संस्‍कृति मंत्रालय
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वर्षांत समीक्षा – 2025 : संस्कृति मंत्रालय


तमिलनाडु और काशी के सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंधों का कीर्तिगान करते हुए काशी तमिल संगमम 3.0 का आयोजन

भारत गर्व सहित राष्ट्रीय गीत “वंदे मातरम” के 150 वर्ष  पूरे होने का उत्‍सव मना रहा है

मंत्रालय ने गणतंत्र दिवस परेड 2025 में भारत की समृद्ध जनजातीय और सांस्कृतिक विरासत प्रदर्शित की

कलाग्राम: महाकुंभ 2025 का सांस्कृतिक रत्न

भारत ने गौड़ीय मिशन के संस्थापक श्रील प्रभुपाद के 150वें आविर्भाव दिवस का स्‍मरणोत्‍सव मनाया

तमिलनाडु में कंभ रामायण महोत्सव के शुभारंभ के साथ कंभ रामायण परंपरा फिर से शुरु

संस्‍कृति मंत्रालय ने मध्यप्रदेश सरकार के सहयोग से भोपाल में लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती मनाई

संस्‍कृति मंत्रालय ने 25 जून, 2025 को ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाया

चोल सम्राट राजेंद्र चोल प्रथम की जयंती के अवसर पर मंत्रालय ने तमिलनाडु में आदि तिरुवादिरै उत्सव का आयोजन किया

भारत के मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में देश की 44वीं प्रविष्टि के रूप में शामिल

भारत ने तिरंगे के प्रति भावनात्मक जुड़ाव को और प्रगाढ़ करते हुए हर घर तिरंगा 2025 मनाया

संस्‍कृति मंत्रालय ने भारत की प्राचीन पांडुलिपि धरोहर के संरक्षण, डिजिटलीकरण और प्रसार के प्रति समर्पित ‘ज्ञान भारतम’ नामक राष्ट्रव्यापी पहल शुरू की

प्रविष्टि तिथि: 10 DEC 2025 2:21PM by PIB Delhi

वर्ष 2025 के दौरान संस्कृति मंत्रालय की मुख्य पहल और उपलब्धियां निम्‍नलिखित हैं:

तमिलनाडु और काशी के सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंधों का कीर्तिगान करते हुए काशी तमिल संगमम 3.0 का आयोजन वाराणसी में 15 से 24 फरवरी 2025 तक किया गया। 869 से ज़्यादा कलाकारों और 190 स्‍थानीय लोक और शास्‍त्रीय समूहों की प्रस्‍तुतियों के साथ, केटीएस 3.0 में लगभग 2 लाख लोगों ने भाग लिया, जिससे सांस्कृतिक और बौद्धिक रिश्ते मज़बूत हुए तथा एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना को बढ़ावा मिला।

संस्कृति मंत्रालय ने 7 नवंबर 2025 को नई दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में राष्ट्रीय गीत “वंदे मातरम” के 150 साल पूरे होने के उत्‍सव के उद्घाटन समारोह का आयोजन किया। माननीय प्रधानमंत्री ने मुख्‍य अतिथि के तौर पर इस अवसर की शोभा बढ़ाई। यह कार्यक्रम समूचे देश में 7 नवंबर 2025 से 7 नवंबर 2026 तक एक साल तक चलने वाले कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत रहा, जिसके तहत भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को प्रेरित करने वाली और आज भी राष्ट्रीय गौरव और एकता की भावना को जागृत करने वाली इस सदाबहार रचना के 150 साल पूरे होने का उत्‍सव मनाया जाएगा। मंत्रालय ने वेबसाइट https://vandemataram150.in/ पर एक खास मुहिम शुरु की है, जिसमें 1.60+ करोड़ भारतीय पहले ही वंदे मातरम का अपना गान रिकॉर्ड कर चुके हैं।

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सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन राष्ट्रीय गीत “वंदे मातरम” के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय गीत प्रस्‍तुतिकरण कार्यक्रम में भाग लेते हुए

 

