वित्त मंत्रालय
प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न: आरबीआई ने बैंकों को सावधि ऋणों पर मोहलत देने की अनुमति दी
Posted On:
01 APR 2020 12:35PM by PIB Delhi
पिछले हफ्ते भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों को 1 मार्च, 2020 तक बकाया सभी सावधि ऋणों के साथ-साथ कार्यशील पूंजी की सुविधाओं पर तीन माह की मोहलत की घोषणा करने की अनुमति दे दी है।
भारतीय बैंक संघ ने इस मोहलत के तकनीकी पहलुओं के बारे में प्राय: पूछे जाने वाले प्रश्नों की एक सूची का जवाब दिया है।
प्रश्न 1: आरबीआई ने कब/क्या घोषणा की थी?
उत्तर: पिछले सप्ताह भारतीय रिजर्व बैंक ने 1 मार्च, 2020 तक बकाया सभी सावधि ऋणों (टर्म लोन) के साथ-साथ कार्यशील पूंजी की सुविधाओं पर भी तीन माह की मोहलत की घोषणा की थी।
प्रश्न 2 : आरबीआई ने राहत पैकेज की घोषणा क्यों की है?
उत्तर: भारतीय रिजर्व बैंक ने कोविड-19 महामारी की वजह से कामकाज में आए तरह-तरह के व्यवधानों को ध्यान में रखते हुए कर्ज भुगतान के भार को कम करने और लाभप्रद या सही ढंग से कार्यरत व्यवसायों की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न नियामकीय उपायों की घोषणा की है। यह महसूस किया गया कि कारोबारियों/व्यक्तियों के कैश (नकदी) प्रवाह में अस्थायी व्यवधान हो सकता है और कुछ मामलों में तो आमदनी भी घट सकती है, ऐसे में वर्तमान उपाय उन कारोबारियों/व्यक्तियों को राहत देंगे।
प्रश्न 3: आरबीआई के ‘कोविड-19 नियामकीय पैकेज’ के तहत लाभ प्राप्त करने के पात्र कौन-कौन हैं और क्या यह सुविधा सभी कर्जदारों को दी गई है?
उतर: सभी सावधि ऋण (कृषि सावधि ऋणों, खुदरा या रिटेल, फसल ऋणों और पूल खरीद के तहत ऋणों सहित) और कैश क्रेडिट/ओवरड्राफ्ट इस पैकेज के तहत लाभ प्राप्त करने के पात्र हैं। यह सुविधा उन सभी खातों के लिए उपलब्ध है, जो 1 मार्च 2020 तक मानक परिसंपत्ति (एसेट) रही हैं। इसके अलावा, अनावश्यक कागजी कार्रवाई से बचने के लिए सावधि ऋण की किस्तों (ब्याज सहित) के पुनर्भुगतान की अवधि 90 दिन बढ़ाते हुए यह सुविधा सभी ऋण लेने वालों को दी गई है। सावधि ऋणों के लिए मूल अदायगी अवधि 90 दिनों तक बढ़ जाएगी। इसका मतलब यह है कि जो ऋण 60 किस्तों में अधिकतम 1 मार्च 2025 तक देय हैं उन्हें अब 1 जून 2025 तक अदा किया जा सकेगा।
प्रश्न 4: क्या भुगतान अवधि में यह परिवर्तन सभी प्रकार के सावधि ऋणों पर लागू है?
उत्तर: यह सभी सेगमेंटों के सभी सावधि ऋणों पर लागू है, चाहे वह कोई भी सेगमेंट हो और सावधि ऋणों की अदायगी की निर्धारित अवधि चाहे कुछ भी हो।
प्रश्न 5: क्या सावधि ऋणों की भुगतान अवधि में यह परिवर्तन केवल मूल कर्ज राशि के लिए है या इसमें ब्याज भी शामिल है?
