सूचना और प्रसारण मंत्रालय
आईएफएफआई भावी माहिर फिल्म निर्माताओं के लिए एक लॉन्चपैड के रूप में उभरा
भारतीय सिनेमा के भविष्य का उत्सव मनाते हुए - 'क्रिएटिव माइंड्स ऑफ़ टुमॉरो' में युवा प्रतिभा और केवल 48 घंटों में तैयार की गई रचनात्मक कहानियाँ दिखाई गई हैं
इस साल, आईएफएफआई अतीत और भविष्य के दिग्गजों को समर्पित है, जिनका प्रतिनिधित्व हमारे देश के युवा करते हैं - संजय जाजू, सचिव, सूचना और प्रसारण मंत्रालय (आईएंडबी)
'गुल्लू' - एक अदृश्य मोबाइल फ़ोन के ज़रिए मनुष्य और तकनीक के बीच के नाज़ुक रिश्ते को दिखाने वाली फ़िल्म ने सीएमओटी में बहुत प्रशंसा प्राप्त की
युवाओं का जोश, जोश से भरा माहौल और 48 अथक लेकिन अविस्मरणीय घंटों की उत्कटता - यह नजारा आज 55वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) में आयोजित क्रिएटिव माइंड्स ऑफ टुमॉरो (सीएमओटी) के समापन समारोह के दौरान मैक्विनेज़ पैलेस में देखने को मिला।
सीएमओटी भारत के सबसे होनहार युवा फिल्म निर्माताओं की पहचान करने और उन्हें आगे बढ़ाने के लिए एक अग्रणी मंच के रूप में उभरा है। यह इस वर्ष एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ। इस कार्यक्रम को बढा़ कर इसमे 13 फिल्म निर्माण विषयों में 100 युवा प्रतिभाओं को शामिल किया गया। इसमें पिछले संस्करणों में शामिल 75 प्रतिभागियों और 10 कहानियों की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इस पहल को जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली। इसमें पूरे भारत से लगभग 1,070 प्रविष्टियाँ प्राप्त हुईं जो फिल्म-संबंधित 13 क्षेत्रों में उनकी प्रतिभा को दर्शाता है।
इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण 48-घंटे में फिल्म निर्माण की चुनौती थी। इसमें प्रतिभागियों को 20 सदस्यों की पाँच टीमों में विभाजित किया गया। इन टीमों ने “प्रौद्योगिकी के युग में रिश्ते” विषय पर केंद्रित लघु फ़िल्में बनाईं। इसे 21 से 23 नवंबर, 2024 तक पंजिम के 4 किलोमीटर के दायरे में 12 स्थानों पर आयोजित किया गया। इसमें टीम की रचनात्मकता और प्रतिरोधक्षमता की जांच की गई।
इस वर्ष, सीएमओटी में 48 घंटे में फिल्म निर्माण की चुनौती के विजेता हैं:
1. सर्वश्रेष्ठ फिल्म: गुल्लू
सर्वश्रेष्ठ फिल्म (उपविजेता): वी हियर द सेम म्यूजिक
2. सर्वश्रेष्ठ निर्देशक: अर्शाली जोस (गुल्लू)
3. सर्वश्रेष्ठ पटकथा: अधिराज बोस (लवपिक्स सब्सक्रिप्शन)
4. सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री: विशाखा नायर (लवपिक्स सब्सक्रिप्शन)
5. सर्वश्रेष्ठ अभिनेता: पुष्पेंद्र कुमार (गुल्लू)
सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार जीतने वाली सुश्री अर्शाली जोस ने आभार व्यक्त करते हुए कहा, “यह उपलब्धि मेरी पूरी टीम की है। पटकथा हमारी फिल्म का असली नायक थी, और जब मैंने इसे पढ़ा मैं जानती थी कि हमारे पास कुछ खास है। इस असाधारण टीम के साथ काम करना एक अविस्मरणीय अनुभव रहा है।”
इन युवा प्रतिभाओं का पिछले वर्ष के सीएमओटी के पूर्व छात्रों ने मार्गदर्शन किया। इन पूर्व छात्रों- चिदानंद नाइक, अखिल लोटलीकर, सुबर्णा दाश, अक्षिता वोहरा और कृष्णा दुसाने को सीएमओटी चैंपियन के रूप में आमंत्रित किया गया था।
प्रतिभागियों की प्रशंसा करते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव संजय जाजू ने कहा, "भारी दबाव में 48 घंटों मे ऐसी अनुकरणीय फिल्मों का निर्माण करना अपने आप में एक उपलब्धि है। यहां हर प्रतिभागी विजेता है।" उन्होंने आगे जोर दिया, "इस वर्ष, हमने आईएफएफआई को हमारे देश के अतीत के और युवाओं द्वारा प्रतिनिधित्व किए गए भावी दिग्गजों को समर्पित किया है। सीएमओटी, फिल्म बाजार और रेड कार्पेट जैसी पहल महत्वाकांक्षी फिल्म निर्माताओं को अपने सपनों को साकार करने का अवसर प्रदान करते हैं।"
समारोह में मौजूद अभिनेता अमित साध ने देश भर के युवा फिल्म निर्माताओं और अभिनेताओं को फिल्म उद्योग के अवसर सीधे उपलब्ध कराने के लिए आईएफएफआई की प्रशंसा की। इस कार्यक्रम में सूचना और प्रसारण मंत्रालय में विशेष सचिव नीरजा शेखर ; प्रसारण विभाग के संयुक्त सचिव और एनएफडीसी के प्रबंध निदेशक पृथुल कुमार; फिल्म विभाग की संयुक्त सचिव वृंदा देसाई और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के पूर्व सचिव अपूर्व चंद्रा के अलावा जाने-माने लेखक और ग्रैंड ज्यूरी के सदस्य सम्राट चक्रवर्ती भी शामिल हुए।
उत्साही भीड़ के बीच जब विजेताओं की घोषणा की गई तो शॉर्ट्स इंटरनेशनल के संस्थापक और सीईओ कार्टर पिल्चर ने प्रतिभागियों की सराहना करते हुए कहा, “इस वर्ष निर्मित फिल्मों की गुणवत्ता और विषय-वस्तु शानदार और उत्कृष्ट है।”
यूनाइटेड किंगडम स्थित नेटवर्क शॉर्ट्स इंटरनेशनल के सहयोग से आयोजित 48-घंटे में फिल्म निर्माण की चुनौती युवा फिल्म निर्माताओं को समय की कमी के बावजूद अपनी रचनात्मकता, कहानी कहने के कौशल और टीमवर्क को परखने का अनूठा अवसर प्रदान करती है। शॉर्ट्स टीवी ने सीएमओटी में इन फिल्मों के पूरे निर्माण से पूर्व, निर्माण और निर्माण के बाद का काम भी संभाला।
इस साल सीएमओटी ने न केवल युवा फिल्म निर्माताओं की जीवंत प्रतिभा का उत्सव मनाया बल्कि इन फिल्म निर्माताओं के लिए लॉन्चपैड के रूप में आईएफएफआई की भूमिका को भी मजबूत किया।
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