प्रधानमंत्री कार्यालय

दीफू, असम में शांति और विकास रैली में प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ

Posted On: 28 APR 2022 4:16PM by PIB Delhi

भारत माता की जय, भारत माता की जय!

कार्बी आंग-लोंग कोरटे इंगजिर, के-डो अं-अपहान्ता, नेली कारडोम पजीर इग्लो।

असम के राज्यपाल श्री जगदीश मुखी जी, असम के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्री हिमंत बिस्वा सरमा जी, कार्बी राजा श्री रामसिंग रोंगहांग जी, कार्बी आंगलोंग ऑटोनॉमस काउंसिल के श्री तुलीराम रोंगहांग जी, असम सरकार में मंत्री, श्री पीयूष हज़ारिका जी, जोगेन मोहन जी, संसद में मेरे साथी श्री होरेन सिंग बे जी, विधायक श्री भावेश कलिता जी, अन्य सभी जनप्रतिनिधिगण और कार्बी आंगलोंग के मेरे प्यारे बहनों और भाइयों !

मुझे जबजब आपके बीच आने का मौका मिला है। आपका भरपूर प्यार, ये आपका अपनापन ऐसा लगता है जैसे ईश्वर के आर्शीवाद मिल रहे हैं। आज भी इतनी बड़ी संख्या में आप यहां आए, दूर-दूर से हमें आशीर्वाद देने आए और वो भी उमंग उत्साह और उत्सव के मूड में रंग बिरंगी अपनी परंपरागत वेशभूषा में और जिस प्रकार से यहां प्रवेश द्वार पर यहां के सभी जन जातियों ने अपनी पारंपरिक परंपरा के अनुसार हम सबको जो आर्शीवाद दिये, मैं आपका हृदय से बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं।  

भाइयों और बहनों,

ये सुखद संयोग है कि आज जब देश आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तब हम इस धरती के महान सपूत लचित बोरफुकान जी की 400वीं जन्मजयंती  भी मना रहे हैं। उनका जीवन राष्ट्रभक्ति और राष्ट्रशक्ति की प्रेरणा है। कार्बी आंगलोंग से देश के इस महान नायक को मैं आदरपूवर्क नमन करता हूं, उनको श्रद्धांजलि देता हूं।

साथियों,

भाजपा की डबल इंजन की सरकार, जहां भी हो वहां सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास इसी भावना से काम करते हैं। आज ये संकल्प कार्बी आंगलोंग की इस धरती पर फिर एक बार सशक्त हुआ है। असम की स्थाई शांति और तेज़ विकास के, उसके लिए जो समझौता हुआ था, उसको आज ज़मीन पर उतारने का काम तेज़ गति से चल रहा है। उस समझौते के तहत 1000 करोड़ रुपए के अनेक प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास आज यहां पर किया गया है। डिग्री कॉलेज हो, वेटरनरी कॉलेज हो, एग्रीकल्चर कॉलेज हो, ये सारे संस्थान यहां के युवाओं को नए अवसर देने वाले हैं।

 साथियों, आज जो शिलान्यास के कार्यक्रम हुए हैं। वो सिर्फ किसी इमारत का शिलान्यास नहीं है। ये सिर्फ किसी कॉलेज का, किसी महाविद्यालय का, किसी इंस्टीट्यूशन का शिलान्यास नहीं है। ये मेरे यहां के  नौजवानों के उज्ज्वल भविष्य का शिलान्यास है। उच्च शिक्षा के लिए यहीं पर अब उचित व्यवस्था होने से गरीब से गरीब परिवार भी अपनी संतान को बेहतर शिक्षा दे पाएगा। वहीं किसानों और पशुपालकों के लिए भी इन इंस्टीट्यूट्स से यहीं पर बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हो पाएंगी। इन प्रोजेक्ट्स के अलावा समझौते के जो दूसरे पहलू हैं उन पर भी असम सरकार लगातार कदम उठा रही है। हथियार छोड़कर जो साथी राष्ट्रनिर्माण के लिए लौटे हैं, उनके पुनर्वास के लिए भी निरंतर काम किया जा रहा है।

