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विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पीएम मोदी ने पैरिस पैरालंपिक्स खेल में भाग लेने के लिए जाने वाले भारतीय दल के साथ संवाद किया


पीएम ने कहा, 'पैरा-एथलीट भारत का गौरव और ध्वजवाहक हैं'

'यहां तक का सफर बताता है कि पैरा-एथलीट अंदर से कितने मजबूत हैं। उन्होंने समाज की स्थापित मान्यताओं और शारीरिक चुनौतियों को शिकस्त दी है'

पीएम ने कहा, 'पैरालंपिक्स खेल के इतिहास में भारत ने 31 पदक जीते हैं। इनमें से टोक्यो में ही अकेले 19 पदक जीते थे। कोई कल्पना कर सकता है कि भारत पिछले 10 वर्षों में खेलों और पैरा खेलों में कितना आगे बढ़ा है।'

'हमारे पैरा-एथलीट्स को टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टीओपीएस) और खेलो इंडिया कार्यक्रमों के तहत सुविधाओं का लाभ मिल रहा है।' 'इस दल में 50 एथलीट टीओपीएस योजनाओं से जुड़े हैं और 16 खेलो इंडिया से संबद्ध हैं।'

'भारत का प्रदर्शन बेहतर हुआ है और कई खेलों में स्लॉट्स बढ़ गए हैं'

Posted On: 19 AUG 2024 9:27PM by PIB Delhi

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस के पैरिस में होने जा रहे आगामी पैरालंपिक्स खेलों में भाग लेने वाले भारतीय दल के साथ बातचीत की। श्री मोदी ने भारतीय दल की सबसे कम उम्र की तीरंदाज शीतल देवी के साथ बातचीत की शुरुआत की। उन्होंने उनसे पूछा कि इन दिनों उनके दिमाग में क्या चल रहा है, क्योंकि वह पहली बार पैरालंपिक्स खेलों में भाग लेने जा रही हैं। इस पर 17 वर्षीय खिलाड़ी ने प्रधानमंत्री को बताया कि वह इतनी कम उम्र में अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करने को लेकर काफी उत्साहित हैं। उन्होंने श्राइन बोर्ड और अपने आस-पास के सभी लोगों को धन्यवाद देते हुए कहा कि संस्था ने उन्हें इस उपलब्धि को हासिल करने में मदद करने के लिए हर मुश्किल समय में उनका सहयोग किया। श्री मोदी ने शीतल देवी से उनके प्रशिक्षण की स्थिति के बारे में पूछा, इस पर खिलाड़ी ने जवाब दिया कि बहुत अच्छा चल रहा है और उनका लक्ष्य है कि उनकी जीत के बाद पैरिस में भारत का राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाए और राष्ट्रगान बजाया जाए। शीतल देवी को बधाई देते हुए प्रधानमंत्री ने पैरा-तीरंदाज को खेल में जीतने या हारने के किसी भी दबाव के बिना प्रदर्शन करने और अपना सर्वश्रेष्ठ देने पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी।