गणतंत्र दिवस परेड 2025 में संस्कृति मंत्रालय द्वारा भव्‍य सांस्कृतिक प्रस्‍तुति 'जयति जय मम भारतम' (जेजेएमबी) पेश की गई, जिसमें भारत की समृद्ध जनजातीय और लोक विरासत का शानदार प्रदर्शन किया गया। 5,000 से अधिक कलाकारों ने ‘विकसित भारत’, ‘विरासत भी विकास भी’, ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ जैसी थीम को अंगीकार करते हुए युवा शक्ति, कलात्मक विरासत और महिला सशक्तिकरण को दर्शाने वाले 50 से अधिक लोक और जनजातीय नृत्य रूपों का प्रदर्शन किया। गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में ‘सबसे बड़े भारतीय लोक विविधता नृत्य’ के रूप में दर्ज इस प्रस्‍तुति ने भारत की अनेकता में एकता की भावना को शानदार वेशभूषा और सिंक्रोनाइज़्ड कोरियोग्राफी के ज़रिए दिखाया।

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गणतंत्र दिवस परेड 2025 में संस्कृति मंत्रालय द्वारा भव्‍य सांस्कृतिक प्रस्‍तुति 'जयति जय मम भारतम पेश की गई, जिसमें भारत की समृद्ध जनजातीय और लोक विरासत का प्रदर्शन किया गया

संस्कृति मंत्रालय ने प्रयागराज में महाकुंभ, सेक्टर-7 में 10.24 एकड़ क्षेत्र में (13 जनवरी से 26 फरवरी, 2025 तक) कलाग्राम स्थापित किया, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु भाग ले रहे थे। केंद्रीय संस्कृति मंत्री ने 12.01.2025 को कलाग्राम का उद्घाटन किया। कलाग्राम ने देश भर के लगभग 15,000 प्रतिभागी कलाकारों और कारीगरों को 45 से अधिक दिनों तक नृत्य, संगीत, व्यंजन, कला और शिल्प आदि से संबंधित  भारत की विविध परंपराओं के प्रदर्शन का प्रभावी मंच प्रदान किया। इसने केवल आगंतुकों को ही इस आयोजन को देखने और इसमें सक्रिय भाग लेने का अनूठा अवसर प्रदान नहीं किया, बल्कि महाकुंभ में आने वाले लोगों को आर्थिक और सतत विकास को बढ़ावा देते हुए सामुदायिक संबंधों को मजबूत करने का भी अवसर प्रदान किया। इसके अलावा, इसने  हमारी 'अनेकता में एकता' की सुंदरता को सामने रखते हुए और "एक भारत श्रेष्ठ भारत" को संजोकर विभिन्न समुदायों के बीच सांस्कृतिक परंपराओं और प्रथाओं की सराहना के लिए अनुकूल वातावरण का भी निर्माण किया। महाकुंभ लोगो, 2025 की प्रोजेक्शन मैपिंग: केंद्र द्वारा संरक्षित विभिन्‍न स्मारकों पर महाकुंभ का लोगो प्रस्‍तुत किया गया।

इस कलाग्राम की कुछ प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार रहीं:

  • प्रवेश द्वार : 635 फुट चौड़े, 54 फुट ऊंचे प्रवेश द्वार ने कला और अध्‍यात्‍म के संगम -12 ज्योतिर्लिंगों और भगवान शिव के हलाहल पान की कथा को दर्शाया।
  •  अनुभूत मंडपम: स्‍वर्ग से धरती पर गंगा के अवतरण का 360o इमर्सिव अनुभव  
  • अविरल शाश्वत कुंभ: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) और भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार (एनएआई) और इंदिरा गाँधी राष्‍ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए)  द्वारा डिजिटल प्रस्तुति
  • फूड ज़ोन : प्रयागराज के स्थानीय व्यंजनों के अलावा सभी क्षेत्रीय सांस्‍कृतिक केंद्रों के सात्विक व्‍यंजन
  • संस्कृति आंगन: सात क्षेत्रीय संस्कृति केंद्रों के आंगनों में पारंपरिक भारतीय हस्‍तशिल्‍प और हथकरघा उत्‍पादों का प्रदर्शन और बिक्री

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संस्कृति मंत्रालय ने प्रयागराज के सेक्टर-7 में 10.24 एकड़ एकड़ क्षेत्र में महाकुंभ कलाग्राम स्‍थापित किया

गौड़ीय मिशन के संस्‍थापक श्रील प्रभुपाद के 150वें आविर्भाव दिवस के स्‍मरणोत्‍सव का समापन समारोह 28 फरवरी, 2025 को पश्चिम बंगाल के कोलकाता की साइंस सिटी में आयोजित किया गया। माननीय उपराष्‍ट्रपति इस समापन समारोह में मुख्‍य अतिथि रहे। इस कार्यक्रम में श्रील प्रभुपाद के जीवन पर एक प्रदर्शनी आयोजित की गई, जिसमें उनके जीवन से जुड़ी वस्‍तुएँ और कलाकृतियाँ प्रदर्शित की गईं।