उत्तर: जिस मूल कर्ज राशि की अदायगी 1 मार्च, 2020 और 31 मई, 2020 के बीच होनी है उसका पुनर्निर्धारण तीन माह की अवधि के लिए किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, जिस सावधि ऋण की अंतिम किस्त 1 मार्च 2020 को देय है, वह अब 1 जून 2020 को देय होगी।
ईएमआई आधारित सावधि ऋणों के मामले में यह 1 मार्च 2020 से 31 मई, 2020 के बीच आने वाली तीन ईएमआई होगी और इनकी अवधि तीन माह बढ़ाई जाएगी और इनकी अदायगी बढ़ाई गई अवधि के दौरान करनी होगी, जैसा कि ऊपर दिए गए उदाहरण में बताया गया है।
अन्य सावधि ऋणों के मामले में यह समान अवधि के दौरान बकाया होने वाली सभी किस्तों और ब्याज पर लागू होगा, चाहे भुगतान की अवधि मासिक, त्रैमासिक, छमाही, वार्षिक, बुलेट भुगतान, इत्यादि कुछ भी क्यों न हो। जिन सावधि ऋणों का पुनर्भुगतान अभी शुरू नहीं हुआ है, उनके मामले में केवल ब्याज अदायगी पर ही तीन माह की मोहलत होगी।
प्रश्न 6: यदि किसी सावधि ऋण की बढ़ाई गई अवधि उसकी निर्धारित अधिकतम अवधि से अधिक या ऋण नीति में निर्धारित अवधि से अधिक हो जाती है तो क्या होगा?
उत्तर: यह अवधि इस तरह के सभी सावधि ऋणों के लिए बढ़ाई जा सकती है और इसके लिए बदलाव करने संबंधी अनुरोध या स्वीकृति की आवश्यकता नहीं होगी।
प्रश्न 7: कार्यशील पूंजी की सुविधाओं पर ब्याज किस तरह से लगेगा?
उत्तर: 31 मार्च, 30 अप्रैल और 31 मई 2020 को कैश क्रेडिट/ओवरड्राफ्ट पर लागू ब्याज की वसूली को ‘स्थगित’ किया जा रहा है। हालांकि, पूरे ब्याज को 30 जून 2020 को लागू या देय होने वाले ब्याज के साथ अवश्य ही वसूल लिया जाना चाहिए और जहां मासिक ब्याज लागू या देय नहीं है, उन मामलों में इसे अगली तिथि पर देय ब्याज के साथ वसूल लिया जाना चाहिए।
प्रश्न 8: जहां डिफॉल्ट होने की सूचना है, उन मामलों में आरबीआई की इस राहत का कर्जदारों पर क्या असर होगा?
उत्तर: भुगतान में किसी भी देरी को डिफॉल्ट माना जाता है और इसकी जानकारी क्रेडिट ब्यूरो को दी जाती है। 5 करोड़ रुपये और उससे अधिक के व्यावसायिक ऋणों के मामले में बैंक सीआरआईएलसी के माध्यम से आरबीआई को भी अतिदेय (ओवरड्यू) स्थिति के बारे में जानकारी देते हैं। इस राहत पैकेज के परिणामस्वरूप 1 मार्च 2020 के बाद अतिदेय भुगतान की स्थिति के बारे में क्रेडिट ब्यूरो/सीआरआईएलसी को तीन माह तक सूचित नहीं किया जाएगा। कोई दंडात्मक ब्याज या शुल्क बैंकों को देय नहीं होगा। इसी तरह सेबी ने इस बारे में अनुमति दे दी है कि क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां (सीआरए) सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा देरी से किए जाने वाले भुगतान को डिफॉल्ट नहीं मानेंगी, बशर्ते कि कोविड-19 के कारण किए गए लॉकडाउन की वजह से ऐसा हुआ हो।
प्रश्न 9: क्या इसका मतलब यही है कि कारोबारियों/व्यक्तियों को इसका लाभ अवश्य उठाना चाहिए?
