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मोढेरा, गुजरात में आधारशिला रखने और विकास कार्यों के समर्पण के अवसर पर प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ

Posted On: 09 OCT 2022 11:39PM by PIB Delhi

आज मोढेरा के लिए, मेहसाणा के लिए और पूरे नॉर्थ गुजरात के लिए विकास की नई ऊर्जा का संचार हुआ है। बिजली-पानी से लेकर रोड-रेल तक, डेयरी से लेकर कौशल विकास और स्वास्थ्य से जुड़े अनेक प्रोजेक्ट्स का आज लोकार्पण और शिलान्यास हुआ है। हजारों करोड़ रुपए से अधिक के ये प्रोजेक्ट्स, रोज़गार के नए अवसर पैदा करेंगे, किसानों और पशुपालकों की आय बढ़ाने में मदद करेंगे और इस पूरे क्षेत्र में हैरिटेज टूरिज्म से जुड़ी सुविधाओं को भी विस्तार देंगे। आप सभी को इन विकास परियोजनाओं के लिए बहुत-बहुत बधाई। ये मेहसाणा वालों ने राम-राम।

साथियों,

आज जब हम भगवान सूर्य के धाम मोढेरा में हैं, तो ये सुखद संयोग है कि आज शरद पूर्णिमा भी है। साथ ही, आज महर्षि वाल्मीकि जी की जयंती का पावन अवसर भी है। यानी, एक प्रकार से त्रिवेणी संगम हो गया है। महर्षि वाल्मीकि ने हमें भगवान राम के समरस जीवन के दर्शन करवाए, समानता का संदेश दिया। आप सभी को, पूरे देश को शरद पूर्णिमा और वाल्मीकि जयंती की बहुत-बहुत शुभकामनाएं !

भाइयों और बहनों,

बीते कुछ दिनों से आप लगातार देखते होंगे टीवी में, अखबारों में, सोशल मीडिया में सूर्यग्राम को ले करके, मोढेरा को ले करके पूरे देश में चर्चा चल पड़ी है। कोई कहता है कि कभी सोचा नहीं था कि सपना हमारी आंखों के सामने साकार हो सकता है, आज सपना सिद्ध होता देख रहे हैं। कोई कहता कि है हमारी चिर-पुरातन आस्था और आधुनिक टेक्नॉलॉजी, मानो एक नया संगम नजर आ रहा है। कोई इसे भविष्य के स्मार्ट गुजरात, स्मार्ट भारत की झलक बता रहा है। ये आज हम सभी के लिए, पूरे मेहसाणा, पूरे गुजरात के लिए गौरव का पल ले करके आया है। मैं जरा मोढेरावालों को पूछूं या, चाणस्मा वालो को पूछूं या, मेहसाणा वालो को पूछूं, आप मुझे कहो कि इससे आपका सिर ऊंचा हुआ कि नहीं हुआ, सिर गर्व से ऊंचा हुआ की नहीं हुआ, आपको खुद को आपके जीवन में आप के सामने कुछ होने का आनंद आया की नहीं आया। पहले दुनिया मोढेरा को सूर्य मंदिर की वजह से जानती थी, लेकिन अब मोढेरा के सूर्य मंदिर से प्रेरणा ले करके मोढेरा सूर्यग्राम भी बन सकता है, ये दोनों एक साथ दुनिया में पहचाने जाएंगे और मोढेरा पर्यावरणवादियों के लिए दुनिया के मैप पर अपनी जगह बना लेगा दोस्‍तो।

साथियों,

गुजरात का यही तो सामर्थ्य है, जो आज मोढेरा में नजर आ रहा है वो गुजरात के हर कोने में मौजूद है। कौन भूल सकता है ये मोढेरा के सूर्य मंदिर को ध्‍वस्‍त करने के लिए, उसको मिट्टी में मिलाने के लिए आक्रांताओं ने क्‍या कुछ नहीं किया था। यही मोढेरा जिस पर भांति-भांति के अनगिनत अत्‍याचार हुए थे, आज अब अपनी पौराणिकता के साथ-साथ आधुनिकता के लिए दुनिया के लिए मिसाल बन रहा है।