एक अन्‍य महत्‍वपूर्ण घटनाक्रम, केंद्रीय संस्कृति मंत्री द्वारा 18 मार्च, 2025 को श्रीरंगम मंदिर में कंभ रामायण उत्‍सव का उद्घाटन कर तमिलनाडु में कंभ रामायण की परंपरा को फिर से शुरू किया जाना रहा। इसके बाद 20 मंदिरों में कंभ रामायण की प्रस्‍तुति हुई, जिसका समापन 6 अप्रैल, 2025 को राम नवमी के दिन कंबन मेदु में ग्रैंड फिनाले के साथ हुआ। एक महीने का यह उत्‍सव अब हर साल मार्च में तिरुचिरापल्ली के श्रीरंगम मंदिर से शुरू होकर हर साल अप्रैल में कंबन मेदु में राम नवमी के उत्‍सव और प्रस्‍तुति के साथ सम्‍पन्‍न होगा।

 

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तमिलनाडु के श्रीरंगम मंदिर में कंभ रामायण उत्‍सव का उद्घाटन समारोह

 

संस्कृति मंत्रालय ने 31 मई, 2025 को मध्य प्रदेश सरकार के साथ मिलकर भोपाल के जंबूरी मैदान में लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती भव्‍य रूप से मनाई। इस अवसर पर माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र  मोदी ने लोकमाता देवी अहिल्याबाई महिला सशक्तिकरण महासम्मेलन को संबोधित किया और अहिल्याबाई की अमिट विरासत के प्रति सम्‍मान व्‍यक्‍त किया। प्रधानमंत्री ने उनके सम्मान में एक स्‍मारक  डाक टिकट और एक विशेष सिक्का भी जारी किया। इस उत्‍सव के तहत, माननीय प्रधानमंत्री ने विख्‍यात कलाकार डॉ. जयमती कश्यप को जनजातीय, लोक और पारंपरिक कलाओं में उनके योगदान के लिए देवी अहिल्याबाई अवॉर्ड से सम्‍मानित किया। अपनी इस यात्रा के दौरान माननीय प्रधानमंत्री ने संस्कृति मंत्रालय द्वारा अहिल्याबाई होल्कर के जीवन और विरासत पर खास तौर पर आयोजित की गई एक प्रदर्शनी का भी अवलोकन  किया, और भारत की सांस्‍कृतिक विरासत को आकार देने में उनकी शानदार भूमिका को दर्शाने वाली एक लघु फिल्म देखी।

1975 में भारत में आपातकाल लागू होने के 50 साल पूरे होने पर संस्कृति मंत्रालय ने दिल्ली सरकार के साथ मिलकर 25 जून, 2025 को नई दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम में ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाया। यह दिन यह दिन लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा के महत्व की याद दिलाता है।

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संस्कृति मंत्रालय ने दिल्ली सरकार के साथ मिलकर 25 जून, 2025 को नई दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम में ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाया

 

मंत्रालय ने चोल सम्राट राजेंद्र चोल प्रथम की जयंती के अवसर पर तमिलनाडु के गंगईकोंडा चोलपुरम में 23 से 27 जुलाई 2025 तक आदि तिरुवधिरई उत्सव का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में चोल के समुद्री अभियान की 1,000वीं सालगिरह भी मनाई गई, जो भारतीय नौसेना के इतिहास का एक उल्‍लेखनीय पड़ाव है। यह उत्सव तमिल आध्यात्मिक परंपराओं और शैव सिद्धांत के पहलुओं से गहराई से जुड़ा हुआ है। यह 5 दिन का उत्सव यूनेस्‍को से मान्यता प्राप्त स्मारक गंगईकोंडा चोलिसवरम मंदिर में आयोजित किया गया, जिसमें स्थानीय कलाकारों और स्थानीय लोगों ने बड़ी तादाद में भाग लिया। इस आयोजन के अवसर पर एक स्‍मारक सिक्का भी जारी किया गया। माननीय प्रधानमंत्री ने आयोजन के आखिरी दिन इसमें शिरकत की।

