रेल मंत्रालय
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रेल मंत्रालय: 2025 वर्षांत समीक्षा


भविष्योन्मुखी नेटवर्क का निर्माण: 2026 के लिए मंच तैयार करतीं भारतीय रेलवे की 2025 की उपलब्धियां

नवाचार, स्वदेशीकरण, ट्रैक का नवीनीकरण और पुनर्विकसित स्टेशनों पर हवाई अड्डे जैसी सुविधाएं भारत में रेल यात्राओं को नया रूप दे रही हैं

रेल यात्रा को यादगार बना रहे हैं स्थानीय व्यंजन और स्वच्छता

ट्रैक नवीनीकरण से सुनिश्चित तेज़, सुरक्षित और आरामदायक होतीं ट्रेन यात्राएं

कवच, सुरक्षा में एआई का उपयोग और सतर्क लोको पायलटों ने गंभीर रेल दुर्घटनाओं को ऐतिहासिक रूप से कम करने में मदद की

पहली वंदे भारत स्लीपर ट्रेन जल्द ही परिचालन में आने के लिए तैयार, नई वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनें यात्रियों की सुविधा बढ़ाएंगी

आम आदमी के लिए आरामदायक यात्रा की सुविधाएं बढ़ीं, 2025 में देशभर में 13 नई अमृत भारत ट्रेनें शुरू की गईं, जिससे कुल ट्रेनों की संख्या 30 हुई

नियमित सेवाओं के अलावा, रेलवे ने अतिरिक्त भीड़ को संभालने के लिए 2025 में 43,000 से अधिक विशेष ट्रेनें चलाईं, इनमें महाकुंभ के लिए 17,000 से अधिक ट्रेनें शामिल हैं

बेहतर शौचालयों, लिफ्ट/एस्केलेटर, फूड कोर्ट, आधुनिक प्रतीक्षा क्षेत्रों जैसी सुविधाओं से लैस 155 पूरी तरह से आधुनिक स्टेशन रेल, यात्रियों को विश्व स्तरीय अनुभव प्रदान कर रहे हैं, बाकी 1182 अमृत भारत स्टेशनों का आधुनिकीकरण किया जा रहा है

क्षेत्रीय एकता को मजबूत करते हुए सभी मौसमों में चलने वाली, कश्मीर और मिजोरम के लिए यात्री और मालगाड़ियाँ दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की आर्थिक जरूरतों को पूरा कर रही हैं

नया पंबन पुल तीर्थयात्रा और पर्यटन को बढ़ावा देता है, क्षेत्रीय संपर्क को मजबूत करता है और भविष्य में भारत-श्रीलंका परिवहन संबंधों के द्वार खोलता है

साल 2025 में 25,000 करोड़ रुपये से अधिक की 42 परियोजनाएँ राष्ट्र को समर्पित की गईं

2029-30 तक 3,000 मीट्रिक टन वार्षिक लोडिंग के लक्ष्य की ओर अग्रसर, भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मालवाहक बन गया है

गति शक्ति कार्गो टर्मिनल और वैगनों के रिकॉर्ड उत्पादन ने माल ढुलाई में वृद्धि को गति दी, समर्पित माल गलियारों पर प्रतिदिन 400 से अधिक ट्रेनें चल रही हैं

स्वदेशी इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव घरेलू और वैश्विक मांग को पूरा करते हुए आत्मनिर्भर भारत की विचारधारा को दे रहे हैं गति

उच्च गति वाले कॉरिडोर पर काम में तेजी से प्रगति के लिए उच्च तकनीक का उपयोग सहायक

प्रविष्टि तिथि: 28 DEC 2025 3:30PM by PIB Delhi

केंद्रित प्रयासों, नवाचार और स्वदेशीकरण की मदद से भारतीय रेलवे को विश्व स्तरीय नेटवर्क में बदलने में मदद मिल रही है। आम आदमी को केंद्र में रखते हुए, रेलवे ने इस वर्ष विश्व स्तरीय नेटवर्क के अपने विजन को साकार करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है। वर्ष 2025 के अंत के साथ, भारतीय रेलवे नए वर्ष 2026 में आपकी रेल यात्रा को और भी यादगार बनाने के लिए अधिक से अधिक सुविधाएं देने के लिए तैयार है। अमृत भारत ट्रेनों के ज़रिए गैर-एसी श्रेणी में सफर करने वाले यात्रियों को आरामदायक यात्रा का अनुभव प्रदान करने के बाद, भारतीय रेलवे जल्द ही एसी श्रेणी के यात्रियों के लिए पहली वंदे भारत स्लीपर शुरू करने के लिए तैयार है। यह बहुप्रतीक्षित जन-केंद्रित पहल लंबी दूरी की रेल यात्रा को सही मायने में नया रूप देगी और यात्रा के समय को काफी कम करेगी। ये पहले व्यस्त मार्गों पर और फिर धीरे-धीरे सभी मार्गों पर शुरू की जाएगी। भारत भर में पुनर्निर्मित स्टेशन यात्रियों को हवाई अड्डे जैसी सुविधाएं प्रदान कर रहे हैं, जिनमें आधुनिक और चौड़े प्रवेश द्वार, उन्नत शौचालय, एस्केलेटर, लिफ्ट, फूड कोर्ट और अत्याधुनिक प्रतीक्षा कक्ष आदि शामिल हैं।

खानपान में एक क्रांतिकारी बदलाव लाते हुए रेलवे विभिन्न ट्रेनों में स्थानीय व्यंजनों का स्वाद भी पेश कर रहा है। इससे यात्रा के दौरान भोजन का स्वाद और स्वच्छता दोनों में सुधार होगा। यात्रियों के बेहतर अनुभव के साथ-साथ, रेलवे माल ढुलाई सेवाओं में भी अग्रणी बनने का लक्ष्य रख रहा है। गति शक्ति कार्गो टर्मिनल, रिकॉर्ड संख्या में वैगनों का उत्पादन और हमारे माल ढुलाई मार्गों पर अधिक ट्रेनों का संचालन भारत के विकास की नई कहानी लिख रहा है, जिससे हम अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए विश्व के दूसरे सबसे बड़े मालवाहक बन रहे हैं। उन्नत स्टेशन, आधुनिक ट्रेनें और बेहतर सुरक्षा प्रणालियाँ हमारी आधुनिक रेल यात्रा का हिस्सा बन रही हैं। चाहे यात्रियों के बेहतर अनुभव की बात हो या व्यापारियों, परिवहनकर्ताओं और उद्योगों के लिए व्यापार करने में बढ़ती आसानी की, सभी यह बदलाव महसूस कर रहे हैं।

आधुनिक बुनियादी ढांचे और संपर्क पर खास ध्यान देते हुए, भारतीय रेलवे बेहतर यात्रा अनुभव, कुशल माल ढुलाई सेवाएं और आधुनिक तकनीक प्रदान करके राष्ट्रीय विकास को गति दे रहा है। सतत् विकास को प्राथमिकता देते हुए और नवाचार से प्रेरित होकर, रेलवे पर्यावरण के अनुकूल और हरित संचालन की ओर तेज़ी से अग्रसर है, साथ ही बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे में सुधार और क्षमता वृद्धि के ज़रिए देश की आर्थिक प्रगति को बढ़ावा दे रहा है। इस वर्ष के प्रयास भारतीय रेलवे की अपने लोगों के लिए एक विश्व स्तरीय परिवहन नेटवर्क बनाने की निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं, जो नवाचार और परंपरा के बीच संतुलन बनाए रखते हुए तेजी से बढ़ते देश की जरूरतों को पूरा करता है, ताकि वह एक विकसित राष्ट्र बनने की राह पर तेज़ी से अग्रसर हो सके। वर्ष 2025 ने हमें सुरक्षित, तेज और आरामदायक रेल यात्रा प्रदान करने की मजबूत नींव रखी। नया साल वंदे भारत और अमृत भारत ट्रेनों के माध्यम से लंबी दूरी की यात्राओं में आरामदायक स्लीपर यात्राएं प्रदान करने के लिए पूरी तरह तैयार है, जिससे यात्रा का समय कम होगा, साथ ही यात्रियों को रेलवे स्टेशनों पर ब्रांडेड भोजन और पेय पदार्थों के विकल्प भी मिलेंगे।

