वित्त मंत्रालय
एनईपी 2020 युवाओं को 21वीं सदी की ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था से उत्पन्न होने वाली चुनौतियों और अवसरों का लाभ उठाने के लिए तैयार करती है
पब्लिक और प्राइवेट स्कूलों के साथ भारत में स्कूली शिक्षा प्रणाली विभिन्न सामाजिक-आर्थिक परिदृश्यों के लगभग 26 करोड़ छात्रों की आवश्यकताओं की पूर्ति करती है
पथ प्रदर्शक ईसीसीई प्रोग्राम “पोषण भी पढ़ाई भी” लॉन्च किया गया
अगले पांच वर्षों में सभी 613 कार्यशील डाइट्स को डाइट्स ऑफ एक्सेलेंस में अपग्रेड किया जाएगा
वर्तमान में देशभर में 5116 केजीबीवी में 7.07 लाख छात्राएं नामांकित हैं
सभी स्कूल बोर्डों में समानता के लिए नीतिगत अनुशंसाओं का प्रारूप बनाया जा रहा है
वित्त वर्ष 2025 में 10,080 पीएमश्री स्कूलों के लिए 5942.21 करोड़ रुपये की मंजूरी
पीएम पोषण स्कीम से वित्त वर्ष 2024 में (दिसम्बर 2023 तक) 10.67 लाख स्कूलों में 11.63 करोड़ बच्चों को लाभ पहुंचा
वित्त वर्ष 2019 से वित्त वर्ष 2024 (मार्च 2024 तक) कौशल शिक्षा के तहत 29342 स्कूलों को कवर किया गया
Posted On:
22 JUL 2024 2:39PM by PIB Delhi
केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में ‘आर्थिक समीक्षा 2023-24’ पेश करते हुए कहा कि 2020 में आरंभ की गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) एक नीतिगत दस्तावेज है जिसमें न केवल शिक्षा पर एसडीजी लक्ष्यों को शामिल किया गया है बल्कि यह युवाओं को 21वीं सदी की ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था से उत्पन्न होने वाली चुनौतियों और अवसरों का लाभ उठाने के लिए भी तैयार करती है।
समीक्षा में कहा गया है कि पब्लिक और प्राइवेट स्कूलों के साथ भारत में स्कूली शिक्षा प्रणाली विभिन्न सामाजिक-आर्थिक परिदृश्यों के लगभग 26 करोड़ छात्रों की आवश्यकताओं की पूर्ति करती है। एनईपी 2020 में 3-18 वर्ष के आयु समूह के सभी शिक्षार्थियों को एक ऐसी शैक्षणिक प्रणाली, जिसकी जड़े भारतीय संस्कृति में दबी हुई हैं और जिसमें भारत को एक वैश्विक ज्ञान महाशक्ति के रूप में स्थापित करने की क्षमता है, का सृजन करने के लिए उच्च-गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की सुविधा उपलब्ध कराने की बात कही गई है।
‘पोषण भी पढ़ाई भी’
समीक्षा में उल्लेख किया गया है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के दिशानिर्देशों के अनुरूप, ‘पोषण भी पढ़ाई भी’ (पीबीपीबी) मई, 2023 में लॉन्च किया गया। यह आंगनबाड़ी केन्द्रों में विश्व का सबसे बड़ा, सार्वभौमिक, उच्च गुणवत्तापूर्ण स्कूल-पूर्व नेटवर्क विकसित करने में भारत की सहायता के लिए एक पथप्रदर्शक आरम्भिक शिशु देखभाल एवं शिक्षा (ईसीसीई) कार्यक्रम है।
समीक्षा में रेखांकित किया गया है कि पहली बार किसी सरकारी कार्यक्रम द्वारा 0-3 वर्ष के बच्चों के लिए आरंभिक शिक्षण को कवर किया जा रहा है। कार्यक्रम के माध्यम से, प्रत्येक शिशु को प्रतिदिन कम से कम 2 घंटे की उच्च गुणवत्तापूर्ण स्कूल-पूर्व निर्देश उपलब्ध कराया जाएगा। समीक्षा में कहा गया है कि सभी राज्य दिव्यांग बच्चों के लिए विशेष सहायता सहित 0-3 वर्ष तथा 3-6 वर्ष के बच्चों की विकासात्मक उपलब्धि पर विशेष रूप से लक्षित एक खेल आधारित, कार्यकलाप आधारित शिक्षण प्रणाली के लिए राष्ट्रीय ईसीसीई कार्यबल अनुसंशाओं का अनुसरण करेंगे।