देश के प्रति डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के अमिट योगदान के सम्‍मान में राष्ट्रीय श्रद्धांजलि के रूप में उनकी125वीं जयंती का उद्घाटन समारोह नई दिल्ली के सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम में 9 जुलाई 2025 को आयोजित किया गया। यह उद्घाटन समारोह जुलाई 2025 से जुलाई 2027 तक चलने वाले दो साल के यादगार उत्‍सव का हिस्सा है और इसमें माननीय केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सम्मान में एक स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी किया गया

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डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 125वीं जयंती का उद्घाटन समारोह 9 जुलाई 2025 को नई दिल्ली के सीरी फोर्ट ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया

 

उत्तर प्रदेश के पिपरहवा में सन 1898 में खोजे गए भगवान बुद्ध के कुछ पवित्र अवशेषों को सोथबी द्वारा नीलामी के लिए रखा गया। संस्कृति मंत्रालय ने इस पर कड़ा रुख अपनाया और नीलामी को रोकने के लिए कानूनी नोटिस जारी किया। कानूनी और नैतिक दबाव के परिणामस्वरूप नीलामी रुक गई और मंत्रालय ने इसे वार्ता का अवसर माना। 127 वर्षों के बाद 30 जुलाई 2025 को इन अनमोल अवशेषों को भारत लौटा दिया गया। हांगकांग में नीलामी को रोकने के लिए किए गए समन्वित कानूनी और कूटनीतिक प्रयासों के बाद इन्हें एक भारतीय औद्योगिक घराने द्वारा निजी अधिग्रहण के माध्यम से भारतीय सरकार को सौंप दिया गया। इन अवशेषों में सोने, गार्नेट और क्रिस्टल के आभूषण शामिल थे, जिन्हें सफलतापूर्वक भारत वापस लाया गया।

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उत्तर प्रदेश के पिपरहवा में 1898 में खोजे गए भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों को संस्कृति मंत्रालय द्वारा सफलतापूर्वक प्राप्‍त किया गया

 

यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति के 47वें सत्र में वर्ष 2024-25 में भारत के आधिकारिक नामांकन, 'देश के मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स' को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल कर लिया गया। विशेषज्ञ समिति आईसीओएमओएस ने नकारात्मक रिपोर्ट दी थी। मंत्रालय ने विदेश मंत्रालय के सहयोग से प्रभावी हस्तक्षेप किया और सदस्य देशों को भारत का समर्थन करने के लिए राज़ी किया। इसके साथ ही यह इस सम्‍मान को प्राप्त करने वाली देश की 44वीं संपत्ति बन गई है। विश्व धरोहर स्थलों की सर्वाधिक संख्या के मामले में भारत विश्व स्तर पर छठे स्थान पर तथा एशिया प्रशांत क्षेत्र में दूसरे स्थान पर है।

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 भारत के मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल

 

भारत का 79वां स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त, 2025 को “नया भारत” थीम के साथ मनाया गया, जिसमें विविध क्षेत्रों  में हुई प्रगति पर ज़ोर दिया गया और स्वतंत्रता सेनानियों की कोशिशों को सम्‍मानित किया गया। इस अवसर पर, पूरे देश में ‘हर घर तिरंगा’ अभियान चलाया गया। संरक्षित स्मारकों पर निम्‍नलिखित गतिविधियाँ भी की गईं-

  • चरण I (2–8 अगस्त, 2025): तिरंगा रंगोली
  • चरण II (9– 12 अगस्त, 2025): सेल्फी बूथ बनाए गए, बैनरों का प्रदर्शन और तिरंगा यात्रा
  • चरण III (13–15 अगस्त, 2025): संरक्षित स्मारकों पर तिरंगा रोशनी और प्रोजेक्शन

संस्कृति मंत्रालय द्वारा इस वर्ष आयोजित हर घर तिरंगा अभियान अनूठा रहा। मंत्रालय ने पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के साथ साझेदारी कर स्वच्छता पर भी संयुक्त अभियान चलाया । इस वर्ष के अभियान में अर्थव्यवस्था के उपाय भी अपनाए गए, जिसके परिणामस्वरूप परिव्‍यय 15% कम हुआ, जबकि कवरेज और सेल्फी अपलोड पिछले वर्ष के अभियान की तुलना में 50% अधिक रहे। यह सफलता पूरी सरकारी का समन्वित दृष्टिकोण अपनाने तथा राज्यों और राज्यों की संस्थाओं को भागीदारी के लिए प्रेरित करने के माध्यम से हासिल की गई। हर घर तिरंगा अभियान के अंतर्गत 12 अगस्त 2025 को भारत के स्वतंत्रता दिवस समारोह की शुरुआत के प्रतीक के तौर पर नई दिल्ली के भारत मंडपम में बाइक रैली का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय ध्वज फहराते हजारों बाइकर्स की इस रैली में केंद्रीय मंत्री, दिल्ली सरकार के मंत्री तथा संसद सदस्य भी शामिल हुए।

