प्रधानमंत्री कार्यालय
ऑपरेशन सिंदूर पर विशेष चर्चा के दौरान लोकसभा में प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए भाषण का मूल पाठ
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29 JUL 2025 10:06PM by PIB Delhi
आदरणीय अध्यक्ष जी,
इस सत्र के प्रारंभ में ही मैं जब मीडिया के साथियों से बात कर रहा था, तब मैंने सभी माननीय सांसदों को अपील करते हुए एक बात का उल्लेख किया था। मैंने कहा था कि यह सत्र भारत के विजयोत्सव का सत्र है। संसद का यह सत्र भारत का गौरव गान का सत्र है।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
जब मैं विजयोत्सव की बात कर रहा हूं, तब मैं कहना चाहूंगा कि यह विजयोत्सव आतंकी हेडक्वाटर्स को मिट्टी में मिलने का है। जब मैं विजयोत्सव कहता हूं, तो यह विजयोत्सव सिंदूर की सौगंध पूरा करने का है। मैं जब यह विजयोत्सव कहता हूं, तो यह भारत की सेना के शौर्य और सामर्थ्य का विजय गाथा कह रहा हूँ। जब मैं विजयोत्सव कह रहा हूं, तो 140 करोड़ भारतीयों की एकता, इच्छा शक्ति उसके प्रति जीत का विजयोत्सव की बात करता हूँ।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
मैं इसी विजयी भाव से इस सदन में भारत का पक्ष रखने के लिए खड़ा हुआ हूं और जिन्हें भारत का पक्ष नहीं दिखता है, उन्हें मैं आईना दिखाने के लिए खड़ा हुआ हूं।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
मैं 140 करोड़ देशवासियों की भावनाओं में अपना स्वर मिलाने के लिए उपस्थित हुआ हूं। यह 140 करोड़ देशवासियों की भावना की जो गूंज है, जो इस सदन में सुनाई दी है, मैं उसमें अपना एक स्वर मिलाने खड़ा हुआ हूं।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
ऑपरेशन सिंदूर के दरमियान जिस प्रकार से देश के लोगों ने मेरा साथ दिया, मुझे आशीर्वाद दिए, देश की जनता का मुझ पर कर्ज है। मैं देशवासियों का आभार व्यक्त करता हूं, मैं देशवासियों का अभिनंदन करता हूं।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
22 अप्रैल को पहलगाम में जिस प्रकार की क्रूर घटना घटी, जिस प्रकार आतंकवादियों ने निर्दोष लोगों को उनका धर्म पूछ-पूछ करके गोलियां मारी, यह क्रूरता की पराकाष्ठा थी। भारत को हिंसा की आग में झोंकने का यह सुविचारित प्रयास था। भारत में दंगे फैलाने की यह साजिश थी। मैं आज देशवासियों का धन्यवाद करता हूं कि देश ने एकता के साथ उस साजिश को नाकाम कर दिया।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
22 अप्रैल के बाद मैंने एक सार्वजनिक रूप से और विश्व को समझ में आए, इसलिए कुछ अंग्रेजी में भी वाक्यों का प्रयोग किया था और मैंने कहा था कि यह हमारा संकल्प है। हम आतंकियों को मिट्टी में मिला देंगे और मैंने सार्वजनिक रूप से कहा था, सजा उनके आकाओं को भी होगी और कल्पना से भी बड़ी सजा मिलेगी। 22 अप्रैल को मैं विदेश था, मैं तुरंत लौट कर आया और आने के तुरंत बाद मैंने एक बैठक बुलाई और उस बैठक में हमने साफ-साफ निर्देश दिए कि आतंक आतंकवाद को करारा जवाब देना होगा और यह हमारा राष्ट्रीय संकल्प है।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
हमें हमारे सैन्य बलों की क्षमता पर पूरा विश्वास है, पूरा भरोसा है, उनकी क्षमता पर, उनके सामर्थ्य पर, उनके साहस पर… सेना को कार्यवाही की खुली छूट दे दी गई और यह भी कहा गया कि सेना तय करें, कब, कहां, कैसे, किस प्रकार से? यह सारी बातें उस मीटिंग में साफ-साफ कह दी गई और कुछ बातें उसमें से मीडिया में शायद रिपोर्ट भी हुई हैं। हमें गर्व है, आतंकियों को वह सजा दी और सजा ऐसी है कि आज भी आतंक के उन आकाओं की नींद उड़ी हुई है।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
मैं हमारी सेना की सफलता के उससे जुड़े भारत के उस पक्ष को सदन के माध्यम से देशवासियों के सामने रखना चाहता हूं। पहला पक्ष, पहलगाम हमले के बाद से ही पाकिस्तानी सेना को अंदाजा लग चुका था कि भारत कोई बड़ी कार्यवाही करेगा। उनकी तरफ से न्यूक्लियर की धमकियों के भी बयान आना शुरू हो चुके थे। भारत ने 6 मई रात और 7 मई सुबह जैसा तय किया था, वैसी कार्यवाही की और पाकिस्तान कुछ नहीं कर पाया। 22 मिनट में 22 अप्रैल का बदला निर्धारित लक्ष्य के साथ हमारी सेना ने ले लिया। दूसरा पक्ष, आदरणीय अध्यक्ष जी, पाकिस्तान के साथ हमारी लड़ाई तो कई बार हुई है। लेकिन यह पहली ऐसी भारत की रणनीति बनी कि जिसमें पहले जहां कभी नहीं गए थे वहां हम पहुंचे। पाकिस्तान के कोने-कोने में आतंकी अड्डों को धुआं-धुआं कर दिया गया। आतंक के घाट, कोई सोच नहीं सकता है कि वहां तक कोई जा सकता है। बहावलपुर और मुरीदके, उसको भी जमींदोज कर दिया गया।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
हमारी सेनाओं ने आतंकी अड़ों को तबाह कर दिया। तीसरा पक्ष, पाकिस्तान की न्यूक्लियर धमकी को हमने झूठा साबित कर दिया। भारत ने सिद्ध कर दिया कि न्यूक्लियर ब्लैकमेलिंग अब नहीं चलेगा और ना ही यह न्यूक्लियर ब्लैकमेलिंग के सामने भारत झुकेगा।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
चौथा पक्ष, भारत ने दिखाई अपनी तकनीकी क्षमता। पाकिस्तान के सीने पर सटीक प्रहार किया। पाकिस्तान के एयर बेस एसेट्स को भारी नुकसान हुआ और आज तक उनके कई एयर बेस आईसीयू में पड़े हैं। आज टेक्नोलॉजी आधारित युद्ध का युग है। ऑपरेशन सिंदूर इस महारथ में भी सफल सिद्ध हुआ है। अगर पिछले 10 साल में जो हमने तैयारियां की हैं, वह ना की होती, तो इस तकनीकी युग में हमारा कितना नुकसान हो सकता था, इसका हम अंदाजा लगा सकते हैं। पांचवा पक्ष, ऑपरेशन सिंदूर के दरमियान पहली बार हुआ जब आत्मनिर्भर भारत की ताकत को दुनिया ने पहचाना है। मेड इन इंडिया ड्रोन, मेड इन इंडिया मिसाइल, पूरे पाकिस्तान के हथियारों की पोल खोल करके रख दी।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