निशानेबाज अवनि लेखरा के साथ बातचीत करते हुए प्रधानमंत्री ने टोक्यो पैरालिंपिक्स में स्वर्ण और कांस्य पदक जीतने के लिए उनकी प्रशंसा की और उनसे पूछा कि इस बार उनका लक्ष्य क्या है। राजस्थान की एथलीट ने कहा कि पिछली बार पैरालंपिक्स खेलों में अनुभव हासिल करने पर ध्यान केंद्रित किया था, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय आयोजन में उनका पहला कार्यकाल था। 22 वर्षीय खिलाड़ी ने कहा कि इस चक्र में मैं अपने खेल और तकनीक के मामले में काफी परिपक्व हुई हूं। इस बार भी मेरा लक्ष्य अपना सर्वश्रेष्ठ देना होगा। उन्होंने प्रधानमंत्री को सहयोग देने के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि यह जिम्मेदारी की भावना जगाता है और उन्हें अपने प्रदर्शन को और बेहतर बनाने के लिए प्रेरित करता है। श्री मोदी ने लेखरा से पूछा कि टोक्यो पैरालिंपिक्स के बाद उनका जीवन कैसे बदल गया और उन्होंने भविष्य की प्रतियोगिताओं के लिए खुद को कैसे तैयार करना जारी रखा। पैरा-निशानेबाज ने जवाब दिया कि 2020 ओलंपिक्स में भाग लेने से पहले जो बाधा थी वह उनकी जीत के बाद टूट गई। इससे उनमें उम्मीद जगी और विश्वास हो गया कि अगर वह एक बार जीत सकती हैं तो कड़ी मेहनत से अपनी जीत दोहरा सकती हैं। श्री मोदी ने लेखरा को बधाई दी और कहा कि देश को उनसे बहुत उम्मीदें हैं, लेकिन उन्हें इसे अपने ऊपर बोझ नहीं बनने देना चाहिए बल्कि इन्हें शक्ति में बदलना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने ऊंची कूद के खिलाड़ी मरियप्पन थंगावेलु के टोक्यो ओलंपिक्स में बेहतर प्रदर्शन की सराहना करते हुए उनसे पूछा कि क्या वह इस बार टोक्यो में जीते रजत पदक को स्वर्ण में बदलने की योजना बना रहे हैं। श्री मोदी ने 29 वर्षीय खिलाड़ी से पिछले पैरालंपिक्स खेलों से मिली सीख के बारे में भी पूछा। एथलीट ने श्री मोदी को बताया कि वह इस समय जर्मनी में प्रशिक्षण ले रहे हैं और इस बार स्वर्ण पदक जीतने का लक्ष्य रखा है। प्रधानमंत्री ने इस बात को रेखांकित किया कि 2016 के बाद से पैरा-एथलीटों की संख्या में वृद्धि हुई है। उन्होंने थंगावेलु से एक एथलीट और कोच के दृष्टिकोण से इस मामले पर उनकी राय के बारे में पूछा। पैरा-एथलीट ने कहा कि बहुत से लोग अब खेल को करियर के रूप में चुनने के लिए प्रेरित हो रहे हैं। श्री मोदी ने तमिलनाडु के हाई जंपर को आश्वासन दिया कि उनकी सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि भारतीय खिलाड़ियों को किसी भी प्रकार की दिक्कत या कमी का सामना न करना पड़े।

प्रधानमंत्री ने टोक्यो पैरालिंपिक्स और एशियाई पैरा खेलों में भाला फेंक खिलाड़ी सुमित अंतिल के प्रदर्शन की सराहना करते हुए कहा कि दोनों स्पर्धाओं में स्वर्ण पदक जीतकर एक के बाद एक रिकॉर्ड बनाए। उन्होंने 26 वर्षीय खिलाड़ी से पूछा कि वह कैसे प्रेरित रहते हैं और हर चैंपियनशिप में अपना ही रिकॉर्ड तोड़ते रहते हैं। अंतिल ने देवेंद्र झाझरिया और नीरज चोपड़ा को अपनी प्रेरणा का स्रोत बताया। साथ ही नए रिकॉर्ड बनाने में मदद करने के लिए आत्म अनुशासन और आत्म प्रेरणा के महत्व को भी रेखांकित किया। भारत की खेल संस्कृति में हरियाणा के योगदान का उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने कहा कि सोनीपत की धरती अपने आप में बहुत खास है और वहां से विश्व रिकॉर्डधारी एथलीट निकलते हैं। उन्होंने अंतिल से उनकी जीत में हरियाणा की खेल संस्कृति की भूमिका के बारे में भी पूछा। सुमित ने अपनी यात्रा में सहायता और सहयोग देने के लिए राज्य और केंद्र दोनों को धन्यवाद दिया। अंतिल को बधाई देते हुए श्री मोदी ने उन्हें सभी के लिए एक प्रेरणा बताया और फ्रांस में उनके प्रदर्शन के लिए शुभकामनाएं दीं।