किफायती दामों पर तेज़, सुरक्षित और आरामदायक यात्रा

वंदे भारत ट्रेन:

  • 26 दिसंबर, 2025 तक, भारतीय रेलवे नेटवर्क पर कुल 164 वंदे भारत ट्रेनें चल रही हैं।
  • वर्ष 2025 के दौरान, भारतीय रेलवे ने 15 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनें शुरू कीं।
  • आने वाली वंदे भारत स्लीपर ट्रेनें रात भर की यात्रा को पूरी तरह बदल देंगी। ये लंबी दूरी के यात्रियों के लिए गति, आराम और आधुनिक सुविधाओं का बेहतरीन मेल होंगी।

अमृत भारत ट्रेन:

  • अमृत भारत ट्रेनें, जो पूरी तरह से नॉन-एसी ट्रेनें हैं, वर्तमान में 12 स्लीपर और 8 जनरल कोचों के साथ यात्रियों को उच्च गुणवत्ता वाली सेवाएं प्रदान कर रही हैं।
  • वर्ष 2025 के दौरान, 13 अमृत भारत एक्सप्रेस ट्रेनें शुरू की गईं और वे परिचालन में हैं। भारतीय रेलवे नेटवर्क पर कुल 30 अमृत भारत ट्रेनें चल रही हैं।

नमो भारत रैपिड रेल:

  • नमो भारत रैपिड रेल सेवाएं उच्च आवृत्ति और क्षेत्रीय संपर्क के लिए डिज़ाइन की गई हैं, जिससे उच्च मांग वाले कॉरिडोर में कम और मध्यम दूरी की आवागमन सुविधा बेहतर होती है।
  • देश में भुज-अहमदाबाद और जयनगर-पटना के बीच 2 नमो भारत रैपिड रेल सेवाएं संचालित हैं।

विशेष रेल सेवाएं:

2025 में, मौसमी भीड़ को देखते हुए विशेष रेल सेवाओं का संचालन काफी बढ़ाया गया, जो बेहतर योजना और यात्री सुविधा पर अधिक ध्यान केंद्रित करने को दर्शाता है।

  • भारतीय रेलवे ने वर्ष 2025 में रिकॉर्ड संख्या में 43,000 से अधिक विशेष रेल यात्राएं संचालित कीं।
  • त्योहारों और गर्मियों की भीड़ को देखते हुए, साल 2025 में महाकुंभ के लिए 17,340 विशेष रेल यात्राएं, होली के लिए 1,144, ग्रीष्मकालीन विशेष रेल यात्राओं के लिए 12,417 और छठ पूजा के लिए 12,383 विशेष रेल यात्राएं संचालित की गईं।

तेज और आरामदायक ट्रेनों और आधुनिक रेलवे स्टेशनों के अलावा, व्यवस्थित रेल पटरियों के नवीनीकरण, खंडीय गति में वृद्धि, आधुनिक ट्रैक मशीनों की स्थापना और उन्नयन, पुलों को मजबूत करने, सुरक्षा बढ़ाने के लिए लेवल क्रॉसिंग को समाप्त करने, रेलवे भूमि के प्रभावी प्रबंधन और संरक्षण की दिशा में केंद्रित प्रयास किए जा रहे हैं। इन क्षेत्रों में प्रमुख उपलब्धियों का विवरण नीचे दिया गया है।

रेल ट्रैक अवसंरचना में सुधार

पटरियों का चालू होना

1 अप्रैल से 30 नवंबर 2025 के बीच, भारतीय रेलवे ने 900 किलोमीटर से अधिक नई रेल लाइनें चालू कीं। नई पटरियां बिछाने के अलावा, सुरक्षित, तेज और आरामदायक यात्रा सुनिश्चित करने के लिए मौजूदा रेल पटरियों के नवीनीकरण पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है। इसी अनुसार, वर्ष 2025 के लिए, निम्नलिखित कुल नवीनीकरण कार्य किए गए।

पटरियों का नवीनीकरण कार्य

 

  1. 6880 किलोमीटर पटरियों का नई पटरियों से नवीनीकरण किया गया है।
  2. 7051 किलोमीटर पटरियों का पूर्ण नवीनीकरण किया गया है।
  3. 9277 सेटों के थ्रू टर्नआउट का नवीनीकरण किया गया है।

2014-25 की अवधि के दौरान, भारतीय रेलवे में कुल 34,428 किमी नई पटरी बिछाई गई, जिसकी औसत गति 8.57 किमी प्रति दिन थी। यह 2009-14 की अवधि के दौरान चालू करने की औसत दैनिक दर (4.2 किमी प्रति दिन) से दोगुने से भी अधिक है।

इस अवसंरचना विस्तार और रखरखाव को समर्थन देने के लिए, भारतीय रेलवे पटरियों से संबंधित मशीनों का आधुनिकीकरण कर रहा है। एक टैंपिंग मशीन (एचओटी-3एक्स) को उच्च-उत्पादन क्षमता वाली 3एक्स-डायनेमिक (एचओटी-3एक्स) मशीन में अपग्रेड किया गया है, जिसमें पटरी स्थिरीकरण के साथ तीन स्लीपर गिट्टी पैकिंग की सुविधा एकीकृत है। यह एकीकरण यातायात अवरोधों के उपयोग को बेहतर बनाता है और मानव संसाधन की ज़रुरत को कम करता है। इसके अलावा, 2025 (नवंबर तक) के दौरान, 61 नई पटरी मशीनें शामिल की गई हैं, और पटरी रखरखाव दक्षता और विश्वसनीयता को बढ़ाने के लिए आगे अपग्रेड की योजना है।

खंडीय गति में वृद्धि

ट्रेन संचालन और यात्रियों की सुविधा में सुधार के लिए इन आधुनिकीकरण प्रयासों के साथ-साथ खंडीय गति में भी वृद्धि की जा रही है। गोल्डन क्वाड्रिलैटरल, गोल्डन डायग्नल और अन्य बी मार्गों के कुछ हिस्सों को कवर करते हुए 599 किलोमीटर ट्रैक पर खंडीय गति को 130 किमी प्रति घंटे तक बढ़ाया गया है। इसके अलावा, उन्नत ट्रैक मशीनरी के साथ बुनियादी ढांचे के उन्नयन को मिलाकर 4,069 किलोमीटर ट्रैक पर 110 किमी प्रति घंटे की गति प्राप्त की गई है, जिससे तेज, सुरक्षित और अधिक कुशल ट्रेन संचालन सुनिश्चित होता है।

विद्युतीकरण

भारतीय रेलवे के रेलवे नेटवर्क का विद्युतीकरण मिशन मोड में किया जा रहा है। अब तक, ब्रॉड गेज (बीजी) नेटवर्क का लगभग 99.2% विद्युतीकृत हो चुका है। बाकी नेटवर्क में विद्युतीकरण का कार्य जारी है। यह उपलब्धि ब्रिटेन (39%), रूस (52%) और चीन (82%) के विद्युतीकरण स्तरों से कहीं अधिक है। कुल 14 रेलवे जोन और 25 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में अब 100% विद्युतीकरण हो चुका है।