और भी एक महत्वपूर्ण काम जो हुआ है, वैसे जब राजीव गांधी जी थे, उस समय उनके जो एक डिफेंस का काम देखने वाले MoS थे। उन्होंने जब मैंने सीडीएस की घोषणा की, तो वह बहुत प्रसन्न होकर के मुझे मिलने आए थे और बहुत-बहुत प्रसन्न थे वह, इस समय ऑपरेशन में नेवी, आर्मी, एयरफोर्स, तीनों सेनाओं का ज्वाइंट एक्शन इसके बीच की सिनर्जी, इसने पाकिस्तान के छक्के छुड़ा दिए।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
आतंकी घटनाएं पहले भी देश में होती थी। लेकिन पहले आतंकवादियों के मास्टरमाइंड निश्चिंत होते थे और वह आगे की तैयारी में लगे रहते थे। उनको पता था, कुछ नहीं होगा। लेकिन अब स्थिति बदल गई है। अब हमले के बाद मास्टरमाइंड को नींद नहीं आती, उनको पता है कि भारत आएगा और मार कर जाएगा। यह न्यू नॉर्मल भारत ने सेट कर दिया है।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
दुनिया ने देख लिया कि हमारे कार्यवाही का दायरा कितना बड़ा है, स्केल कितना बड़ा है। सिंदूर से लेकर के सिंधु तक पाकिस्तान पर कार्यवाही की है। ऑपरेशन सिंदूर ने तय कर दिया कि भारत में आतंकी हमले की उसके आकाओं को और पाकिस्तान को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी, अब यह ऐसे ही नहीं जा सकते।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
ऑपरेशन सिंदूर से स्पष्ट होता है कि भारत ने तीन सूत्र तय किए हैं। अगर भारत पर आतंकी हमला हुआ, तो हम अपने तरीके से, अपनी शर्तों पर, अपने समय पर, जवाब देकर के रहेंगे। दूसरा, कोई भी, कोई भी न्यूक्लियर ब्लैकमेल अब नहीं चलेगा और तीसरा, हम आतंकी सरपरस्त सरकार और आतंकी आकाओं, उनको अलग-अलग नहीं देखेंगे।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
यहां पर विदेश नीति को लेकर के भी काफी बातें कहीं गई हैं। दुनिया के समर्थन को लेकर के भी काफी बातें कही गई हैं। मैं आज सदन में कुछ बातें पूरी स्पष्टता से कह रहा हूं। दुनिया में किसी भी देश ने भारत को अपनी सुरक्षा में कार्यवाही करने से रोका नहीं है। संयुक्त राष्ट्र 193 कंट्रीज़, सिर्फ तीन देश, 193 कंट्री में सिर्फ तीन देश ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के समर्थन में बयान दिया था, ओनली थ्री कंट्रीज़। क्वाड हो, ब्रिक्स हो, फ्रांस, रूस, जर्मनी, कोई भी देश का नाम ले लीजिए, तमाम देश दुनिया भर से भारत को समर्थन मिला है।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
दुनिया का समर्थन तो मिला, दुनिया के देशों का समर्थन मिला, लेकिन यह दुर्भाग्य है कि मेरे देश के वीरों के पराक्रम को कांग्रेस का समर्थन नहीं मिला। 22 अप्रैल के बाद, 22 अप्रैल के आतंकी हमले के बाद तीन-चार दिन में ही यह उछल रहे थे और कहना शुरू कर दिया कहां गई 56 इंच की छाती? कहां खो गया मोदी? मोदी तो फेल हो गया, क्या मजा ले रहे थे, उनको लगता था, वाह! बाजी मार ली। उनको पहलगाम के निर्दोष लोगों की हत्या में भी वह अपनी राजनीति तराशते थे। अपनी स्वार्थ की राजनीति के लिए मुझ पर निशाना साध रहे थे, लेकिन उनकी यह बयानबाजी, इनका छिछोरापन देश के सुरक्षा बलों का मनोबल गिरा रहा था। कांग्रेस के कुछ नेताओं को ना भारत के सामर्थ्य पर भरोसा है और ना ही भारत की सेनाओं पर, इसलिए वह लगातार ऑपरेशन सिंदूर पर सवाल उठा रहे हैं। ऐसा करके आप लोग मीडिया में हैडलाइंस तो ले सकते हैं, लेकिन देशवासियों के दिलों में जगह नहीं बना सकते।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
10 मई को भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत हो रहे एक्शन को रोकने की घोषणा की। इसको लेकर यहां भांति-भांति की बातें कही गईं। यह वही प्रोपेगेंडा है, जो सीमा पार से फैलाया गया है। कुछ लोग सेना द्वारा दिए गए तथ्यों की जगह पाकिस्तान के झूठ प्रचार को आगे बढ़ाने में जुटे हुए हैं। जबकि भारत का रुख हमेशा स्पष्ट रहा है।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
कुछ चीजें मैं जरा स्मरण भी करना चाहता हूं। जब सर्जिकल स्ट्राइक हुआ, उस समय हमने लक्ष्य तय किया था, हमारे जवानों को तैयार करके कि हम उनके इलाके में जाकर के आतंकियों के जो लॉन्चिंग पैड हैं, उनको नष्ट करेंगे और सर्जिकल स्ट्राइक एक रात के उस ऑपरेशन में हमारे लोग सूर्योदय होते-होते काम पूरा करके वापस आ गए। लक्ष्य निर्धारित था कि यह करना है। जब बालाकोट एयर स्ट्राइक किया, तो हमारा लक्ष्य तय था कि आतंकियों के जो ट्रेंनिंग सेंटर्स हैं, इस बार हम उसको तबाह करेंगे और हमने वह भी करके दिखाया। ऑपरेशन सिंदूर के समय हमारा लक्ष्य तय था और हमारा लक्ष्य था कि आतंक के जो एपिसेंटर हैं और पहलगाम के आतंकियों की जहां से पुरजोर योजना बनी, ट्रेनिंग मिली, व्यवस्था मिली, उस पर हमला करेंगे। हमने उनकी नाभि पर हमला कर दिया है। या जहां पहलगाम के आतंकियों का रिक्रूटमेंट हुआ, ट्रेनिंग होती थी, फंडिंग होता था, उन्हें ट्रैकिंग टेक्निकल सपोर्ट मिलता था, शस्त्र सारा इंतजाम मिलता था, उस जगह को आईडेंटिफाई किया और हमने सटीक तरीके से ऑपरेशन सिंदूर के तहत आतंकियों की नाभि पर प्रहार किया।
और आदरणीय अध्यक्ष जी,
