गृह मंत्रालय
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने समाचार एजेंसी ANI को दिए एक इंटरव्यू में 130वें संविधान संशोधन विधेयक सहित अनेक महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने विचार रखे
किसी प्रधानमंत्री, मंत्री और मुख्यमंत्री का जेल से सरकार चलाना देश के लोकतंत्र के लिए अपमानजनक है
सरकार के सचिव व मुख्य सचिव प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्री से आदेश के लिए जेल जाए, यह हमारे लोकतंत्र को शोभा नहीं देता
मोदी जी ने इस बिल में CM और मंत्रियों के साथ PM को शामिल कराया है, जबकि तत्कालीन प्रधानमंत्री ने 39वें संविधान संशोधन से प्रधानमंत्री को कानून के दायरे से बाहर किया था
संवैधानिक दायरे में किसी बिल के खिलाफ विचार व्यक्त करने और उसके खिलाफ वोट का अधिकार है, लेकिन सदन न चलने देने की मानसिकता सही नहीं
देश की सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट आंख मूंदकर नहीं बैठी, अगर किसी फर्जी मामले में मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री पर केस होता है, तो कोर्ट को जमानत देने का अधिकार है
जब संविधान बना था, तब संविधान निर्माताओं ने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि भविष्य में ऐसे नेता भी आयेंगे जो जेल में रहकर सरकार चलाएँगे
हमें अपने नैतिक मूल्यों के स्तर को नीचे नहीं गिरने देना चाहिए
Posted On:
25 AUG 2025 3:32PM by PIB Delhi
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने समाचार एजेंसी ANI को दिए एक इंटरव्यू में 130वें संविधान संशोधन विधेयक सहित अनेक महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने विचार रखे। केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का स्पष्ट रूप से मानना है कि देश में कोई भी मंत्री, मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री हो, वे जेल में रहकर सरकार नहीं चला सकते। 130वें संविधान संशोधन में यह प्रावधान किया गया है कि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, भारत सरकार के मंत्री या राज्य सरकार के मंत्री किसी भी गंभीर आरोप में अगर गिरफ्तार होते हैं और 30 दिन तक उन्हें ज़मानत नहीं मिलती है तो उन्हें उनके पद से मुक्त कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा नहीं होता है तो वे अपने आप कानूनन पदमुक्त हो जाएंगे। श्री शाह ने कहा कि संसद में जनता द्वारा चुनी हुई सरकार कोई भी विधेयक या संविधान संशोधन लाए, उसे सदन के सामने रखने में विपक्ष का कोई विरोध नहीं होना चाहिए।
श्री अमित शाह ने कहा कि उन्होंने स्वयं यह स्पष्ट कर दिया था कि इस संविधान संसोधन को दोनों सदनों की संयुक्त संसदीय समिति को सौंपा जाएगा। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के पारित होने के लिए दो तिहाई बहुमत चाहिए और जब इस पर मतदान हो तो सब दल इस पर अपना मत दे सकते हैं। श्री शाह ने कहा कि सरकार के किसी भी विधेयक या संविधान संशोधन को सदन में पेश न होने देना और विपक्ष का इस प्रकार का व्यवहार लोकतंत्र में उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि देश की संसद के दोनों सदन बहस और चर्चा के लिए हैं न कि शोरगुल और हंगामे के लिए। गृह मंत्री ने कहा कि बिल को पेश न होने देने की यह मानसिकता लोकतांत्रिक नहीं है और विपक्ष को देश की जनता के सामने इसका जवाब देना होगा।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि यह बिल सिर्फ विपक्ष के लिए ही नहीं बल्कि हमारे मुख्यमंत्रियों के लिए भी है। उन्होंने कहा कि विपक्ष यह कहकर कि सरकार के लोगों के खिलाफ FIR नहीं होती है, जनता को गुमराह कर रहा है। उन्होंने कहा कि इसमें 30 दिन तक जमानत का प्रावधान किया गया है और अगर फर्जी केस होगा तो देश की अदालतें आंखें मूंद कर नहीं बैठेंगी। श्री शाह ने कहा कि किसी भी केस में हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट को जमानत देने का अधिकार है और अगर ज़मानत नहीं मिलती है तो पद छोड़ना पड़ेगा। उन्होंने पूछा कि क्या कोई मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री या मंत्री जेल में रह कर सरकार चला सकता है। क्या ये देश के लोकतंत्र के लिए शोभनीय है। उन्होंने कहा कि अगर 30 दिन के बाद ज़मानत मिल जाती है तो वे फिर शपथ ले सकते हैं।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि जेल में डालने का प्रावधान हमारी सरकार ने नहीं बनाया वह सालों से चलता आ रहा है। उन्होंने कहा कि 130वें संविधान संशोधन में गंभीर अपराध की व्याख्या की गई है कि जहां 5 साल से अधिक सज़ा का प्रावधान है वहां पद छोड़ना होगा। जिन पर भ्रष्टाचार या 5 साल से अधिक सज़ा वाले अपराध के आरोप हैं, ऐसे मंत्री, मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री जेल में बैठकर सरकार चलाएं, यह उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि आज भी भारत के जनप्रतिनिधित्व कानून में प्रावधान है कि किसी भी चुने हुए प्रतिनिधि को दो साल या अधिक की सज़ा होती है तो वह सांसद के रूप में अपने स्थान से मुक्त हो जाएगा। उन्होंने कहा कि मोरल ग्राउंड तय करने के लिए यह कानून आज़ादी के समय से बना हुआ है। श्री शाह ने कहा कि कई लोगों की सदस्यता समाप्त हुई और तुरंत रिवाइव भी हुई।