आरओबी/आरयूबी का निर्माण

2025 में, भारतीय रेलवे ने 1,161 रोड ओवर ब्रिज (आरओबी) और रोड अंडर ब्रिज (आरयूबी) का निर्माण पूरा किया, जिससे सुरक्षा और यातायात प्रवाह में सुधार हुआ। भारतीय रेलवे में रोड ओवर ब्रिज (आरओबी) और रोड अंडर ब्रिज (आरयूबी) की स्वीकृति और निर्माण कार्य एक सतत् प्रक्रिया है। पिछले 11 वर्षों में, निर्माण की गति में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और 13,600 से अधिक पुलों का निर्माण पूरा हो चुका है, जो 2004 से 2014 के बीच निर्मित 4,148 पुलों की तुलना में तीन गुना से अधिक है।

इसके साथ ही, मानवयुक्त लेवल क्रॉसिंग (एमएलसी) को हटाकर सुरक्षा को और मजबूत किया जा रहा है और 2025-26 के दौरान (नवंबर तक) 268 एमएलसी हटाए गए हैं। पुनर्निर्माण प्रयासों के माध्यम से रेलवे पुलों की सुरक्षा को और मजबूत किया जा रहा है और इसी अवधि के दौरान 1,799 पुलों की मरम्मत या उन्नयन किया गया है।

एलएचबी कोच निर्माण और आधुनिकीकरण

वित्त वर्ष 2025-26 (नवंबर 2025 तक) में 4,224 से अधिक एलएचबी कोचों का उत्पादन हुआ, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 18% अधिक है। 2014-25 के बीच, उत्पादन 2004-14 की तुलना में 18 गुना बढ़ गया, जिससे यात्राएं अधिक सुरक्षित, सुगम और आरामदायक हो गईं।

भारतीय रेलवे ने पिछले 11 वर्षों में 42,600 से अधिक एलएचबी कोचों का निर्माण करके आधुनिकीकरण में एक बड़ी छलांग लगाई है। एलएचबी कोच उच्च सुरक्षा मानकों, कम रखरखाव लागत और बेहतर परिचालन दक्षता के लिए जाने जाते हैं। रेलवे भविष्य की मांग को पूरा करने के लिए उत्पादन को और बढ़ा रहा है। एलएचबी कोचों के स्वदेशी उत्पादन के माध्यम से, भारतीय रेलवे आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया पहलों को मजबूत कर रहा है।

उत्पादन का विवरण:

आईसीएफ चेन्नई: 1,659 कोच

एमसीएफ रायबरेली: 1,234 कोच

आरसीएफ कपूरथला: 1,331 कोच

महत्वपूर्ण परियोजनाएँ

देश भर में कई महत्वपूर्ण परियोजनाएँ पूरी हुईं या उद्घाटन हुआ, जो इस प्रगति का उदाहरण पेश करती हैं। विशेष रूप से, भारत ने पंबन में अपना पहला वर्टिकल-लिफ्ट रेल पुल खोला, कश्मीर की कनेक्टिविटी को सभी मौसमों के अनुरुप रेल संपर्कों (जिसमें विश्व का सबसे ऊँचा चिनाब पुल भी शामिल है) से मजबूत किया और नई बैराबी-सैरांग लाइन के साथ पूर्वोत्तर में रेल पहुँच का विस्तार किया। साथ ही, रेलवे ने आधुनिक ट्रेन सेवाओं (वंदे भारत, अमृत भारत, नमो भारत) का विस्तार किया और स्टेशनों और माल ढुलाई गलियारों का तेज़ी से पुनर्विकास किया, जो आर्थिक विकास और स्थिरता को बढ़ावा देने में इसकी भूमिका को रेखांकित करता है।

सभी मौसमों में रेल संपर्क: यूएसबीआरएल और कश्मीर पुल

हिमालय से होकर गुजरने वाली 272 किलोमीटर लंबी उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (यूएसबीआरएल) परियोजना 2025 में बनकर तैयार हुई और इसका उद्घाटन किया गया। इसमें 36 प्रमुख सुरंगें और 943 पुल शामिल हैं, जो दुनिया के सबसे चुनौतीपूर्ण भूभागों में से एक में असाधारण इंजीनियरिंग का उदाहरण पेश करते हैं। इस परियोजना में कई प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग उपलब्धियां शामिल हैं, जिनमें विश्व का सबसे ऊंचा रेलवे मेहराबदार पुल 'चेनाब ब्रिज', चेनाब नदी पर बना 1,315 मीटर लंबा स्टील मेहराब (359 मीटर ऊंचा), भारत का पहला केबल-स्टे रेलवे पुल 'अंजी ब्रिज' (नदी से 331 मीटर ऊपर डेक) और भारत की सबसे लंबी परिचालन योग्य रेलवे सुरंग 'टी-50' शामिल हैं। ये तीनों उपलब्धियां मिलकर कश्मीर के लिए एक सर्व-मौसम रेल मार्ग सक्षम बनाती हैं, जिससे यात्रा का समय घंटों कम हो जाता है। अत्याधुनिक सुरक्षा और पर्यावरण उपायों के साथ निर्मित ये पुल और सुरंगें निर्बाध कनेक्टिविटी के लिए दुर्गम भूभागों को पार करने की भारत की क्षमता का प्रतीक हैं। यह परियोजना 95 से अधिक गांवों में संपर्क को मजबूत करती है, साथ ही विश्वसनीय, हर मौसम में चलने वाले परिवहन को सुनिश्चित करती है और रोजगार, पर्यटन, शिक्षा और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में वृद्धि को बढ़ावा देती है।

पूर्वोत्तर रेल संपर्क: बैराबी-सैरांग लाइन

मिजोरम में 51 किलोमीटर लंबी बैराबी-सैरांग ब्रॉड-गेज लाइन का उद्घाटन सितंबर 2025 में हुआ, जिससे आइजोल पहली बार भारत के रेल मानचित्र पर आ गया। ऊबड़-खाबड़ पहाड़ियों से गुजरने वाली इस लाइन में 45 सुरंगें, 55 बड़े पुल और 88 छोटे पुल शामिल हैं। उद्घाटन के दिन प्रधानमंत्री ने इस मार्ग पर तीन नई ट्रेनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया, जिनमें सैरांग-दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस भी शामिल है, जो मिजोरम को दिल्ली, गुवाहाटी और कोलकाता से सीधे जोड़ती है। इस रणनीतिक परियोजना से क्षेत्रीय यात्रा और व्यापार में महत्वपूर्ण बदलाव आने की उम्मीद है, जिससे पूर्वोत्तर के लोगों के लिए बाजारों, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में सुधार होगा।

रणनीतिक समुद्री संपर्क: नया पंबन पुल

6 अप्रैल 2025 को उद्घाटन किया गया नया पंबन पुल भारत का पहला वर्टिकल-लिफ्ट रेलवे समुद्री पुल है। 2.08 किलोमीटर की कुल लंबाई वाला यह पुल रामेश्वरम को भारतीय मुख्य भूमि से जोड़ता है। पाक जलडमरूमध्य के ऊपर 2.08 किलोमीटर तक फैला यह पुल, 110 साल पुराने कैंटिलीवर पुल की जगह लेता है और आधुनिक डिजाइन के साथ विरासत का अद्भुत संगम पेश करता है। इसका 72.5 मीटर लंबा केंद्रीय भाग जहाजों के आवागमन के लिए 17 मीटर तक ऊपर उठाया जा सकता है और इसका डेक पुराने पुल से 3 मीटर ऊंचा है। स्टेनलेस स्टील की मज़बूती, विशेष जंगरोधी कोटिंग और 100 से अधिक वर्षों के डिजाइन जीवन के साथ निर्मित यह पुल रामेश्वरम के लिए महत्वपूर्ण रेल संपर्क को बहाल करता है और क्षेत्रीय संपर्क को बढ़ावा देता है। इसके पूरा होने से न केवल तीर्थयात्रा और पर्यटन में सुगमता आएगी, बल्कि पाक जलडमरूमध्य के पार भविष्य में भारत-श्रीलंका परिवहन संपर्क की संभावनाओं को भी पुनर्जीवित किया गया है।

मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल (एमएएचएसआर) परियोजना

मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल (एमएएचएसआर) परियोजना: भारत सरकार ने दिसंबर 2015 में 508 किलोमीटर लंबी मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल (एमएएचएसआर) परियोजना को मंजूरी दी थी, जिसका कार्य जापान सरकार के तकनीकी और वित्तीय सहयोग से चल रहा है। वर्ष 2025-26 की अवधि के लिए एमएएचएसआर परियोजना की प्रगति इस प्रकार है:-

भौतिक प्रगति: 30 नवंबर 2025 तक कुल भौतिक प्रगति 55.63% प्राप्त की जा चुकी है।

वित्तीय प्रगति: 30 नवंबर 2025 तक 85,801 करोड़ रुपए के व्यय के साथ कुल वित्तीय प्रगति 69.62% प्राप्त की जा चुकी है।

महत्वपूर्ण सिविल इंजीनियरिंग पैमाने: 30 नवंबर 2025 तक कुल 412 किमी नींव, 405 किमी पिलर, 344 किमी गर्डर कास्टिंग और 330 किमी गर्डर लॉन्चिंग का कार्य पूर्ण हो चुका है।

2025 में परियोजनाओं की शुरूआत (वर्तमान स्थिति तक)

वित्त वर्ष 2025-26 में नीतिगत स्वीकृतियाँ वास्तविक परिसंपत्तियों में तब्दील हुईं। माननीय प्रधानमंत्री ने 42 परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित किया, 13 परियोजनाओं का उद्घाटन किया और 21 परियोजनाओं की आधारशिला रखी, जिनका कुल मूल्य 25,000 करोड़ रुपए से अधिक है।

चालू वर्ष के दौरान, निम्नलिखित परियोजनाएँ चालू की गई हैं:

  • विजापुर-अंबलियासन गेज रूपांतरण
  • डोमिंगगढ़-गोरखपुर-गोरखपुर कैंट-कुसुम्ही - तीसरी रनिंग लाइन और गोरखपुर-नकाहा जंगल दोहरीकरण
  • बहराइच-नानपारा-नेपालगंज गेज रूपांतरण
  • कराइकल बंदरगाह के उत्तरी छोर पर संपर्क प्रदान करना, ताकि पीईएम-केआईके एनएल तक सीधी पहुँच हो और आवागमन सुगम हो सके
  • पेद्दापल्ली में बाईपास लाइन का निर्माण, काजीपेट-बल्लारशाह मुख्य लाइन को पेद्दापल्ली-करीमनगर लाइन से जोड़ना
  • हिम्मतनगर-खेड़ब्रह्मा गेज रूपांतरण
  • छपरा जंक्शन के बीच तीसरी लाइन कनेक्टिविटी छपरा कचहरी तक (3.0 किमी)
  • अररिया-गलगालिया (ठाकुरगंज) नई लाइन
  • सोमनाथ स्टेशन पर अतिरिक्त ट्रैक बिछाने का प्रावधान (2.5 किमी)
  • बैराबी-सैरांग नई लाइन
  • टोरी-शिवपुर तीसरी लाइन
  • चूरू-रतनगढ़ का दोहरीकरण
  • देवबंद (मुजफ्फरनगर)-रुड़की नई लाइन
  • यमुना पुल-आगरा किला- यमुना नदी पर एक बड़े पुल के साथ दोहरी लाइन
  • पुणे-मिराज-लोंडा का दोहरीकरण
  • मनमाड-जलगांव तीसरी लाइन

सुरक्षा

भारतीय रेलवे ने सुरक्षा प्रदर्शन में उल्लेखनीय प्रगति हासिल की है। 2004-14 की अवधि के दौरान परिणामी ट्रेन दुर्घटनाओं की संख्या 1711 थी (औसतन 171 प्रति वर्ष), जो 2024-25 में घटकर 31 और 2025-26 (नवंबर 2025 तक) में और घटकर 11 रह गई है। सुरक्षा बजट लगभग तीन गुना बढ़कर वित्त वर्ष 2013-14 में 39,463 करोड़ रुपए से चालू वित्त वर्ष में 1,16,470 करोड़ रुपए हो गया है। कोहरे से सुरक्षा उपकरणों की संख्या 2014 में 90 से बढ़कर 2025 में 25,939 हो गई है। पिछले चार महीनों में ही 21 स्टेशनों पर केंद्रीकृत इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग और ट्रैक सर्किटिंग का कार्य पूरा हो चुका है।

कवच स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली है, जो लोको पायलट को निर्धारित गति सीमा के भीतर ट्रेनों को चलाने में सहायता करती है। यह मानवीय त्रुटि होने पर स्वचालित रूप से ब्रेक लगाती है और प्रतिकूल मौसम की स्थिति में भी सुरक्षित ट्रेन संचालन सुनिश्चित करती है। इस दिशा में, कवच संस्करण 4.0 को 738 किलोमीटर से अधिक मार्गों पर चालू किया जा चुका है। कवच संस्करण 4.0 में किए गए प्रमुख सुधारों में स्थान सटीकता में वृद्धि, बड़े यार्डों में बेहतर सिग्नल पहलू जानकारी, ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी) के माध्यम से स्टेशन-दर-स्टेशन कवच इंटरफेस और मौजूदा इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग प्रणालियों के साथ सीधा इंटरफेस शामिल हैं। इन तकनीकी उन्नयनों के साथ, कवच संस्करण 4.0 को भारतीय रेलवे नेटवर्क में बड़े पैमाने पर लागू करने की योजना है।

इन सुरक्षा उपायों के पूरक के रूप में, भारतीय रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में निगरानी व्यवस्था को भी मजबूत कर रहा है। स्टेशनों और डिब्बों में सीसीटीवी कैमरे लगाने की प्रक्रिया जारी है, और अब तक 1,731 स्टेशनों और 11,953 डिब्बों में सीसीटीवी निगरानी प्रणाली स्थापित की जा चुकी है, ताकि यात्रियों की यात्रा सुरक्षित और सुगम हो सके। ये सीसीटीवी निगरानी प्रणालियां पूंजीगत व्यय के तहत स्थापित की जा रही हैं, जो सुरक्षा और प्रौद्योगिकी के एकीकरण के प्रति भारतीय रेलवे की निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।

पुनर्विकसित स्टेशनों पर यात्रियों का बेहतर अनुभव

अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत यात्री स्टेशनों का बड़े पैमाने पर पुनर्निर्माण किया जा रहा है। इस योजना के अंतर्गत रेलवे स्टेशनों को केवल आवागमन केंद्र के रूप में नहीं, बल्कि शहरी केंद्रों के रूप में नया रूप दिया गया है। अब तक, इस कार्यक्रम के तहत 1,337 स्टेशनों का नवीनीकरण किया जा चुका है, जो विश्व की सबसे बड़ी स्टेशन पुनर्निर्माण पहलों में से एक है। पुनर्विकास कार्य (जो रेल यातायात को बाधित किए बिना किए जा रहे हैं) पूरे देश में जारी हैं, और दिसंबर 2025 तक 155 स्टेशनों का पूर्णतः आधुनिकीकरण हो चुका है। उन्नयन में विस्तारित फुटओवर ब्रिज और कॉनकोर्स, लिफ्ट/एस्केलेटर, बेहतर प्रतीक्षा कक्ष, शौचालय और बैठने की व्यवस्था, मल्टीमॉडल एकीकरण (बस/टैक्सी), स्थानीय कियोस्क ('वन स्टेशन वन प्रोडक्ट'), डिजिटल साइनेज और दिव्यांग यात्रियों के लिए बेहतर सुविधाएं शामिल हैं। ये उन्नत स्टेशन यात्रियों के अनुभव को बेहतर बनाते हैं और रेलवे के ग्राहक सुविधा और शहरी एकीकरण पर केंद्रित दृष्टिकोण को दर्शाते हैं।