इस बार भी हमारी सेना ने शत-प्रतिशत लक्ष्यों को हासिल करके देश के सामर्थ्य का परिचय दिया है। कुछ लोग जानबूझकर के कुछ चीजें भूलने में इंटरेस्टटिड होते हैं। देश भूलता नहीं है, देश को याद है, 6 रात और 7 मई सुबह ऑपरेशन हुआ था और 7 मई को सुबह भारत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस हमारी सेना ने की और उस प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारत ने स्पष्ट कर दिया था और पहले दिन से क्लियर था कि हम, हमारा लक्ष्य है आतंकी, आतंकियों के आका, आतंकियों की जो व्यवस्थाएं जहां से होती हैं वह और उनके अड्डे, उनको हम ध्वस्त करना चाहते थे और हमने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कह दिया था, हमने हमारा काम कर दिया है। हमने जो तय किया था, पूरा कर दिया है। और इसलिए 6-7 मई को ऑपरेशन हमारा संतोषजनक होने के तुरंत बाद, कल जो राजनाथ जी ने कहा था, मैं डंके की चोट पर दोबारा दोहराता हूं, भारत की सेना ने पाकिस्तान की सेना को चंद मिनटों में ही बता दिया कि हमारा यह लक्ष्य था, हमने यह लक्ष्य पूरा कर दिया है, ताकि उनको पता चले और हमें भी पता चले कि उनके दिल दिमाग में क्या चलता है। हमने अपना लक्ष्य शत-प्रतिशत हासिल कर लिया था और पाकिस्तान में समझदारी होती तो आतंकियों के साथ खुलेआम खड़े रहने की गलती ना करता। उसने निर्लज होकर के आतंकवादियों के साथ खड़े रहने का फैसला किया। हम पूरी तरह तैयार थे, हम भी मौके की तलाश में थे, लेकिन हमने दुनिया को बताया था कि हमारा लक्ष्य आतंकवाद है, आतंकवादी आका हैं, आतंकवादी ठिकाने हैं, वह हमने पूरा कर दिया। लेकिन जब पाकिस्तान ने आतंकियों की मदद में आने का फैसला किया और मैदान में उतरने की हरकत की, तो भारत की सेना ने सालों तक याद रह जाए, ऐसा करारा जवाब देकर के 9 मई की मध्य रात्रि और 10 मई की एक प्रकार से सुबह, हमारी मिसाइलें उन्होंने पाकिस्तान के हर कोने में प्रचंड प्रहार किया, जिसकी पाकिस्तान ने कभी कल्पना नहीं की थी। और पाकिस्तान को घुटनों पर आने के लिए मजबूर कर दिया और आपने टीवी में भी देखा है, वहां से क्या बयान आते थे? पाकिस्तान के लोग अरे मैं तो स्विमिंग पूल में नहा रहा था, कोई कह रहा था, मैं तो दफ्तर जाने की तैयारी कर रहा था, हम कुछ सोचें इससे पहले तो भारत ने तो हमला कर दिया। यह पाकिस्तान के लोगों के बयान हैं और देश ने देखे हैं। स्विमिंग पूल में नहा रहा था और जब इतना कड़ा प्रहार हुआ, पाकिस्तान ने कभी सोचा तक नहीं था, तब जाकर के पाकिस्तान ने फोन करके, डीजीएमओ के सामने फोन करके गुहार लगाई, बस करो, बहुत मारा, अब ज्यादा मार झेलने की ताकत नहीं है, प्लीज हमला रोक दो। यह पाकिस्तान के डीजीएमओ का फोन था और भारत ने तो पहले दिन ही कह दिया था, 7 तारीख सुबह की प्रेस देख लीजिए कि हमने हमारा लक्ष्य पूरा कर दिया है, अगर आप कुछ करोगे, तो महंगा पड़ेगा। मैं आज दोबारा कह रहा हूं कि यह भारत की स्पष्ट नीति थी, सुविचारित नीति थी, सेना के साथ मिलकर के तय की हुई नीति थी और वह यह थी कि हम आतंक, उनके आका, उनके ठिकाने, यह हमारा लक्ष्य है और हमने कहा, पहले दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा है कि हमारा एक्शन नॉन एस्क्लेट्री है। यह हमने कहकर के किया है और इसके लिए साथियों हमने हमला रोका।
अध्यक्ष जी,
दुनिया के किसी भी नेता ने भारत को ऑपरेशन रोकने के लिए नहीं कहा। उसी दौरान 9 तारीख को रात को अमेरिका के उपराष्ट्रपति जी ने मुझसे बात करने का प्रयास किया। वह घंटे भर कोशिश कर रहे थे, लेकिन मैं मेरी सेना के साथ मीटिंग चल रही थी। तो मैंने उनका फोन उठा नहीं पाया, बाद में मैंने उनको कॉल बैक किया। मैंने कहा कि आपका फोन था, तीन-चार बार आपका फोन आ गया, क्या है? तो अमेरिका के उपराष्ट्रपति जी ने मुझे फोन पर बताया कि पाकिस्तान बहुत बड़ा हमला करने वाला है। यह उन्होंने मुझे बताया, मेरा जो जवाब था, जिनको समझ नहीं आता है, उनको तो नहीं आएगा। मेरा जवाब था, अगर पाकिस्तान का यह इरादा है, तो उसे बहुत महंगा पड़ेगा। यह मैंने अमेरिका के उपराष्ट्रपति को कहा था। अगर पाकिस्तान हमला करेगा, तो हम बड़ा हमला कर करके जवाब देंगे, यह मेरा जवाब था और आगे मेरा एक वाक्य था, मैंने कहा था, हम गोली का जवाब गोले से देंगे। यह 9 तारीख रात की बात है और 9 रात में और 10 सुबह हमने पाकिस्तान की सैन्य शक्ति को तहस-नहस कर दिया था और यही हमारा जवाब था, यही हमारा जज्बा था। और आज पाकिस्तान भी भली-भांति जान गया है कि भारत का हर जवाब पहले से ज्यादा तगड़ा होता है। उसे यह भी पता है कि अगर भविष्य में नौबत आई तो भारत आगे कुछ भी कर सकता है और इसलिए मैं फिर से लोकतंत्र के इस मंदिर में दोहराना चाहता हूं, ऑपरेशन सिंदूर जारी है। पाकिस्तान ने दुस्साहस की अगर कल्पना की, तो उसे करारा जवाब दिया जाएगा।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
आज का भारत आत्मविश्वास, उससे भरा हुआ है। आज का भारत आत्मनिर्भरता के मंत्र को लेकर के पूरी शक्ति के साथ तेज गति से आगे बढ़ रहा है। देश देख रहा है, भारत आत्मनिर्भर बनता जा रहा है। लेकिन देश यह भी देख रहा है कि एक तरफ तो भारत आत्मनिर्भरता की ओर तेज गति से आगे बढ़ रहा है, लेकिन कांग्रेस मुद्दों के लिए पाकिस्तान पर निर्भर होती जा रही है। मैं आज पूरा दिन देख रहा था, 16 घंटे से जो चर्चा चल रही है, दुर्भाग्य से कांग्रेस को पाकिस्तान के मुद्दे इंपोर्ट करने पड़ रहे हैं।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
आज के वॉरफेयर में इंफॉर्मेशन और नेरेटिव्स की बहुत बड़ी भूमिका है। नेरेटिव गढ़ करके, एआई का भी भरपूर उपयोग करके, सेनाओं के मनोबल को कमजोर करने के खेल भी खेले जाते हैं। जनता के अन्दर अविश्वास पैदा करने के भी भरपूर प्रयास होते हैं। दुर्भाग्य से कांग्रेस और उसके सहयोगी पाकिस्तान के ऐसे ही प्रपंच के प्रवक्ता बन चुके हैं।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
देश की सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक की।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
देश की सेना ने सफलतापूर्वक सर्जिकल स्ट्राइक की तो तुरंत कांग्रेस वालों ने सेना से सबूत मांगे थे। लेकिन जब उन्होंने देश का मूड देखा, देश का मिजाज देखा, तो सुर उनके बदलने लगे और बदल करके क्या कहने लगे? कांग्रेस के लोगों ने कहा, यह सर्जिकल स्ट्राइक क्या बड़ी बात है, यह तो हमने भी की थी। एक ने कहा, तीन सर्जिकल स्ट्राइक की थी। दूसरे ने कहा, 6 सर्जिकल स्ट्राइक की थी। तीसरे ने कहा, 15 सर्जिकल स्ट्राइक की थी। जितना बड़ा नेता, उतना बड़ा आंकड़ा चल रहा था।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
