प्रधानमंत्री कार्यालय

नई दिल्ली में रिपब्लिक समिट 2024 में प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ

Posted On: 07 MAR 2024 11:58PM by PIB Delhi

आप सबको नमस्कार।

रिपब्लिक टीम को भी मेरी तरफ से विशेष इस समिट के लिए मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं और मैं मानता हूं कि अर्णब ने जो बताया वो दिन भर जो मंथन चला होगा, उसी में से निकला होगा। मैंने आने से पहले पानी इसलिए पिया कि इतना सारा मैं पचा पाऊंगा की नहीं पचा पाऊंगा। कुछ साल पहले जब मैंने कहा था कि ये दशक भारत का है, अब जब हम political लोग बोलते हैं तो लोग यही मानते हैं कि ये तो political statement हैं, ये राजनेता तो बोलते रहते हैं। लेकिन ये भी सच्चाई है, आज दुनिया ये कह रही है कि ये दशक भारत का है। और मुझे ख़ुशी है कि आपने एक कदम और आगे बढ़कर अब Bharat-The Next Decade पर चर्चा शुरू कर दी है। ये दशक, विकसित भारत के सपनों को पूरा करने का एक अहम दशक है। और मैं मानता हूं कि जो भी जिसको influence कर सकता है। कोई भी political ideology हो, कितने ही opposition ख्याल रखते हों, लेकिन ये कहने में क्या जाता है कि भई ये दस साल काम करने जैसे हैं, उसमें क्या जाता है। लेकिन कुछ लोग इतनी निराशा की गर्त मे डूबे हुए हैं कि उनके लिए न ये सोचना, न ये सुनना,  और न ही ये बोलना बड़ा मुश्किल हो गया है। कुछ लोग ख़ासकर हंसी शेयर कर रहे हैं तो स्वाभाविक है कि मेरी बात सही जगह पर पहुंच गई है। लेकिन मैं मानता हूं कि ऐसे विषयों पर चर्चा भी बहुत आवश्यक है, मंथन भी बहुत आवश्यक है।

लेकिन साथियों,

जिस दशक में हम अभी हैं...जो दशक अभी गुजर रहा है...मैं समझता हूं वो आजाद भारत का अब तक का सबसे Important Decade है। और इसलिए ही लाल किले से मैंने कहा था- यही समय है, सही समय है। ये दशक एक सक्षम, समर्थ और विकसित भारत बनाने की नींव को मजबूत करने वाला decade है। ये दशक, उन आकांक्षाओं को, Aspirations को पूरा करने का है जो कभी भारत के लोगों को असंभव लगती थीं। एक mental barrier तोड़ना बहुत जरूरी है। ये दशक भारत के सपनों को, भारत के सामर्थ्य से पूरा करने का दशक होगा। और मैं ये वाक्य बड़ा महत्वपूर्ण बोल रहा हूं – सपने भारत के, सामर्थ्य भी भारत का। अगला दशक शुरू होने से पहले हम भारत को विश्व की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी  बनते देखेंगे। अगला दशक शुरू होने से पहले भारतीयों के पास घर, शौचालय, गैस, बिजली, पानी, इंटरनेट, सड़क, हर बुनियादी सुविधाएं उसके पास होंगी। ये दशक, भारत में वर्ल्ड क्लास एक्सप्रेसवे, हाई स्पीड ट्रेन, देश व्यापी वॉटरवेज नेटवर्क ऐसी अनेक infrastructure की आधुनिकतम चीजों के निर्माण का दशक होगा। इसी दशक में भारत को अपनी पहली बुलेट ट्रेन मिलेगी। इसी दशक में भारत को fully operational dedicated freight corridors मिलेंगे। इसी दशक में भारत के बड़े शहर या तो मेट्रो या नमो भारत रेल के नेटवर्क से जुड़ चुके होंगे। यानि ये दशक, भारत की High Speed Connectivity, High Speed Mobility और High Speed Prosperity का दशक होगा। 