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भारत के 79वें स्वतंत्रता दिवस समारोह के अवसर पर संस्कृति मंत्रालय ने पूरे देश में ‘हर घर तिरंगा’ अभियान का आयोजन किया

 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने 1 अक्टूबर 2025 को अपनी 100वीं वर्षगांठ मनाई। इस अवसर पर माननीय प्रधानमंत्री ने 100 रुपये का एक विशेष  स्मारक सिक्का जारी किया, जो स्वतंत्र भारत का पहला ऐसा सिक्का है, जिस पर "भारत माता" की छवि अंकित है। इसके अलावा उन्‍होंने 100 वर्ष पूरे होने के सम्‍मान में एक डाक टिकट जारी भी किया, जो 1963 के गणतंत्र दिवस की परेड का स्मरण करता है, जिसमें आरएसएस के स्वयंसेवकों ने भी भाग लिया था।

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माननीय प्रधानमंत्री ने आरएसएस के 100 वर्ष पूरे होने के सम्‍मान में 100 रुपये का एक विशेष स्मारक सिक्का जारी किया और एक डाक टिकट जारी भी किया, जो 1963 के गणतंत्र दिवस की परेड का स्मरण करता है, जिसमें आरएसएस के स्वयंसेवकों ने भी भाग लिया था

मंत्रालय ने ‘ज्ञान भारतम’ के तहत भारत की पांडुलिपि धरोहर के संरक्षण, डिजिटलीकरण और प्रसार के लिए एक अहम राष्‍ट्रीय पहल की है। 11-13 सितंबर, 2025 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में इसके शुभारंभ के अवसर पर “पांडुलिपि धरोहर के ज़रिए भारत की ज्ञान विरासत को वापस पाना” विषय पर पहली बार ज्ञान भारतम अंतरराष्‍ट्रीय सम्‍मेलन में देश - विदेश से 1,100 से ज़्यादा लोग शामिल हुए। माननीय प्रधानमंत्री ने 12 सितंबर, 2025 को औपचारिक रूप से ज्ञान भारतम वेब पोर्टल लॉन्च किया, जिसमें इस बात पर ज़ोर दिया गया कि भारत की ज्ञान परंपरा तीन स्तंभों - संरक्षण, नवाचार और संवर्धन एवं अनुकूलन पर आधारित है। सम्मेलन का समापन 13 सितंबर 2025 को दिल्ली घोषणा-पत्र के साथ हुआ, जिसमें ‘विकसित भारत 2047’ की भावना में भारत की पांडुलिपि धरोहर के संरक्षण और पुनरुत्थान के प्रति देश की प्रतिबद्धता की पुन: पुष्टि की गई।

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माननीय प्रधानमंत्री ने भारत की ज्ञान परंपरा तीन स्तंभों- संरक्षण, नवाचार, तथा संवर्धन एवं अनुकूलन- पर आधारित होने पर बल देते हुए ज्ञान भारतम वेब पोर्टल का औपचारिक रूप से शुभारंभ किया

 

संस्कृति मंत्रालय की प्रमुख पहल, ज्ञान भारतम ने 25.10.2025 को एक अहम पड़ाव पार किया, जब देश भर के 17 बड़े संस्थानों के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्‍ताक्षर किए गए। यह समारोह नेशनल गैलरी ऑफ़ मॉडर्न आर्ट (जयपुर हाउस), नई दिल्ली में हुआ।

