कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय

केन्द्रीय मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा, कोरोना भारत को वापस इसके मूल लोकाचार पर ले आया


सद्गुरु के साथ एक आईआईपीए सत्र के दौरान मंत्री ने कहा, आम आदमी के जीवन में सुगमता लाना सुशासन का अंतिम लक्ष्य है

Posted On: 09 JAN 2021 3:20PM by PIB Delhi

केन्द्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास (डोनर) राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा एंव अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने आज कहा कि कोरोना ने हमें वापस हमारे मूल भारतीय लोकाचार और अभ्यासों की ओर लौटने में सक्षम बनाया है और नमस्ते नये उत्साह के साथ प्रचलन में आ गया है। उन्होंने कहा, कोविड ने हमें एक राष्ट्रीय प्राथमिकता के रूप में स्वास्थ्य के महत्व के प्रति जागरूक बनाया है और विश्व को भी सोशल डिस्टेंसिंग, सफाई, स्वच्छता, योग, आयुर्वेद एवं पारम्परिक औषधि आदि के गुणों के बारे में अवगत करा दिया। अब वे पहले की तुलना में और अधिक इस पर विश्वास करने लगे हैं और योग, आयुर्वेद इत्यादि के प्रति फिर से दिलचस्पी उत्पन्न हो गई है, जो हमेशा से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के लिए महत्व का क्षेत्र रहा है। वह भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए) में ‘कल्याण के लिए आंतरिक अभियांत्रिकी-प्रौद्योगिकियां’ पर सद्गुरु के साथ एक सत्र को संबोधित कर रहे थे।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने बताया कि विशेष रूप से लॉकडाउन अवधि के दौरान, कई लोगों ने न केवल अपनी प्रतिरक्षण स्थिति को बेहतर बनाने के लिए बल्कि एकाकीपन और व्यग्रता की यातनाओं से उबरने के लिए भी योग का सहारा लिया। उन्होंने कहा, कोविड के बाद के युग का एक परिणाम यह होगा कि कोरोना वायरस के खत्म हो जाने के बाद भी, जो लोग लॉकडाउन अवधि के दौरान योग के अभ्यस्त हो गए हैं, वे संभवतः अपने पूरे शेष जीवन काल में इसका अभ्यास करते रहेंगे और इस प्रकार, इसे एक जीवन पर्यन्त वरदान के रूप में बदल देंगे।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि आम आदमी के जीवन में सुगमता लाना सुशासन का अंतिम लक्ष्य है और उन्होंने सद्गुरु के इस कथन का पुरजोर समर्थन किया कि प्रसन्न और प्रफुल्लित प्रशासक जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में प्रसन्नता का संचार करेंगे।

सद्गुरु ने अपने संबोधन में कहा कि भारत हमेशा से बिना किसी कठोर आस्था प्रणाली के साथ संतों की भूमि रहा है। इसमें कभी भी जीत की संस्कृति नहीं रही, बल्कि हमेशा से यह अन्वेषण की भूमि रही है। उन्होंने यह भी कहा कि हमें अपने गणतंत्र के फलने-फूलने के लिए इस लोकाचार को अनिवार्य रूप से बनाए रखना चाहिए।

सद्गुरु ने कहा कि कोरोना वायरस के लिए एक सचेत जिम्मेदार व्यवहार की आवश्यकता होती है और यह ज्ञान आम आदमी को अधिक लाभ पहुंचाने हेतु नेताओं और प्रशासकों के लिए और भी ज्यादा प्रासंगिक है।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एम.एन. भंडारी, आईआईपीए के उपाध्यक्ष श्री शेखर दत्त, आईआईपीए के निदेशक श्री एस.एन. त्रिपाठी, सुरभि पांडेय, अमिताभ रंजन, नवलजीत कपूर तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी एवं आईआईपीए के संकाय ने कार्यक्रम में भाग लिया।

****

एमजी/एएम/एसकेजे/एमएस/एसके



(Release ID: 1687310) Visitor Counter : 302