साथियों,

आप भी जानते हैं कि ये समय वैश्विक अनिश्चितताओं और अस्थिरता का समय है। और एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि सेकंड वर्ल्ड वॉर के बाद ये सबसे अधिक अस्थिर समय अनुभव हो रहा है, उसकी तीव्रता भी और उसका स्प्रेड भी। पूरी दुनिया में कई सरकारों को सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन इन सबके बीच, भारत एक सशक्त लोकतंत्र के रूप में विश्वास की किरण बना हुआ है। मैं आशा की किरण नहीं कह रहा हूं, मैं विश्वास की किरण बहुत जिम्मेदारी के साथ बोल रहा हूं। और ये स्थितियां तब है, जब हमने देश में बहुत सारे Reforms भी किए हैं। भारत ने ये साबित किया है कि Good Economics के साथ ही Good Politics भी हो सकती है।

साथियों,

आज ये एक वैश्विक जिज्ञासा, ग्लोबल curiosity है कि भारत ने कैसे किया? ये इसलिए हुआ क्योंकि हमने हमेशा सिक्के के किसी भी पहलू को नजरअंदाज नहीं किया। ये इसलिए हुआ क्योंकि हमने देश की जरूरतें भी पूरी कीं, और सपने भी पूरे किए। ये इसलिए हुआ क्योंकि हमने समृद्धि पर भी ध्यान दिया और सशक्तिकरण पर भी काम किया। जैसे, हमने Corporate Tax में रिकॉर्ड कमी की, लेकिन हमने ये भी सुनिश्चित किया कि Personal Income पर टैक्स कम से कम हो। आज हम हाइवे, रेलवे, एयरवे और वॉटरवे के निर्माण पर रिकॉर्ड Invest कर रहे हैं, लेकिन साथ ही, हम गरीबों के लिए करोड़ों घर भी बनवा रहे हैं, उन्हें मुफ्त इलाज, मुफ्त राशन की सुविधा दे रहे हैं। हमने मेक इन इंडिया की PLI Schemes में छूट दी तो किसानों को बीमा से सुरक्षा और आय बढ़ाने के साधन भी दिए हैं। हम टेक्नोलॉजी और इनोवेशन पर बड़ा Invest कर रहे हैं, लेकिन इसके साथ हमने युवाओं के स्किल डेवलपमेंट पर भी हजारों करोड़ रुपए खर्च किए हैं।

साथियों, 

आजादी के बाद के दशकों में भारत का बहुत समय, उसे गलत दिशा में ले जाने में गंवा दिया गया। एक ही परिवार पर फोकस की वजह से देश का विकास डी-फोकस हो गया। मैं इसके विस्तार में नहीं जाना चाहता हूं। लेकिन आप ये मानेंगे कि विकसित भारत बनने के लिए, हमें अपने खोए हुए समय को भी रिकवर करना होगा। इसके लिए अभूतपूर्व स्केल और अभूतपूर्व स्पीड पर काम करना होगा। आज आप भारत में हर तरफ यही होता देख रहे होंगे। मैं जब गुजरात में था, तो मैं उस समय पब्लिकली चुनौती देता था कि किसी भी दिशा में 25 किलोमीटर जाइये, आपको कोई न कोई development का infrastructure का काम चलता हुआ नजर आएगा। किसी भी दिशा में 25 किलोमीटर, कहीं से भी शुरू करो। मैं आज किलोमीटर की भाषा नहीं बोल रहा हूं, लेकिन मैं आज कह सकता हूं कि आप हिन्दुस्तान के किसी भी क्षेत्र में आप अगर नजर करेंगे कुछ न कुछ पहले से अच्छा हो रहा है। और आप लोग भले इस पर डिबेट कर रहे हैं कि तीसरे टर्म में बीजेपी को 370 से कितनी ज्यादा सीटें मिलेंगी। मैं भी तो आप लोगों के बीच में रहता हूं ना। लेकिन मेरा पूरा ध्यान देश के विकास की स्पीड और स्केल को और बढ़ाने पर ही लगा हुआ है। अगर मैं सिर्फ 75 दिन का हिसाब दूं आपको। सिर्फ 75 दिन की बात करूं, 75 days. तो रिपब्लिक के दर्शक भी हैरान हो जाएंगे और मैं पक्का मानता हूं हैरान हो जाएंगे। यहां कुछ लोग नहीं होंगे, देश में किस स्पीड पर काम हो रहा है। पिछले 75 days में मैंने करीब-करीब 9 लाख करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास और लोकार्पण किया था। ये 110 बिलियन डॉलर से भी ज्यादा होता है। दुनिया के कितने ही देशों का ये साल भर का खर्च भी नहीं है और हमने सिर्फ 75 दिनों में आधुनिक Infrastructure पर इससे ज्यादा Invest कर दिया है।