पीएम मोदी ने पैरा-एथलीट अरुणा तंवर के साथ बातचीत करते हुए उनके सफर में उनके पिता की भूमिका के बारे में पूछा। इस पर 24 वर्षीय ताइक्वांडो खिलाड़ी ने जवाब दिया कि परिवार के सहयोग के बिना कोई भी सामान्य टूर्नामेंट भी नहीं जीत सकता है और मैं दूसरी बार पैरालंपिक्स में प्रतिस्पर्धा करने जा रही हूं। अक्सर यह माना जाता है कि दिव्यांग कुछ नहीं कर सकते, लेकिन मेरे माता-पिता ने मुझमें आत्मविश्वास की भावना को जागृत किया है और मुझे विश्वास है कि मैं बहुत कुछ कर सकती हूं। पीएम श्री मोदी ने महत्वपूर्ण खेल आयोजन से कुछ क्षण पहले तंवर से पिछले पैरालंपिक्स में उनकी चोट के बारे में पूछा और जानना चाहा कि वह कैसे प्रेरित रहीं और उस बाधा को कैसे पार किया। इस पर खिलाड़ी ने जवाब दिया कि एक चोट मेरे खेल को नहीं रोक सकती क्योंकि मेरा लक्ष्य उससे भी बड़ा है। चोट को खेल का आभूषण बताते हुए तंवर ने कहा कि उन्होंने खुद को मजबूत रखा और अपने कोच और माता-पिता को धन्यवाद दिया जिन्होंने उनसे कहा कि एक पैरालंपिक्स खेल उनकी किस्मत का फैसला नहीं कर सकता। अभी कई और खेल प्रतियोगिताएं आने वाली हैं। श्री मोदी ने तंवर के सकारात्मक दृष्टिकोण की सराहना की। उन्हें एक योद्धा और महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बताते हुए पैरिस पैरालिंपिक्स के लिए शुभकामनाएं दीं।

पैरालिंपिक्स जैसे अंतरराष्ट्रीय आयोजन में पहली बार देश का प्रतिनिधित्व करने वाले उन प्लेयर्स भी पीएम ने बात की, जिन्होंने अपने विचार और भावनाएं व्यक्त नहीं की थी। श्री मोदी ने उनको भी प्रोत्साहित किया। हरियाणा के पैरा पावरलिफ्टर अशोक मलिक ने पीएम श्री मोदी से कहा कि वैश्विक स्तर पर अपने देश का प्रतिनिधित्व करना हर खिलाड़ी का सपना होता है। अब प्रधानमंत्री ने उन लोगों की ओर रुख किया जिन्होंने दो या तीन बार पैरालिंपिक्स में प्रतिस्पर्धा की है। उन्होंने पीएम से अपने पहले गेम के अनुभव और सीख साझा किए।

पैरा-एथलीट अमित सरोहा ने कहा कि 2012 में पैरालिंपिक्स में पहली बार खेलने के बाद से उनकी पदक तालिका और टीम का प्रदर्शन बेहतर होता चला गया। उन्होंने कहा कि इस बार पैरिस में कुल 84 एथलीट भाग लेने जा रहे हैं। उन्होंने भारतीय खेल प्राधिकरण (एसएआई) को उसके निरंतर सहयोग और सहायता के लिए धन्यवाद दिया। सरोहा ने बताया कि उन्हें जो वित्तीय सहायता मिलती थी, वह अब कई गुना बढ़ गई है। उन्होंने टीओपीएस (टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम) की स्थापना की भी प्रशंसा की, जिसने उन्हें दुनिया में कहीं भी प्रशिक्षण प्राप्त करने में सक्षम बनाया है। सरोहा ने कहा कि उनके निजी कोच, फिजियो और सहायक कर्मचारियों की जरूरतें भी अब पूरी हो रही हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि उन्हें इस बार और अधिक पदक जीतने की उम्मीद है।

प्रधानमंत्री ने स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ रहे पैरा-एथलीटों से उत्सुकतापूर्वक पूछा कि वे खेल और पढ़ाई के बीच कैसे संतुलन बनाते हैं। अपने अनुभव को साझा करते हुए राजस्थान के भरतपुर के रुद्रांश खंडेलवाल ने इसका जवाब देते हुए कहा कि मैंने इसी साल 12वीं बोर्ड की परीक्षा दी थी और मैं अच्छे अंकों से पास हुआ, मुझे 83 प्रतिशत अंक मिले। उस समय विश्व कप चल रहा था और मैं एक ही समय में दोनों चीजों का प्रबंधन कर रहा था और दोनों में सफलता हासिल की। उन्होंने कहा कि खेल और पढ़ाई दोनों ही जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं क्योंकि एक चरित्र का निर्माण करता है और दूसरा अपने अधिकारों के बारे में शिक्षित करता है और दोनों को एक साथ मैनेज करना बहुत मुश्किल नहीं है।