भाइयों और बहनों,

आज़ादी के अमृत महोत्सव में देश ने जो संकल्प लिए हैं, उसमें से एक महत्वपूर्ण संकल्प है - अमृत सरोवरों के निर्माण से जुड़ा हुआ। हर जिले में कम से कम 75 अमृत सरोवरों के निर्माण का लक्ष्य, इतना बड़ा लक्ष्य लेकर के आज देश आगे बढ़ रहा है। कुछ दिन पहले ही जम्मू कश्मीर से मैंने इसकी शुरुआत की थी। मुझे खुशी है कि आज असम में भी 2600 से भी अधिक अमृत सरोवर बनाने का काम शुरु हो रहा है। ये सरोवरों का निर्माण पूरी तरह से जनभागीदारी पर आधारित है। ऐसे सरोवरों की तो जनजातीय समाज में एक समृद्ध परंपरा भी रही है। इससे गांवों में पानी के भंडार तो बनेंगे ही, इसके साथ-साथ ये कमाई के भी स्रोत बनेंगे। असम में मछली तो भोजन और आजीविका का एक अहम साधन है। इन अमृत सरोवरों से मछलीपालन को भी खूब लाभ मिलने वाला है।

भाइयों और बहनों,

आप सभी ने बीते दशकों में एक लंबा समय बहुत मुश्किलों से गुजारा है। लेकिन 2014 के बाद से नॉर्थ ईस्ट में मुश्किलें लगातार कम हो रही हैं, लोगों का विकास हो रहा है। आज जब कोई असम के जनजातीय क्षेत्रों में आता है, नॉर्थ ईस्ट के दूसरे राज्यों में जाता है, तो हालात को बदलते देखकर उसे भी अच्छा लगता है। कार्बी आंगलोंग या फिर दूसरे जनजातीय क्षेत्र, हम विकास और विश्वास की नीति पर ही काम कर रहे हैं।

साथियों,

आप भलीभाँति जानते हैं मैंने आपकी समस्याओं को, इस क्षेत्र की दिक्कतों को आप ही के परिवार के सदस्य के रूप में, आप ही के एक भाई की तरह, आप ही के एक बेटे की तरह, मैंने हर मुसीबत को समझने की कोशिश की है और आपने मुझे बुद्धि से कम दिलों से ज्यादा समझाया है। आपने हर बार मेरे दिल को छू लिया है। मेरे दिल को जीत लिया है। जब परिवार के सदस्य के रूप में हम सब एक परिवार की तरह समाधान खोजते हैं तो उसमें एक संवेदनशीलता होती है, दर्द और पीड़ा का ऐहसास होता है, आपके सपनों को समझ पाते हैं, आपके संकल्पों को समझ पाते हैं। आपके नैक इरादों की इज्जत करने के लिए जिंदगी खपाने का मन कर जाता है।

साथियों,

हर इंसान को, असम के इस दूरदराज क्षेत्र के लोगों को भी जंगलों में जिंदगी गुजारने वाले मेरे नौजवानों को भी आगे बढ़ने की तमन्ना होती है, इच्छा होती है और इसी भावना को समझते हुए आपके सपनों को पूरा करने के लिए आपके सपने हम सबके संकल्प बनें और आप और हम मिलकर के हर संकल्प को सिद्ध करके रहे इस काम के लिए हम भी जुटे हैं, आप भी जुटे हैं, मिलकर के जुटे हैं और जुटकर के जीत भी पाने वाले हैं। 