इसके बाद बालाकोट में सेना ने एयर स्ट्राइक की। अब एयर स्ट्राइक तो ऐसी थी कि वह कुछ कह नहीं सकते थे, इसलिए यह तो नहीं कहा कि हमने भी की थी। उसमें तो उन्होंने समझदारी दिखाई, लेकिन फोटो मांगने लगे। एयर स्ट्राइक हुई, तो फोटो दिखाओ। क्या कहां गिरा? क्या तोड़ा? कितना तोड़ा? कितने मरे? बस यही पूछते रहे! पाकिस्तान भी यही पूछता था, तो यह भी यही पूछते थे। इतना ही नहीं…
आदरणीय अध्यक्ष जी,
जब पायलट अभिनंदन पकड़े गए, तब पाकिस्तान में तो खुशी का माहौल होना स्वाभाविक था कि उनके हाथ में भारत की सेना का एक पायलट उनके हाथ लगा था, लेकिन यहां पर भी कुछ लोग थे, जो कानों-कानों में कह रहे थे, अब मोदी फंसा, अब अभिनंदन वहां है, मोदी लाकर के दिखा दे। अब देखते हैं, मोदी क्या करता है? और डंके की चोट पर अभिनंदन वापस आया। हम अभिनंदन को ले आए, तो इनकी बोलती बंद हो गई। इनको लगा यार, यह नसीब वाला आदमी है! हमारा हथियार हाथ से निकल गया।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
पहलगाम हमले के बाद हमारा बीएसएफ का एक जवान पाकिस्तान के कब्जे में गया, तो फिर उनको लगा कि वाह! बड़ा मुद्दा हाथ में आ गया है, अब मोदी फंस जाएगा। अब तो मोदी की फजीहत जरूर होगी और उनके इकोसिस्टम ने सोशल मीडिया में बहुत सारी कथाएं वायरल की कि यह बीएसएफ के जवान का क्या होगा? उसके परिवार का क्या होगा? वह वापस आएगा, कब आएगा? कैसे आएगा? ना जाने क्या-क्या चला दिया।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
बीएसएफ का वह जवान भी आन-बान-शान के साथ वापस आ गया। आतंकवादी रो रहे हैं, आतंकवादियों के आका रो रहे हैं और उनको रोते देखकर यहां भी कुछ लोग रो रहे हैं। अब देखिए, सर्जिकल स्ट्राइक चल रही थी, उसके बाद उन्होंने एक खेल खेलने की कोशिश की, बात जमी नहीं। एयर स्ट्राइक हुई, तो दुसरा खेल खेलने की कोशिश की, वह भी जमी नहीं। जब यह ऑपरेशन सिंदूर हुआ, तो उन्होंने नया पैंतरा शुरू किया और क्या शुरू किया, रोक क्यों दिया? पहले तो मानने को ही तैयार नहीं थे कि यह कुछ करते है, अब कहते हैं रोक क्यों दिया? वाह रे बयान बहादुरों! आपको विरोध का कोई ना कोई बहाना चाहिए और इसलिए सिर्फ मैं नहीं, पूरा देश आप पर हंस रहा है।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
सेना का विरोध, सेना के प्रति एक पता नहीं नेगेटिविटी, यह कांग्रेस का पुराना रवैया रहा है। देश ने अभी-अभी कारगिल विजय दिवस मनाया, लेकिन देश पूरी तरह जानता है कि उनके कार्यकाल में और आज तक कारगिल के विजय को कांग्रेस ने अपनाया नहीं है। ना कारगिल विजय दिवस मनाया है, ना कारगिल विजय का गौरव किया है। इतिहास साक्षी है अध्यक्ष जी, जब डोकलाम में सैन्य हमारा शौर्य दिखा रहा था, तब कांग्रेस के नेता चुपके-चुपके किससे ब्रीफिंग लेते थे, वह सारी दुनिया अब जान गई है। आप टेप निकाल दीजिए पाकिस्तान के सारे बयान और यहां हमारा विरोध करने वाले लोगों के बयान, फुल स्टॉप कोमा के साथ एक हैं। क्या कहेंगे इसको? और बुरा लगता है, सच बोलते हैं तो! पाकिस्तान के साथ सुर में सुर मिला दिया था।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
देश हैरान है, कांग्रेस ने पाकिस्तान को क्लीन चिट दे दी है। उनकी यह हिम्मत और इनकी आदत जाती नहीं है। यह हिम्मत कि पहलगाम के आतंकी पाकिस्तानी थे, इसका सबूत दो। क्या कह रहे हो तुम लोग? यह कौन सा तरीका है? और यही मांग पाकिस्तान कर रहा है, जो कांग्रेस कर रही है।
और आदरणीय अध्यक्ष जी,
आज जब सबूतों की कोई कमी नहीं है, सब कुछ आंखों के सामने दिखता है, तब यह हालत है। अगर यह सबूत ना होते, तो क्या करते यह लोग आप बताइए?
आदरणीय अध्यक्ष जी,
अध्यक्ष जी, ऑपरेशन सिंदूर के एक पार्ट की तरफ तो चर्चा भी बहुत होती हैं, ध्यान भी जाता है। लेकिन देश के लिए कुछ गौरव की क्षणें होती है, ताकत का एक परिचय होता है, उसकी तरफ भी ध्यान जाना बहुत आकर्षित है। हमारे एयर डिफेंस सिस्टम, दुनिया में इसकी चर्चा है। हमारे एयर डिफेंस सिस्टम ने पाकिस्तान के मिसाइल और ड्रोंस, उसको तिनके की तरह बिखेर दिया था।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
मैं एक आंकड़ा आज बताना चाहता हूं। पूरा देश गर्व से भर जाएगा, कुछ लोगों का क्या होगा, मैं नहीं जानता, पूरा देश गर्व से भर जाएगा। 9 मई को पाकिस्तान ने करीब एक हजार, एक हजार मिसाइलों और आर्म्स ड्रोंस से भारत पर बहुत बड़ा हमला करने की कोशिश की, एक हजार। यह मिसाइलें भारत के किसी भी हिस्से पर गिरती, तो वहां भयंकर तबाही मचती, लेकिन एक हजार मिसाइल्स और ड्रोंस को भारत ने आसमान में ही चूर-चूर कर दिया। हर देशवासी को इससे गर्व हो रहा है, लेकिन जैसे कांग्रेस के लोग इंतजार कर रहे थे, कुछ तो गड़बड़ होगी यार, मोदी मरेगा! कहीं तो फंसेगा! पाकिस्तान ने आदमपुर एयरबेस पर हमले का झूठ फैलाया, उस झूठ को बेचने की भरपूर कोशिश की, पूरी ताकत भी लगा दी। मैं अगले ही दिन आदमपुर पहुंचा और खुद जाकर के उनके झूठ को मैंने बेनकाब कर दिया। तब जाकर के उनको अकल ठिकाने लगी कि अब यह झूठ चलने वाला नहीं है।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
जो हमारे छोटे दलों के साथी हैं, जो राजनीति में नए हैं, उनको कभी शासन में रहने का अवसर नहीं मिला है, उनसे कुछ बातें निकलती हैं, मैं समझ सकता हूं। लेकिन कांग्रेस पार्टी ने इस देश में लंबे समय तक राज किया है। उसको शासन की व्यवस्थाओं का पूरा पता है, उन चीजों से वह निकले हुए लोग हैं, उनके लिए शासन व्यवस्था क्या होती है, इसकी समझ पूरी है। अनुभव है उनके पास, उसके बाद भी विदेश मंत्रालय तुरंत जवाब दें, उसको स्वीकारना नहीं। विदेश मंत्री जवाब दे, इंटरव्यू दे, बार-बार बोले, उसको स्वीकारना नहीं। गृहमंत्री बोले, रक्षा मंत्री बोले, किसी पर भरोसा ही नहीं। जिसने इतने सालों तक राज किया, उनको देश की व्यवस्थाओं पर अगर भरोसा नहीं है, तब शक उठता है कि क्या हालत हो गई है इनकी?