सौर ऊर्जा से चलने वाले रेलवे स्टेशन

भारतीय रेलवे ने देशभर में 2,626 रेलवे स्टेशनों को सौर ऊर्जा से संचालित करके स्वच्छ और सतत् ऊर्जा की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। कुल 898 मेगावाट सौर ऊर्जा स्थापित की गई है, जिसमें से लगभग 70% का उपयोग रेल संचालन के लिए किया जा रहा है। इससे ऊर्जा सुरक्षा मजबूत हुई है, बिजली का खर्च कम हुआ है, कार्बन उत्सर्जन घटा है और पर्यावरण के अनुकूल रेल संचालन को बढ़ावा मिला है।

मुफ्त वाई-फाई

भारतीय रेलवे यात्रियों की सुविधा को प्राथमिकता देते हुए 6,117 स्टेशनों पर मुफ्त वाई-फाई सेवा प्रदान करता है।

रेलवन ऐप: यात्रियों के लिए एक ही स्थान पर सभी समाधान

भारतीय रेलवे ने यात्रियों के लिए सेवाओं का एक व्यापक समाधान, रेलवन ऐप लॉन्च किया है, जो एंड्रॉइड और आईओएस प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है।

मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  • अनारक्षित यूटीएस टिकट बुकिंग (आर-वॉलेट के ज़रिए 3% छूट)
  • लाइव ट्रेन ट्रैकिंग
  • शिकायत निवारण
  • ई-कैटरिंग
  • पोर्टर बुकिंग
  • लास्ट-माइल टैक्सी सेवाएं

आधार-प्रमाणित आरक्षण सुधार

व्यवस्था को और अधिक मज़बूत बनाने के लिए उपयोगकर्ताओं का आधार सत्यापन एक ज़रुरी कदम है। वास्तविक यात्रियों को प्राथमिकता देने के लिए, आईआरसीटीसी वेबसाइट या ऐप पर आरक्षण खुलने के पहले 15 मिनट के दौरान केवल आधार-प्रमाणित उपयोगकर्ताओं को ही सामान्य आरक्षित टिकट बुक करने की अनुमति दी गई है। तत्काल टिकट बुक करने की अनुमति भी केवल आधार-सत्यापित उपयोगकर्ताओं को ही है। ई-टिकटिंग सिस्टम का दुरुपयोग करने की कोशिश कर रहे बेईमान उपयोगकर्ताओं की पहचान करने और उन्हें रोकने के लिए अत्याधुनिक तकनीक का भी उपयोग किया जा रहा है। नतीजतन, आईआरसीटीसी के साथ पंजीकृत 5.73 करोड़ संदिग्ध और निष्क्रिय उपयोगकर्ताओं को निष्क्रिय या अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया है। अधिक संदिग्ध उपयोगकर्ताओं को निष्क्रिय करने के लिए निरंतर प्रयास जारी हैं।

प्रमुख रेल सुरक्षा बल (आरपीएफ) अभियान और उपलब्धियां

रेलवे यात्रियों को सुरक्षा और सुविधा प्रदान करने के लिए, आरपीएफ ने यात्रियों के आत्मविश्वास और सुरक्षा की भावना को बढ़ाने हेतु निम्नलिखित पहल की हैं:

  1. आरपीएफ द्वारा यात्रियों को निरंतर सहायता:

वर्ष

ट्विटर पर प्राप्त शिकायतों की संख्या

हेल्पलाइन नंबर 182/139 पर प्राप्त शिकायतों की संख्या

कुल

2025 (नवंबर तक)

54648

321557

376205

 

II. विशिष्ट मुद्दों पर आधारित अभियान

  1. ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते और बच्चों का बचाव:

 

रेलवे सेवाओं द्वारा बचाए गए देखभाल और संरक्षण की ज़रुरत वाले बच्चों का विवरण

वर्ष

आरपीएफ द्वारा बचाए गए बच्चों की संख्या

2025 (नवंबर तक)

17231

 

 

  1. ऑपरेशन "जीवन रक्षा":

 

वर्ष

रेलवे में जीवन बचाना

पुरुष

महिला

कुल

2025 (नवंबर तक)

1894

974

2868

 

iii. ऑपरेशन अमानत और सामान की पुनर्प्राप्ति:

वर्ष

यात्रियों के छूटे हुए सामान की पुनर्प्राप्ति और वापसी के मामलों की संख्या

पुनर्प्राप्त संपत्ति का मूल्य (रुपये में)

2025 (नवंबर तक)

53607

79,85,11,140

 

iv. मातृशक्ति अभियान:

वर्ष

मामलों की संख्या और प्रसव में दी गई सहायता

ट्रेन में

रेलवे परिसर में

कुल

2025 (नवंबर तक)

198

105

303

 

v. महिला सुरक्षा:

महिलाओं के लिए आरक्षित डिब्बे या अन्य स्थान में अवैध रूप से प्रवेश करने वाले यात्रियों के खिलाफ की गई कार्रवाई।

वर्ष

पंजीकृत मामलों की संख्या

गिरफ्तार व्यक्तियों की संख्या

2025 (नवंबर तक)

107606

110940

 

vi. ऑपरेशन "उपलब्ध" और दलालों के खिलाफ कार्रवाई:

वर्ष

पंजीकृत मामलों की संख्या

गिरफ्तार व्यक्तियों की संख्या

जब्त किए गए भविष्य यात्रा टिकटों की संख्या

जब्त किए गए भविष्य यात्रा टिकटों का मूल्य

ब्लॉक किए गए आईआरसीटीसी यूजर आईडी की संख्या

2025 (नवंबर तक)

2449

2690

7974

1,98,92,275

8905

 

vii. ऑपरेशन "सेवा":

वर्ष

उन व्यक्तियों (बुजुर्ग/महिलाएं/दिव्यांगजन/बीमार/घायल/शिशु) की संख्या, जिन्हें आरपीएफ ने यात्रा के दौरान चढ़ने और उतरने में और अन्य सुविधाएं जैसे व्हीलचेयर, स्ट्रेचर, चिकित्सा सहायता, एम्बुलेंस, दवा, शिशु आहार आदि उपलब्ध कराने/उपलब्ध कराने में सहायता की।

2025 (नवंबर तक)

10146

 

viii. ऑपरेशन एएएचटी और मानव तस्करी:

 

वर्ष

आरपीएफ द्वारा बचाए गए तस्करी पीड़ितों की संख्या

आरपीएफ द्वारा गिरफ्तार तस्करों की संख्या

किशोर

वयस्क

कुल

लड़के

लड़कियाँ

पुरुष

महिला

2025 (नवंबर तक)

783

88

14

93

978

292

 

ix. ऑपरेशन "नारकोस":

वर्ष

पता चले मामलों की संख्या

बरामद एनडीपीएस का मूल्य

गिरफ्तार व्यक्तियों की संख्या

2025 (नवंबर तक)

1980

2,08,52,03,671

1601

 

x. ऑपरेशन "वाइलेप":

वर्ष

पता चले मामलों की संख्या

गिरफ्तार व्यक्तियों की संख्या

जीव-जंतु

वनस्पति

2025 (नवंबर तक)

43

19

44

 

xi. ऑपरेशन "सतर्क":

वर्ष

तंबाकू उत्पाद

शराब उत्पाद

पता चले मामले

मूल्य

गिरफ्तार व्यक्ति

पता चले मामले

मूल्य

गिरफ्तार व्यक्ति

2025 (नवंबर तक)