भाइयों और बहनों,

आज पूरा देश ये देख रहा है कि बीते सालों में हिंसा, अराजकता और अविश्वास की दशकों पुरानी समस्याएं कैसे उसका समाधान किया जा रहा है, कैसे रास्ते खोजे जा रहे हैं। कभी इस क्षेत्र की चर्चा होती थी। तो कभी बम की आवाज सुनाई देती थी, कभी गोलियों की आवाज सुनाई देती थी। आज तालियां गूंज रही हैं। जयकारा हो रहा है।  पिछले वर्ष सितंबर में कार्बी आंगलोंग के अनेक संगठन शांति और विकास के रास्ते पर आगे बढ़ने का संकल्प लेकर के जुड़ गए हैं। 2020 में बोडो समझौते ने स्थाई शांति के नए द्वार खोल दिये हैं। असम के अलावा त्रिपुरा में भी NLFT ने शांति के पथ पर कदम बढ़ाए। करीब ढाई दशक से जो ब्रू-रियांग से जुड़ी समस्या चल रही थी, उसको भी हल किया गया। बाकी जगहों में भी स्थाई शांति के लिए हमारे प्रयास लगातार चल रहे हैं, गंभीरता से चल रहे हैं।

साथियों,

हिंसा से, अशांति से जो सबसे अधिक प्रभावित होती रही हैं, जिनको सबसे ज्यादा दुःख सहना पड़ा है, जिनके आंसू कभी सूखे नहीं हैं।  वो हमारी माताएं हैं, हमारी बहनें हैं, हमारे बच्चे हैं। आज मैं जब हथियार डालकर जंगल से लौटते नौजवानों को अपने परिवार के साथ परिवार के पास वापस लौटते देखता हूं और मैं जब उन माताओं की आंखे देखता हूं, उन माताओं की आंखों में जो  खुशी महसूस होती है, हर्ष के आंसू बहने लग जाते हैं। मां के जीवन को एक सांत्वना मिलती है, संतोष मिलता है, तब मैं आर्शीवाद की अनुभूति करता हूं। आज यहां पर भी इतनी बड़ी संख्या में  माताएं-बहनें आई हैं, इन माताओंबहनों का यहां आना, आर्शीवाद देना ये भी शांति के प्रयासों को नई शक्ति देते हैं, नई ऊर्जा देते हैं। इस क्षेत्र के लोगों का जीवन, यहां के बेटे-बेटियों का जीवन बेहतर हो, इसके लिए केंद्र और राज्य की डबल इंजन की सरकार पूरी शक्ति से काम कर रही है। समर्पण  भाव से काम कर रही है, सेवा भाव से काम कर रही है।

भाइयों और बहनों,

असम में, नॉर्थ ईस्ट में सरकार और समाज के सामूहिक प्रयासों से जैसे-जैसे शांति लौट रही है, वैसे-वैसे पुराने नियमों में भी बदलाव किया जा रहा है। लंबे समय तक Armed Forces Special Power Act (AFSPA) नॉर्थ ईस्ट के अनेक राज्यों में रहा है। लेकिन बीते 8 सालों के दौरान स्थाई शांति और बेहतर कानून व्यवस्था लागू होने के कारण हमने AFSPA को नॉर्थ ईस्ट के कई क्षेत्रों से हटा दिया है। बीते 8 सालों के दौरान नॉर्थ ईस्ट में हिंसा की घटना में करीब 75 प्रतिशत की कमी आई है। यही कारण है कि पहले त्रिपुरा और फिर मेघालय से AFSPA को हटाया गया। असम में तो 3 दशक से ये लागू था। स्थितियों में सुधार ना होने के कारण पहले की सरकारें इसको बार-बार आगे बढ़ाती रहीं। लेकिन बीते वर्षों में हालात को ऐसे संभाला गया कि आज असम के 23 जिलों से AFSPA हटा दिया गया है। अन्य क्षेत्रों में भी हम तेजी से हालात सामान्य करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि वहां से भी AFSPA को हटाया जा सके। नागालैंड और मणिपुर में भी इस दिशा में बहुत तेज़ी से काम किया जा रहा है।

