Posted On:
20 JUN 2021 1:13PM by PIB Delhi
जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में भारत के स्थायी मिशन ने भारत की सूचना प्रौद्योगिकी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) नियम, 2021 के संबंध में मानवाधिकार परिषद की विशेष प्रक्रिया शाखा द्वारा उठाई गई चिंताओं का जवाब दिया है। भारत के स्थायी मिशन द्वारा लिखे गए पत्र में उल्लेख है कि:
"संयुक्त राष्ट्र कार्यालय और जिनेवा में अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के लिए भारत का स्थायी मिशन मानवाधिकार परिषद की विशेष प्रक्रिया शाखा के लिए अपना अभिनंदन प्रकट करता है और ज्वाइंट कम्यूनकेशन नंबर ओएल आईएनडी 8/2021 को रेफर करने के लिए बधाई देता है। भारत की सूचना प्रौद्योगिकी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) नियम, 2021 पर एक संक्षिप्त सूचना नोट संलग्न करने के लिए राय और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के प्रचार और संरक्षण पर विशेष प्रतिवेदक से; शांतिपूर्ण सभा और संघ की स्वतंत्रता के अधिकारों पर विशेष प्रतिवेदक और निजता के अधिकार पर विशेष प्रतिवेदक के सामने अपनी बात रखता है।
भारत का स्थायी मिशन यह भी सूचित करना चाहता है कि इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने 2018 में व्यक्तियों, समाजिक संगठन, उद्योग संघ और संगठनों सहित विभिन्न हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श किया और उसके बाद मौसदा नियम तैयार करने के लिए सार्वजनिक टिप्पणियां आमंत्रित कीं। फिर एक अंतर-मंत्रालयी बैठक में प्राप्त टिप्पणियों पर विस्तार से चर्चा की गई और तदानुसार, नियमों को अंतिम रूप दिया गया।
भारत का स्थायी मिशन इस बात पर भी प्रकाश डालना चाहेगा कि भारत की लोकतांत्रिक साख को अच्छी तरह से मान्यता प्राप्त है। भारतीय संविधान के तहत भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी दी गई है। स्वतंत्र न्यायपालिका और मजबूत मीडिया भारत के लोकतांत्रिक ढांचे का हिस्सा हैं।
भारत का स्थायी मिशन अनुरोध करता है कि संलग्न सूचना को संबंधित विशेष प्रतिवेदकों के ध्यान में लाया जाए।
जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के कार्यालय में भारत का स्थायी मिशन मानवाधिकार परिषद की विशेष प्रक्रिया शाखा को नवीनीकृत करने के लिए इस अवसर का लाभ उठाना चाहता है।
ब्रीफ इंफॉर्मेशन नोट—
भारत की सूचना प्रौद्योगिकी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) नियम, 2021
भारत सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 87 (2) के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए और पहले के सूचना प्रौद्योगिकी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस) नियम 2011 को अतिक्रमित कर, सूचना प्रौद्योगिकी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड), नियम, 2021 ('नए आईटी नियम') को 25 फरवरी, 2021 को अधिसूचित किया। महत्वपूर्ण संस्थाओं के लिए नए नियम 26 मई, 2021 से लागू हो गए।
नए आईटी नियमों की मुख्य विशेषताएं संलग्न हैं।
नए नियम सोशल मीडिया के सामान्य उपयोगकर्ताओं को मजबूत बनाने के लिए तैयार किए गए हैं। इससे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर दुर्व्यवहार के शिकार लोगों के पास उनकी शिकायतों के निवारण के लिए एक मंच होगा।
सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म के दुरुपयोग की बढ़ती घटनाओं से संबंधित मुद्दों के बारे में व्यापक चिंताओं के कारण नए आईटी नियमों का अधिनियमन आवश्यक हो गया था, जिसमें आतंकवादियों की भर्ती के लिए प्रलोभन, अश्लील सामग्री का प्रसार, वैमनस्य का प्रसार, वित्तीय धोखाधड़ी, हिंसा को बढ़ावा देना, सार्वजनिक आदेश का न मानना आदि शामिल है।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए दो निर्णयों में - 2018 का प्रज्वला मामला और 2019 में फेसबुक बनाम भारत संघ ने भारत सरकार को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और अन्य अनुप्रयोगों में चाइल्ड पोर्नोग्राफी और संबंधित सामग्री को हटाने के लिए आवश्यक दिशानिर्देश तैयार करने का निर्देश दिया था। दूसरे मामले में कोर्ट ने कहा था कि ऐसे सामग्री संदेशों के प्रवर्तक व्यक्तियों, संस्थानों और निकायों का पता लगाने के लिए उचित व्यवस्था तैयार करना अनिवार्य था। इस आदेश के तहत अब मध्यवर्ती संस्थाओं से ऐसी जानकारी लेना आवश्यक हो गया है।
भारतीय संसद (उच्च सदन-राज्य सभा) ने बार-बार भारत सरकार से भारत के कानूनी ढांचे को मजबूत करने और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को भारतीय कानूनों के तहत जवाबदेह बनाने के लिए कहा था।
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने 2018 में व्यक्तियों, समाज, उद्योग संघ और संगठनों सहित विभिन्न हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श किया और मसौदा नियम तैयार करने के लिए सार्वजनिक टिप्पणियां आमंत्रित की। उसके बाद एक अंतर-मंत्रालयी बैठक में प्राप्त टिप्पणियों पर विस्तार से चर्चा की गई और उसके अनुसार नियमों को अंतिम रूप दिया गया।
25 फरवरी, 2021 को, नए आईटी नियमों को अधिसूचित किया गया और इसके अंतर्गत आने वाली कंपनियों को पालन करने के लिए तीन महीने की अवधि दी गई। इस नियम के तहत सोशल मीडिया कंपनियों को भारत स्थित शिकायत निवारण अधिकारी, अनुपालन अधिकारी और नोडल अधिकारी नियुक्त करने की जरूरत है ताकि सोशल मीडिया के उपयोगकर्ताओं को मजबूत बनाया जा सके और उपयोगकर्ता से मिली शिकायत का निवारण हो सके। इन नियमों की अधिसूचना से पहले, उपयोगकर्ताओं के पास सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के किसी भी दुरुपयोग या दुरुपयोग के मामले में शिकायत दर्ज करने का कोई रास्ता नहीं था।
नए आईटी नियमों के तहत नियुक्त शिकायत अधिकारी की भूमिका उपयोगकर्ता की शिकायतों को प्राप्त करना और उसके बाद उसका निपटान करना है। सोशल मीडिया उपयोगकर्ता से प्राप्त शिकायतों की संख्या को हर महीने सरकार को सूचित करने भी आवश्यक है।
नए आईटी नियमों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रभावित करने वाले पहलूओं का आरोप लगाने वाली चिंताएं बिल्कुल गलत हैं [भारत सरकार द्वारा जारी 27 मई, 2021 को एक विस्तृत प्रेस विज्ञप्ति संलग्न है]। भारत की लोकतांत्रिक साख अच्छी तरह से मान्यता प्राप्त है। भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार भारतीय संविधान के तहत गारंटीकृत है। स्वतंत्र न्यायपालिका और मजबूत मीडिया भारत के लोकतांत्रिक ढांचे का हिस्सा हैं।