श्री अमित शाह ने कहा कि आज़ादी से अब तक कई नेता, मंत्री और मुख्यमंत्री इस्तीफा देकर जेल गए। लेकिन अब यह ट्रेंड शुरू हुआ है कि जेल जाने के बाद भी इस्तीफा नहीं दिया। तमिलनाडु के कुछ मंत्रियों, दिल्ली के मुख्यमंत्री और मंत्रियों ने इस्तीफा नहीं दिया। उन्होंने कहा कि क्या सरकार के सचिव, DGP, मुख्य सचिव इनके पास आदेश लेने के लिए जेल में जाएंगे। श्री शाह ने कहा कि इस मुद्दे पर चिंता और चर्चा होनी चाहिए।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी ने स्वयं अपने आप को इस संविधान संशोधन के तहत रखा है। उन्होंने कहा कि मुख्य विपक्षी दल की तत्कालीन प्रधानमंत्री 39वां संविधान संशोधन लेकर आई थीं जिसमें उन्होंने खुद को राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के साथ मुकदमों के दायरे से बाहर रखा। श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी अपने खिलाफ खुद संविधान संशोधन लेकर आए हैं कि अगर प्रधानमंत्री भी जेल जाएगा तो उसे इस्तीफा देना होगा। उन्होंने कहा कि इस कानून में कोर्ट में कोई देरी नहीं होगी क्योंकि कोर्ट को तुरंत इंटरवीन करना होगा। इससे फैसला जल्दी होगा क्योंकि हमारी अदालतें भी कानून की गंभीरता को समझती हैं।
श्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का बहुत स्पष्ट रूप से यह मानना है कि देश में कोई भी मंत्री, मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री, जेल में रहकर सरकार नहीं चला सकते। उन्होंने कहा कि जब संविधान बना था तब संविधान निर्माताओं ने ऐसी कल्पना नहीं की होगी कि कोई भी मुख्यमंत्री जेल जाएगा और फिर भी मुख्यमंत्री बना रहेगा। उन्होंने कहा कि हमें अपने नैतिक मूल्यों के स्तर को नीचे नहीं गिरने देना चाहिए। यह कानून नैतिक मूल्यों के स्तर को एक आधार देगा और इससे हमारा लोकतंत्र निश्चित रूप से मज़बूत होगा। उन्होंने कहा कि हमारी अदालतें संवेदनशील हैं और जब किसी का पद जाता है तब निश्चित रूप से वे समयसीमा के तहत ज़मानत पर फैसला देगी।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि मुख्य विपक्षी दल को वेंडेटा की बात करना शोभा नहीं देता। उन्होंने कहा कि विपक्ष की सरकार के समय में कम से कम 12 मामलों में कोर्ट के आदेश के बाद सीबाई की जांच हुई और बहुत सारे लोग फंसे। उन्होंने कहा कि अगर जेपीसी बनाने का निर्णय होने के बाद भी कोई पार्टी इसका बहिष्कार करती है तो सरकार के पास कोई विकल्प नहीं है। श्री शाह ने कहा कि यह बिल महत्वपूर्ण है और सभी पार्टियों के सदस्यों से मशविरा करने के बाद एक कंसीडर्ड राय जेपीसी के सामने आनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार विपक्ष को बात रखने का मौका देती है लेकिन अगर विपक्ष अपनी बात रखना ही नहीं चाहता तो देश की जनता भी यह सब देख रही है। गृह मंत्री ने कहा कि अगर कोई भ्रष्टाचार में गरदन तक डूबा है तो फिर वह अरेस्ट भी होगा, जेल भी जाना पड़ेगा और इस्तीफा भी देना होगा।
श्री अमित शाह ने कहा कि विपक्ष उन्हें नैतिकता के पाठ न पढ़ाए। श्री शाह ने कहा कि जब उन पर आरोप लगा था और सीबीआई ने उन्हें समन भेजा था, तब उन्होंने दूसरे ही दिन इस्तीफा दे दिया था। केस चला और उसमें जजमेंट भी आया कि वे पूर्णतया निर्दोष थे। उन्होंने कहा कि उस जजमेंट में कहा गया था कि ये कंप्लीटली पॉलिटिकल वेंडेटा का केस है और उनका दूर दूर तक इस केस में कोई इन्वॉल्वमेंट नहीं है। श्री शाह ने कहा कि उन्हें शंका के आधार पर बरी नहीं किया गया था बल्कि उनके खिलाफ केस खारिज किया गया था। श्री शाह ने कहा कि उन्हें 96वें दिन ज़मानत मिल गई थी लेकिन तब भी वे दोबारा शपथ लेकर गृह मंत्री नहीं बने। इतना ही नहीं, जब तक उन पर लगे सारे आरोप खारिज नहीं हो गए तब तक उन्होंने किसी भी संवैधानिक पद की शपथ नहीं ली थी।
श्री अमित शाह ने कहा कि नैतिकता का स्तर चुनावी जय-पराजय के साथ नहीं जुड़ा बल्कि वह सूर्य और चंद्रमा की तरह हमेशा अपनी जगह पर स्थिर रहता है। उन्होंने कहा कि इस कानून से हमारे सभी साथी दल पूरी तरह से सहमत हैं। श्री शाह ने कहा कि सिर्फ सत्ता पक्ष तय नहीं करता कि संसद किस प्रकार चलनी चाहिए। किसी भी बिल या संविधान संशोधन के लिए अगर विपक्ष स्वस्थ वातावरण नहीं बनाता है तो देश की जनता यह सब देख रही है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह बिल पारित हो जाएगा और विपक्ष में कई लोग ऐसे होंगे जो नैतिकता के आधार पर इसका समर्थन करेंगे।
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(Release ID: 2160541)
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