साथियों,

नॉर्थ ईस्ट के राज्यों के भीतर की समस्याओं का समाधान तो हो ही रहा है, राज्यों के बीच भी दशकों पुराने जो सीमा विवाद थे, वो भी बहुत सौहार्द के साथ हल किए जा रहे हैं। मैं हिमंता जी और नॉर्थ ईस्ट के दूसरे मुख्यमंत्रियों को भी आज विशेष बधाई दूंगा कि उनके प्रयासों से नॉर्थ ईस्ट अब देश की एक सशक्त आर्थिक इकाई बनने की ओर अग्रसर है। सबका साथ, सबका विकास की भावना के साथ आज सीमा से जुड़े मामलों का समाधान खोजा जा रहा है। असम और मेघालय के बीच बनी सहमति दूसरे मामलों को भी प्रोत्साहित करेगी। इससे इस पूरे क्षेत्र के विकास की आकांक्षाओं को बल मिलेगा।

भाइयों और बहनों,

बोडो अकॉर्ड हो या फिर कार्बी आंगलोंग का समझौता, लोकल सेल्फ गवर्नेंस इस पर हमने बहुत बल दिया है। केंद्र सरकार का बीते 7-8 साल से ये निरंतर प्रयास रहा है कि स्थानीय शासन की संस्थाओं को सशक्त किया जाए, उनको अधिक पारदर्शी बनाया जाए। कार्बी आंगलोंग ऑटोनॉमस काउंसिल हो या फिर दूसरे स्थानीय संस्थान इन पर ये बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। केंद्र और राज्य की योजनाओं को तेज़ गति से गांव-गांव पहुंचाने का बहुत बड़ा दायित्व भी इन संस्थानों के सहयोग से ही पूरा होगा। जनसुविधा, जनकल्याण और जनभागीदारी, ये हम सभी की प्राथमिकता है।

भाइयों और बहनों,

राष्ट्र के विकास के लिए राज्य का विकास और राज्य के विकास के लिए गांव का विकास, नगरों का विकास ये बहुत आवश्यक है। गांवों का सही विकास तभी संभव है जब स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार, स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार विकास योजनाएं बनें और उनको पूरी तरह अमल किया जाए। इसलिए बीते वर्षों में केंद्र की योजनाओं में हमने स्थानीय जरूरतों का बहुत ध्यान में रखा है। अब जैसे गरीबों के आवास से जुड़ी योजनाएं हो, जो पहले चलती थीं, उनके नक्शे से लेकर मैटेरियल तक सब कुछ दिल्ली में तय होता था। जब कि कार्बी आंगलोंग जैसे आदिवासी क्षेत्रों की परंपरा अलग है, घरों के निर्माण से जुड़ी संस्कृति अलग है, मैटेरियल की उपलब्धता अलग है। इसलिए एक बड़ा बदलाव प्रधानमंत्री आवास योजना में यही किया गया कि लाभार्थी के बैंक खाते में सीधे पैसे जाएंगे। इसके बाद वो लाभार्थी, अपनी पसंद के अनुसार, अपनी इच्छा के अनुसार वो खुद का घर बनाएगा और सीना तानकर के दुनिया को कहेगा कि मेरा घर है, मैंने बनाया है। हमारे लिए ये प्रधानमंत्री आवास योजना ये कोई सरकार की कृपा का कार्यक्रम नहीं है। हमारे लिए प्रधानमंत्री आवास योजना गरीबों के सपनों का महल बनाने का सपना है, गरीब की इच्छा के अनुसार बनाने का सपना है। गांव के विकास में गांव के लोगों की अधिक भागीदारी की ये भावना हर घर जल योजना में भी है। घर-घर जो पाइप से पानी पहुंच रहा है, उसको गांव की पानी समितियां ही मैनेज करें, और उसमें भी समितियां में ज्यादातर माताएं- बहनें हों। क्योंकि पानी का महत्व क्या होता है  वो माताएंबहनें जितनी समझती हैं ना, इतनी मर्दो को समझ नहीं आती है और इसलिए हमने माताओंबहनों को केंद्र में करके पानी को योजनाओं को बल दिया है। मुझे बताया गया है कि इस योजना के शुरु होने से पहले तक जहां 2 प्रतिशत से भी कम गांव के घरों में यहां पाइप से पानी पहुंचता था। अब लगभग 40 प्रतिशत परिवारों तक पाइप से पानी पहुंच चुका है। मुझे विश्वास है, जल्द ही जल असम के हर घर पाइप से जल पहुंचने लग जाएगा।

