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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अरुणाचल प्रदेश के ईटानगर में 5,100 करोड़ रुपये से अधिक लागत के विभिन्न विकास कार्यों का शिलान्यास और उद्घाटन किया


अरुणाचल प्रदेश शांति और संस्कृति का संगम है, यह भारत का गौरव है: प्रधानमंत्री

पूर्वोत्तर भारत की अष्टलक्ष्मी है: प्रधानमंत्री

पूर्वोत्तर क्षेत्र राष्ट्र के विकास की प्रेरक शक्ति बन रहा है: प्रधानमंत्री

वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम की सफलता ने लोगों का जीवन सुगम बना दिया है: प्रधानमंत्री

जीएसटी अब 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत तक सरल हो गया है, जिससे अधिकांश वस्तुओं पर कर कम हो गया है: प्रधानमंत्री

Posted On: 22 SEP 2025 1:14PM by PIB Delhi

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज अरुणाचल प्रदेश के ईटानगर में 5,100 करोड़ रुपये से अधिक लागत के विभिन्न विकास कार्यों का शिलान्यास और उद्घाटन किया। इस अवसर पर उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए, उन्होंने सर्वशक्तिमान डोनयी पोलो के प्रति श्रद्धा व्यक्त की और सभी पर कृपा की प्रार्थना की।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हेलीपैड से मैदान तक की यात्रा, मार्ग में अनगिनत लोगों से मिलना और बच्चों व युवाओं को राष्ट्रीय ध्वज थामे देखना, इन सभी ने तथा अरुणाचल प्रदेश के गर्मजोशी भरे आतिथ्य ने मुझे गौरवान्वित कर दिया। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि अरुणाचल न केवल उगते सूरज की धरती है, बल्कि देशभक्ति की भी भूमि है। जिस तरह राष्ट्रीय ध्वज का पहला रंग केसरिया होता है, उसी तरह अरुणाचल की आत्मा भी केसरिया रंग से आरंभ होती है। श्री मोदी ने कहा कि अरुणाचल का हर व्यक्ति वीरता और सादगी का प्रतीक है। उन्होंने राज्य के प्रति अपना गहरा लगाव प्रदर्शित करते हुए कहा कि हर यात्रा उन्हें अपार प्रसन्नता देती है और लोगों के साथ बिताया हर पल यादगार होता है। उन्होंने अपने प्रति दिखाए गए प्यार और स्नेह को एक बड़ा सम्मान बताया। प्रधानमंत्री ने इस पवित्र भूमि को नमन करते हुए कहा, "तवांग मठ से लेकर नामसाई के गोल्डन पैगोडा तक, अरुणाचल प्रदेश शांति और संस्कृति के संगम का प्रतिनिधित्व करता है।" उन्होंने इस पवित्र भूमि को भारत माता का गौरव बताया।

प्रधानमंत्री ने आज अरुणाचल प्रदेश की अपनी यात्रा को तीन अलग-अलग कारणों से विशिष्ट बताते हुए कहा कि पहला, नवरात्रि के पावन प्रथम दिन उन्हें सुंदर पर्वत श्रृंखलाओं के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि इस दिन भक्त हिमालय की पुत्री मां शैलपुत्री की पूजा करते हैं। दूसरा, उन्होंने देश भर में अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधारों को लागू करने और जीएसटी बचत महोत्सव के शुभारंभ की घोषणा की। श्री मोदी ने कहा कि त्योहारों के मौसम में नागरिकों को दोहरा लाभ मिला है। तीसरा, उन्होंने अरुणाचल प्रदेश में बिजली, कनेक्टिविटी, पर्यटन और स्वास्थ्य सहित विभिन्न क्षेत्रों में कई विकास परियोजनाओं के उद्घाटन पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह केंद्र और राज्य सरकारों के दोहरे लाभ को दर्शाता है और उन्होंने इन परियोजनाओं के लिए अरुणाचल प्रदेश के लोगों को हार्दिक बधाई दी। उन्होंने कहा कि जीएसटी बचत महोत्सव भारत के लोगों के लिए खुशी, समृद्धि और सफलता लेकर आएगा।