आंगनबाड़ियों की देशव्यापी प्रणाली का सुदृढ़ीकरण
समीक्षा में जोर देकर कहा गया है कि वैश्विक साक्ष्य कि 85 प्रतिशत मस्तिष्क विकास 6 वर्ष की आयु तक हो जाता है, आंगनबाड़ी ईकोसिस्टम उनका भविष्य सुनिश्चित करने हेतु हमारे बच्चों के आधार के निर्माण के लिए एक महत्वपूर्ण एक्सेस प्वांइट बन जाता है। आंगनवाडियों के माध्यम से पीबीपीबी प्राप्त करने के लिए आंगनवाडि़यों को उच्च गुणवत्तापूर्ण अवसंरचना, खेल उपकरण और सु-प्रशिक्षित आंगनवाडी कार्यकर्ताओं/ शिक्षको के साथ सुदृढ़ बनाया जाएगा। इस बारे में, सभी आंगनवाडी कार्यकर्ताओं को 40,000 मास्टर ट्रेनर्स के माध्यम से कार्यकलापों, खेल और स्वदेशी तथा डीआईवाई खिलौनो का उपयोग करने समेत ईसीसीई सिद्धांतों पर प्रशिक्षित किया जाएगा। समीक्षा में यह भी कहा गया है कि जनवरी 2024 तक 25 राज्यों और 182 जिलों को कवर करते हुए, 95 प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से 3735 राज्य स्तरीय मास्टर्स ट्रेनर्स को प्रशिक्षित किया जा चुका है।
स्कूली शिक्षा में सरकार की कुछ प्रमुख योजनाएं/पहल जो एनईपी-2020 के लक्ष्यों और नीतियों को कार्रवाई के लिए प्रेरित कर रही हैं और उनकी प्रगति:
- समग्र शिक्षा अभियान
- निशीथ, एक समेकित शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम जिसे सभी स्तरों पर शिक्षकों को कवर करने के लिए विस्तारित किया गया। निशीथ ईसीसीई में 1,26,208 मास्टर्स ट्रेनर्स को प्रमाणित किया गया।
- अगले पांच वर्षों में सभी 613 कार्यशील जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डाइट्स), स्कूली शिक्षा एवं शिक्षक शिक्षा को दिशा निर्देशित करने वाले जिला स्तरीय संस्थानों को डाइट्स ऑफ एक्सेलेंस में अपग्रेड किया जाएगा। अपग्रेडेशन के इस पहले चक्र में देशभर में 125 डाइट्स के लिए 92320.18 लाख रूपये की राशि को मंजूरी दी गई।
- सभी ग्रेड 1 छात्र जो प्री स्कूल शिक्षा के साथ और बगैर हैं, के लिए एक तीन महीने का खेल आधारित ‘स्कूल प्रीप्रेशन मॉड्यूल’ विद्या प्रवेश को 36 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों द्वारा कार्यान्वित किया गया है। 2023-24 में 8.46 लाख स्कूलों के 1.13 करोड़ छात्रों को कवर किया गया है।
- वर्तमान में देश भर में 5116 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) में 7.07 लाख छात्राएं नामांकित हैं।
- विशिष्ठ जरूरतों वाले बच्चों के लिए समावेशी शिक्षा (सीडब्ल्यूएसएन) के तहत, ऐसे 18.50 लाख बच्चों को प्री-प्राइमरी से कक्षा 12 तक कवर किया गया है।
- राष्ट्रीय आकलन केन्द्र-परख के तहत हितधारक चर्चा के बाद सभी स्कूल बोर्डों में समानता के लिए नीतिगत अनुशंसाओं का प्रारूप तैयार किया जा रहा है।