भविष्य में जब भी सोलर पावर को ले करके बात होगी, जब भी दुनिया में सौर उर्जा की बात होगी तो तब मोढेरा पहला नाम दिखेगा। क्‍योंकि यहाँ सभी सोलर उर्जा से सोलर पावर से चल रहा है, घर की रोशनी हो, खेती-बाड़ी की जरूरत हो, यहां तक कि गाड़ियां, बसें भी  यहां सोलर पावर से चलाने का प्रयास होगा। 21वीं सदी के आत्मनिर्भर भारत के लिए हमें अपनी ऊर्जा जरूरतों से जुड़े ऐसे ही प्रयासों को बढ़ाना है।

साथियों,

मैं गुजरात को, देश को, हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए, आपकी संतानों को सुरक्षा मिले इसके लिए दिन-रात मेहनत करके देश को उस दिशा में ले जाने का निरंतर प्रयास कर रहा हूं। और वह दिन दूर नहीं होगा जैसे मोढेरा मैंने अभी टीवी पर देखा सभी भाई कहते थे कि अब हमारे घर के ऊपर ही बिजली उत्पन्न होती है, और सरकार से हमें पैसा भी मिलता है। बिजली मुफ्त ही नहीं बिजली के पैसे भी मिलते हैं। यहाँ बिजली के कारखाने का मालिक भी वही घरवाला, कारखाने का मालिक भी वही खेतवाला और उपयोग करने वाला ग्राहक भी वही। जरूरत की बिजली उपयोग करो और अतिरिक्त बिजली सरकार को बेच दो। और इससे बिजली के बिल से भी छुटकारा मिलेगा इतना ही नहीं अब हम बिजली बेच करके कमाई करेंगे।

बोलो दोनों हाथ में लड्डू है कि नहीं, और समाज पर प्रजा पर कोई बोझ भी नहीं, बिना बोझ के लोगों का भला कर सकते हैं, उसके लिए परिश्रम होगा, पर हम तो परिश्रम करने के लिए तो हमारा सृजन हुआ है। और आपने जो संस्कार दिए है, आपने जो मेरा सिंचन किया है, और हमारा जो मेहसाणा जिला कितना मुसीबत वाला जिला था, और उसमें जिसका सिंचन हुआ हो, तो परिश्रम करने में कभी पीछे नहीं हटा, कभी पीछे नहीं हटा?

साथियो,

अब तक ये होता था कि सरकार बिजली पैदा करती थी और जनता खरीदती थी। लेकिन मैं उस रास्‍ते पर चलने के लिए प्रतिबद्ध हूं, देश को भी इसके साथ जोड़ने के लिए प्रयास कर रहा हूं, मुझे आगे का रास्‍ता नजर आ रहा है। और इसलिए ही केंद्र सरकार ये लगातार प्रयास कर रही है कि अब लोग अपने घरों में सोलर पैनल लगाएंगे, किसान अपने खेतों में बिजली पैदा करें, सौर पंप का उपयोग करें। और आप मुझे कहो की पहले हमे हॉर्स पावर के लिए आंदोलन करने पड़ते थे, अब तो आपके खेत के किनारे पर जो तार बांध के जो 2-2- मीटर जमीन बर्बाद करते हैं, उसके बदले सोलर पैनल लगा दी हो तो वही सोलर से अपना पंप भी चलेगा, खेत को पानी भी मिलेगा, और ऊपर की बिजली सरकार खरीद लेगी, आप कहो हमने पूरा चक्र बदल दिया कि नहीं भाई और इसके लिए सरकार सोलर पावर को बढ़ावा देने के लिए आर्थिक मदद दे रही है, लाखों सोलर पंप वितरित कर रही है।