140

8,25,05,340

97

4044

6,01,64,423

3356

 

आर्थिक गलियारे

रेल नेटवर्क में क्षमता, दक्षता और स्थिरता बढ़ाने के लिए भारतीय रेलवे कई परिवर्तनकारी अवसंरचनात्मक पहल कर रहा है। प्रमुख फोकस क्षेत्रों में पारंपरिक नेटवर्क पर भीड़ कम करने के लिए समर्पित माल ढुलाई गलियारों का निर्माण और सार्वजनिक निवेश को पूरक बनाने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल को बढ़ावा देना शामिल है। निम्नलिखित अनुभाग इन प्रमुख पहलों की प्रगति और स्थिति का विवरण देते हैं।

तीन प्रमुख आर्थिक गलियारे

तीन आर्थिक गलियारों के तहत 11.17 लाख करोड़ रुपये की लागत से 434 परियोजनाओं की पहचान की गई है।

ऊर्जा, खनिज और सीमेंट गलियारा: 192 परियोजनाएं

उच्च यातायात घनत्व वाले मार्ग: 200 परियोजनाएं

बंदरगाह संपर्क: 42 परियोजनाएं

सभी 434 परियोजनाओं को पीएम गतिशक्ति पोर्टल पर मैप किया गया है। इनमें से वर्तमान में 12,133 किलोमीटर ट्रैक लंबाई वाली 121 परियोजनाएं, जिनकी लागत 2,02,551 करोड़ रुपये है, स्वीकृत हो चुकी हैं, और 16,910 किलोमीटर ट्रैक लंबाई वाली 162 परियोजनाएं, जिनकी अनुमानित लागत 3,30,545 करोड़ रुपये है, मूल्यांकन/अंतर-मंत्रालयी परामर्श के विभिन्न चरणों में हैं।

कॉरिडोर-आधारित कार्यक्रम का मकसद लॉजिस्टिक दक्षता में सुधार करना और लॉजिस्टिक लागत को कम करना है।

समर्पित माल ढुलाई कॉरिडोर (डीएफसी) परियोजना:

समर्पित माल ढुलाई कॉरिडोर एक मेगा रेलवे अवसंरचना परियोजना है। दो समर्पित माल ढुलाई कॉरिडोर (डीएफसी) हैं, जिनमें शामिल हैं, लुधियाना से सोननगर (1337 किमी) तक पूर्वी समर्पित माल ढुलाई गलियारा (ईडीएफसी) और जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह टर्मिनल (जेएनपीटी) से दादरी (1506 किमी) तक पश्चिमी समर्पित माल ढुलाई गलियारा (डब्ल्यूडीएफसी) चालू और कार्यरत हो चुके हैं (102 किमी वैतरणा-जेएनपीटी मुंबई खंड को छोड़कर, जो प्रगति पर है)।

डीएफसी ने मालगाड़ियों को ईडीएफसी और डब्ल्यूडीएफसी की ओर मोड़कर पारंपरिक नेटवर्क पर अतिरिक्त मार्ग बनाने में योगदान दिया है। नवंबर 2025 में औसतन प्रतिदिन 403 ट्रेनें चलाई गईं। इसके नतीजतन, रेलवे अपने नेटवर्क पर अतिरिक्त माल और कोच सेवाएं बेहतर समयबद्धता के साथ चलाने में सक्षम हुआ है।

चालू किए गए खंडों में ट्रेन संचालन निम्न प्रकार से चल रहा है:

कॉरिडोर

चलाई गईं ट्रेनों की संख्या

एनटीकेएम (मिलियन)

जीटीकेएम (मिलियन)

अक्टूबर 2025

संचयी (वित्तीय वर्ष 2025-2026)

अक्टूबर 2025

संचयी (वित्तीय वर्ष 2025-2026)

अक्टूबर 2025

संचयी (वित्तीय वर्ष 2025-2026) 25-26)

ईडीएफसी

5960

44,094

5,363

41,974

9,855

75,262

डब्ल्यूडीएफसी

5979

38,624

3,260

22,138

6,217

40,480

कुल

11,939

82,718

8,623

64,111

16,072

1,15,743

 

वर्ष के दौरान माल ढुलाई के रिकॉर्ड प्रदर्शन और लक्षित नीतिगत हस्तक्षेपों से मिली गति का असर सभी क्षेत्रों में जमीनी स्तर पर लॉजिस्टिक्स के ठोस परिणामों के रूप में सामने आया है। वित्त वर्ष 2025-26 में, भारतीय रेलवे ने 1 अरब टन माल ढुलाई का ऐतिहासिक मील का पत्थर हासिल किया, जिसमें दैनिक लोडिंग 44 लाख टन तक पहुंच गई। यह वृद्धि कोयला, लौह अयस्क, सीमेंट और कंटेनर यातायात की मजबूत मांग के कारण हुई।

इस वृद्धि को संरचनात्मक सुधारों और क्षमता वृद्धि का समर्थन मिला है, जिसमें थोक सीमेंट परिवहन के लिए 0.90 रुपए प्रति टन प्रति किलोमीटर की सरलीकृत फ्लैट दर लागू करना शामिल है। इससे लागत का पूर्वानुमान बेहतर हुआ है और रेल परिवहन को बढ़ावा मिला है। साथ ही, चालू वर्ष के दौरान 25 गति शक्ति कार्गो टर्मिनलों के चालू होने से प्रथम और अंतिम मील कनेक्टिविटी मजबूत हुई है, टर्मिनल की दक्षता बढ़ी है और माल ढुलाई का पारगमन समय कम हुआ है।

वैगन उत्पादन:

भारतीय रेलवे में नए वैगनों की अधिकतम संख्या शामिल करके माल ढुलाई से होने वाली आय को बढ़ाने के मकसद से, 2029-30 तक 3000 मीट्रिक टन लोडिंग के लक्ष्य को पूरा करने के लिए, पिछले तीन वर्षों में वैगन उत्पादन को बढ़ाया गया। इसी को ध्यान में रखते हुए, वैगनों के उत्पादन को और मज़बूत किया गया, जिसके परिणामस्वरूप जनवरी, फरवरी और मार्च 2025 में क्रमशः 3651, 3880 और 4135 वैगनों का उत्पादन हुआ। इसके नतीजतन वित्त वर्ष 2024-25 में वैगनों का अधिकतम उत्पादन यानी 41,929 वैगन (पिछले तीन वर्षों में सबसे अधिक) हुआ।

चालू कैलेंडर वर्ष (जनवरी 2025 से नवंबर 2025) के दौरान वैगनों का उत्पादन 33,703 रहा, जिससे वैगनों की आपूर्ति में निरंतर सुधार देखा गया।

इन सभी विकासों के चलते भारतीय रेलवे न केवल अधिक माल ढुलाई को कुशलतापूर्वक संभालने में सक्षम हुआ है, बल्कि विशेष रूप से दूरस्थ और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में क्षेत्र-विशिष्ट, अपनी तरह की पहली माल ढुलाई सेवाएं भी शुरू कर पाया है। निम्नलिखित उदाहरण दर्शाते हैं कि कैसे बढ़ी हुई माल ढुलाई क्षमता, किराया युक्तिकरण और बुनियादी ढांचे के विस्तार का लाभ उठाकर वर्ष के दौरान महत्वपूर्ण लॉजिस्टिक्स समाधान प्रदान किए गए हैं।

अनंतनाग के लिए पहली खाद्यान्न मालगाड़ी

कश्मीर घाटी के इतिहास में पहली बार, एक खाद्यान्न मालगाड़ी अनंतनाग माल टर्मिनल पहुंची। यह ट्रेन पंजाब के अजीत वाल रेलवे स्टेशन से रवाना हुई थी, जिसमें लगभग 1,384 टन खाद्यान्न था। यह जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग रेलवे स्टेशन के लिए रेल द्वारा खाद्यान्न की पहली थोक आपूर्ति थी।

