प्रधानमंत्री कार्यालय
प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के 28वें स्थापना दिवस कार्यक्रम में भाग लिया
भारत के लिए मानवाधिकारों की प्रेरणा का, मानवाधिकार के मूल्यों का बहुत बड़ा स्रोत आजादी के लिए हमारा आंदोलन, हमारा इतिहास है : प्रधानमंत्री
हमारे बापू को पूरा विश्व मानवाधिकारों और मानवीय मूल्यों के प्रतीक के रूप में देखता है : प्रधानमंत्री
मानवाधिकारों की अवधारणा का गरीबों की गरिमा से गहरा संबंध है : प्रधानमंत्री
हमने ट्रिपल तलाक के खिलाफ कानून बनाकर, मुस्लिम महिलाओं को नये अधिकार दिए हैं : प्रधानमंत्री
दुनिया के बड़े-बड़े देश ऐसा नहीं कर पा रहे लेकिन भारत आज करियर वुमेन को 26 हफ्ते की पेड मैटरनिटी लीव दे रहा है : प्रधानमंत्री
अपने-अपने तरीके से मानवाधिकारों की व्याख्या के विरुद्ध सचेत किया
मानवाधिकार का बहुत ज्यादा हनन तब होता है जब उसे राजनीतिक चश्मे से देखा जाता है, राजनीतिक नफा-नुकसान के तराजू से तौला जाता है : प्रधानमंत्री
अधिकार और कर्तव्य दो ऐसे रास्ते हैं जिन पर मानव विकास और मानव गरिमा की यात्रा आगे बढ़ती है : प्रधानमंत्री
Posted On:
12 OCT 2021 12:53PM by PIB Delhi
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के 28वें स्थापना दिवस कार्यक्रम में भाग लिया।
सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के लिए मानवाधिकारों की प्रेरणा का, मानवाधिकार के मूल्यों का बहुत बड़ा स्रोत आजादी के लिए हमारा आंदोलन, हमारा इतिहास है। प्रधानमंत्री ने महात्मा गांधी को याद करते हुए कहा, “एक राष्ट्र के रूप में, एक समाज के रूप में हमने अन्याय-अत्याचार का प्रतिरोध किया, हमने सदियों तक अपने अधिकारों के लिए संघर्ष किया। एक ऐसे समय में जब पूरी दुनिया विश्व युद्ध की हिंसा में झुलस रही थी, भारत ने पूरे विश्व को ‘अधिकार और अहिंसा’ का मार्ग सुझाया। हमारे बापू को देश ही नहीं बल्कि पूरा विश्व मानवाधिकारों और मानवीय मूल्यों के प्रतीक के रूप में देखता है।’’ उन्होंने कहा कि बीते दशकों में ऐसे कितने ही अवसर विश्व के सामने आए हैं, जब दुनिया भ्रमित हुई है, भटकी है, लेकिन भारत मानवाधिकारों के प्रति हमेशा प्रतिबद्ध रहा है, संवेदनशील रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मानवाधिकार की अवधारणा का गरीबों की गरिमा से गहरा संबंध है। उन्होंने कहा कि जब गरीब से गरीब व्यक्ति को सरकारी योजनाओं का बराबर लाभ नहीं मिलता है तो अधिकारों का सवाल उठता है। प्रधानमंत्री ने गरीबों की गरिमा सुनिश्चित करने के लिए सरकार के प्रयासों के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि जो गरीब कभी शौच के लिए खुले में जाने को मजबूर था, उस गरीब को जब शौचालय मिलता है, तो उसे डिग्निटी भी मिलती है, इसी प्रकार जो गरीब कभी बैंक के भीतर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था उस गरीब का जब जनधन खाता खुलता है, तो उसमें हौसला आता है, उसकी डिग्निटी बढ़ती है। इसी तरह, रुपे कार्ड, महिलाओं के लिए उज्ज्वला गैस कनेक्शन और पक्के मकानों का संपत्ति का अधिकार जैसे उपाय उस दिशा में प्रमुख कदम हैं।