आदरणीय अध्यक्ष जी,
अब कांग्रेस का भरोसा पाकिस्तान के रिमोट कंट्रोल से बनता है और बदलता है।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
एक बिलकुल कांग्रेस के नए सदस्य यानी उनको तो क्षमा करनी चाहिए, नए सदस्य को तो क्या कहेंगे। लेकिन कांग्रेस के आका जो उनको लिखकर के देते हैं और उनसे बुलवाते हैं, खुद में हिम्मत नहीं है, उनसे बुलवाते हैं कि ऑपरेशन सिंदूर, यह तो तमाशा था। यह आतंकवादियों ने जिन 26 लोगों को मौत के घाट उतारा था ना, उस भयंकर क्रूर घटना पर यह तेजाब छिड़कने वाला पाप है। तमाशा कहते हो, आपकी यह सहमति हो सकती है और यह कांग्रेस के नेता बुलवाते हैं।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
पहलगाम के हमलावरों को कल हमारे सुरक्षाबलों ने ऑपरेशन महादेव करके अपने अंजाम तक पहुंचाया है। लेकिन मैं हैरान हूं कि यहां ठहाके लगाकर के पूछा गया कि आखिरकार यह कल ही क्यों हुआ? अब यह क्या हो गया है, जो मुझे समझ नहीं आ रहा है जी! क्या ऑपरेशन के लिए कोई सावन महीने का सोमवार ढूंढा गया था क्या? क्या हो गया है इन लोगों को? हताशा-निराशा इस हद तक और देखिए मजा, पिछले कई सप्ताह से हां, हां, ऑपरेशन सिंदूर हो गया, तो ठीक है, पहलगाम के आतंकियों का क्या हुआ? पहलगाम के आतंकियों का और हुआ, तो कल क्यों हुआ? और कभी क्यों हुआ? क्या हाल है अध्यक्ष जी इनका?
आदरणीय अध्यक्ष जी,
शास्त्रों में कहा गया है, हमारे यहां शास्त्रों में कहा गया है, शस्त्रेण रक्षिते राष्ट्रे शास्त्र चिंता प्रवर्तते, अर्थात जब राष्ट्र शास्त्र से सुरक्षित होते हैं, तभी वहां शास्त्र की ज्ञान की चर्चाएं जन्म ले पाती हैं। जब सीमा पर सेनाएं मजबूत होती हैं, तभी लोकतंत्र प्रखर होता है।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
ऑपरेशन सिंदूर बीते दशक में भारत की सेना के सशक्तिकरण का एक साक्षात प्रमाण है। यह ऐसे ही नहीं हुआ है। कांग्रेस के शासन के दौरान सेनाओं को आत्मनिर्भर बनाने के संबंध में सोचा तक नहीं जाता था। आज भी आत्मनिर्भर शब्द का मजाक उड़ाया जाता है। वैसे वह महात्मा गांधी से आया हुआ है, लेकिन आज भी मजाक उड़ाया जाता है। हर रक्षा सौदे में कांग्रेस अपने मौके खोजती रहती थी। छोटे-छोटे हथियारों के लिए विदेशों पर निर्भरता, यह इनका कार्यकाल रहा है। बुलेट प्रूफ जैकेट, नाइट विजन कैमरा तक नहीं होते थे और लंबा लिस्ट है। जीप से शुरू होता है, बोफोर्स, हेलीकॉप्टर, हर चीज के साथ घोटाला जुड़ा हुआ है।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
हमारी सेनाओं को आधुनिक हथियारों के लिए दशकों तक इंतजार करना पड़ा। आजादी के पहले और इतिहास गवाह है, एक जमाना था, जब डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग में भारत की आवाज सुनाई देती थी। जिस समय तलवारों से लड़ा जाता था ना, तब भी तलवारें भारत की श्रेष्ठ मानी जाती थीं। हम डिफेंस से इक्विपमेंट में आगे थे, लेकिन आजादी के बाद जो एक मजबूत डिफेंस इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरिंग का हमारा दायरा था, जो हमारा पूरा इकोसिस्टम था, उसको सोच समझकर के तबाह कर दिया गया, उसको दुर्बल किया गया। रिसर्च और मैन्युफैक्चरिंग के लिए रास्ते बंद कर दिए गए। अगर इसी नीति पर हम चलते, तो भारत इस 21वीं सदी में ऑपरेशन सिंदूर के संबंध में सोच भी नहीं सकता था। यह हालत करके रखा हुआ था इन्होंने, भारत को सोचना पड़ता कि अगर कोई एक्शन लेना है, तो शस्त्र कहां से मिलेंगे? साधन कहां से मिलेगा? बारूद कहां से मिलेगा? समय पर मिलेगा कि नहीं मिलेगा? बीच बचाव में रुक तो नहीं जाएगा? यह टेंशन पालना पड़ता।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
बीते एक दशक में मेक इन इंडिया हथियार सेना को मिले, उन्होंने इस ऑपरेशन में बहुत निर्णायक भूमिका निभाई है।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
एक दशक पहले भारत के लोगों ने संकल्प लिया, हमारा देश सशक्त, आत्मनिर्भर और आधुनिक राष्ट्र बने। रक्षा सुरक्षा हर क्षेत्र में बदलाव के लिए एक के बाद एक ठोस कदम उठाए गए। सीरीज ऑफ रिफॉर्म्स किए गए और देश में सेना में जो रिफॉर्म्स हुए हैं, जो आजादी के बाद पहली बार हुए हैं। चीफ ऑफ़ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति, यह विचार कोई नया नहीं था। दुनिया में प्रयोग भी चलते हैं, भारत में निर्णय नहीं होते थे। हमने यह बहुत बड़ा रिफॉर्म था, हमने किया और बहुत ही, मैं हमारी तीनों सेनाओं का अभिनंदन करता हूं कि इस व्यवस्था को उन्होंने दिल से सहयोग किया है, दिल से स्वीकार किया है। सबसे बड़ी ताकत, जॉइंटनेस और इंटीग्रेशन की, इस समय नेवी हो, एयरफोर्स हो, आर्मी हो, यह इंटीग्रेशन और जॉइंटनेस ने हमारी ताकत को अनेक गुना बढ़ा दिया और उसका परिणाम भी हमारी नजर में आया है, यह हमने करके दिखाया है। सरकार की जो डिफेंस प्रोडक्शन की कंपनियां थी, उसमें हमने रिफॉर्म किए। शुरुआत में वहां पर आग लगाना, आंदोलन करवाना, हड़ताल करवाने के खेल चल रहे थे, अभी भी बंद नहीं हुए हैं, लेकिन देश हित को सर्वोपरि मान करके उन डिफेंस इंडस्ट्री के हमारे जो लोग थे सरकारी व्यवस्था में, उन्होंने इसको मन से लिया, रिफॉर्म को स्वीकार किया और वह भी आज बहुत प्रोडक्टिव बन गए। इतना ही नहीं हमने प्राइवेट सेक्टर के लिए भी डिफेंस के दरवाजे खोल दिए हैं और आज भारत का प्राइवेट सेक्टर आगे आ रहा है। आज स्टार्टअप्स डिफेंस के क्षेत्र में हमारे 27-30 साल के नौजवान, टीयर टू, टियर थ्री सिटीज के नौजवान, कई कुछ जगह तो बेटियां स्टार्टअप्स का नेतृत्व कर रही हैं, डिफेंस के सेक्टर में सैकड़ों की तादाद में आज स्टार्टअप्स कम कर रहे हैं।
ड्रोंस एक प्रकार से मैं कह सकता हूं, ड्रोंस के जितने भी एक्टिविटीज हमारे देश में हो रही है, शायद एवरेज 30-35 की उम्र होगी, जो यह लोग कर रहे हैं। सारे लोग और सैकड़ों की तादाद में कर रहे हैं और उसकी ताकत क्योंकि इनका भी योगदान था इसमें, जिन्होंने इस प्रकार के प्रोडक्शन किए हैं और वह हमें ऑपरेशन सिंदूर में बहुत काम आए। मैं उन सबके प्रयासों को बहुत साधुवाद करता हूं और मैं उनको विश्वास दिलाता हूं, आगे बढ़िए, अब देश रुकने वाला नहीं है।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