- दीक्षा पहल के तहत शिक्षार्थियों, शिक्षकों, अभिभावकों आदि के लिए निःशुल्क मोबाइल एप्लीकेशन तथा वेब पोर्टल 36 भारतीय और विदेशी भाषाओं में लॉन्च किया गया। दीक्षा के तहत पंजीकृत 1.71 करोड़ उपयोगकर्ताओं को 3.53 लाख ई-कंटेन्ट उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
- पीएमश्री के तहत स्कूल चयन के तीन चरण पूरे किए गए जिसमें 32 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों/केवीएस/एनबीएस से वित्त वर्ष 2025 में 10,080 पीएमश्री स्कूलों के लिए 5942.21 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है।
- पीएम पोषण स्कीम सरकारी और सरकार सहायता प्राप्त स्कूलों में कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों के लिए गर्म पका हुआ भोजन उपलब्ध कराती है। इस स्कीम से से वित्त वर्ष 2024 में (दिसम्बर 2023 तक) 10.67 लाख स्कूलों में 11.63 करोड़ बच्चों को लाभ पहुंचा।
- राष्ट्रीय साधन सह प्रतिभा छात्रवृत्ति योजना आर्थिक रूप से निर्बल वर्गों के प्रतिभाशाली छात्रों को उन्हें स्कूल छोड़ने से रोकने के लिए छात्रवृत्ति प्रदान करती है। वर्ष 2023-24 में 2,50,089 छात्रों को कुल 300.10 करोड़ रूपये की मंजूरी दी गई।
विद्याजलिः एक स्कूल वोलंटियर प्रोग्राम
विद्याजलि पहल ने व्यापक सामुदायिक सहयोग को सुगम बनाने तथा विभिन्न कार्य क्षेत्रों, जिसमें विषय सहायता और निगरानी तथा आधुनिक इलेक्ट्रानिक्स तथा डिजिटल डिवाइस का प्रावधान शामल है, में वोलंटियर योगदानों का लाभ उठाने के द्वारा 1.44 करोड़ से अधिक छात्रों के शैक्षणिक अनुभवों को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
स्कूल अवसंरचना में प्रगति
सभी स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं पर रिपोर्ट करते हुए समीक्षा में कहा गया है कि 2012-13 के 88.1 प्रतिशत की तुलना में 2022-23 में 97 प्रतिशत महिला शौचालय हैं। 2012-13 के 67.2 प्रतिशत की तुलना में पुरूष शौचालयों की संख्या बढ़कर 95.6 प्रतिशत हो गई है। हाथ धोने की सुविधाएं भी 2012-13 के 36.3 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में 94.1 प्रतिशत तक पहुंच गई हैं। बिजली की सुविधा वाले स्कूलों की संख्या भी 2012-13 के 54.6 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में 91.7 प्रतिशत हो गई है। सभी स्कूलों में इंटरनेट पैठ में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है जो 2012-13 के 6.2 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में 49.7 प्रतिशत तक पहुंच गई है तथा कंप्यूटरों की संख्या 2012-13 के 22.2 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में 47.7 प्रतिशत तक हो गई है।
व्यवसायिक शिक्षा
अर्जित की गई प्रगति के लिहाज से, कौशल शिक्षा के तहत वित्त वर्ष 2019 से वित्त वर्ष 2024 (मार्च 2024) तक 29342 स्कूलों को कवर किया गया है और वित्त वर्ष 2024 तक कौशल शिक्षा के तहत रोजगार की 88 विभिन्न भूमिकाओं (जॉब रोल्स) के साथ 22 सेक्टरों को कवर किया गया।
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एनबी/एमजी/एआर/हिंदी इकाई- (20)
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