सूचना के पहले जनक का पता लगाने की क्षमता पर, यह ध्यान दिया जा सकता है कि नए आईटी नियम केवल सीमित जानकारी चाहते हैं। केवल तभी जब सार्वजनिक रूप से कोई संदेश हिंसा को बढ़ावा दे रहा हो, भारत की एकता और अखंडता को प्रभावित कर रहा हो, एक महिला को खराब तरीके से चित्रित कर रहा हो, या किसी बच्चे का यौन शोषण कर रहा हो और जब कोई अन्य दखल देने वाला विकल्प काम नहीं कर रहा हो, तभी महत्वपूर्ण सोशल मीडिया कंपनियों को यह खुलासा करना होगा कि संदेश किसने शुरू किया था।
यह चिंता है कि नियमों का जानबूझकर दुरुपयोग बड़ी संख्या में शिकायतें करने के लिए किया जा सकता है ताकि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म द्वारा बनाए गए शिकायत निवारण तंत्र को प्रभावित किया जा सके, यह भी गलत, अतिशयोक्तिपूर्ण और कपटपूर्ण है और इन के उपयोगकर्ताओं की शिकायतों को दूर करने की इच्छा की कमी को दर्शाता है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म राजस्व कमाने के लिए अपने उपयोगकर्ता के डेटा का उपयोग करते हैं।
भारत सरकार निजता के अधिकार को पूरी तरह से मानती है और उसका सम्मान करती है, जैसा कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने के.एस. पुट्टुसामी मामले में साफ किया था। गोपनीयता किसी व्यक्ति के अस्तित्व का मूल तत्व है और इसके प्रकाश में नए आईटी नियम केवल उस संदेश पर जानकारी चाहता है जो पहले से ही पब्लिक डोमेन में प्रचलन में है जिसके परिणामस्वरूप अपराध हुआ है। नियमों को पूरी तरह से तर्कसंगतता और समानता के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए, आईटी अधिनियम की वैधानिक शक्तियों का प्रयोग करते हुए तैयार किया गया है।
पूरक अंश—
सूचना प्रौद्योगिकी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) नियमों की मुख्य विशेषताएं-2021
मध्यवर्ती संस्थाएं द्वारा अपनाई जाने वाली ड्यू डिलिजेंस: सोशल मीडिया और मध्यवर्ती संस्थाओं द्वारा निर्धारित नियम को ड्ये डिलिजेंस (बिल्कुल सख्ती से) पालन किया जाना चाहिए। अगर मध्यवर्ती संस्थाओं द्वारा उचित तरीके से पालन नहीं किया जाता है, तो सेफ हार्बर प्रोविजन उन पर लागू नहीं होंगे।
शिकायत निवारण तंत्र: नए नियम सोशल मीडिया संस्थाओं सहित मध्यवर्ती संस्थाओं को उपयोगकर्ताओं या पीड़ितों से शिकायतों को प्राप्त करने और हल करने के लिए एक शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करना अनिवार्य करके उपयोगकर्ताओं को मजबूत बनाने का प्रयास करता है। मध्यवर्ती संस्थाएं ऐसी शिकायतों से निपटने के लिए एक शिकायत अधिकारी नियुक्त करेंगे और ऐसे अधिकारी का नाम और संपर्क विवरण साझा करेंगे। शिकायत अधिकारी 24 घंटे के भीतर शिकायत की स्वीकृति देंगे और प्राप्त होने के पंद्रह दिनों के भीतर इसका समाधान करेंगे।
उपयोगकर्ताओं की ऑनलाइन सुरक्षा और गरिमा सुनिश्चित करना, विशेष रूप से महिला उपयोगकर्ताओं के लिए: मध्यवर्ती संस्थाएं ऐसी सामग्री की शिकायत प्राप्त होने के 24 घंटे के भीतर हटा देंगे जो व्यक्तियों के निजी निजता को उजागर करता है। इसके तहत ऐसे व्यक्तियों को पूर्ण या आंशिक नग्नता या यौन कृत्य में दिखाना या प्रतिरूपण की प्रकृति में है जिसमें मॉर्फ्ड इमेज आदि शामिल हैं। ऐसी शिकायत या तो व्यक्ति द्वारा या उसकी ओर से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा दायर किया जा सकता है।