डिफेंस सेक्टर में मेक इन इंडिया, यह नारा नहीं था। हमने इसके लिए बजट, पॉलिसी में जो परिवर्तन करना था, जो नए इनीशिएटिव लेने थे, वह नए इनीशिएटिव लिए और सबसे बड़ी बात क्लियर कट विजन के साथ हमने देश में मेक इन इंडिया डिफेंस सेक्टर के अंदर तेज गति से हम आगे बढ़ रहे हैं।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
एक दशक में डिफेंस का बजट लगभग पहले से तीन गुना हुआ है। डिफेंस प्रोडक्शन में करीब-करीब 250 प्रतिशत वृद्धि हुई है, ढाई सौ प्रतिशत वृद्धि हुई है। 11 वर्षों में डिफेंस एक्सपोर्ट 30 गुना से भी ज्यादा बढ़ा है, 30 गुना से ज्यादा बढ़ा है। डिफेंस एक्सपोर्ट आज दुनिया के करीब 100 देशों तक हम पहुंचे हैं।
और आदरणीय अध्यक्ष जी,
कुछ चीजें ऐसी होती हैं, जो इतिहास में बहुत बड़ा प्रभाव छोड़ती हैं। ऑपरेशन सिंदूर ने डिफेंस का जो मार्केट है, उसमें भारत का झंडा गाड़ दिया है। भारत के हथियारों की डिमांड आज बढ़ती चली जा रही है, मांग बढ़ रही है। यह भारत में भी उद्योगों को भी बल देगी, MSMEs को बल देगी। हमारे नौजवानों को रोजगार देगी और हमारे नौजवान अपनी बनाई चीजों से दुनिया में अपनी ताकत का प्रदर्शन कर पाएंगे, यह आज दिख रहा है। मैं देख रहा हूं, डिफेंस के क्षेत्र में जो आत्मनिर्भर भारत की दिशा में हम जो कदम उठा रहे हैं, मैं हैरान हूं, कुछ लोगों को आज भी तकलीफ हो रही है, जैसा उनका खजाना लूट गया, यह कौन सी मानसिकता है? देश को ऐसे लोगों को पहचानना होगा।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
मैं स्पष्ट करना चाहता हूं, डिफेंस में भारत का आत्मनिर्भर होना, यह आज की शस्त्रों की स्पर्धा के काल में विश्व शांति के लिए भी जरूरी है। मैं पहले भी कह चुका हूं, भारत युद्ध का नहीं, बुद्ध का देश है। हम समृद्धि-शांति चाहते हैं, लेकिन हम यह कभी ना भूलें कि समृद्धि का और शांति का रास्ता सख्ती से ही गुजरता है।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
हमारा भारत, छत्रपति शिवाजी महाराज, महाराजा रणजीत सिंह, राजेंद्र चोडा, महाराणा प्रताप, लसिथ बोरफुकान और महाराजा सुहेलदेव का देश है।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
हम विकास और शांति के लिए सामरिक सामर्थ्य पर भी फोकस करते हैं।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
कांग्रेस के पास नेशनल सिक्योरिटी का विजन ना पहले था और आज तो सवाल ही नहीं उठाता है। कांग्रेस ने हमेशा नेशनल सिक्योरिटी पर समझौता किया है। आज जो लोग पूछ रहे हैं, PoK को वापस क्यों नहीं लिया? वैसे यह सवाल मुझे ही पूछ सकते हैं और किसको पूछ सकते हैं? लेकिन इसके पहले जवाब देना होगा पूछने वालों को, किसकी सरकार ने PoK पर पाकिस्तान को कब्जा करने का अवसर दिया था? जवाब साफ है, जवाब साफ है, जब भी मैं नेहरू जी की चर्चा करता हूं, तो कांग्रेस और उसका पूरा इकोसिस्टम बिलबिला जाता है, पता नहीं क्या है?
आदरणीय अध्यक्ष जी,
हम एक शेर सुना करते थे, मुझे ज्यादा इसका ज्ञान तो नहीं है, लेकिन सुनते थे। लम्हों ने खता की और सदियों ने सजा पाई। आजादी के बाद से ही जो फैसले लिए गए, उनकी सजा आज तक देश भुगत रहा है। यहां बार-बार एक बात का जिक्र हुआ और मैं फिर से करना चाहूंगा, अक्साई चीन की जो उस पूरे क्षेत्र को बंजर जमीन करार दिया गया। यह कह करके की बंजर है, देश की 38000 वर्ग किलोमीटर जमीन हमें खोनी पड़ी।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
मैं जानता हूं, मेरी कुछ बातें चुभने वाली हैं। 1962 और 1963 के बीच कांग्रेस के नेता जम्मू-कश्मीर के पूंछ, उरी, नीलम वैली और किशनगंगा को छोड़ देने का प्रस्ताव रख रहे थे। भारत की भूमि…
आदरणीय अध्यक्ष जी,
और वह भी लाइन ऑफ पीस, लाइन का पीस के नाम पर किया जा रहा था। 1966 राणा कच्छ पर इन्हीं लोगों ने मध्यस्थता स्वीकार की। यह था उनका राष्ट्रीय सुरक्षा का विजन, एक बार फिर उन्होंने भारत का करीब 800 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पाकिस्तान को सौंप दिया, जिसमें क्षणबेट भी शामिल हैं, कहीं उसको क्षणाबेट भी कहते हैं। 1965 की जंग में हाजी पीर पास को हमारी सेना ने वापस जीत लिया था, लेकिन कांग्रेस ने उसे फिर लौटा दिया। 1971 पाकिस्तान के 93000 फौजी हमारे पास बंदी थे, पाकिस्तान का हजारों वर्ग किलोमीटर एरिया हमारी सेना ने कब्जा किया था। हम बहुत कुछ कर सकते थे, विजय की स्थिति में थे। उस दौरान अगर थोड़ी सा विजय होता, थोड़ी सी समझ होती, तो PoK वापस लेने का निर्णय हो सकता था। वह मौका था, वह मौका भी छोड़ दिया गया और इतना ही नहीं, इतना सारा जब सामने टेबल पर था, अरे कम से कम करतारपुर साहिब को तो ले सकते थे, वह भी नहीं कर पाए आप। 1974 श्रीलंका को कच्चातिवु द्वीप को गिफ्ट कर दिया गया, आज तक हमारे मछुआरे भाई-बहनों को इससे परेशानी होती है, उनकी जान पर आफत आती है। क्या गुनाह था तमिलनाडु के मेरे फिशरमैन भाई-बहनों का कि आपने उनका हक छीन लिया और दूसरों को गिफ्ट कर दिया? कांग्रेस दशकों से यह इरादा लेकर चल रही थी कि सियाचिन से सेना हटा दी जाए।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
2014 में देश ने इनको मौका नहीं दिया वरना आज सियाचिन भी हमारे पास नहीं होता।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
आजकल कांग्रेस के जो लोग हमें diplomacy का पाठ पढ़ा रहे हैं। मैं उन्हें उनकी diplomacy याद दिलाना चाहता हूं। ताकि उनको भी कुछ याद रहे, पता चले। 26/11 जैसे भयंकर हमले के बाद, बहुत बड़ा आतंकी हमला था। कांग्रेस का पाकिस्तान से प्रेम नहीं रूका। इतनी बड़ी घटना 26/11 की हुई थी। विदेशी दबाव में हमले के कुछ हफ्तों के भीतर ही कांग्रेस सरकार ने पाकिस्तान से बातचीत शुरू कर दी।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