खेत में से पानी खींचने के लिए, निकालने के लिए उपयोग में आए उसके लिए कार्य करते है। यहाँ अभी मुझे युवा बहुत दिखते है लेकिन जो 20-22 साल के है उन्हें ज्यादा पता नहीं होगा । अपने मेहसाणा जिले की हालत कैसी थी भाई, बिजली नहीं मिलती थी, बिजली कब जाती है, बिजली आई कि नहीं उसके समाचार आते थे। और पानी के लिए तो हमारी बहन-बेटियों को 3-3 किलोमीटर सिर पर मटका ले के जाना पडता था। ऐसे दिन उत्तर गुजरात की मेरी माताएं-बहनों, उत्तर गुजरात के मेरे युवाओं ने देखे है दोस्तो, आज जो 20-22 साल के जो बेटे-बेटियां हैं, ना उन्हें ऐसी मुसीबतों का पता भी नहीं है। यहाँ स्‍कूल-कॉलेज जाने वाले जो युवा हैं, उन्हें तो यह सब सुन के भी आश्चर्य होगा की ऐसा था।

साथियों,

हम कैसी परिस्थिति में जीते थे वो सब तो आप जब अपने पुरखों से बात करोगे तो वो आपको कहेंगे। कई प्रकार की समस्या से चलना पड़ता था और बिजली के अभाव में पढ़ना तो खूब मुश्किल था बच्चो के लिए, घर में टीवी या पंखे का तो जमाना ही नहीं था अपने लिए। सिंचाई की बात हो, पढ़ाई की बात हो या दवा की बात हो, सभी में मुसीबतों का पहाड़। और उसका सबसे बड़ा प्रभाव हमारी बच्चियों की शिक्षा पर पडता था। अपने मेहसाणा जिले के लोग स्वभाव से प्राकृतिक गणित और विज्ञान में आगे। आप अमेरिका में जाओ तो उत्तर गुजरात का चमत्कार वहाँ गणित विज्ञान के क्षेत्रों में दिखेगा। पूरे कच्छ में जाओ तो मेहसाणा जिले के शिक्षक दिखेंगे। कारण अपने पास यह कुदरत का सामर्थ्य था, लेकिन संजोग ऐसे थे बिजली, पानी की अछत में जीने का उसके कारण, जिस ऊंचाई पर जाने का जिस पीढ़ी को अवसर मिलना था वह नहीं मिला था।

आज की पीढ़ी को मैं कहना चाहता हूं कि दम आप में चाहिए आसमान जितने अवसर आपके पास है दोस्तो, इतना ही नहीं साथियो, यहाँ अपने वहाँ कानून की स्थिति कैसी थी, घर से बाहर निकलो, यहाँ से अहमदाबाद जाना हो तो, फोन करके पूछे कि अहमदाबाद में शांति है ना हमे वहाँ खरीदी करने आना है, बेटी की शादी है। ऐसे दिने थे, थे की नहीं भाई? ऐसा था कि नहीं ? आये दिन हुल्लड़ होते थे कि नहीं होते थे, अरे यहाँ तो दशा ऐसी थी कि बच्चा के जन्म के बाद वह जब बोलना शुरू करता था तो उसके काका-मामा के नाम नहीं आते थे लेकिन पुलिस वाले के नाम आते थे क्योंकि वह घर के बाहर ही खड़े रहते थे कर्फ्यू शब्द उसने बचपन से सुना था। आज 20-22 साल के युवाओं ने कर्फ्यू शब्द सुना नहीं है, यह कानून व्यवस्था का काम हमने गुजरात ने करके दिखाया है। विकास के विरोध का वातावरण लेकिन पिछले दो दशक में आपने हमारे में जो विश्वास रखा है, उसके कारण, आज देश, हिन्दुस्तान के प्रमुख राज्य के अंदर अपना झंडा गाड़ के खडा हो गया है। भाइयों, यह है गुजरात का जय जयकार, और उसके लिए मैं गुजरात के करोड़ों गुजराती का उनकी खुमारी का, नतमस्तक झुकाकर वंदन करता हूं।