उत्तर: आप इस पैकेज के तहत लाभ ले सकते हैं यदि आपके कैश प्रवाह में कोई व्यवधान आया है या आय का नुकसान हुआ है। हालांकि, आपको इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि ऋण पर ब्याज वैसे तो तत्काल अनिवार्य रूप से देय नहीं है और 3 माह तक स्थगित हो गया है, लेकिन आपके खाते में यह निरंतर जुड़ता रहता है और इस वजह से कुल लागत बढ़ जाएगी।
इसका एक उदाहरण आपके सामने है। मान लीजिए कि आप पर 100,000 रुपये का कर्ज बकाया है और आपसे आपके ऋण पर 12 प्रतिशत ब्याज लिया जाता है, तो वैसी स्थिति में आप हर महीने 1,000 रुपये ब्याज के रूप में चुकाते हैं। यदि आप हर महीने ब्याज न चुकाने का विकल्प चुनते हैं और आपको 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज देना है, तो वैसी स्थिति में आपको तीसरे महीने के आखिर में 3,030.10 रुपये का भुगतान करना होगा।
इसी तरह यदि ब्याज दर 10 प्रतिशत है, तो आपको प्रति माह 833 रुपये या तीन माह बाद 2,521 रुपये का भुगतान करना होगा।
प्रश्न 10: यदि कोई बैंक कर्मचारी या उसका संग्रह एजेंट कर्ज पुनर्भुगतान के लिए मुझसे संपर्क करता है, तो क्या मुझे परेशान होना चाहिए?
उत्तर: आपको परेशान नहीं होना चाहिए और बैंक कर्मचारी/संग्रह एजेंट को यह बताना चाहिए कि आप नियामकीय पैकेज के तहत दी जा रही सुविधा का लाभ उठाना चाहते हैं।
प्रश्न 11: मेरे क्रेडिट कार्ड की बकाया राशि के बारे में आपका क्या कहना है?
उत्तर: यह राहत क्रेडिट कार्ड राशि के भुगतान के लिए भी उपलब्ध है।
क्रेडिट कार्ड की बकाया राशि के मामले में न्यूनतम राशि का भुगतान करना आवश्यक होता है और अगर इसका भुगतान नहीं किया जाता है तो इस बारे में क्रेडिट ब्यूरो को सूचित किया जाता है। आरबीआई के परिपत्र (सर्कुलर) के मद्देनजर क्रेडिट कार्ड के खाते में राशि के अतिदेय होने पर भी तीन माह तक क्रेडिट ब्यूरो को सूचित नहीं किया जाएगा।
हालांकि, क्रेडिट कार्ड कंपनी अदा न की गई राशि पर ब्याज वसूलेगी। आपको अपनी क्रेडिट कार्ड कंपनी से कुल देय ब्याज के बारे में पूछना चाहिए। वैसे तो इस अवधि के दौरान कुछ भी दंडात्मक ब्याज नहीं लिया जाएगा, लेकिन आपको यह अवश्य याद रखना चाहिए कि क्रेडिट कार्ड की बकाया राशि पर ब्याज दरअसल सामान्य बैंक ऋण के ब्याज की तुलना में आम तौर पर बहुत अधिक होता है, अत: आपको उसी के अनुसार निर्णय लेना चाहिए।
प्रश्न 12: कारोबारियों को गैर-कोष आधारित से कोष आधारित या एफबी से एनएफबी की ओर उन्मुख होने के लिए दी जा रही अंतर-परिवर्तनीयता संबंधी अनुमति के बारे में आपका क्या कहना है?
उत्तर: 1 मार्च से 31 मई 2020 के बीच की अवधि के दौरान की गई अंतर-परिवर्तनीयता के कोष आधारित हिस्से पर देय ब्याज नहीं देना होगा। 1 मार्च से दी गई नई मंजूरियों और इस अवधि के दौरान इससे लाभ उठाने पर कोष आधारित हिस्से पर देय ब्याज इस राहत का पात्र होगा।
प्रश्न 13: किन-किन अन्य तरीकों से कारोबारियों को राहत दी गई है?