पिछले कुछ वर्षों में किए गए उपायों की चर्चा जारी रखते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते वर्षों में देश ने अलग-अलग वर्गों में, अलग-अलग स्तर पर हो रहे अन्याय को भी दूर करने का प्रयास किया है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘दशकों से मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक के खिलाफ कानून की मांग कर रही थीं। हमने ट्रिपल तलाक के खिलाफ कानून बनाकर, मुस्लिम महिलाओं को नए अधिकार दिए हैं।’’ आज महिलाओं के लिए काम के अनेक सेक्टर्स को खोला गया है, वो 24 घंटे सुरक्षा के साथ काम कर सकें, इसे सुनिश्चित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दुनिया के बड़े-बड़े देश ऐसा नहीं कर पा रहे लेकिन भारत आज करियर वुमेन को 26 हफ्ते की पेड मैटरनिटी लीव दे रहा है। इसी तरह, प्रधानमंत्री ने ट्रांसजेंडर, बच्चों और घुमंतू तथा अर्ध-घुमंतू समुदायों के लिए सरकार द्वारा किए गए उपायों के बारे में बताया।
हाल के पैरालंपिक में पैरा-एथलीटों के प्रेरणादायक प्रदर्शन को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हाल के वर्षों में दिव्यांगजन के लिए कानून बनाए गए हैं। उन्हें नई सुविधाओं से जोड़ा गया है। दिव्यांगजनों के लिए अनुकूल भवन बनाए जा रहे हैं और दिव्यांगों के लिए भाषा का मानकीकरण किया जा रहा है।
श्री मोदी ने कहा कि महामारी के दौरान गरीब, असहाय और वरिष्ठ नागरिकों को उनके खाते में सीधे वित्तीय सहायता दी गई। वन नेशन-वन राशन कार्ड के लागू होने से प्रवासी मजदूरों की परेशानी काफी कम हुई।
प्रधानमंत्री ने मानवाधिकारों की अपने-अपने तरीके से व्याख्या करने और देश की छवि खराब करने में मानवाधिकारों का इस्तेमाल करने के विरुद्ध सचेत किया। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में मानवाधिकार की व्याख्या कुछ लोग अपने-अपने तरीके से, अपने-अपने हितों को देखकर करने लगे हैं। उन्होंने कहा कि एक ही प्रकार की किसी घटना में कुछ लोगों को मानवाधिकार का हनन दिखता है और वैसी ही किसी दूसरी घटना में उन्हीं लोगों को मानवाधिकार का हनन नहीं दिखता। उन्होंने यह भी कहा कि मानवाधिकार का बहुत ज्यादा हनन तब होता है जब उसे राजनीतिक रंग से देखा जाता है, राजनीतिक चश्मे से देखा जाता है, राजनीतिक नफा-नुकसान के तराजू से तौला जाता है। प्रधानमंत्री ने सचेत करते हुए कहा, ‘‘इस तरह का सलेक्टिव व्यवहार, लोकतंत्र के लिए भी उतना ही नुकसानदायक होता है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह समझना महत्वपूर्ण है कि मानवाधिकार केवल अधिकारों से नहीं जुड़ा है बल्कि यह हमारे कर्तव्यों का भी विषय है। यह कहते हुए कि ‘‘अधिकार और कर्तव्य दो ऐसे रास्ते हैं जिन पर मानव विकास और मानव गरिमा की यात्रा आगे बढ़ती है’’, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कर्तव्य भी अधिकारों के समान ही महत्वपूर्ण हैं और उन्हें अलग नहीं देखना चाहिए, क्योंकि वे एक दूसरे के पूरक हैं।
प्रधानमंत्री ने भावी पीढ़ियों के मानवाधिकारों की चर्चा करते हुए अपने भाषण का समापन किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, अक्षय ऊर्जा लक्ष्यों और हाइड्रोजन मिशन जैसे उपायों के साथ, भारत सतत जीवन और पर्यावरण के अनुकूल विकास की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
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