सोशल मीडिया मध्यवर्ती संस्थाओं की दो श्रेणियां: नवाचारों को प्रोत्साहित करने और महत्वपूर्ण अनुपालन आवश्यकता के लिए छोटे प्लेटफार्मों के अधीन किए बिना नए सोशल मीडिया मध्यस्थों के विकास को सक्षम करने के लिए, 2021 के नियम 'सोशल मीडिया इंटरमीडियरी और 'महत्वपूर्ण सोशल मीडिया इंटरमीडियरी ' के बीच अंतर करते हैं। यह अंतर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर यूजर्स की संख्या पर आधारित है। सरकार को उपयोगकर्ता आधार की सीमा को अधिसूचित करने का अधिकार है जो सोशल मीडिया इंटरमीडियरी और महत्वपूर्ण सोशल मीडिया इंटरमीडियरी के बीच अंतर करेगा। नियमों में महत्वपूर्ण सोशल मीडिया इंटरमीडियरी (बड़े सोशल मीडिया की कंपनियां) को कुछ अतिरिक्त सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
महत्वपूर्ण सोशल मीडिया इंटरमीडियरी द्वारा अनुसरण की जाने वाली अतिरिक्त सावधानी:
एक मुख्य अनुपालन अधिकारी की नियुक्ति करें जो अधिनियम और नियमों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होगा। ऐसे व्यक्ति को भारत का निवासी होना चाहिए।
कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ चौबीसों घंटे समन्वय के लिए एक नोडल संपर्क व्यक्ति की नियुक्ति करें। ऐसे व्यक्ति को भारत का निवासी होना चाहिए।
एक रिड्रेसल ग्रीवेंस ऑफिसर की नियुक्ति करें जो शिकायत निवारण तंत्र के तहत उल्लिखित कार्यों को करेगा। ऐसे व्यक्ति को भारत का निवासी होना जरूरी है।
एक मासिक अनुपालन रिपोर्ट प्रकाशित करें जिसमें प्राप्त शिकायतों के विवरण और शिकायतों पर की गई कार्रवाई के साथ-साथ महत्वपूर्ण सोशल मीडिया कंपनियों द्वारा सक्रिय रूप से हटाई गई सामग्री का विवरण शामिल हो।
मुख्य रूप से मैसेजिंग की सेवाएं प्रदान करने वाले महत्वपूर्ण सोशल मीडिया इंटरमीडियरी सूचना के पहले प्रवर्तक की पहचान करने में सक्षम होंगे जो केवल केवल भारत की संप्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों, या सार्वजनिक व्यवस्था या उपरोक्त से संबंधित अपराध के लिए उकसाने से संबंधित अपराध की रोकथाम, पता लगाने, जांच, अभियोजन या दंड के प्रयोजनों के लिए या बलात्कार, यौन रूप से स्पष्ट सामग्री या बाल यौन शोषण सामग्री के संबंध में कम से कम पांच वर्ष की अवधि के कारावास से दंडनीय है। किसी भी संदेश की सामग्री या किसी अन्य जानकारी को पहले प्रवर्तक को बताने के लिए इंटरमीडियरी बाध्य नहीं होगा।
महत्वपूर्ण सोशल मीडिया कंपनियों को भारत में एक भौतिक संपर्क पता होना चाहिए जो उसकी वेबसाइट या मोबाइल ऐप या दोनों पर प्रकाशित होना जरूरी है।
स्वैच्छिक उपयोगकर्ता सत्यापन प्रक्रिया: जो उपयोगकर्ता स्वेच्छा से अपने खातों को सत्यापित करना चाहते हैं, उन्हें अपने खातों को सत्यापित करने के लिए एक उपयुक्त प्रक्रिया प्रदान किया जाएगा और सत्यापन के बाद प्रदर्शन योग्य और दृश्यमान चिह्न प्रदान किए जाएंगे।