भाईयों,

यह आपके पुरुषार्थ के कारण, सरकार और जनता जनार्दन ने मिलके एक नया इतिहास बनाया है और यह सब, आपके पूर्ण विश्वास के कारण संभावित हुआ है, कभी आपने मेरी जात नहीं देखी, कभी आपने मेरे राजनीतिक जीवन को देखा नहीं, आपने आंख बंद करके मुझे आशीर्वाद दिया है, पूरी ममता से प्रेम से दिए है, और आपका मापदंड एक ही था कि मेरे काम को आपने देखा, और मेरे काम को आप मोहर लगाते आए हो, और मुझे ही नहीं मेरे, साथियों को भी आप आशीर्वाद देते आये हो, और जैसे आपके आशीर्वाद बढ़ते जाते है, वैसे मेरे कार्य करने कि इच्छा भी बढ़ती जाती है, और मेरे कार्य करने की ताकत भी बढती जाती है ।

साथियो,

कोई भी परिवर्तन ऐसे ही नहीं आता उसके लिए दूरगामी सोच होनी चाहिए, विचार चाहिए। मेहसाणा के आप लोग सभी साक्षी है, हमने पंच शक्ति के आधार पर संपूर्ण गुजरात के विकास के आधार पर पांच पिलर खड़े किए थे। में जब मुख्यमंत्री था तब दूसरे राज्यों के साथ बात करूं तो मैं उन्हें कहता था कि हमारा बड़ा बजट पानी के लिए खर्च करना पडता है, हम पानी के बिना बहुत मुसीबत में जी रहे है 10 साल में 7 साल अकाल में निकालते हैं। हमारे बजट का इतना बड़ा हिस्सा, हिन्दुस्तान के दूसरे राज्यों को समझ में ही नहीं आ रहा था इतना बड़ा खर्च करना पड़ेगा, इतनी सारी मेहनत करनी पड़ेगी। और इसलिए जब हम पंचामृत योजना लेकर निकले थे, उसमें सबसे ज्यादा फोकस किया गुजरात के लिए, जो पानी नहीं होगा, जो गुजरात के पास बिजली नहीं होगी तो यह गुजरात बरबाद हो जाएगा।

दूसरी जरूरत थी मुझे आने वाली पीढ़ी की चिंता थी और उसके लिए शिक्षा, बुजुर्गों के लिए स्वास्थ्य, तंदुरुस्ती के लिए पूरी ताकत लगाई और तीसरी बात, गुजरात भले ही व्यापारी के लिए माल ले या दे, लेकिन खेती के लिए जो पीछे था, हिंदुस्तान में सबसे पीछे नंबर पर था खेती में खेती में जो आगे बढ़े तो मेरा गाँव समृद्ध हो और मेरा गाँव समृद्ध हो तो मेरा गुजरात कभी पीछे नहीं पडेगा, और उसके लिए हमने खेती की ओर ध्यान दिया और जो गुजरात को तेज गति से बढाना हो तो उत्तम प्रकार के रास्ते चाहिए, उत्तम प्रकार की रेल चाहिए, उत्तम प्रकार के एयरपोर्ट चाहिए कनेक्टिविटी चाहिए, और तभी विकास के फल चखने के लिए हमारे पास अवसर खडे हों। विकास रुकेगा नहीं, आगे बढ़ता ही रहेगा। और इसके लिए जरुरी यह सब यानी, उद्योग आएगें, पर्यटन आयेगा, विकास होगा, और आज गुजरात में वह दिखता है।

आप देखो स्टैच्यू ऑफ यूनिटी अमेरिका में लिबर्टी भी लोग जाते है उससे ज्यादा हमारे सरदार साहब के चरणों में वंदन करने के लिए लोग ज्यादा आते है। यह मोढेरा देखते ही देखते टूरिज्म सेंटर बन जाएगा दोस्तो, आप बस तैयारी करो की यहाँ आनेवाला कोई भी टूरिस्ट निराश होकर न जाये, दुखी होकर न जाये, वह जो गाँव तय करेगा टूरिस्‍ट यहाँ ज्यादा आने शुरू हो जाएंगे ।