पिछले 75 दिनों में देश में 7 नए एम्स का लोकार्पण हुआ है। 4 मेडिकल और नर्सिंग कॉलेज, 6 नेशनल रिसर्च लैब्स शुरू हुई हैं। 3 IIM, 10 IIT, 5 NIT के परमानेंट कैंपस या उनसे जुड़ी सुविधाओं का शिलान्यास और लोकार्पण हुआ है। 3 IIIT, 2 आईसीएआर और 10 सेंट्रल इंस्टीट्यूट का शिलान्यास और लोकार्पण हुआ है। स्पेस इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी 1800 करोड़ रुपए की परियोजनाओं का लोकार्पण किया गया है। इन्हीं 75 दिनों में 54 पॉवर प्रोजेक्ट का उद्घाटन या शिलान्यास हुआ। काकरापार परमाणु ऊर्जा प्लांट के दो नए रिएक्टर, राष्ट्र को समर्पित किए गए हैं। कलपक्कम में स्वदेशी फास्ट ब्रीडर रिएक्टर की "कोर लोडिंग" की शुरुआत हुई है। और ये एक बहुत बड़ा revolutionary काम है। तेलंगाना में, 1600 मेगावॉट के थर्मल पॉवर प्लांट का लोकार्पण हुआ है। झारखंड में 1300 मेगावॉट के थर्मल पॉवर प्लांट का लोकार्पण हुआ है। यूपी में 1600 मेगावॉट के थर्मल पॉवर प्लांट का शिलान्यास हुआ है। यूपी में ही 300 मेगावॉट के सोलर पॉवर प्लांट का शिलान्यास हुआ है। इसी कालखंड में, यूपी में ही अल्ट्रा मेगा रीन्यूएबल पार्क का भी शिलान्यास हुआ है। हिमाचल में हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट का शिलान्यास हुआ है। तमिलनाडु में देश के पहले ग्रीन हाइड्रोजन फ्यूल सेल वेसल को लॉन्च किया गया। यूपी के मेरठ-सिंभावली ट्रांसमिशन लाइन्स का उदघाटन हुआ है। कर्नाटका के कोप्पल में विंड एनर्जी ज़ोन से ट्रांसमिशन लाइन्स का उदघाटन किया गया है। इन्हीं 75 दिनों में भारत के सबसे लंबे केबल आधारित ब्रिज का लोकार्पण हुआ है। लक्षद्वीप तक अंडर-सी ऑप्टिकल केबल के काम को पूरा करके लोकार्पण किया गया है। देश के साढ़े 500 से ज्यादा रेलवे स्टेशनों को आधुनिक बनाने का काम शुरू हुआ। 33 नई ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई गई है। रोड, ओवरब्रिज, अंडरपास की 1500 से ज्यादा परियोजनाओं का शुभारंभ हुआ। देश के 4 शहरों में मेट्रो से जुड़ी 7 परियोजनाओं का लोकार्पण किया गया है। कोलकाता को देश के पहले अंडरवाटर मेट्रो की सौगात मिली है। पोर्ट डेवलपमेंट की 10 हजार करोड़ रुपए की 30 परियोजनाओं का लोकार्पण-शिलान्यास हुआ है। पिछले 75 दिनों में ही किसानों के लिए दुनिया की सबसे बड़ी स्टोरेज स्कीम शुरू हुई है। 18 हजार cooperatives के कंप्यूटराइजेशन के काम को पूरा कर दिया गया है। किसानों के बैंक खातों में 21 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा ट्रांसफर हुए हैं। और रिपब्लिक टीवी के दर्शकों को मैं याद दिला दूं कि ये वो प्रोजेक्ट हैं जिसमें मैं शामिल रहा हूं। और ये मैंने सिर्फ शिलान्यास और लोकार्पण की बात की है और भी तो बहुत कुछ किया है, वो मैं नहीं बता रहा हूं। इसके अलावा मेरे सरकार के बाकी मंत्र, बीजेपी एनडीए की दूसरी सरकारों की लिस्ट, अगर मैं बोलता जाऊंगा तो मैं नहीं मानता हूं कि आपने सुबह की चाय का इंतजाम किया है कि नहीं किया है। लेकिन मैं एक और Example दूंगा कि हमारी सरकार की स्केल और स्पीड क्या है, कैसे काम कर रही है। आप भी जानते हैं कि इस साल के बजट में, यानि बजट तो अभी-अभी गया है। इस साल के बजट में सोलर पॉवर से जुड़ी एक बड़ी योजना की घोषणा की गई थी। बजट की घोषणा के बाद पीएम सुर्यघर मुफ्त बिजली योजना को कैबिनेट से मंजूरी देने में, लॉन्च करने में 4 सप्ताह से भी कम का समय गया है। अब तो एक करोड़ घरों को सूर्य घर बनाने के लिए सर्वे भी शुरू हो गया है। इस योजना के तहत सरकार की तैयारी 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने और अतिरिक्त सोलर यूनिट से लोगों को कमाई करवाने की भी है। आज देशवासी हमारी सरकार की स्पीड और स्केल को अपनी आंखों से देख रहे हैं, महसूस कर रहे हैं और इसलिए ही वो कह रहे हैं  एक बार, 400 पार, फिर एक बार 400 पार.... 