उपयोगकर्ताओं को सुनने का अवसर देना: ऐसे मामलों में जहां महत्वपूर्ण सोशल मीडिया इंटरमीडियरी किसी भी जानकारी को अपने हिसाब से हटाते या अक्षम करते हैं, तो इसके लिए एक पूर्व सूचना उस उपयोगकर्ता को दी जाएगी, जिसने उस जानकारी को एक नोटिस के साथ साझा किया है, जिसमें बताया गया है कि ऐसी कार्रवाई के लिए आधार और कारण क्या है? उपयोगकर्ताओं को इंटरमीडियरी द्वारा की गई कार्रवाई पर विवाद करने के लिए पर्याप्त और उचित अवसर प्रदान किया जाना चाहिए।
गैरकानूनी जानकारी को हटाना: अदालत द्वारा आदेश के रूप में वास्तविक ज्ञान प्राप्त करने या उपयुक्त सरकार द्वारा अधिसूचित किए जाने पर इंटरमीडियरी या इसकी एजेंसियों को अधिकृत अधिकारी के माध्यम से भारत की संप्रभुता और अखंडता, सार्वजनिक व्यवस्था, विदेशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों आदि के संबंध में किसी भी कानून के तहत निषिद्ध किसी भी जानकारी को होस्ट या प्रकाशित नहीं करना चाहिए।
सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा प्रशासित नियम, 2021 के तहत डिजिटल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म से संबंधित डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड निम्नलिखित दिशानिर्देश निर्धारित करता है:
सामग्री का स्व-वर्गीकरण: नियमों में ऑनलाइन क्यूरेट की गई सामग्री के प्रकाशक कहे जाने वाले ओटीटी प्लेटफॉर्म को सामग्री को पांच आयु आधारित श्रेणियों यू (यूनिवर्सल), आईजे/ए 7+, यू/ए 13+, आईजे/ए 16+,में स्व-वर्गीकृत करना चाहिए और ए (वयस्क) और यू/ए 13+ या उच्चतर के रूप में वर्गीकृत सामग्री के लिए पैरेंटल लॉक के साथ और "ए" के रूप में वर्गीकृत सामग्री के लिए विश्वसनीय आयु सत्यापन मैकेनिज्म के साथ प्रसारित करना चाहिए।
डिजिटल मीडिया पर समाचार के प्रकाशकों को केबल टेलीविजन नेटवर्क विनियमन अधिनियम के तहत भारतीय प्रेस परिषद और कार्यक्रम संहिता के पत्रकारिता आचरण के मानदंडों का पालन करने की आवश्यकता होगी जिससे ऑफलाइन (प्रिंट, टीवी) और डिजिटल मीडिया के बीच एक समान अवसर प्रदान किया जा सके।
नियमों के तहत स्व-नियमन के विभिन्न स्तरों के साथ एक तीन-स्तरीय शिकायत निवारण तंत्र स्थापित किया गया है।
स्तर- I: प्रकाशक द्वारा स्व-विनियमन: प्रकाशक भारत में स्थित एक शिकायत निवारण अधिकारी की नियुक्ति करेगा जो इसे प्राप्त शिकायतों के निवारण के लिए जिम्मेदार होगा। अधिकारी को मिलने वाली हर शिकायत पर 15 दिनों के भीतर निर्णय लेना होगा।
स्तर - II: स्व-नियामक निकाय: प्रकाशकों के एक या अधिक स्व-नियामक निकाय हो सकते हैं। इस तरह के एक निकाय का नेतृत्व सर्वोच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश, एक उच्च न्यायालय या स्वतंत्र प्रतिष्ठित व्यक्ति द्वारा किया जाएगा और इसमें छह से अधिक सदस्य नहीं होंगे। ऐसी संस्था को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में पंजीकरण कराना होगा। यह निकाय प्रकाशक द्वारा आचार संहिता के पालन की निगरानी करेगा और उन शिकायतों का समाधान करेगा जिन्हें प्रकाशक द्वारा 15 दिनों के भीतर हल नहीं किया गया है।
स्तर- 111: निगरानी तंत्र: सूचना और प्रसारण मंत्रालय एक निगरानी तंत्र तैयार करेगा। यह आचार संहिता सहित स्व-विनियमन निकायों के लिए एक चार्टर प्रकाशित करेगा। यह शिकायतों की सुनवाई के लिए एक अंतर-विभागीय समिति की स्थापना करेगा।
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एमजी/एएम/एके