साथियो,

ऐसे गाँव-गाँव बिजली पहुंचाने की और 24 घंटे बिजली देने की बात मैंने सबसे पहले ऊँझा में शुरू की थी ऊँझा में ज्योतिग्राम योजना बनाई थी, हमारे नारायण काका यहां बैठे हैं, उन्हें पता था उस समय धारा सभ्य थे, सभी गुजराती उसके गवाह है, कि हमने तय किया की मुझे 24 घंटे घर में बिजली देनी है तो ऐसा अभियान तय किया कि 1000 दिन में हम में वह काम करके दिखाया है। और आपके पास मैंने सीखा था, और दिल्ली गया तो मैंने देखा की 18000 गाँव ऐसे थे की जहाँ बिजली पहुँची ही नहीं थी। वहाँ भी मैंने कहा की मुझे 1000 दिन में बिजली चाहिए, और साहब आपको आनंद होगा कि आपके गुजरात के बेटे ने 18000 गाँव को बिजली वाला कर दिया ।

मुझे याद है 2007 में पानी के एक प्रोजेक्ट के उद्घाटन के लिए लोकार्पण के लिए यहाँ डेडियासण आया था और तब मैंने कहा था कि जो लोग गुजरात में पानी के जो प्रयास है उसकी कीमत नहीं मानते उसका जो महत्व नहीं समझते उन्हें 15 साल के बाद पता चलने लगा, टीवी पर देखने लगे तब तो उन्हे पता चला की यह पानी के लिए 15 साल तक जो तप किया है न वह हमारे गुजरात को हरा भरा कर रहा है, और मेरी माता-बहनों के मुख पर मुस्कान आ रही है। यह पानी की ताकत है। देखो सुजलाम सुफलाम योजना और सुजलाम सुफलाम केनाल बनाई। मैं गुजरात के किसानों का जितना आभार मानूं उतना कम है, कि सुजलाम सुफलाम केनाल के लिए, कोसी की कोर्ट कचहरी के कानून के बंधन के बिना लोगों ने मुझे जो जमीन चाहिए थी वह दी। देखते ही देखते सुजलाम सुफलाम केनाल बन गई और जो पानी दरिया में डाला जाता था वह पानी आज उत्तर गुजरात के खेतों में डाला जाता है और मेरा उत्तर गुजरात तीन-तीन पाक पकाने लगा है।

आज पानी से जुड़ी योजना उसके उद्घाटन-शिलान्यास उसका मुझे अवसर मिला। विसनगर, मेरा गांव वडनगर, हमारा खेरालु तालुका इसका सबसे बड़ा लोगों को इसके कारण पानी की सुविधा बढ़ेगी और पानी आए तो उसका सीधा लाभ परिवार की तंदुरुस्ती पर होगा, माता-बहनो की शक्ति का सदुपयोग होगा, पशुपालन जितना आगे बढ़ेगा उतना संभव बनेगा, खेती को तो सभी तरह का लाभ होगा और इसलिए पशुपालन और हमारा मेहसाणा जिले की पहचान है, और अभी मुझे अशोक भाई कहते थे कि हमने 1960 के बाद डेयरी में रिकॉर्ड मुनाफा किया है। मेरे उत्तर गुजरात के पशुपालकों को अभिनंदन देता हूं कि आपने पशुपालन डेयरी ऐसे लोगों के हाथ में सौंपी कि जो चोरी होती थी वह बंद हुआ और आपको मुनाफे के पैसो में भागीदार बनाया।