सेवा पर्व 2025 का सफल आयोजन 17 सितंबर से 2 अक्टूबर 2025 तक किया गया, जिससे यह सेवा, रचनात्‍मकता और जन भागीदारी का व्‍यापक आंदोलन बन गया। इस आयोजन के तहत मंत्रालय ने अपनी नोडल संस्थाओं के ज़रिए, देश के  75 चुनिंदा स्थानों पर “विकसित भारत के रंग, कला के संग” थीम के तहत  एक दिवसीय कला कार्यशालाओं का आयोजन किया। प्रत्‍येक कार्यशाला में स्कूली छात्र, कॉलेजों के नौजवान, पेशेवर कलाकार और पारंपरिक कारीगर “सेवा पर्व – विकसित भारत का विज़न” थीम पर आर्टवर्क के सृजन के लिए एक साथ आए। इसके अलावा, मंत्रालय के तहत आने वाले संगठनों ने विशेष धरोहर स्‍थलों पर स्वच्छता ही सेवा अभियान चलाए। इन कदमों ने सेवा और विरासत  संरक्षण को सांस्‍कृतिक अभिव्‍यक्ति के साथ जोड़ा, जिसने रचनात्‍मकता  को नागरिक चेतना से जोड़ने के उद्देश्य को सुदृढ़ किया।

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संस्कृति मंत्रालय ने सेवा पर्व 2025 के तहत अपनी नोडल संस्थाओं के ज़रिए देश के 75 चुनिंदा स्थानों परविकसित भारत के रंग, कला के संग” विषय पर एक दिवसीय कला कार्यशालाएँ आयोजित कीं

केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने राष्ट्रीय एकता दिवस (31 अक्टूबर, 2025) के अवसर पर सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में सिलसिलेवार शानदार सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किए। इस अवसर पर माननीय प्रधानमंत्री मुख्‍य अतिथि रहे । माननीय प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर एक स्‍मारक सिक्का और डाक टिकट भी जारी किया। इस कार्यक्रम की खास बात “लोह पुरुष नमस्तुभ्यम” नाम की शानदार नृत्‍य प्रस्‍तुति रही, जिसे संगीत नाटक अकादमी और संस्कृति मंत्रालय के तहत पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र ने क्यूरेट किया था,  इस प्रस्‍तुति में देश भर के 800 से ज़्यादा कलाकारों ने हिस्सा लिया।

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माननीय प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट जारी किया

 

संस्कृति मंत्रालय ने ई-अपशिष्‍ट के निपटारे पर खास तौर पर ध्यान देते हुए विशेष अभियान 5.0 का संचालन किया  तथा लोक  शिकायतों और पीजी-अपील के निपटारे में 100% सफलता हासिल की; सांसद संदर्भ में 74%, पीएमओ संदर्भ में 68%, राज्य सरकार के संदर्भ में 64% सफलता हासिल की। इसके अलावा, 599 जगहों पर स्‍वच्‍छता अभियान में 100% सफलता हासिल की गई।

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संस्कृति मंत्रालय ने ई-अपशिष्‍ट के निपटारे पर खास तौर पर ध्यान देते हुए विशेष अभियान 5.0 का संचालन किया

 

संस्कृति मंत्रालय ने 12 नवंबर, 2025 को यशोभूमि, द्वारका, नई दिल्ली में आयोजित जनजातीय व्यापार कॉन्क्लेव 2025 के सफल आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस सम्मेलन ने जनजातीय गौरव वर्ष की भावना और विकसित भारत@2047 के राष्ट्रीय दृष्टिकोण के अनुरूप, देश के जनजातीय समुदायों की कलात्मक उत्कृष्टता, साहित्यिक विविधता और रचनात्मक उद्यम का उत्‍सव मनाने के एक जीवंत मंच के रूप में कार्य किया। जनजातीय कार्य मंत्रालय, उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी), वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित यह कॉन्क्लेव भगवान बिरसा मुण्‍डा की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित जनजातीय गौरव वर्ष के दौरान एक ऐतिहासिक क्षण के रूप में दर्ज हुआ। इस कॉन्क्लेव का एक मुख्य आकर्षण संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित पैनल चर्चा थी, जिसका शीर्षक “जनजातीय विरासत से उद्यम: सतत उद्यमिता को बढ़ावा देना” था।

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संस्कृति मंत्रालय ने 12 नवंबर, 2025 को यशोभूमि, द्वारका, नई दिल्ली में जनजातीय व्यापार कॉन्क्लेव 2025 का सफल आयोजन किया

 

इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (इंटैक) ने एक अग्रणी अंतरराष्ट्रीय पहल “प्रोजेक्ट गज-लोक: एशिया में हाथियों की भूमि और उनका सांस्कृतिक प्रतीकवाद” लॉन्च किए जाने की गर्व सहित घोषणा की। यह संस्कृति-प्रकृति कार्यक्रम पूरे महाद्वीप में संस्कृति, इतिहास, पारिस्थितिकी और जलवायु सहनशीलता की परस्‍पर संबद्ध कहानियों को रेखांकित करते हुए एशियाई हाथी के गहरे संबंधों के प्रलेखन और अन्वेषण को समर्पित है। प्रोजेक्ट गज-लोक का औपचारिक शुभारंभ 19 से 25 नवंबर 2025 तक एक सार्वजनिक प्रदर्शनी और 20 नवंबर 2025 को इंटैक, नई दिल्ली में गोलमेज सम्‍मेलन से होगा। ये कार्यक्रम अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर (आईसीएच) विभाग द्वारा आयोजित किए जा रहे हैं।

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केंद्रीय संस्कृति मंत्री ने 18.11.2025 को ‘प्रोजेक्ट मौसम’ पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन किया। “हिंद महासागर क्षेत्र के अंदर समुद्री नेटवर्क के चौराहे पर द्वीप” शीर्षक से यह कार्यशाला, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा हुमायूं का मकबरा विश्व विरासत स्थल संग्रहालय  में आयोजित की गई । यह प्रोजेक्ट विरासत के अध्ययन, वैज्ञानिक अनुसंधान और सामुदायिक सहभागिता का एक अनूठा संगम प्रस्तुत करता है, जो समुद्री विरासत के संरक्षण के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दिखाता है। मंत्री ने इस पहल के लक्ष्य पर ज़ोर दिया कि  महासागर से जुड़े सांस्कृतिक परिदृश्यों को प्रलेखित और संरक्षित करने के नए रास्ते खोले जाएं, और इसे गतिशील, मिलकर काम करने वाले आंदोलन के तौर पर स्थापित किया जाए।

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केंद्रीय मंत्री ने 18.11.2025 को ‘प्रोजेक्ट मौसम’ पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन किया

भारत को एक बार फिर से बौद्ध धर्म की जन्मभूमि और वैश्विक बौद्ध विरासत के केंद्र के रूप में पुनः स्थापित करते हुए दक्षिण-पूर्व एशिया और भारत में सबसे बड़े अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध कार्यक्रम—अंतर्राष्ट्रीय त्रिपिटक जप समारोह का देश में आयोजन किया जाएगा। यह कार्यक्रम  2 से 13 दिसंबर 2025 को बिहार के बोधगया में आयोजित किया जाएगा। इसके साथ ही जेतियन घाटी से राजगीर के पवित्र बाँसवन, वेणुवन में बुद्ध के पदचिन्हों का स्मरण करते हुए स्मारक यात्रा भी आयोजित की जाएगी। बोधगया—ज्ञान प्राप्ति के पवित्र स्थल —में यह 12 दिवसीय आध्यात्मिक आयोजन अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध महासंघ (आईबीसी) द्वारा, भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय और लाइट ऑफ़ बुद्ध धर्मा फाउंडेशन इंटरनेशनल (एलबीडीएफआई), अमेरिका की साझेदारी में आयोजित किया जाएगा।

12-दिन के आयोजन की प्रमुख विशेषताएँ :

• पवित्र बोधि वृक्ष के नीचे प्रतिदिन पाली धर्मग्रंथों का पाठ

• विख्‍यात धम्म गुरुओं के प्रवचन

• इंटरैक्टिव प्रश्‍नोत्‍तर सत्र

• एक आर्ट गैलरी और सांस्‍कृतिक प्रस्‍तुति जिसमें भारत और विदेश के कलाकार शामिल होंगे

• पहले दिन आईबीसी –प्रायोजित एक समूह द्वारा सांस्कृतिक प्रस्‍तुति

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दक्षिण-पूर्व एशिया और भारत में सबसे बड़े अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध कार्यक्रम - अंतर्राष्ट्रीय त्रिपिटक जप समारोह से पूर्व नई दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई

अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण हेतु अंतर-सरकारी समिति का बीसवाँ सत्र 8 से 13 दिसंबर 2025 तक नई दिल्ली, भारत में आयोजित किया जाएगा। इस सत्र की अध्यक्षता भारत के यूनेस्को में राजदूत और स्थायी प्रतिनिधि द्वारा की जाएगी।

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पीके/केसी/आरके

 


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