साथियों, 

अक्सर लोग मुझसे पूछते हैं कि आपके खिलाफ इतनी Negative Campaign चलाई जाती है, इतने हमले होते हैं...आपको फर्क नहीं पड़ता क्या? मैं उनको यही बोलता हूं कि अगर मैं इस Negative Campaign पर ध्यान देने लग गया तो फिर मुझे जो काम करने हैं वो रह जाएंगे? मैंने 75 दिन का रिपोर्ट कार्ड आपके सामने रखा है, लेकिन साथ ही मैं अगले 25 साल का रोडमैप भी लेकर चल रहा हूं। और मेरे लिए एक-एक सेकेंड कीमती है। इस चुनावी माहौल में भी हम अपने कामकाज को लेकर जनता के पास जा रहे हैं। लेकिन दूसरी तरफ क्या है। दूसरी तरफ गुस्सा है, गालियां हैं और निराशा है। इनके पास ना मुद्दे हैं और ना कोई समाधान है। ऐसा क्यों हो रहा है? ऐसा इसलिए है, क्योंकि इन पार्टियों ने सात दशक तक सिर्फ Slogans पर चुनाव लड़ा। ये लोग गरीबी हटाओ कहते रहे...ये Slogans ही इनकी सच्चाई है। बीते 10 साल में लोगों ने Slogans नहीं, Solutions देखे हैं। खाद्य सुरक्षा हो या खाद कारखानों को फिर से शुरू करना हो,लोगों को बिजली देनी हो या बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना हो, लोगों के लिए आवास योजना बनाने से लेकर आर्टिकल 370 को हटाने तक हमारी सरकार ने सारी प्राथमिकताओं को एक साथ लेकर काम किया है।

साथियों, 

रिपब्लिक टीवी का सवालों के साथ बहुत पुराना रिश्ता रहा है। Nation wants to know… और ये कहते कहते आप लोगों ने अच्छे-अच्छों के पसीने छुड़ा दिए हैं। पहले देश में सवाल होता था कि आज देश कहाँ है, देश किस हालत में है! लेकिन देखिए, बीते 10 वर्षों में ये सवाल कैसे बदल गए हैं! 10 साल पहले लोग बोलते थे- हमारी इकोनॉमी का अब क्या होगा? आज लोग पूछते हैं- हम कितनी जल्दी तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बनेंगे। 10 साल पहले लोग बोलते थे- हमारे पास ये विकसित देशों वाली टेक्नोलॉजी कब आएगी। आज लोग विदेशों से आने वालों से पूछते हैं- आपके यहां डिजिटल पेमेंट नहीं होता क्या? 10 साल पहले लोग नौजवानों से कहते थे- नौकरी नहीं मिलेगी तो क्या करोगे? आज लोग नौजवानों से पूछते हैं- तुम्हारा स्टार्टअप कैसा चल रहा है। 10 साल पहले ये Analysts पूछते थे- इतनी महंगाई क्यों है? आज यही लोग पूछते हैं- पूरी दुनिया के संकट के बाद भी भारत में महंगाई नियंत्रित कैसे है। 10 साल पहले पूछा जाता था- विकास क्यों नहीं हो रहा? आज पूछा जाता है- आखिर हम इतनी तेजी से विकास कर कैसे रहे हैं।  पहले लोग पूछते थे- अब कौन सा घोटाला निकला? आज पूछा जाता है- अब कौन से घोटालेबाज पर कार्रवाई हुई? पहले मीडिया के साथी पूछते थे- कहां हैं Big Bang Reforms? आज पूछा जाता है- इलेक्शन टाइम बजट में भी Reforms कैसे आ रहे हैं? 10 साल पहले लोग पूछते थे- जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 कभी खत्म होगा क्या? आज पूछा जाता है- कश्मीर में कितने पर्यटक आए? कश्मीर में कितना निवेश आया? वैसे मैं आज सुबह ही श्रीनगर में था।  अनेकों नई परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण करके आया हूं। और आज नजारा ही कुछ और था दोस्तों। 40 साल से मेरा इस धरती से नाता रहा है। आज मैंने अलग मिजाज देखा, अलग रूप देखा, सपने देखें, आत्मविश्वास से भरे हुए लोग देखे मैंने।