भाईयों,

आपने तो वह दिन देखे है जब, पानी न हो, चारा न हो, अकाल हो, हमें घास चारा हिन्दुस्तान के कोने कोने से लाना पड़ता था ट्रेन भर-भर के, पानी के लिए पशु परेशान थे, और अखबार में पन्ने भर-भर के समाचार आते थे। आज उन सभी से हम मुक्त हुए इसलिए 20-22 साल के युवाओं को पता नहीं कि कैसी मुसीबतों में से गुजरात को हमने बाहर निकाला है और अब जबरदस्त बड़ी छलांग लगाकर आगे बढना है, इतने से संतोष नहीं मानना है, मेरा मन तो यह जो हुआ है उससे कई गुना ज्यादा करना है।

बिजली पहुँचे, पानी पहुँचे तो औद्योगिक विकास हो, कृषि उत्पादन में वृद्धि हो, दूध के उत्पादन में वृद्धि हो और अब तो फूड पार्क उसका भी काम बढ़ रहा है, एफपीओ बन रहे है उसका भी काम बढ रहा है, अपना मेहसाणा दवाई, प्‍लास्टिक, सीमेंट, इंजीनियरिंग यह सभी उद्योगों के लिए एक बड़ा ऊर्जा केंद्र बन रहा है क्योंकि उसकी खपत बढी है। अपना मांडल, बेचराजी स्‍पेशल इन्वेस्टमेन्ट रीजन, उसके बाद तो ओटोमोबाईल इंडस्‍ट्री, जापान वाले गाड़ी यहाँ बनाएँ और यहाँ बनाई हुई गाड़ी जापान में मंगाए बोलो साहब, इससे बड़ा क्‍या होगा, जापान के लोग यहाँ आते है, यहाँ आके पैसे का निवेश करे, यहाँ गाड़ी बनाते है, बुद्धि, पसीना गुजरात के युवाओं का और अब जापान को गाड़ी चाहिए तो, वो गाड़ी जापान मंगाते है चलाने के लिए, आज तीन प्‍लांट और लाखो गाड़ियां बन रही है, साइकिल बनानी मुश्किल थी दोस्तो, गाड़ियां बन रही है, मेरे शब्द लिख लेना दोस्तो जो गुजरात में साइकिल नहीं बनती थी वहाँ गाड़ियां बनी, मेट्रो के कोच बनने लगे और वह दिन दूर नहीं होगें आप जो उपर एरोप्लेन देख रहे हो न वह गुजरात की धरती पर बनेंगे।

यह सुजुकी के छोटे छोटे सप्लायर है 100 से ज्यादा सप्लायर, छोटे छोटे स्पेयर पार्ट्स बनाते है, आप सोचो दुनिया बदल रही है इलेक्ट्रिक व्हीकल पर जाए बिना छुटकारा नहीं है उसका बड़ा काम हिन्दुस्तान का सबसे बड़ा कार्य हमारी माँ बैचराजी के चरणों में हो रहा है। हमारा लिथियम आयर्न बनाने का प्लान्ट अपने हांसलपुर में और मुझे हांसलपुर के किसान का फिर से आभार मानना है, आपको होगा कि क्यूं अभी याद आया, मैं आपको एक किस्सा बताता हूं, यह सब सारे ऐसे बरबादी वाले विचार लेनेवाले सब लिखे, बोले और आंदोलन करे जब हमने यह सुजुकी सब लाने का तय किया तो हांसलपुर के पूरे पट्टे में तो सभी किसान आंदोलन पर चढ़े, और अपनी यहाँ जमीन ऐसी है कि बाजरा पकना भी मुश्किल होता था, पूरा सूखा पड़ा था, तो सभी ने आंदोलन किया और गांधीनगर आए, मैं मुख्यमंत्री था, आने के बाद सब जिंदाबाद, मुर्दाबाद बोलते थे और मोदी के पुतले जलाने का काम चलता था।

मैंने  कहा ऐसा नहीं भाई सबको अंदर बुलाओ, मैंने सभी को अंदर बुलाया और सबको मिला, मैंने  कहा आपकी क्या शिकायत है कहो भाई, बस कहा हमें यह नहीं चाहिए, हमें जमीन नहीं देनी, मैंने कहा आपकी इच्छा हम दूसरी जगह ले जाएंगे, तो उसमें 5-7 लोग समझदार खडे हुए, वो बोले साहब ऐसा मत करना, हमारे यहाँ ही लाओ, और वो जो किसानों ने समझदारी दिखाई, आंदोलन बंद किए और आप सोचो आज औद्योगिक क्षेत्रों में पूरे पट्टे का नाम रोशन हो रहा है, पूरे मेहसाणा तक विकास होने वाला है।

