महिला एवं बाल विकास मंत्रालय
एनीमिया-रक्ताल्पता: राष्ट्रीय पोषण माह 2024 के दौरान ध्यान केंद्रित किया जाने वाला एक प्रमुख विषय
Posted On:
03 SEP 2024 4:48PM by PIB Delhi
एनीमिया अर्थात रक्ताल्पता एक प्रमुख विषय है, जिस पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित करते हुए इस वर्ष का पोषण माह मनाया जा रहा है। अब तक हुए जन आन्दोलनों के अंतर्गत एनीमिया को हमेशा से ही बातचीत एवं चर्चा के मुख्य क्षेत्रों में से एक के तौर पर शामिल किया गया है। दरअसल एनीमिया महिलाओं के स्वास्थ्य से संबंधित एक चिंताजनक समस्या है, जो मुख्य रूप से छोटे बच्चियों, किशोरियों, गर्भवती महिलाओं, प्रसव के बाद औरतों और प्रजनन योग्य आयु की स्त्रियों को प्रभावित करती है। किशोरावस्था की समयावधि युवा हो रही किशोरियों में पोषण संबंधी किसी भी परेशानी को दूर करने और उनकी भावी पीढ़ियों में एनीमिया के अंतर-पीढ़ीगत प्रभावों पर रोक लगाने के प्रयास करने के लिए सही वक्त होता है।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा एनीमिया से जुड़े हुए मुद्दों की गंभीरता को अहमियत देने के उद्देश्य से जन-संवेदनशीलता के लिए पिछले कई जन आंदोलनों में संबंधित मंत्रालयों/विभागों के साथ मिलकर रक्ताल्पता से संबंधित अनेक कार्यक्रमों और गतिविधियों को शुरू किया गया है। सितंबर, 2023 में मनाए गए पिछले पोषण माह में 35 करोड़ से अधिक जागरूकता बढ़ाने, नुकसानदेह प्रथाओं को बदलने और सेवाओं के बारे में जानकारी साझा करने के तौर-तरीकों पर गतिविधियों की जानकारी दी गई है, जिनमें से लगभग 4 करोड़ सूचनाएं एनीमिया पर ही केंद्रित थीं।
यह योजना वर्तमान में 69 लाख गर्भवती महिलाओं (पीडब्लू) और 43 लाख स्तनपान कराने वाली माताओं (एलएम) तक सीधे पहुंच रही है। इसके अलावा, इस पहल के अंतर्गत आकांक्षी जिलों तथा पूर्वोत्तर के इलाकों में विशेष रूप से किशोरियों के लिए योजना (एसएजी) के तहत 22 लाख से अधिक बालिकाओं (14-18 वर्ष) को शामिल किया गया है। इसका मकसद 10 करोड़ से अधिक लाभार्थियों एवं उनके परिवारों की सशक्त प्रत्यक्ष उपस्थिति के साथ और अपनी तरह के पहले पोषण-केन्द्रित जन आन्दोलन के माध्यम से वर्ष में दो बार देश के कोने-कोने तक पहुंच बनाना है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएच एंड एफडब्ल्यू) के एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम को व्यापक रूप से सहयोग देने के साथ ही मंत्रालय के प्रयासों को जारी रखते हुए विशेष रूप से किशोरियों की सहभागिता में कुपोषण मुक्त भारत बनाने के लिए आवश्यक अतिरिक्त गति प्रदान करने की पूरी क्षमता है।
इसके अलावा, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अन्य उपाय करते हुए आयुष मंत्रालय के साथ समन्वय करके पांच उत्कर्ष जिलों में एनीमिया की समस्या से निपटने तथा किशोरियों (14-18 वर्ष की आयु) की पोषण स्थिति में सुधार के लिए पहले से ही परखे जा चुके आयुर्वेद नुस्खों जैसे द्राक्षावलेह और पुनर्नवामंडूर औषधि के माध्यम से एक पहल को क्रियान्वित कर रहा है।
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एमजी/एआर/एनके
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