर्राष्ट्रीय कानून, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून सम्मेलन (यूएनसीएलओएस) के अनुसार किया जाना चाहिए।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने उत्तर कोरिया द्वारा बैलिस्टिक मिसाइल तकनीक का उपयोग कर अस्थिरता पैदा करने वाले प्रक्षेपणों और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अनेक प्रस्तावों (यूएनएससीआर) का उल्लंघन करते हुए परमाणु हथियारों की निरंतर खोज की निंदा की। उन्होंने संबंधित यूएनएससीआर के अनुसार उत्तर कोरिया के पूर्ण परमाणु निरस्त्रीकरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की और उत्तर कोरिया से संयुक्त राष्ट्र चार्टर और यूएनएससीआर के तहत अपने सभी दायित्वों का पालन करने का आग्रह किया। उन्होंने उत्तर कोरिया से कोरियाई प्रायद्वीप में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए बातचीत पर लौटने का आह्वान किया। उन्होंने क्षेत्र में और उसके बाहर उत्तर कोरिया से परमाणु और मिसाइल प्रौद्योगिकियों के प्रसार के बारे में निरंतर चिंता को दूर करने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससीआर) के तहत अपने अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों का पालन करने और उत्तर कोरिया को सभी प्रकार के हथियारों और संबंधित सामग्रियों के हस्तांतरण या खरीद पर प्रतिबंध लगाने सहित प्रतिबंधों को लागू करने का आग्रह किया। उन्होंने अपहरण के मुद्दे के तत्काल समाधान की आवश्यकता पर पुनः ज़ोर दिया।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने सीमा पार आतंकवाद सहित सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद की स्पष्ट और कड़ी निंदा की। उन्होंने 22 अप्रैल 2025 को जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की निगरानी दल की 29 जुलाई की रिपोर्ट का संज्ञान लिया, जिसमें द रिसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) का उल्लेख था। प्रधानमंत्री मोदी ने आगे बताया कि टीआरएफ ने हमले की ज़िम्मेदारी ली है। प्रधानमंत्री इशिबा ने इस पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने इस निंदनीय कृत्य के दोषियों, आयोजकों और वित्तपोषकों को बिना किसी देरी के न्याय के कटघरे में लाने का आह्वान किया। उन्होंने अलकायदा, आईएसआईएस/दाएश, लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी), जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) और उनके प्रतिनिधियों सहित संयुक्त राष्ट्र-सूचीबद्ध सभी आतंकवादी समूहों और संस्थाओं के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने और आतंकवादियों के सुरक्षित ठिकानों को नष्ट करने, आतंकवादी वित्तपोषण चैनलों और अंतरराष्ट्रीय अपराध के साथ उनके गठजोड़ को खत्म करने और आतंकवादियों की सीमा पार आवाजाही को रोकने के लिए दृढ़ कार्रवाई करने का आह्वान किया।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने मुक्त एवं खुले हिंद-प्रशांत (एफओआईपी) और हिंद-प्रशांत महासागर पहल (आईपीओआई) के बीच घनिष्ठ सहयोग का स्वागत किया। उन्होंने आसियान की एकता और केंद्रीयता के प्रति अपने दृढ़ समर्थन और "हिंद-प्रशांत पर आसियान दृष्टिकोण (एओआईपी)" के प्रति अपने अटूट समर्थन को दोहराया।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने म्यांमार में बिगड़ते संकट और क्षेत्रीय सुरक्षा पर इसके प्रभाव, लोगों के विस्थापन और अंतरराष्ट्रीय अपराधों में वृद्धि को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने सभी पक्षों से हिंसा की सभी गतिविधियों को तुरंत रोकने का आह्वान किया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने हाल ही में आपातकाल समाप्त करने की घोषणा और चुनाव कराने की योजना पर ध्यान दिया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने लोकतंत्र के उस रास्ते पर लौटने का पुरजोर आग्रह किया जो सभी हितधारकों के बीच समावेशी संवाद और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनावों की अनुमति देता है, और हिरासत में लिए गए लोगों की रिहाई का आग्रह किया। उन्होंने संकट के समावेशी, टिकाऊ और शांतिपूर्ण समाधान की तलाश में पाँच सूत्री सहमति के पूर्ण और प्रभावी कार्यान्वयन का आह्वान करते हुए, आसियान के प्रयासों के प्रति अपने दृढ़ समर्थन की पुष्टि की।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने अफ्रीका सहित हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत और जापान के बीच सहयोगी परियोजनाओं के महत्व की पुनः पुष्टि की। उन्होंने अफ्रीका में निरन्तर आर्थिक विकास के लिए जापान-भारत सहयोग पहल के शुभारंभ का स्वागत किया, जिसका उद्देश्य भारत में औद्योगिक संकेन्द्रण को बढ़ावा देना और अफ्रीका के साथ व्यापार एवं निवेश हेतु एक औद्योगिक केन्द्र स्थापित करना है। उन्होंने अफ्रीकी विकास पर 9वें टोक्यो अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (टीआईसीएडी9) के सफल आयोजन का भी स्वागत किया और हिंद महासागर क्षेत्र तथा अफ्रीका में संपर्क और मूल्य श्रृंखलाओं को सुदृढ़ करने की महत्वपूर्ण संभावनाओं पर विचार साझा किए। इस संदर्भ में, प्रधानमंत्री मोदी ने हिंद महासागर-अफ्रीका आर्थिक क्षेत्र पहल की सराहना की, जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री इशिबा ने टीआईसीएडी 9 में की थी। उन्होंने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि जापान, भारत और क्षेत्र के अन्य देशों के बीच सहयोग सभी हितधारकों के लिए समृद्धि ला सकता है।