साथियों,

दशकों तक सरकारों ने जिन्हें कमजोर मानकर, liability मानकर छोड़ दिया, इन 10 वर्षों में हमने उनकी ज़िम्मेदारी लेने का काम किया है। इसीलिए मैं कहता हूं- जिसका कोई नहीं, मोदी उसके साथ खड़ा है। आप Aspirational Districts का उदाहरण लीजिए वर्षों तक, इन जिलों को, यहां रहने वाले करोड़ों देशवासियों को पिछड़ा बताकर भाग्य के भरोसे छोड़ दिया गया था। ये पिछड़ा इलाका है। हमारी सरकार ने ना सिर्फ सोच बदली, बल्कि एप्रोच भी बदला और साथ-साथ भाग्य भी बदला। इसी तरह हमारे बॉर्डर किनारे के जिले और वहां रहने वालों की भी जिंदगी थी। पहले की सरकारों की नीति थी कि सीमा से सटे इलाकों का विकास ना हो official कहते थे, विकास ना हो। इस नीति के कारण वहां रहने वाले लोगों को भी परेशानी होती थी, पलायन होता था। हमने Vibrant Villages Program शुरू किया, जिससे कि लोग सशक्त हों और इलाकों की स्थितियां बदलें। दिव्यांगों का उदाहरण देखिए। वर्षों तक इनपर किसी ने ध्यान नहीं दिया क्योंकि ये वोट बैंक नहीं थे। हमने ना सिर्फ दिव्यांगों को हर क्षेत्र में प्राथमिकता दी, बल्कि लोगों की सोच भी बदली। आप हैरान हो जाएंगे जी मैं कहूंगा ये ऑडियंश को तो शायद बैचेनी हो जाएगी। हमारे यहां राज्यों में languages अपने अपने तरीके से विकसित हुई है, विविधता है गर्व का विषय है। लेकिन हमारे जो specially abled लोग हैं। जिनको सुनने बोलने की दिक्कत है। उनके लिए साइनेजिज की जरूरत होती है। आप हैरान हो जाएंगे हमारे देश में साइनेजेज भी अलग-अजग प्रकार के चलते थे। अब मुझे बताइये की दिल्ली का आदमी जयपुर जाए और सामने वाला दूसरे साइनेज में बात करेगा तो क्या होगा उसका? आजादी के इतने सालों के बाद मैंने उस काम को किया कमिटी बिठाई, और आज पूरे देश में मेरे दिव्यांगजनों के लिए एक ही प्रकार के साइनेजिस पढ़ाए जाते हैं। बात छोटी लगेगी लोगों। लेकिन जब एक संवेदनशील सरकार होती है ना। तब उसकी सोच उसका एप्रोच जमीन से जुड़ा हुआ होता है, जड़ों से जुड़ा हुआ होता है और जनों से जुड़ा हुआ होता है। और देखिए दिव्यांगों के प्रति आज समान का नजरिया बदला है। 