इस विकास से घाटी औपचारिक रूप से राष्ट्रीय माल ढुलाई रेल नेटवर्क से जुड़ गई है, जिससे खाद्य आपूर्ति प्रणाली मजबूत हुई है, परिवहन का समय और लागत कम हुई है और क्षेत्रीय रसद क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

पूर्वोत्तर में रेल द्वारा सीमेंट परिवहन

बैराबी-सैरांग लाइन पर माल ढुलाई परिचालन इसके उद्घाटन के तुरंत बाद शुरू हो गया। 14 सितंबर 2025 को पहली माल ढुलाई में असम से आइजोल तक 21 सीमेंट वैगन ले जाए गए। तब से, इस मार्ग पर सीमेंट, निर्माण सामग्री, वाहन, रेत और पत्थर के टुकड़े जैसी आवश्यक वस्तुओं का परिवहन किया जा रहा है, जिससे क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास और बाजार तक पहुंच को बढ़ावा मिल रहा है।

रेल द्वारा मिजोरम को कारों की आपूर्ति

पहली बार, रेल द्वारा मिजोरम को कारों की आपूर्ति की गई है, जो एक ऐतिहासिक लॉजिस्टिक्स उपलब्धि है। गुवाहाटी के पास चांगसारी से 119 मारुति कारों से भरी एक रेलगाड़ी आइजोल के पास सैरांग रेलवे स्टेशन पहुंची।

इस विकास से आइजोल और आसपास के क्षेत्रों में वाहनों की उपलब्धता बढ़ने, लंबी दूरी के सड़क परिवहन पर निर्भरता कम होने और डीलरों, सेवा प्रदाताओं और उपभोक्ताओं को लाभ होने की उम्मीद है।

एकीकृत लॉजिस्टिक्स हब और नई माल ढुलाई सेवाएं

भारतीय रेलवे ने एकीकृत लॉजिस्टिक्स को मजबूत करने के लिए नई डोर-टू-डोर माल ढुलाई और पार्सल सेवाएं भी शुरू की हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • दिल्ली और कोलकाता के बीच सुनिश्चित ट्रांजिट कंटेनर रेल सेवा
  • मुंबई-कोलकाता मार्ग पर डोर-टू-डोर पार्सल सेवा

भारतीय रेलवे में पीपीपी:

तेजी से विकसित हो रही अर्थव्यवस्था में, आर्थिक और पर्यावरणीय दोनों लक्ष्यों को पूरा करने के लिए रेलवे की भूमिका बेहद अहम है। पिछले कुछ वर्षों में, सकल बजटीय सहायता (जीबीएस) के माध्यम से नेटवर्क विस्तार के लिए अधिक धनराशि उपलब्ध कराई गई है। लेकिन यह अकेले आर्थिक विस्तार की गति के लिए काफी नहीं है। इसके लिए सरकार और निजी क्षेत्र दोनों के निवेश की ज़रुरत है। रेलवे में पीपीपी परियोजनाएं वर्तमान में 2012 की पीपीपी नीति के तहत कार्यान्वित की जा रही हैं। अब तक, पीपीपी मॉडल के माध्यम से 16,686 करोड़ रुपए की 18 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। कोयला कनेक्टिविटी और बंदरगाह कनेक्टिविटी परियोजनाओं सहित 16,362 करोड़ रुपए की 7 परियोजनाओं का कार्यान्वयन जारी है। इस नीति को आकर्षक बनाने के लिए पीपीपी मॉडल का पुनर्गठन और संशोधन किया जा रहा है।

मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत पीपीपी-आधारित लोकोमोटिव निर्माण

1 जनवरी से 30 नवंबर 2025 के बीच, भारतीय रेलवे ने 1,542 इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव का उत्पादन किया। लोकोमोटिव निर्माण में आत्मनिर्भरता बढ़ाने और ढुलाई क्षमता को बढ़ाने के लिए, भारतीय रेलवे ने देश में अत्याधुनिक लोकोमोटिव निर्माण इकाइयाँ स्थापित करने के लिए उन्नत सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल अपनाए हैं। ये पहल 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम का समर्थन करती हैं, स्वदेशी आपूर्ति श्रृंखलाओं को बढ़ावा देती हैं और दीर्घकालिक रखरखाव विश्वसनीयता तय करती हैं। प्रमुख लोकोमोटिव निर्माण परियोजनाओं की स्थिति नीचे दी गई है।

मधेपुरा इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव फैक्ट्री

भारतीय रेलवे ने बिहार के मधेपुरा कारखाने से पीपीपी मॉडल के तहत 576 उच्च क्षमता वाले 12,000 एचपी इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव की आपूर्ति की है, जिनमें अप्रैल-नवंबर 2025 के दौरान वितरित किए गए 76 लोकोमोटिव शामिल हैं। एल्सटॉम ट्रांसपोर्ट इंडिया लिमिटेड के साथ साझेदारी में स्थापित यह सुविधा 11 वर्षों में 800 लोकोमोटिव का निर्माण कर रही है, जिसमें 90% से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है, जिससे मेक इन इंडिया को मजबूती मिल रही है और माल ढुलाई क्षमता में वृद्धि हो रही है।

मरहोरा डीजल लोकोमोटिव कारखाना

बिहार के मरहोरा स्थित डीजल लोकोमोटिव कारखाने ने वैबटेक लोकोमोटिव प्राइवेट लिमिटेड के साथ पीपीपी समझौते के तहत अब तक 773 लोकोमोटिव (4,500 एचपी के 569 और 6,000 एचपी के 204) वितरित किए हैं, जिनमें वित्त वर्ष 2025-26 (नवंबर तक) में आपूर्ति की गई 73 इकाइयां शामिल हैं। लगभग 65% पुर्जे भारत में ही निर्मित किए गए हैं। निर्यात के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में, कारखाने ने अफ्रीका के गिनी को 150 लोकोमोटिव के लिए 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर के निर्यात ऑर्डर प्राप्त किए हैं, जिनमें से 14 लोकोमोटिव पहले ही भेजे जा चुके हैं, जो वैश्विक रेल बाजार में भारत की बढ़ती उपस्थिति को दर्शाता है।

दाहोद इलेक्ट्रिक मालगाड़ी लोकोमोटिव संयंत्र

गुजरात में सीमेंस लिमिटेड के सहयोग से स्थापित दाहोद लोकोमोटिव विनिर्माण संयंत्र, एक दीर्घकालिक विनिर्माण और रखरखाव समझौते के तहत 9,000 एचपी क्षमता वाले 1,200 इलेक्ट्रिक मालगाड़ी लोकोमोटिव का उत्पादन करेगा। मई 2025 में राष्ट्र को समर्पित इस संयंत्र ने आरडीएसओ परीक्षण और वैधानिक सुरक्षा निरीक्षण पूरे कर लिए हैं, जिससे लगभग 90% स्वदेशी घटकों वाले उच्च-शक्ति इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव के बड़े पैमाने पर उपयोग का मार्ग प्रशस्त हो गया है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इस संयंत्र से पहले नए डी9 श्रृंखला के 9,000 एचपी क्षमता वाले इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

एआई और प्रौद्योगिकी के नेतृत्व में सिग्नलिंग और दूरसंचार

भारतीय रेलवे परिचालन सुरक्षा बढ़ाने, संचार की विश्वसनीयता सुधारने और यात्री सूचना प्रणालियों को मजबूत करने के लिए उन्नत दूरसंचार और डिजिटल प्रौद्योगिकियों का लाभ उठा रहा है। इस क्षेत्र में प्रमुख पहलों में एआई-सक्षम घुसपैठ का पता लगाना, नेटवर्क-व्यापी वीडियो निगरानी, ​​डिजिटल रेडियो संचार, ऑप्टिकल फाइबर विस्तार और आधुनिक यात्री मार्गदर्शन प्रणाली शामिल हैं। प्रमुख विकासों का विवरण नीचे दिया गया है।

