प्रधानमंत्री कार्यालय

प्रधानमंत्री ने मुंबई स्थित राजभवन में जल भूषण भवन और क्रांतिकारियों की गैलरी का उद्घाटन किया


"महाराष्ट्र में जगतगुरु श्री संत तुकाराम महाराज से लेकर बाबासाहेब आंबेडकर तक, समाज सुधारकों की बहुत समृद्ध विरासत है"

"स्वतंत्रता संघर्ष को कुछ घटनाओं तक सीमित रखने की एक प्रवृत्ति है, जबकि भारत की आजादी में अनगिनत लोगों की 'तपस्या' शामिल है"

"स्थानीय से वैश्विक स्तर तक स्वतंत्रता आंदोलन की भावना, हमारे आत्मानिर्भर भारत अभियान की मजबूती है"

"21वीं सदी में महाराष्ट्र के कई शहर देश के ग्रोथ सेंटर होने वाले हैं"

Posted On: 14 JUN 2022 6:21PM by PIB Delhi

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज मुंबई स्थित राजभवन में जल भूषण भवन और क्रांतिकारियों की गैलरी का उद्घाटन किया। इस अवसर पर महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री भगत सिंह कोश्यारी और मुख्यमंत्री श्री उद्धव ठाकरे भी उपस्थित थे।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने एक सभा को संबोधित किया। उन्होंने सबसे पहले लोगों को आज वट पूर्णिमा और कबीर जयंती पर बधाई दी। प्रधानमंत्री ने कहा कि महाराष्ट्र ने देश को अनेक क्षेत्रों में प्रेरित किया है। उन्होंने आगे कहा कि जगतगुरु श्री संत तुकाराम महाराज से लेकर बाबासाहेब अंबेडकर तक समाज सुधारकों की बहुत समृद्ध विरासत है। प्रधानमंत्री ने कहा कि महाराष्ट्र के संत ध्यानेश्वर महाराज, संत नामदेव, संत रामदास और संत चोखामेला ने देश में ऊर्जा का संचार किया है। उन्होंने कहा कि अगर हम स्वराज्य की बात करें तो छत्रपति शिवाजी महाराज और छत्रपति संभाजी महाराज का जीवन आज भी हर भारतीय में देशभक्ति की भावना को मजबूत करता है। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने राजभवन की वास्तुकला में प्राचीन मूल्यों और स्वतंत्रता संग्राम की यादों को शामिल करने का भी उल्लेख किया। उन्होंने राजभवन को लोक भवन में बदलने की भावना की भी प्रशंसा की।

प्रधानमंत्री ने कहा, जब हम भारत की आजादी की बात करते हैं तो जाने- अनजाने उसे कुछ घटनाओं तक सीमित कर देते हैं। जबकि भारत की आजादी में अनगिनत लोगों की तपस्या शामिल रही है और स्थानीय स्तर पर हुई अनेकों घटनाओं का सामूहिक प्रभाव राष्ट्रीय था। प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि साधन अलग थे, लेकिन संकल्प एक ही था। उन्होंने कहा कि सामाजिक, पारिवारिक या वैचारिक भूमिकाओं के बावजूद आंदोलन का स्थान, चाहे देश के भीतर हो या विदेश में, इनका  लक्ष्य एक था - भारत की संपूर्ण स्वतंत्रता। प्रधानमंत्री ने बाल गंगाधर तिलक, चापेकर बंधुओं, वासुदेव बलवंत फड़के और मैडम भीकाजी कामा के बहुआयामी योगदान को याद किया। इसके अलावा उन्होंने रेखांकित किया कि स्वतंत्रता संघर्ष स्थानीय स्तर के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर भी फैला हुआ था। उन्होंने वैश्विक स्तर पर संचालित स्वतंत्रता संग्राम के उदाहरणों के रूप में गदर पार्टी, नेताजी के नेतृत्व वाली आजाद हिंद फौज और श्यामजी कृष्ण वर्मा के इंडिया हाउस का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने कहा, "स्थानीय से वैश्विक की यह भावना हमारे आत्मनिर्भर भारत अभियान का आधार है।"

प्रधानमंत्री ने कहा कि लंबे समय से गुमनाम नायकों को लेकर उदासीनता जारी रही है। उन्होंने बताया कि कैसे महान स्वतंत्रता सेनानी श्यामजी कृष्ण वर्मा की अस्थियां को भारत लाने के लिए इतने लंबे समय तक इंतजार करना पड़ा, जब तक कि श्री मोदी खुद उसे भारत वापस नहीं लाएं।

प्रधानमंत्री ने आगे कहा, मुंबई सपनों का शहर है, हालांकि महाराष्ट्र में ऐसे अनेक शहर हैं, जो 21वीं सदी में देश के ग्रोथ सेंटर होने वाले हैं। इसी सोच के साथ, एक तरफ मुंबई के इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाया जा रहा है, तो बाकी शहरों में भी आधुनिक सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं।

प्रधानमंत्री ने सभी लोगों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि उनकी जो भी भूमिका हो, उनका उद्देश्य राष्ट्रीय संकल्प को मजबूत करना होना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने राष्ट्रीय विकास में सबका प्रयास के अपने आह्वान को दोहराया।

जल भूषण भवन 1885 से महाराष्ट्र के राज्यपाल का आधिकारिक निवास रहा है। जब इसका जीवनकाल पूरा हो गया तो इसे गिरा दिया गया और इसके स्थान पर एक नए भवन के निर्माण को मंजूरी दी गई। इसके बाद अगस्त, 2019 में भारत के माननीय राष्ट्रपति ने नए भवन का शिलान्यास किया था। पुराने भवन की सभी विशेष विशेषताओं को नवनिर्मित भवन में संरक्षित किया गया है। वहीं, साल 2016 में महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल श्री विद्यासागर राव को राजभवन में एक बंकर मिला था। अंग्रेज इसका उपयोग हथियारों और गोला-बारूद के गुप्त भंडार के रूप में करते थे। 2019 में इस बंकर का जीर्णोद्धार किया गया। इसी बंकर को अब एक गैलरी का रूप दिया गया है और इसे महाराष्ट्र के स्वतंत्रता सेनानियों व क्रांतिकारियों के योगदान को याद करने के लिए अपनी तरह के एक संग्रहालय के रूप में विकसित किया गया है। यह वासुदेव बलवंत फड़के, चापेकर बंधुओं, सावरकर भाइयों, मैडम भीकाजी कामा, वी बी गोगेट, नौसेना विद्रोह (1946) और अन्य के योगदान को श्रद्धांजलि देता है।

 

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