कांग्रेस सरकार ने 26/11 की इतनी बड़ी घटना के बाद भी एक भी diplomat को भारत से बाहर निकालने की हिम्मत नहीं की। छोड़ों इसे, एक वीजा तक कैंसिल नहीं किया, एक वीजा तक कैंसिल नहीं कर पाए थे। देश पर पाकिंस्तानी स्पांसर बड़े-बड़े हमले होते गए, लेकिन यूपीए सरकार ने पाकिस्तान को most favoured nation का दर्जा देकर रखा था, वो कभी वापस नहीं लिया था। एक तरफ देश मुंबई के हमले का ये न्याय मांग रहा था, दूसरी तरफ कांग्रेस पाकिस्तान के साथ व्यापार करने में लगी थी। पाकिस्तान वहां से खून की होली खेलने वाले आतंकियों को भेजते रहे और कांग्रेस यहां अमन की आस के मुशायरे किया करते थे, मुशायरे होते थे। हमने आतंकवाद और अमन की आश का ये वन वे ट्रैफिक बंद कर दिया। हमने पाकिस्तान का MFN का दर्जा रद्द किया, वीजा बंद किया, हमने अटारी वाघा बॉर्डर को बंद कर दिया।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
भारत के हितों को गिरवी रख देना, ये कांग्रेस की पार्टी की पुरानी आदत है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण सिंधु जल समझौता है। सिंधु जल समझौता किसने किया? नेहरू जी ने किया और मामला किससे जुड़ा था, भारत से निकलने वाली नदियां, हमारे यहां से निकली हुई नदियां, उसका वो पानी था। और वो नदियां हजारों साल से भारत की सांस्कृतिक विरासत रही हैं, भारत की चेतन्य शक्ति रही हैं, भारत को सुजलाम-सुफलाम बनाने में उन नदियों का बहुत बड़ा योगदान रहा है। सिंधु नदी जो सदियों से भारत की पहचान हुआ करती थी, उसी से भारत जाना जाता था, लेकिन नेहरू जी और कांग्रेस ने सिंधु और झेलम जैसी नदियों पर विवाद के लिए पंचायत किसको दी? वर्ल्ड बैंक को दी। वर्ल्ड बैंक फैसला करे क्या करना है, नदी हमारी, पानी हमारा। सिंधु जल समझौता सीधा सीधा भारत की अस्मिता और भारत के स्वाभिमान के साथ किया गया बहुत बड़ा धोखा था।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
आज के देश के युवा ये बात सुनते होंगे तो उनको भी आश्चर्य होगा, कि ऐसे लोग थे हमारे देश का काम कर रहे थे। नेहरू जी ने strategically और क्या किया? ये जो पानी था, जो नदियां थीं, जो भारत से निकल रही थी, उन्होंने 80 प्रतिशत पानी पाकिस्तान को देने के लिए वो राजी हो गए। और इतना बड़ा हिन्दुस्तान उसको सिर्फ 20 पर्सेंट पानी। कोई मुझे समझाए भई ये कौन सी बुद्धिमानी थी, कौन सा देशहित था, कौन सी डिप्लोमेसी थी, क्या हालत करके बनाकर रखा था आप लोगों ने। इतनी बड़ी आबादी वाला हमारा देश, हमारे यहां से निकलती हुई ये नदियां और सिर्फ 20 पर्सेंट पानी। और 80 प्रतिशत पानी उन्होंने उसको दिया, जो देश खुलेआम भारत को अपना दुश्मन करार देता रहता है, दुश्मन कहता रहता है। और ये पानी पर किसका हक था? हमारे देश के किसानों का, हमारे देश के नागरिकों का, हमारा पंजाब, हमारा जम्मू कश्मीर। देश के एक बहुत बड़े हिस्से को इन्होंने पानी के संकट में धकेल दिया, इस एक कारण से। और राज्यों के भीतर भी पानी को लेकर के आपस में संघर्ष पैदा हुए, प्रतिस्पर्धा पैदा हुई, और उनका जिस पर हक था, उस पर पाकिस्तान मौज करता रहा। और ये दुनिया में अपनी डिप्लोमेसी का पाठ पढ़ाते रहते थे।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
अगर ये treaty न होती, तो पश्चिमी नदियों पर कई बड़ी परियोजनाएं बनती। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली वहां के किसानों को भरपूर पानी मिलता है, पीने के पानी की कोई समस्या नहीं रहती है। औद्योगिक प्रगति के लिए भारत बिजली बना पाता, इतना ही नहीं नेहरू जी ने इसके उपरांत करोड़ों रुपये भी दिए, ताकि पाकिस्तान नहर बना सके।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
इससे भी बड़ी बात देश चौंक जाएगा, ये चीजें छुपाई गई हैं, दबा दी गई हैं। कहीं भी बांध बनता है तो उसमें एक मैकेनिज्म होता है, उसकी सफाई का, desilting का, उसमें जो मिट्टी भर जाती है, बाकी घास वगैरह भर जाता है, तो उसकी कैपेसिटी कम होती है, तो उसकी सफाई के लिए, यानी इनबिल्ट व्यवस्था होती है। नेहरू जी ने पाकिस्तान के कहने पर ये शर्त स्वीकार की है, कि इन बांध में जो मिट्टी आएगी, कूड़ा–कचरा आएगा और बांध भर जाएगा, इसकी सफाई नहीं कर सकते, desilting नहीं कर सकते हैं। बांध हमारे यहां, पानी हमारा लेकिन निर्णय पाकिस्तान का। क्या आप desilting नहीं कर सकते इतना ही नहीं, जब इस बार में डिटेल में गया, तो एक बांध तो ऐसा है कि जहां desilting के लिए यह गेट होता है ना, उसको वेल्डिंग कर दिया गया है, ताकि कोई गलती से भी खोल करके मिट्टी को निकल ना दे। पाकिस्तान ने नेहरू जी से लिखवा लिया था कि, भारत बिना पाकिस्तान की मर्जी अपने बांधों में जमा होने वाली मिट्टी साफ नहीं करेगा, desilting नहीं करेगा। यह समझौता देश के खिलाफ था और बाद में नेहरू जी को भी यह गलती माननी पड़ी। इस समझौते में निरंजन दास गुलाटी करके एक सज्जन उसमें जुड़े हुए थे। उन्होंने किताब लिखी है, उस किताब में उन्होंने लिखा है कि फरवरी 1961 में, नेहरू ने उनसे कहा था, गुलाटी मुझे उम्मीद थी कि यह समझौता अन्य समस्याओं के समाधान का रास्ता खोलेगा, लेकिन हम वही हैं, जहां पहले थे, यह नेहरू जी ने कहा। नेहरू जी केवल तात्कालिक प्रभाव देख पा रहे थे, इसलिए उन्होंने कहा कि हम वहीं के वहीं हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि इस एग्रीमेंट के कारण देश बहुत पिछड़ गया, देश बहुत पीछे चला गया और देश का बहुत नुकसान हुआ, हमारे किसानों को नुकसान हुआ, हमारी खेती को नुकसान हुआ और नेहरू जी उस डिप्लोमेसी को जानते थे, जिसमें किसान का कोई वजूद ही नहीं था, यह हाल करके रखा था उन्होंने।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
पाकिस्तान आगे दशकों तक भारत के साथ युद्ध और छद्म युद्ध प्रॉक्सी वार करता ही रहा। लेकिन कांग्रेस की सरकारों ने बाद में भी सिंधु जल समझौते की तरफ देखा तक नहीं, नेहरू जी की गलती को सुधारा तक नहीं।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
लेकिन अब भारत ने पुरानी गलती को सुधारा है, ठोस निर्णय लिया है। भारत ने नेहरू जी द्वारा की गई बहुत बड़ी ब्लंडर सिंधु जल समझौते को देशहित में, किसानों के हित में, abeyance में रख दिया है। देश का अहित करने वाला यह समझौता अब इस रूप में आगे नहीं चल सकता। भारत ने तय कर दिया है, खून और पानी साथ-साथ नहीं बह सकते।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
