रेल मंत्रालय

भारतीय रेल ने कोविड महामारी के दौरान माल ढुलाई के लिए कई प्रोत्साहनों की घोषणा की


24 मार्च 2020 से 30 अप्रैल 2020 तक खाली कंटेनरों और खाली फ्लैट वैगनों की आवाजाही के लिए कोई शुल्क नहीं लेगा

अधिक-से-अधिक ग्राहक अपनी मांग दर्ज करा कर सकते हैं और मालखाना खुद गए बिना इलेक्ट्रॉनिक रूप से माल की रसीद प्राप्त कर सकते हैं, जिससे कार्य सुविधाजनक और जल्द संपन्न होगा

यदि ग्राहक इलेक्ट्रॉनिक रसीद नहीं लेते हैं, तो वे वैकल्पिक प्रक्रिया का उपयोग करके गंतव्य बिंदु पर रेल चालान (रेल रसीद) जमा किए बिना माल की डिलिवरी ले सकते हैं।

रेल भार दरों का लाभ उठाने के लिए बीसीएनएचएल (खाद्यान्न, कृषि उपज आदि जैसे बैग की खेपों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले ढ़ंके हुए वैगन) की न्यूनतम संख्या आवश्यक वस्तुओं की लदाई के उद्देशय से 57 से घटाकर अब 42 वैगन कर दी गई है


उद्योग को बढ़ावा देने के लिए मिनी रेक, दो बिंदु रेक इत्यादि के प्रबंधन के लिए दूरी से संबंधित शर्तों में छूट दी गई है


इन प्रोत्साहनों से अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए मूल्य को प्रतिस्पर्धी बनाने और इज-ऑफ-डूइंग बिजनेस को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है

Posted On: 22 APR 2020 5:00PM by PIB Delhi

 

कोविड-19 महामारी को ध्यान में रखते हुए, भारतीय रेल ने ढुलाई के लिए कई प्रोत्साहनों की घोषणा की है। इन प्रोत्साहनों से देश के निर्यात में सहायता से अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। इन प्रोत्साहनों के जरिए ग्राहक खुद मालखाना जाने के बजाय इलेक्ट्रॉनिक रूप से सामानों के लिए मांग दर्ज करा सकेंगे, इस प्रकार यह प्रक्रिया अधिक सुविधाजनक, तेज और पारदर्शी हो जाएगा।

1.      विलंब-शुल्क, गोदी शुल्क और अन्य सहायक शुल्कों की गैर उगाही

निर्धारित खाली समय की समाप्ति के बाद विलंब-शुल्क, गोदी शुल्क, टाल शुल्क, घुड़साल शुल्क लगाया जाता है। कोविड महामारी के मद्देनजर माल ग्राहकों की सुविधा के लिए और आवश्यक वस्तुओं की आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए रसद सहायता प्रदान करने हेतु, सक्षम प्राधिकारी ने निर्णय लिया है कि माल / पार्सल यातायात के मामले में विलंब-शुल्क, गोदी शुल्क, टाल शुल्क, घुड़साल शुल्क नहीं लगेंगे। इसी तरह कंटेनर ट्रैफिक के लिए संरोध शुल्क और भूमि उपयोग शुल्क भी नहीं लगेगा। ये दिशानिर्देश 22 मार्च 2020 से 3 मई 2020 तक लागू हैं।

2.       माल भाड़ा, लौह एवं इस्पात, लौह अयस्क और नमक के आवागमन के मामले में इलेक्ट्रॉनिक रूप से दर्ज मांग (ई-आरडी) के विस्तार और रेल रसीद का इलेक्ट्रॉनिक हस्तांतरण (ईटी-आरआर)

इलेक्ट्रॉनिक रुप से मांग दर्ज कराने से ग्राहकों को खुद मालखाना जाए बिना वस्तुओं की मांग दर्ज करने की सुविधा मिलती है। यह व्यवस्था सरल, सुविधाजनक, तेज और पारदर्शी है।

रेल रसीद का इलेक्ट्रॉनिक हस्तांतरण (ईटी-आरआर) कागज-मुक्त लेन-देन की प्रणाली से एक कदम ऊपर है, जहां रेल रसीद भी बनायी जाती है और एफओआईएस के माध्यम से ग्राहक को इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रेषित किया जाता है तथा ईटी-आरआर की ई-प्रस्तुति के माध्यम से सामानों की डिलीवरी भी दी जाती है। माल भाड़ा, लौह एवं इस्पात, लौह अयस्क और नमक के आवागमन के मामले में ई-आरडी और ईटी-आरआर के लाभ का विस्तार करते हुए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। इससे ग्राहकों को मांग पंजीकरण के लिए माल खाना जाने, आरआर / चालान प्राप्त करने और माल की डिलीवरी लेने के लिए भी खुद से माल खाना जाने की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।