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने संयुक्त राष्ट्र चार्टर सहित अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार यूक्रेन में न्यायसंगत और स्थायी शांति के लिए समर्थन व्यक्त किया। उन्होंने न्यायसंगत और स्थायी शांति प्राप्त करने के लिए विभिन्न देशों द्वारा किए जा रहे राजनयिक प्रयासों का भी स्वागत किया।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने पश्चिम एशिया में शांति और स्थिरता के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और सभी संबंधित पक्षों से संयम बरतने, नागरिकों की रक्षा करने, अंतर्राष्ट्रीय कानून का पालन करने और ऐसी कार्रवाइयों से बचने का आह्वान किया जो स्थिति को और बिगाड़ सकती हैं और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा बन सकती हैं। उन्होंने इज़राइल और ईरान के बीच युद्धविराम का स्वागत किया और युद्धविराम को बनाए रखने तथा बातचीत के ज़रिए ईरान के परमाणु मुद्दे को सुलझाने के महत्व पर बल दिया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने गाजा में मानवीय स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने सभी बंधकों की रिहाई, तत्काल और स्थायी युद्धविराम और बिगड़ती मानवीय स्थिति के समाधान के संबंध में संबंधित पक्षों के बीच एक समझौते पर पहुँचने के महत्व पर ज़ोर दिया। इस संबंध में, उन्होंने क्षेत्र में शांति लाने के इच्छुक विभिन्न देशों द्वारा किए जा रहे निरंतर प्रयासों का स्वागत किया।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में तत्काल सुधार के लिए मिलकर काम करना जारी रखने का संकल्प लिया, जिसमें वर्तमान भू-राजनीतिक वास्तविकताओं को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित करने के लिए स्थायी और अस्थायी, दोनों श्रेणियों का विस्तार शामिल है। उन्होंने यूएनएससी सुधारों में तेज़ी लाने, विशेष रूप से अंतर-सरकारी वार्ता ढाँचे के अंतर्गत समझौते के मसौदे के अनुसार वार्ताओं की शुरुआत के माध्यम से, एक निश्चित समय-सीमा के भीतर ठोस परिणाम प्राप्त करने के समग्र उद्देश्य के साथ, अपना दृढ़ संकल्प व्यक्त किया। उन्होंने सुधारों वाली यूएनएससी में स्थायी सीट के लिए एक-दूसरे की उम्मीदवारी के लिए अपना पारस्परिक समर्थन व्यक्त किया। उन्होंने बदलती दुनिया में वैश्विक शासन में योगदान देने वाले संयुक्त राष्ट्र की दक्षता और प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुधार की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने विभिन्न क्षेत्रों में भारत-जापान सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए वार्षिक शिखर सम्मेलन व्यवस्था के महत्व की पुनः पुष्टि की। 15वें वार्षिक शिखर सम्मेलन ने 2014 से भारत-जापान विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी में हुई प्रगति का जायजा लेने और हमारी अगली पीढ़ी और उससे आगे के लिए लाभप्रद निरंतर सहयोग हेतु एक रूपरेखा तैयार करने में मदद की। दोनों प्रधानमंत्रियों ने इस बात पर ज़ोर दिया कि दोनों देश 2027 में भारत-जापान राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ की ओर एक साथ आगे बढ़ रहे हैं, जिसे भव्य तरीके से मनाया जाएगा। इस संदर्भ में, दोनों नेता विचारों के जीवंत आदान-प्रदान, विचारों के ठोस आदान-प्रदान और नीतिगत सिफारिशों के साथ-साथ व्यापार, बौद्धिक, विज्ञान और संस्कृति के विभिन्न क्षेत्रों में दोनों देशों के सभी हितधारकों के बीच सक्रिय पारस्परिक सहयोग का स्वागत करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने जापान यात्रा के दौरान उन्हें और उनके प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों को प्रदान की गई गर्मजोशी और आतिथ्य के लिए प्रधानमंत्री इशिबा को धन्यवाद दिया और इस वर्ष के अंत में आयोजित होने वाले क्वाड नेताओं के शिखर सम्मेलन के अवसर पर प्रधानमंत्री इशिबा को भारत आने का निमंत्रण दिया। प्रधानमंत्री इशिबा ने सहर्ष इस निमंत्रण को स्वीकार कर लिया। इस यात्रा ने गहन सभ्यतागत संबंधों, लोगों के बीच जीवंत संपर्कों तथा साझा लोकतांत्रिक मूल्यों की पुष्टि की, जो भारत और जापान के बीच दीर्घकालिक मैत्री का आधार हैं।
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पीके/केसी/केपी
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