इफ्फी ने स्मारक डाक टिकट जारी कर मनाई प्रख्यात छायाकार श्री के. वैकुंठ की जन्म शताब्दी
के. वैकुंठ वह व्यक्ति हैं जिनके कैमरे ने शास्त्रीय हिंदी सिनेमा की दृश्य भाषा को आकार दिया: डॉ. प्रमोद सावंत, गोवा के मुख्यमंत्री
भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) ने आज गोवा के मशहूर सिनेमैटोग्राफर श्री के. वैकुंठ की जन्म शताब्दी मनाई। इस मौके पर उनके भारतीय सिनेमा में किए गए अद्भुत योगदान को सम्मान देने के लिए एक स्मारक डाक टिकट जारी किया गया।

श्री वैकुंठ कई महत्वपूर्ण फीचर फिल्मों और डॉक्यूमेंट्रीज़ के लिए जानी जाने वाली अपनी बेहतरीन सिनेमैटोग्राफी के कारण प्रसिद्ध थे, जिनमें फ़िल्म्स डिविज़न के लिए बनाई गई उल्लेखनीय फिल्में भी शामिल हैं। उन्हें भारत के सबसे उत्कृष्ट दृश्य कहानीकारों में गिना जाता है, और उनकी विरासत आज भी नई पीढ़ी के फिल्मकारों को प्रेरित करती है।
गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने स्मारक डाक टिकट का औपचारिक विमोचन किया। इस मौके पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव और वित्तीय सलाहकार श्री दीपक नारायण, अतिरिक्त सचिव श्री प्रभात, महाराष्ट्र और गोवा के चीफ पोस्टमास्टर जनरल श्री अमिताभ सिंह, तथा श्री के. वैकुंठ के पुत्र श्री अमित कुंकोलियेंकर और उनके परिवार के सदस्य भी मौजूद थे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ. सावंत ने श्री वैकुंठ की आजीवन सिनेमैटोग्राफी के प्रति समर्पण की सराहना की। उन्होंने कहा कि वैकुंठ जी “वे व्यक्तित्व थे जिनके कैमरे ने हिन्दी सिनेमा की क्लासिक दृश्य भाषा को आकार दिया।”
उन्होंने बताया कि श्री वैकुंठ गोवा के मडगांव की गलियों से उठकर भारत के सबसे सम्मानित सिनेमैटोग्राफरों में से एक बने। उन्होंने गुलज़ार और रमेश सिप्पी जैसे दिग्गज फिल्मकारों के साथ काम किया। उन्होंने सीता और गीता तथा आंधी जैसी मशहूर फिल्मों में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

डॉ. सावंत ने कहा, “वैकुंठबाब सिर्फ कैमरा चलाने वाले नहीं थे। वे भावना, माहौल और दृष्टि के रचनाकार थे।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि उनकी अनोखी शैली ने भव्य सिनेमाई दृश्यों से लेकर सबसे सूक्ष्म मानवीय भावनाओं को भी खूबसूरती से कैद किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय सिनेमा के कुछ सबसे सुंदर दृश्यात्मक पलों को आकार देने के बावजूद, श्री वैकुंठ हमेशा बेहद विनम्र रहे और अक्सर पर्दे के पीछे रहने वाले अनसुने नायक बने रहे। उन्होंने कहा कि उनकी विरासत आज भी दुनिया भर के फिल्म प्रेमियों को प्रेरित करती है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव श्री प्रभात ने कहा कि भारत के इस श्रेष्ठ चित्र-शिल्पी और माटी के सच्चे बेटे श्री के. वैकुंठ को सम्मान देना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। उन्होंने कहा कि स्मारक डाक टिकट केवल डाक का साधन नहीं, बल्कि एक छोटा-सा सार्वजनिक स्मारक होता है, जो किसी व्यक्ति के जीवन और विरासत की कहानी को पूरे देश के घरों और संस्थानों तक पहुंचाता है।

उन्होंने आगे कहा कि इस स्मारक टिकट के जारी होने से श्री वैकुंठ का योगदान हमेशा के लिए देश के दृश्य अभिलेखों में दर्ज हो गया है। महाराष्ट्र सर्कल के चीफ पोस्टमास्टर जनरल श्री अमिताभ सिंह ने सभा का स्वागत करते हुए कहा कि यह स्मारक डाक टिकट केवल डाक-चिह्न नहीं, बल्कि ऐसा सम्मान है जो हमारे देश के इतिहास और संस्कृति को दूर-दूर तक पहुँचाता है। उन्होंने कहा, “इस टिकट के माध्यम से हम सुनिश्चित करते हैं कि श्री के. वैकुंठ का जीवन और उनका योगदान आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहे।”

कार्यक्रम का समापन श्री वैकुंठ की प्रसिद्ध 17 मिनट की अंग्रेज़ी डॉक्यूमेंट्री Goa Marches On की स्क्रीनिंग के साथ हुआ। इस फिल्म ने दर्शकों को उनकी कलात्मक दृष्टि, तकनीकी कौशल और गोवा के प्रति उनके गहरे प्रेम की झलक दिखाई।
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