पब्लिक इनफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण तक दिव्यांगों के हिसाब से और जो architecture होते हैं, वो भी डिजाइन करते समय दिव्यांग के लिए बनाकर ला रहा है। ऐसे कितने ही स्पेशल ग्रुप्स और कम्यूनिटीज हैं, जिन्हें आजादी के बाद से कोई महत्व नहीं दिया गया। हमने ऐसी घुमंतू जनजातियों के लिए स्पेशल वेलफेयर बोर्ड बनाया। किसी ने भी हमारे लाखों रेहड़ी पटरी वाले दुकानदारों के बारे में नहीं सोचा। लेकिन कोरोना के समय हमारी सरकार ने इनके लिए पीएम स्वनिधि योजना बनाई। किसी ने भी हमारे उन स्किल्ड कलाकारों की परवाह नहीं की, जिन्हें आज हम विश्वकर्मा कहते हैं। हमने ये सुनिश्चित किया कि इस वर्ग को स्किलिंग से फंडिंग तक किसी चीज की दिक्कत ना आए! इस पर केंद्र सरकार अब 13 हजार करोड़ रुपए खर्च कर रही है।

साथियों,

रिपब्लिक टीवी की टीम जानती है कि हर उपलब्धि के पीछे मेहनत, विज़न और संकल्पों की एकलंबी यात्रा होती है। जो अभी अर्नब ने भी थोड़ा बहुत ट्रेलर दिखाया हमको। भारत भी अपनी इस यात्रा में तेज गति से आगे बढ़ रहा है। अगले Decade में भारत जिस ऊंचाई पर होगा, वो अभूतपूर्व होगी, अकल्पनीय होगी। और ये भी मोदी की गारंटी है।

साथियों,

मुझे अच्छा लगा आप भी एक ग्लोबल विजन को लेकर के आगे बढ़ रहे हैं। तो मुझे पक्का विश्वास है, लेकिन जो आपने कहा तो मैं without royalty एक-दो सुझाव दे दूं। कोई royalty की जरूरत नहीं है मुझे। देखिये आप राज्यों का जो चैनल बनाने के लिए सोच रहे हैं। एक के बाद, एक के बाद करने जाएंगे तो मेल नहीं बैठेगा। मैं मूलत: मेरा सोचने का तरीका ही अलग है, इसलिए मैं कह रहा हूं। आप एक डेडिकेटेड ऐसा चैनल बनाइये, जिसमें आप टाइम फिक्स कीजिए कि दो घंटे गुजराती, दो घंटे बंगाली, दो घंटे मलयालम, एक ही चैनल हो। और आज गूगल गुरू आपका ट्रांसलेशन तो कर ही देता है। और मैं एआई की दुनिया में काफी आगे बढ़ा रहा हूं देश को। अब मेरे अपने भाषण आठ-नौ भाषाओं में तो आप आसानी के साथ सुन सकते हैं। अभी मैं भाषण कर रहा हूं सभी भाषाओं में बहुत ही without no time मिल जाएंगे, तमिल लोगों को मिलेगा, पंजाबियों को मिलेगा। आप भी उससे क्या होगा आपकी एक कोर टीम तैयार हो जाएगी। और जो कोर टीम ज्यादा तैयार होती है। जो economically viable बनता है, फिर आपको 15 दिन के बाद उसको dedicate कर दीजिए। आप एक दिन में छह राज्यों के चैनल क्यों नहीं चलाते। टाइम फिक्स कर दीजिए। मैं और टेक्नॉलाजी के लिए कोई मुश्किल काम नहीं है। दूसरा जो आप ग्लोबल चैनल बनाना चाहते हैं। जरूरी नहीं कि हर कोई आपका चैनल देखे। शुरू में आप एक न्यूज एजेंसी के रूप में सार्क देशों पर काम कर सकते हैं। ये मालदीव वाले लोगों को मदद हो जाएगी। नशीद मेरा बहुत पुराना दोस्त है, तो मैं उसे कुछ भी कह सकता हूं। लेकिन अगर आप सार्क देशों में करें कम से कम, क्योंकि उन लोगों को इंडिया के न्यूज में इंटरेस्ट होता है, सार्क देशों में। उनकी language एक प्रकार से फिर vimset में चले जाइये। धीरे-धीरे मैं समझता हूं, लेकिन काम ऐसा नहीं होता साहब कि इस पांच साल में मनरेगा करूंगा, फिर पांच साल तक मनरेगा के ढोल पीटूंगा। देश ऐसे नहीं चलता है जी। देश तेज गति से चलता है, देश को बहुत बड़े काम करने होते हैं। और मैं मानता हूं आपको तो चुनाव लड़ना नहीं है फिर चिंता क्यों कर रहे हो। और मुझे लड़ना है तो भी मैं चिंता नहीं कर रहा हूं। चलिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं, बहुत-बहुत धन्यवाद।

 

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DS/ST/DK/AK



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