खेलो इंडिया पैरा गेम्स पर प्रतिक्रिया मांगते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कई एथलीटों के सुझाव पर पिछले साल दिसंबर में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था। श्री मोदी ने पूछा कि इस तरह के आयोजन खेल पारिस्थितिकी तंत्र को किस तरह से मदद पहुंचाते हैं। इस पर गुजरात की टेबल टेनिस खिलाड़ी भावना पटेल ने जवाब दिया कि खेलो इंडिया अभियान की वजह से जमीनी स्तर से कई प्रतिभाएं सामने आई हैं। इसने पैरा-एथलीटों को एक अच्छा मंच प्रदान किया है। इससे उन्हें सही डायरेक्शन मिली। इस अभियान का सबसे अच्छा उदाहरण यह है कि इस बार खेलो इंडिया के 16 पैरा-एथलीटों ने पैरिस पैरालंपिक्स खेलों के लिए क्वॉलिफाई किया है।

प्रधानमंत्री ने पैरा-एथलीटों से आगे पूछा कि वे पैरालंपिक्स टूर्नामेंट के दौरान चोटों से कैसे उबरते हैं। इस पर टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टोओपीएस) के पैरा-बैडमिंटन खिलाड़ी तरुण ढिल्लों ने श्री मोदी को 2022 में कनाडा इंटरनेशनल टूर्नामेंट के दौरान लगी चोट के बारे में अवगत कराया। 30 वर्षीय खिलाड़ी ने केवल सात महीनों में शीघ्र स्वस्थ होने और अगले महीने स्वर्ण पदक जीतने का श्रेय एसएआई अधिकारियों और टीम को दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री को सूचित किया कि उन्हें बिजनेस क्लास में भारत वापस लाया गया। यहां सर्वश्रेष्ठ डॉक्टरों ने उनकी चोट का इलाज किया और यह सुनिश्चित करने में सहयोग किया कि मैं प्रदर्शन करने के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह से तैयार हूं। उन्होंने आगे कहा कि टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टोओपीएस) जैसी योजना के कारण ही मध्यम वर्ग के बच्चे गंभीर चोट लगने के बाद भी अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।

प्रधानमंत्री ने पैरा-एथलीटों से उनके सुझाव मांगे कि सोशल मीडिया पैरा-स्पोर्ट्स को कैसे मदद कर सकता है। इस पर डिस्कस थ्रो में माहिर पैरा-एथलीट योगेश कथूनिया ने श्री मोदी को बताया कि सोशल मीडिया ने पैरा-गेम्स के बारे में जागरूकता फैलाने में मदद की है। पहले दिव्यांग सोचते थे कि उनके पास जीवन में केवल एक ही विकल्प है और वह है पढ़ाई, लेकिन अब देश में पैरा-एथलीटों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। उन्होंने कहा कि आज जमीनी स्तर पर खिलाड़ी हमारे वीडियो देखते हैं और उनसे प्रेरित होते हैं। वे व्यायाम के बारे में भी सीखते, ताकि अपनी दिनचर्या में उसे शामिल कर सकें। उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर एक बड़ा प्रभाव और बड़े पैमाने पर जागरूकता बढ़ रही है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम ने मोदी केंद्रीय खेल मंत्री श्री मनसुख मांडविया जी और खेल राज्य मंत्री रक्षा खडसे जी, दुनिया के कोने में मौजूद पैरालंपिक्स एथलीट, कोच और स्टाफ को अपनी शुभकामनाएं दीं। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वर्तमान में पैरा खिलाड़ी दूर-दराज के हिस्सों में कोचिंग ले रहे हैं और वीडियो-कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हमसे जुड़ रहे हैं। पैरिस पैरालंपिक्स में प्रतिस्पर्धा करने जा रहे पैरा-एथलीटों का उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने उन्हें भारत का गौरव और ध्वजवाहक बताते हुए कहा कि यह यात्रा न केवल उनके जीवन और करियर के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होने वाली है बल्कि यह देश के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण स्थान रखती है। उन्होंने कहा कि पैरिस में आपकी उपस्थिति से भारत का गौरव जुड़ा है और 140 करोड़ देशवासियों का आशीर्वाद आपके साथ है। विजय भव! श्री मोदी ने आगे कहा कि पैरा-एथलीटों का उत्साह बता रहा है कि वे टोक्यो पैरालिंपिक्स और एशियाई पैरा-गेम के समान पैरिस पैरालिंपिक्स में भी नए रिकॉर्ड बनाने को आतुर हैं।