भाइयों,

आप सोचो यह वेस्टर्न फ्रेट कॉरिडोर, दिल्‍ली-मुंबई फ्रेट कॉरिडोर उस पर तेजी से काम चल रहा है, एक प्रकार से मैन्‍युफैक्‍चरिंग हब उसकी अपनी पहचान बन रही है। और इतना ही नहीं लॉजिस्टिक भंडारण इस सेक्टर में भी कंई संभावनाए बढ रही है, नए रोजगार के अवसर बन रहे है ।

साथियों,

पिछले दो दशक में हमने कनेक्टिविटी पर जोर दिया, और अब डबल इंजन सरकार नरेन्द्र और भूपेन्द्र दो एक हो गए ना, इसलिए साहब गति जबरदस्त बढ़ गई है। आप देखो अंग्रेजो के जमाने में आपको जानकर दुख होगा दोस्तों, अंग्रेजों के जमाने में आज से लगभग 90-95 साल पहले 1930 में अंग्रेजों ने एक नियम बनाया था, उसकी पूरी फाइल है, उसका पूरा नक्शा है उसमें, मेहसाणा–अंबाजी–तारंगा–आबुरोड रेलवे लाईन की बात लिखी हुई है लेकिन उसके बाद जो सरकार आई उसको गुजरात तो बुरा लगता था, तो यह सब खड्डे में गया, हमने सब निकाला, सब प्लान बनाए, और अभी मैं मां अंबा के चरणों में आया था और वो रेलवे लाईन का खात मुहूर्त करके गया, आप कल्पना करोगे की यह रेलवे लाइन शुरु होने के बाद क्या नजारा होगा भाई, आर्थिक रूप से कितनी समृद्धि खींच लाने वाला है।

साथियों,

बहुचराजी, मोढेरा, चाणस्मा यह रोड 4 लेन, पहले सिंगल लेन की दिक्कत थी। हम जब बहुचराजी आते थे तो कैसी दशा थी एक बस जाती थी और दूसरी आए तो उसे कैसे निकाले वह मुसीबत होती थी, याद है न सब कि भूल गए सब, आज 4 लेन रोड की बात साथियों, विकास करना होगा तो शिक्षा, कौशल, आरोग्य, उसके बिना सब अधूरा है, और इसीलिए मैंने मेहसाणा में इस पर विशेष, गुजरात में इस पर हमने विशेष ध्यान दिया। सरकारी अधिकारी, कर्मचारी के प्रशिक्षण के लिए सरदार साहब की स्मृति में एक संस्था बन रही है, जो यहाँ के नौजवान-युवाओं को उनको प्रगति करने का अवसर मिलेगा।

गुजरात सरकार को में बधाई देता हूं, अभिनंदन करता हूं कि उन्होंने यह महत्वपूर्ण निर्णय किया है और महत्वपूर्ण योगदान देने का विचार किया है। वडनगर में मेडिकल कॉलेज हमारे यहाँ तो 11वी पढने के बाद कहाँ जाए वह सोचते थे, उस गाँव में मेडिकल कॉलेज चल रही है, गुजरात के सभी जिलों में आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाएं, यह डबल इंजन की सरकार आने वाले दिनो में जितना प्रसार होगा उतना करेगी।