भाइयों और बहनों,

जनजातीय समाज की संस्कृति, यहां की भाषा, यहां का खान-पान, यहां की कला, यहां का  हस्तशिल्प, ये सभी सिर्फ यहां की ही नहीं ये मेरे हिंदुस्तान की धरोहर है। आपकी इस धरोहर के लिए हर हिंदुस्तानी को गर्व है और असम तो असम का हर जिला, हर क्षेत्र, हर जनजाति इस क्षेत्र में तो बहुत समृद्ध है। यहां सांस्कृतिक धरोहर भारत को जोड़ती है, एक भारत श्रेष्ठ भारत के भाव को मज़बूती देती है। इसलिए केंद्र सरकार का ये प्रयास रहा है कि आदिवासी कला-संस्कृति, आर्ट-क्राफ्ट को संजोया जाए, उनको भविष्य की पीढ़ियों तक पहुंचाने की व्यवस्था बने। आज देशभर में जो आदिवासी म्यूज़ियम बनाए जा रहे हैं, आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर जो संग्रहालय विकसित किए जा रहे हैं, उसके पीछे की सोच भी यही है। केंद्र सरकार द्वारा, ट्राइबल टैलेंट का, जनजातीय समाज में जो लोकल उत्पाद है, उनको भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। कार्बी आंगलोंग सहित पूरे असम में हथकरघे से बने सूती कपड़े, बांस, लकड़ी और मेटल के बर्तनों, दूसरी कलाकृतियों की एक बहुत अद्भुत परिपाटी है। इन लोकल प्रोडक्ट्स के लिए वोकल होना बहुत आवश्यक है। ये प्रोडक्ट देश और दुनिया के बाज़ारों तक पहुंचे, हर घर तक पहुंचे, इसके लिए सरकार हर ज़रूरी प्लेटफॉर्म तैयार कर रही है और दूरसूदुर जंगलों में रहने वाले मेरे भाई-बहन, कला से जुड़े मेरे भाईबहन, हस्तशिल्प से जुड़े भाईबहन, मैं हर जगह पर जाकर आपकी बात करता हूं। वोकल फॉर लोकल हर जगह पर बोलता रहता हूं। क्योंकि आप जो करते हैं, उसे हिन्दुस्तान के घरों में जगह मिले, दुनिया में उसका सम्मान बढ़े।

साथियों,

आज़ादी के इस अमृतकाल में कार्बी आंगलोंग भी शांति और विकास के नए भविष्य की तरफ बढ़ रहा है। अब यहां से हमें पीछे मुड़कर नहीं देखना है। आने वाले कुछ वर्षों में हमें मिलकर उस विकास की भरपाई करनी है, जो बीते दशकों में हम नहीं कर पाए थे। असम के विकास के प्रयास में, हम पूरी तरह से आपके साथ हैं। मैं फिर एक बार इतनी बड़ी तादाद में आप आर्शीवाद देने आए हैं।  मैं फिर एक बार विश्वास दिलाता हूं, मैनें पहले भी कहा था आपका ये जो प्यार है नाइस प्यार को मैं ब्याज समेत लौटाऊंगा। विकास करके लौटाऊंगा, मेरी आपको बहुत शुभकामनाएं हैं।

 

कारडोम! धन्यवाद !

भारत माता की- जय

भारत माता की- जय

भारत माता की- जय

बहुत-बहुत धन्यवाद! कारडोम!

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DS/ST/AK/DK



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