प्रधानमंत्री ने खिलाड़ी के साहस, समर्पण और त्याग की नींव की सराहना करते हुए कहा कि खिलाड़ी अनुशासन की शक्ति के साथ आगे बढ़ते हैं और उनकी सफलता उनके आत्मविश्वास और आत्म-नियंत्रण का प्रमाण होती है। जब बात पैरा-खिलाड़ियों की आती है तो यह सच्चाई और चुनौतियां कई गुना बड़ी हो जाती हैं। पैरा-एथलीटों के जज्बे की सराहना करते हुए श्री मोदी ने कहा कि उनका यहां तक का सफर बताता है कि वे अंदर से कितने मजबूत हैं। उन्होंने समाज की स्थापित मान्यताओं और शरीर की चुनौतियों को पराजित कर उन्हें सफलता का परम मंत्र बना दिया है। उन्होंने कहा कि आप सफलता का उदाहरण और सबूत हैं। एक बार मैदान में उतरने के बाद आपको कोई हरा नहीं सकता है।

पिछले कुछ वर्षों में पैरा खेलों में भारत के बढ़ते प्रभुत्व को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने याद किया कि 2012 लंदन पैरालिंपिक्स में भारत ने केवल एक पदक जीता था, जिसमें कोई गोल्ड मेडल नहीं था। भारत ने 2016 में ब्राजील के रियो पैरालिंपिक्स में 2 स्वर्ण पदक और कुल 4 पदक जीते। टोक्यो पैरालिंपिक्स में हमारे देश ने 5 स्वर्ण, 8 रजत और 6 कांस्य के साथ कुल 19 पदक जीते। पैरालिंपिक्स खेलों के इतिहास में भारत ने जो 31 पदक जीते हैं, उनमें से 19 अकेले टोक्यो में जीते थे। श्री मोदी ने कहा कि आपमें से कई लोग उस दल का हिस्सा थे और पदक भी जीते थे। उन्होंने कहा कि कोई भी कल्पना कर सकता है कि पिछले 10 वर्षों में भारत खेल और पैरा गेम्स में कितना आगे आ गया है।

खेल के प्रति लोगों की बदलती धारणा पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि गेम्स में भारत की उपलब्धियां खेलों के प्रति समाज के बदलते नजरिए का प्रतिबिंब है। एक समय था जब खेल को खाली समय का काम माना जाता था। इसे एक आशाजनक करियर के रूप में नहीं देखा गया बल्कि नगण्य अवसरों वाले करियर में बाधा के रूप में देखा गया। श्री मोदी ने कहा कि हमारे दिव्यांग भाई-बहनों को कमजोर समझा जाता था। हालांकि अब यह सब बदल गया है। हमने इस सोच को बदला और उनके लिए अधिक अवसर सृजित किए। आज पैरा-स्पोर्ट्स को किसी अन्य खेल के समान ही अधिकार प्राप्त हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि पैरा-एथलीटों की मदद के लिए मध्य प्रदेश के ग्वालियर में पैरा स्पोर्ट्स ट्रेनिंग सेंटर की स्थापना के साथ ही देश में खेलो इंडिया पैरा गेम्स की शुरुआत की गई है। उन्होंने कहा कि हमारे पैरा-एथलीटों को टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टोओपीएस) और खेलो इंडिया कार्यक्रमों के तहत सुविधाओं का लाभ मिल रहा है। मुझे खुशी है कि इस दल में 50 एथलीट टीओपीएस योजनाओं से जुड़े हैं और 16 खेलो इंडिया से हैं।

2024 पैरिस पैरालिंपिक्स के महत्व को दोहराते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह आयोजन कई अन्य मायनों में भारत के लिए विशेष महत्व रखता है। उन्होंने कहा कि कई खेलों में हमारे स्लॉट्स बढ़ गए हैं, इसलिए हमारी भागीदारी भी बढ़ गई है। श्री मोदी ने विश्वास जताया कि पैरिस पैरालिंपिक्स भारत की स्वर्णिम यात्रा में एक बड़ा मील का पत्थर साबित होगा। प्रधानमंत्री ने उन्हें शुभकामनाएं देते हुए कहा कि फ्रांस से लौटने के बाद वह एक बार फिर एथलीटों से मिलेंगे।

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एमजी/एआर/आरकेजे


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