उत्तर: कारोबारी बैंक से यह अनुरोध कर सकते हैं कि वे उनके कैश प्रवाह में आए व्यवधान या कार्यशील पूंजी चक्र के बढ़ जाने के कारण उनकी कार्यशील पूंजी संबंधी आवश्यकताओं का पुन: आकलन करें। कारोबारी इसके अलावा एनएफबी सुविधाओं (एलसी/बीजी, इत्यादि) पर मार्जिन में कमी करने या सिक्योरिटी में राहत देने का भी अनुरोध कर सकते हैं। बैंक शाखाएं इस आशय के अनुरोधों की वास्तविकता के आधार पर अलग-अलग प्रत्येक मामले पर ठीक से गौर करने के बरद ही निर्णय लेंगी।
प्रश्न 14: क्या एनबीएफसी/एमएफआई/एचएफसी ‘कार्यशील पूंजी के वित्तपोषण में ढील’ से लाभान्वित होने के पात्र हैं?
उत्तर: वर्तमान में इन्हें योजना के दायरे में नहीं माना जा रहा है। हालांकि, आरबीआई ने हाल ही में शुरू किए गए ‘लक्षित दीर्घकालिक पुनर्वित्त परिचालन यानी टीएलटीआरओ’ के तहत इन वित्तीय मध्यवर्ती संस्थाओं को पर्याप्त तरलता सहायता देने का प्रावधान किया है। बैंकों द्वारा इस योजना के तहत हासिल की जाने वाली तरलता को निवेश योग्य कॉरपोरेट बॉन्डों, कमर्शियल पेपर और गैर-परिवर्तनीय डिबेंचरों में लगाना होगा, जो 27 मार्च 2020 तक इन बॉन्डों में उनके निवेश के मौजूदा स्तर के अलावा होगा।
बैंकों को पात्र प्रपत्रों की अपनी वृद्धिशील धारिता (होल्डिंग) का 50 प्रतिशत तक प्राथमिक बाजार के निर्गमों से और शेष पचास प्रतिशत म्यूचुअल फंडों एवं गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों सहित द्वितीयक बाजार से हासिल करना आवश्यक होगा। इस सुविधा के तहत बैंकों द्वारा किए गए निवेश को ‘एचटीएम (हेल्ड टू मैच्योरिटी)’ के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा। वैसे तो कुल निवेश के 25 प्रतिशत को ही एचटीएम पोर्टफोलियो में शामिल करने की अनुमति है, लेकिन इससे अधिक हो जाने पर भी इसे एचटीएम के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा। यही नहीं, इस सुविधा के तहत लगाई गई राशि (एक्सपोजर) को व्यापक एक्सपोजर फ्रेमवर्क के अंतर्गत भी नहीं माना जाएगा। बैंक इस व्यवस्था के तहत एनबीएफसी/एमएफआई/एचएफसी, इत्यादि को आवश्यक सहयोग देने में सक्षम होंगे और हमें ऐसा नहीं लगता है कि इन वित्तीय मध्यवर्ती संस्थाओं के लिए तरलता की कोई कमी होगी।
प्रश्न 15: क्या आरबीआई के इन सभी उपायों को ‘पुनर्संरचना’ माना जाएगा? लागू प्रावधानों के बारे में क्या कहना है?
उत्तर: कोविड-19 नियामकीय पैकेज पर 27 मार्च, 2020 के परिपत्र के तहत आरबीआई द्वारा निर्दिष्ट किए गए उपायों को ‘पुनर्संरचना’ के रूप में नहीं माना जाएगा, अत: इसके परिणामस्वरूप परिसंपत्ति के वर्गीकरण में कोई गिरावट या कमी नहीं आएगी। तदनुसार, पुनर्गठित खातों के लिए संवर्धित प्रावधान लागू नहीं होंगे।
प्रश्न 16: एसआई/ईसीएस/एनएसीएच के जरिए प्राप्त की जा रही किस्तों/ईएमआई के बारे में आपका क्या कहना है? संबंधित कर्जदार द्वारा मांग किए जाने पर इन किस्तों/ईएमआई के रिफंड की प्रक्रिया क्या होगी?
उत्तर: कृपया संशोधित अधिदेश के लिए अपने बैंक से संपर्क करें।
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