यहां बैठे साथी आतंकवाद पर लंबी-लंबी बातें करते हैं। जब ये सत्ता में थे, जब इनको राज करने का अवसर मिला था, तब देश का हाल क्या है, क्या रहा था, वो आज भी देश भुला नहीं है। 2014 से पहले देश में असुरक्षा का जो माहौल था, अगर वो आज याद भी करे ना, तो लोग सिहर जाते हैं।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
हम सबको याद हैं, जो नई पीढ़ी के बच्चे हैं उनको पता नहीं है, हम सबको पता है। हर जगह पर अनाउंसमेंट होता था, रेलवे स्टेशन पर जाओ, बस स्टैंड पर जाओ, एयरपोर्ट पर जाओ, बाजार में जाओ, मंदिर में जाओ, कहीं पर भी जाओ जहां भी भीड़ होती है, कोई भी लावारिस चीज़ दिखे, छूना मत, पुलिस को तुरंत जानकारी देना, वह बम हो सकता है, हम 2014 तक यही सुनते आए थे, यह हालत करके रखा था। देश के कोने-कोने में यही हाल था। माहौल यह था कि जैसे कदम-कदम पर बम बिछे हैं और खुद को ही नागरिकों ने बचाना है, उन्होंने हाथ ऊपर कर दिए थे, अनाउंस कर दिया।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
कांग्रेस की कमजोर सरकारों के कारण देश को कितनी जानें गंवानी पड़ी, हमें अपनों को खोना पड़ा।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
आतंकवाद पर यह लगाम लगाई जा सकती थी। हमारी सरकार ने 11 साल में यह करके दिखाया है, एक बहुत बड़ा सबूत है। 2004 से 2014 के बीच जो आतंकी घटनाएं होती थी, उन घटनाओं में बहुत बड़ी कमी आई है। इसलिए देश भी जानना चाहता है, अगर हमारी सरकार आतंकवाद पर नकेल कस सकती है, तो कांग्रेस सरकारों की ऐसी कौन सी मजबूरी थी कि आतंकवाद को फलने फूलने दिया।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
कांग्रेस के राज में आतंकवाद अगर फला फूला है, तो उसका एक बड़ा कारण इनकी तुष्टिकरण की राजनीति है, वोट बैंक की राजनीति है। जब दिल्ली में बाटला हाउस एनकाउंटर हुआ, कांग्रेस के एक बड़ी नेता की आंख में आंसू थे, आतंकवादी मारे गए इसके कारण और वोट पाने के लिए इस बात को हिंदुस्तान के कोने-कोने में पहुंचाया गया।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
2001 में देश की संसद पर हमला हुआ था, तब कांग्रेस के एक बड़े नेता ने अफजल गुरु को बेनिफिट ऑफ डाउट देने की बात कही थी।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
मुंबई में 26/11 का इतना बड़ा आतंकी हमला हुआ। एक पाकिस्तानी आतंकी जिंदा पकड़ा गया। पाकिस्तान की मीडिया ने, दुनिया ने यह स्वीकार किया कि पाकिस्तानी है, लेकिन यहां कांग्रेस पार्टी इतना बड़ा पाकिस्तान का पाप, इतना बड़ा पाकिस्तानी आतंकी हमला और यह क्या खेल खेल रहे थे? वोट बैंक की राजनीति के लिए क्या कर रहे थे? कांग्रेस पार्टी इसको भगवा आतंक सिद्ध करने में जुटी हुई थी। कांग्रेस दुनिया को हिंदू आतंकवाद की थ्योरी बेचने में लगी हुई थी। कांग्रेस के एक नेता ने अमेरिका के बड़े राजनयिक को यहां तक कह दिया था, कि लश्कर-ए-तैयबा से भी बड़ा खतरा भारत के हिंदू ग्रुप हैं। यह कहा गया था। तुष्टीकरण के लिए कांग्रेस ने जम्मू कश्मीर में भारत का संविधान, बाबा साहब अंबेडकर का संविधान, उसे जम्मू कश्मीर में पैर नहीं रखना दिए इन्होंने, घुसने नहीं दिया, उसे बाहर रखा। तुष्टिकरण और वोट बैंक के राजनीति के लिए कांग्रेस हमेशा देश की सुरक्षा की बलि चढ़ती रही।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
तुष्टिकरण के लिए ही कांग्रेस ने आतंकवाद से जुड़े कानूनों को कमजोर किया। गृहमंत्री जी ने आज विस्तार से सदन में कहां है, इसलिए मैं इसको रिपीट करना नहीं चाहता।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
मैंने इस सत्र की शुरुआत में आग्रह किया था, मैंने कहा था, कि दल हित में हमारे मत मिले ना मिले, दल हित में हमारे मत मिले ना मिले, देशहित में हमारे मन जरुर मिलने चाहिए। पहलगाम की विभीषिका ने हमें गहरे घाव दिए हैं, उसने देश को झकझोर दिया है, इसके जवाब में हमने ऑपरेशन सिंदूर किया, तो सेनाओं के पराक्रम ने हमारे आत्मनिर्भर अभियान ने देश में एक सिंदूर स्पिरिट पैदा किया है। ये सिंदूर स्पिरिट हमने तब भी देखी, जब दुनिया भर में हमारे प्रतिनिधिमंडल भारत की बात बताने गए। मैं उन सभी साथियों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आपने बहुत ही प्रभावी ढंग से भारत की बात डंके की चोट पर दुनिया के सामने रखी। लेकिन मुझे दुख इस बात का है, हैरानी भी है, जो खुद को कांग्रेस के बड़े नेता समझते हैं, उनके पेट में दर्द हो रहा है कि भारत का पक्ष दुनिया के सामने क्यों रखा गया। शायद कुछ नेताओं को सदन में बोलने पर भी पाबंदी लगा दी गई।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
इस मानसिकता से बाहर निकलने की जरूरत है। कुछ पंक्तियां मेरे मन में आती हैं, मैं अपने भाव व्यक्त करना चाहता हूं।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
करो चर्चा और इतनी करो, करो चर्चा और इतनी करो,
की दुश्मन दहशत से दहल उठे, दुश्मन दहशत से दहल उठे,
रहे ध्यान बस इतना ही, रहे ध्यान बस इतना ही,
मान सिंदूर और सेना का प्रश्नों में भी अटल रहे।
हमला मां भारती पर हुआ अगर, तो प्रचंड प्रहार करना होगा,
दुश्मन जहां भी बैठा हो, हमें भारत के लिए ही जीना होगा।
मेरा कांग्रेस के साथियों से आग्रह है कि एक परिवार के दबाव में पाकिस्तान को क्लीन चिट देना बंद कर दें। जो देश के विजय का क्षण है, कांग्रेस उसे देश के उपहास का क्षण न बनाएं। कांग्रेस अपनी गलती सुधारे। मैं आज सदन में फिर स्पष्ट करना चाहता हूं, अब भारत आतंकी नर्सरी में ही आतंकियों को मिट्टी में मिलाएगा। हम पाकिस्तान को भारत के भविष्य से खेलने नहीं देंगे और इसलिए ऑपरेशन सिंदूर खत्म नहीं हुआ है, ऑपरेशन सिंदूर जारी है और यह पाकिस्तान के लिए भी नोटिस है, वो जब तक भारत के खिलाफ आतंक का रास्ता रोकेगा नहीं, तब तक भारत एक्शन लेता रहेगा। भारत का भविष्य सुरक्षित और समृद्ध होगा, यही हमारा संकल्प है। इसी भाव के साथ मैं फिर से सभी सदस्यों को सार्थक चर्चा के लिए धन्यवाद देता हूं और आदरणीय अध्यक्ष जी, मैंने भारत का पक्ष रखा है, भारत के लोगों की भावनाओं को व्यक्त किया है, मैं सदन का फिर से आभार व्यक्त करता हूं।
बहुत-बहुत धन्यवाद।
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(Release ID: 2149990)