  1. घुसपैठ का पता लगाने की प्रणाली: भारतीय रेलवे ने रेलवे ट्रैक पर हाथियों और अन्य जंगली जानवरों की मौजूदगी का पता लगाने के लिए डिस्ट्रीब्यूटेड एकॉस्टिक सेंसिंग (डीएएस) तकनीक पर आधारित एक एआई-सक्षम समाधान विकसित किया है। यह प्रणाली ऐसे जानवरों की आवाजाही के बारे में अग्रिम चेतावनी प्रदान करती है, जिससे समय पर निवारक कार्रवाई करने और लोको पायलटों, स्टेशन मास्टरों और नियंत्रण कक्षों को चेतावनी भेजने में मदद मिलती है, जिससे दुर्घटनाओं का जोखिम कम होता है। वर्तमान में, यह प्रणाली पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के 141 किलोमीटर क्षेत्र में कार्यरत है।
  2. वीडियो निगरानी प्रणाली: भारतीय रेलवे ने अपने पूरे रेलवे नेटवर्क के 1731 रेलवे स्टेशनों पर वीडियो निगरानी प्रणाली (वीएसएस) स्थापित की है। यह प्रणाली, स्वचालित घटना पहचान (जैसे घुसपैठ का पता लगाना, अनावश्यक गतिविधियों का पता लगाना) के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित वीडियो विश्लेषण (वीए) और वास्तविक समय में पहचान और निगरानी के लिए चेहरे की पहचान सॉफ्टवेयर (एफआरएस) से सुसज्जित है।
  3. भारतीय रेलवे में डिजिटल वीएचएफ सेटों का उपयोग: लोको पायलट और गार्ड के बीच संचार सुरक्षा की दृष्टि से बेहद ज़रुरी है। यह संचार विश्वसनीय और स्पष्ट होना चाहिए। डिजिटल तकनीक आधारित वीएचएफ सेटों के लाभों को प्राप्त करने के लिए, रेलवे बोर्ड ने यह मंजूरी दी है कि भारतीय रेलवे में केवल डिजिटल 5W वॉकी-टॉकी सेट ही खरीदे जाएंगे।
  4. सुरंग संचार प्रणाली: सुरंग के अंदर से मुख्यालय और संचालन नियंत्रण केंद्रों तक निर्बाध रेडियो संचार सुनिश्चित करने के लिए, यूएसबीआरएल परियोजना सहित विभिन्न रेलवे में सुरंग संचार प्रणाली उपलब्ध कराने की परियोजना शुरू की गई है।
  5. ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी): भारतीय रेलवे ने अक्टूबर 2025 तक 619 किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाई है। इसके साथ ही, कुल मिलाकर लगभग 67233 किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर केबल का नेटवर्क बन चुका है।
  6. कोच मार्गदर्शन प्रणाली: कोच मार्गदर्शन प्रणाली (सीजीएस) प्लेटफॉर्म पर निर्धारित ट्रेन के कोच की स्थिति दर्शाती है। यह प्रणाली यात्रियों को अपने कोच को जल्दी और आसानी से ढूंढने में मदद करके उनकी सुविधा को काफी बढ़ाती है। अब तक 1064 स्टेशनों पर कोच मार्गदर्शन प्रणाली स्थापित की जा चुकी है।
  7. ट्रेन संकेत बोर्ड: ट्रेन संकेत बोर्ड ट्रेनों के आगमन/प्रस्थान का समय, ट्रेन संख्या, नाम, आगमन/प्रस्थान का समय और प्लेटफॉर्म संख्या प्रदर्शित करता है। अब तक 1449 स्टेशनों पर ट्रेन संकेत बोर्ड स्थापित किए जा चुके हैं।

भर्ती

भारतीय रेलवे के आकार, भौगोलिक वितरण और संचालन की गंभीरता को देखते हुए, रिक्तियों का उत्पन्न होना और उन्हें भरना एक सतत् प्रक्रिया है। नियमित संचालन, प्रौद्योगिकी में परिवर्तन, मशीनीकरण और नवोन्मेषी प्रक्रियाओं के अनुरूप पर्याप्त और उपयुक्त जनशक्ति उपलब्ध कराई जाती है। परिचालन और तकनीकी आवश्यकताओं के अनुसार रेलवे द्वारा भर्ती एजेंसियों को अनुरोध भेजकर रिक्तियों को भरा जाता है। वार्षिक कैलेंडर 2024 और 2025 के अनुसार, भारतीय रेलवे में क्षेत्रीय रेलवे और उत्पादन इकाइयों सहित 1,20,579 रिक्तियों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई है।

रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) में भर्ती प्रक्रिया लगातार जारी है, जिसमें उप-निरीक्षक (कार्यकारी) के 452 पदों की भर्ती प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, जबकि कांस्टेबल के 4,208 पदों की भर्ती वर्तमान में जारी है।

भर्ती डेटा

खेलकूद

भारतीय रेलवे ने भारत की खेल प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने में लंबे समय से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसके चलते खिलाड़ियों ने विभिन्न विधाओं में देश का नाम रोशन किया है। उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों को मान्यता और पुरस्कार देते हुए, रेलवे ने इस वर्ष प्रतिका रावल, स्नेह राणा और रेणुका सिंह ठाकुर को ग्रुप 'बी' श्रेणी के अधिकारी पद (खेल) पर पदोन्नति दी है। यह पदोन्नति उन्हें आईसीसी महिला विश्व कप 2025 में भारत की विजयी टीम के लिए उनके असाधारण प्रदर्शन के बावत प्रदान की गई है।

परिवर्तन का वर्ष, आश्वासन का भविष्य: भारतीय रेलवे का 2026 के लिए संदेश

2025 के समाप्ति के अवसर पर, भारतीय रेलवे देशवासियों को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं देता है और निरंतर प्रगति तथा सार्थक बदलावों के इस वर्ष पर गर्व व्यक्त करता है। स्टेशन पुनर्निर्माण, सुदृढ़ सुरक्षा प्रणाली, डिजिटल एवं सतत् प्रौद्योगिकियों को व्यापक रूप से अपनाना तथा माल ढुलाई गलियारों का निरंतर विकास, इन सभी अहम उपलब्धियों ने भारतीय रेलवे को राष्ट्रीय विकास के एक प्रमुख चालक के रूप में स्थापित किया है। इन प्रयासों ने एक ऐसे रेल नेटवर्क की मजबूत नींव रखी है, जो भविष्य के लिए तैयार है तथा तेज, सुरक्षित, पर्यावरण के अनुकूल और अधिक समावेशी है।

नए आत्मविश्वास और प्रतिबद्धता के साथ 2026 का स्वागत करते हुए, भारतीय रेलवे राष्ट्र से किए अपने वादे को दोहराता है कि वह पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ रेल सेवाएं प्रदान करेगा। स्पष्ट दृष्टिकोण और निरंतर निवेश के साथ, भारतीय रेलवे लोगों को जोड़ने, क्षेत्रों को सशक्त बनाने, बुनियादी ढांचे को मजबूत करने, सुरक्षा बढ़ाने, प्रौद्योगिकी को उन्नत करने और यात्रियों के समग्र अनुभव को बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है,  इसके साथ ही वह विश्वसनीयता और उत्कृष्टता के साथ राष्ट्र को आगे बढ़ाने का प्रयास भी लगातार जारी रखेगा।

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पीके/केसी/एनएस


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