साथियो,

मुझे संतोष है की प्रधानमंत्री जन औषधि केन्द्र, जिसके कारण सस्ती दवाइयाँ और सस्ती दवाइयाँ यानी जिसके घर में हंमेशा दवाइयाँ लानी पडे, बुझुर्ग हो, कुछ न कुछ बीमारी हो, उनको 1000 रुपये का बिल होता था, हमने यह जन औषधि केन्द्र खोले है न, मेरी आप सभी से बिनती है की दवाइयाँ वहीं से लें , जरा भी अन औथेंटिक दवाईयाँ नहीं होती जेनरिक दवाईयाँ होती है जो बिल 1000 का आता था आज 100-200 में खत्‍म हो जाता है, आपके 800 रूपए बचें उसके लिए यह बेटा काम कर रहा है। आप उसका लाभ लो,।

बहुत बड़ी संख्या में रोजगार देने वाले, पर्यटन के क्षेत्र में मैंने कहा जैसे अभी देखो वडनगर में जो खुदाई हुई, हजारों साल पुरानी चीजें हाथ लगी है और, जैसे काशी अविनाशी है जहां कभी कोई अंत नहीं हुआ, यह दूसरा अपना शहर हिन्दुस्तान का वडनगर है जहाँ पिछले 3000 साल में कभी अंत नहीं हुआ है, हंमेशा कोई न कोई मानव बस्ती रही है, यह सब खुदाई में निकला है। दुनिया देखने आएगी, साथियों, सूर्य मंदिर के साथ-साथ अपना बहुचराजी का तीर्थ, अपने उमिया माता, अपना सतरेलिंग तालाब, अपनी राणी की वाव, अपना तारंगा हिल, अपना रूद्र महालय, वडनगर के तोरण, यह पूरे पट्टे में एक बार बस लेके निकले यात्री तो दो दिन तक देखते ही थक जाय इतना सब देखने को है। उसे हमे आगे बढाना है ।

साथियों,

दो दशक में अपने मंदिर, शक्तिपीठ, अध्यात्म उसकी दिव्यता, भव्यता पुनर्प्रस्थापित करने के लिए जी-जान से काम किया है, ईमानदारी से प्रयास किया है, आप देखो सोमनाथ, चोटीला, पावागढ़, चोटिला की स्थिति सुधार दी, पावागढ 500 साल तक ध्वजा नहीं लहराती थी भाईयों, अभी मैं आया था एक दिन 500 साल बाद ध्वजा जा लहराई । अभी अंबाजी कैसा चमक रहा है, मुझे तो कहा कि अभी अंबाजी में शाम को आरती है हजारो लोग एक साथ शरद पूर्णिमा में आरती करने वाले है ।

भाईयो,  

गिरनार हो, पालीताणा हो, बहुचराजी हो, ऐसे सभी तीर्थ स्थानो पर ऐसा भव्य कार्य हो रहा है कि जिसके कारण हिंदुस्तान में टूरिस्टों को आकर्षित करने की ताकत खड़ी हो रही है, और टूरिस्ट आते है तो सभी का भला होता है दोस्तो, और हमारा तो मंत्र है सबका साथ सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास, यही डबल इंजन की सरकार है। सूर्य के प्रकाश की तरह जैसे सूर्य कोई भेदभाव नहीं करता जहाँ तक पहुँचे वहाँ तक सूर्य अपना प्रकाश पहुंचाता है, ऐसे विकास का प्रकाश भी घर घर पहुंचे, गरीब की झोपड़ी तक पहुंचे, उसके लिए आपके आशीर्वाद चाहिए, हमारी टीम को आपके आशीर्वाद चाहिए, झोली भर के आशीर्वाद देना भाईयों, और गुजरात के विकास को हम चार चांद लगाते रहे, फिर एक बार आप सबको बहुत बहुत शुभकामनाएँ, आप सभी को बहुत बहुत अभिनंदन, धन्यवाद।

भारत माता की जय

भारत माता की जय

जरा जोरदार बोलो अपना मेहसाणा पीछे नहीं पड़ना चाहिए

जरा हाथ ऊपर करके बोलो भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय

धन्यवाद

यह प्रधानमंत्री के भाषण का अनुमानित अनुवाद है। अधिकतम मूल भाषण गुजराती में दिया गया था।

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DS/VJ


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