3.      रेल रसीद (आरआर) के बिना माल की सुपुर्दगी

जहां तक संभव हो, ग्राहकों को ईटी-आरआर का विकल्प चुनने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, ताकि माल की सुपुर्दगी लेने के लिए मूल कागजात आरआर (रेलवे रसीद) को गंतव्य बिंदु तक नहीं ले जाना पड़े।

हालांकि, यदि ग्राहक सामान्य कागज आरआर पर सामान बुक करता है, तो मौजूदा नियमों के अनुसार, ग्राहक को माल ढुलाई का भुगतान करने पर आरआर / रेल चालान प्राप्त होता है। माल की सुपुर्दगी लेने के लिए उसे गंतव्य बिंदु पर मूल आरआर जमा करना होता है। या आरआर नहीं रहने पर, गंतव्य स्थान पर माल पाने वाला (कन्साइनी) द्वारा मुहर लगा हुआ क्षतिपूर्ति नोट जमा करने पर ही सुपुर्दगी दी जाती है।

लेकिन देशव्यापी लॉकडाउन के कारण, ग्राहकों के लिए आरआर को मूल बिंदु से गंतव्य बिंदु तक भेजना मुश्किल है। इसलिए, माल ग्राहकों को सुविधा देने के लिए, यह निर्णय लिया गया है कि जहां तक संभव हो ईटी-आरआर जारी किए जा सकते हैं, जहां ई-आरआर की ई-प्रस्तुति द्वारा सुपुर्दगी दी जाती है।

सामान्य गैर ईटी-आरआर (पेपर आरआर) के मामले में, सामान भेजने वाला व्यक्ति मूल स्टेशन पर जिसे सामान भेजा जा रहा है उसका नाम, पदनाम, आधार, पैन, जीएसटीआईएन जैसे विवरण प्रदान करेगा, जो वाणिज्यिक नियंत्रण के साथ गंतव्य के लिए भेजा जाएगा। टीएमएस में इन विवरणों के सत्यापन के बाद सुपुर्दगी दी जाएगी और बिना मुहर वाला क्षतिपूर्ति नोट जमा करना होगा, जिसमें लिखना होगा कि इसके बाद होने वाला कोई भी दावा उनकी जिम्मेदारी होगी। इसके साथ आरआर की फैक्स / स्कैन / फोटोकॉपी भी जमा करनी होगी।

इसके अलावा, स्व आरआर के मामले में (जहां सामान भेजने वाला और सामान प्राप्त करने वाला एक ही हैं), सामान भेजने वाले के नाम पर मूल रिकॉर्डिंग को वापस लेने के बाद मूल डिवीजन कंसाइनर से मूल आरआर को वापस ले लेगा, जो गंतव्य पर आरआर सामान की सुपुर्दगी लेगा। यह आरआर बुकिंग प्रभाग के वाणिज्यिक नियंत्रण द्वारा स्कैन की जाएगी और मेल द्वारा भेजी जाएगी और नाम, पैन, आधार और जीएसटीआईएन के विवरण को इंगित करते हुए संदर्भ के तहत बोर्ड के पत्र में उल्लेख किया गया है। गंतव्य स्टेशन पर इन विवरणों को सत्यापित किया जाएगा। लॉकडाउन खत्म होने के बाद मूल डिवीजन पर रखे गए मूल आरआर को लेखांकन के उद्देश्य से गंतव्य डिवीजन में वितरित किया जाएगा। दोनों जगहों के वरिष्ठ डीसीएम इसकी निगरानी करेंगे। इसके तहत प्रक्रिया का पालन करने पर "कोई दावा नहीं" घोषणा को उत्पत्ति विभाग में प्राप्त किया जाना चाहिए। ये दिशानिर्देश 3 मई 2020 तक मान्य हैं।

4.       कंटेनर यातायात को प्रोत्साहित करने के लिए नीतिगत उपाय:

भारतीय रेल ने लंबे समय से जरूरतों को पहचाना है और माल ढुलाई के विविधीकरण के लिए कई उपायों की शुरुआत की है। अर्थात, गैर-पारंपरिक यातायात को भी थोक सामान जैसे कोयला, लौह अयस्क आदि के साथ ले जाना। इस दिशा में हाल ही में कई कदम उठाए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:

(क). खाली कंटेनरों और खाली वैगनों की आवाजाही के लिए ढुलाई (वहन) शुल्क का गैर-उगाही

भारतीय रेल खाली कंटेनर और खाली वैगनों के परिवहन के लिए अलग से ढुलाई शुल्क वसूलता है। कंटेनर यातायात के उच्च अंतर-मोडल शेयर हासिल करने की दृष्टि से, 1 जनवरी 2019 से 25 प्रतिशत की छूट प्रदान की गई है।

अब, कोविड-19 की स्थिति के मद्देनजर, सक्षम प्राधिकारी ने निर्णय लिया है कि 24 मार्च 2020 से 30 अप्रैल 2020 तक खाली कंटेनर और खाली वैगन की आवाजाही के लिए कोई शुल्क नहीं लगाया जाएगा। इससे न केवल आईआर बल्कि निर्यात को बढ़ावा देकर अर्थव्यवस्था में भी तेजी लाने की उम्मीद है।

(ख). कंटेनर यातायात के लिए शुल्क की हब और स्पोक प्रणाली के तहत छूट

कंटेनरों को रेलवे परमिट टेलीस्कोपिक दर का लाभ देता है, जो बीच में एक अंतराल / ट्रांजिट बिंदु के साथ एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक पहुंचाया जाता है। इसे हब और स्पोक प्रणाली कहा जाता है। मौजूदा दिशा-निर्देशों के तहत, पारगमन बिंदु के बीच का अंतराल पांच दिनों तक सीमित है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि कोरोना वायरस के प्रभाव के कारण कार्गो की निकासी में देरी से आईसीडी को रोक दिया गया है, सक्षम प्राधिकारी ने 16 अप्रैल 2020 से 30 मई 2020 तक टेलीस्कोपिक लाभ उठाने के उद्देश्य से इसे पांच दिनों से लेकर पंद्रह दिनों तक छूट देने का निर्णय लिया है।

5. माल ढुलाई में छूट:

रेलवे के पास उन ग्राहकों के लिए परिवहन उत्पाद / योजनाएँ हैं जो मानक लंबाई की रेक, दो बिंदुओं से शुरू होने वाले रेक, दो स्थानों के रेक आदि के लिए बुक करना चाहते हैं। इन्हें परिचालन अनुकूलन के कारण कुछ शर्तों जैसे दूरी प्रतिबंध आदि के साथ पेश किया जाता है। कोविड के दौरान निम्नलिखित छूट प्रभावित हुए हैं:-

क. मिनी रेक के लिए दूरी 600 किमी निर्धारित था, जिसे एक ही क्षेत्रीय यातायात के तहत  1000 किलोमीटर तक बढ़ाया गया था। अब इसे इन्फर जोनल और इन्ट्रा जोनल ट्रैफिक के लिए बढ़ाकर 1500 किलोमीटर कर दिया गया है।

ख. इसी तरह दो बिंदुओं पर होने वाली रेक के लिए एक दूरी का प्रतिबंध है, जिसके तहत सामान्य मौसम में दो भारण (लोडिंग) जगहों के बीच की दूरी के बीच 200 किमी से अधिक और व्यस्त मौसम में यह 400 किमी से अधिक नहीं होनी चाहिए। रेक का इष्टतम उपयोग सुनिश्चित करने के लिए ऐसा किया गया है। अब किसी भी मौसम के लिए दूरी प्रतिबंध में ढ़ील देते हुए दो भारण जगहों के बीच की दूरी 500 किमी कर दी गई है।

ग. इसके अलावा, ट्रेन लोड का लाभ के लिए लोड किए जाने वाले वैगनों की संख्या निर्धारित की गई है। यदि इस निर्धारित संख्या से कम वैगन बुक किए जाते हैं तो वैगन लोड दरें लागूं होंगी जो थोड़ी अधिक होगी।

रेल भार दरों का लाभ उठाने के लिए बीसीएनएचएल (खाद्यान्न, कृषि उपज (प्याज) आदि जैसे बैग की खेपों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले ढके हुए वैगन) की न्यूनतम संख्या आवश्यक वस्तुओं के भारण का समर्थन करने के उद्देश्य से 57 से घटाकर अब 42 वैगन कर दी गई है।

पैरा 5 में उद्धृत ये सभी छूट 30 सितंबर 2020 तक मान्य हैं।

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एएम/पीकेपी


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