उन्होंने कहा कि यद्यपि अरुणाचल प्रदेश सूर्य की किरणें सबसे पहले प्राप्त करता है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि त्‍वरित  विकास की किरणों को इस क्षेत्र तक पहुंचने में कई दशक लग गए। श्री मोदी ने 2014 से पहले कई बार अरुणाचल प्रदेश की यात्रा और वहां के लोगों के बीच रहने को याद करते हुए कहा कि इस राज्य को - अपनी भूमि, श्रमशील नागरिकों और अपार संभावनाओं के साथ प्रकृति का भरपूर आशीर्वाद प्राप्त है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि इन विशिष्‍टताओं के बावजूद, दिल्ली से शासन करने वाले पूर्ववर्ती लोगों ने अरुणाचल की लगातार उपेक्षा की। उन्होंने कुछ राजनीतिक दलों की इस सोच के लिए आलोचना की कि कम आबादी और केवल दो लोकसभा सीटों वाले अरुणाचल पर ध्यान देने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि इस दृष्टिकोण ने अरुणाचल और पूरे पूर्वोत्तर को बहुत हानि पहुंचाई, जो विकास की यात्रा में बहुत पीछे छूट गया।

श्री मोदी ने कहा कि 2014 में राष्ट्र की सेवा का अवसर मिलने के बाद, उन्होंने देश को पिछली सरकार की मानसिकता से मुक्त करने का संकल्प लिया। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि उनकी सरकार की मार्गदर्शक प्रेरणा किसी राज्य में वोटों या सीटों की संख्या नहीं, बल्कि "राष्ट्र प्रथम" का सिद्धांत है। उन्होंने सरकार के मूल मंत्र - 'नागरिक देवोभव' को दोहराया। प्रधानमंत्री ने कहा कि जिन लोगों को पहले कभी सम्मान नहीं मिला, वे अब मोदी के लिए पूजनीय हैं। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि विपक्ष के शासन के दौरान उपेक्षित रहा पूर्वोत्तर 2014 के बाद विकास प्राथमिकताओं का केंद्र बन गया। क्षेत्र के विकास के लिए बजट कई गुना बढ़ा दिया गया और अंतिम छोर तक कनेक्टिविटी और वितरण को हमारे प्रशासन की पहचान बना दिया गया। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि शासन अब दिल्ली तक सीमित नहीं रहेगा; अधिकारियों और मंत्रियों को नियमित रूप से पूर्वोत्तर का दौरा करना होगा और वहां रहना होगा।

उन्होंने इस बात पर बल दिया कि पिछली सरकार के कार्यकाल में केंद्रीय मंत्री दो-तीन महीने में सिर्फ़ एक बार ही पूर्वोत्तर का दौरा करते थे। श्री मोदी ने कहा कि इसके विपरीत हमारी सरकार में केंद्रीय मंत्रियों ने 800 से अधिक बार पूर्वोत्तर का दौरा किया है। उन्होंने कहा कि ये दौरे प्रतीकात्मक नहीं हैं; हमारे केन्द्रीय मंत्री रात भर रुकने और क्षेत्र के साथ सार्थक संवाद करने का प्रयास करते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि वे स्वयं 70 से अधिक बार पूर्वोत्तर का दौरा कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि पिछले सप्‍ताह ही उन्होंने मिज़ोरम, मणिपुर और असम का दौरा किया और गुवाहाटी में रात बिताई। उन्होंने पूर्वोत्तर के प्रति अपने गहरे लगाव को व्‍यक्‍त करते हुए कहा कि उनकी सरकार ने भावनात्मक दूरी को पाटकर दिल्ली को लोगों के और निकट ला दिया है।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर ज़ोर देते हुए कि पूर्वोत्तर के आठ राज्य अष्टलक्ष्मी के रूप में पूजनीय हैं, कहा कि इसलिए इन्हें विकास की यात्रा में पीछे नहीं छोड़ा जा सकता। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि केंद्र सरकार क्षेत्र की प्रगति के लिए पर्याप्त धनराशि आवंटित कर रही है। एक उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि केंद्र द्वारा एकत्र किए गए करों का एक हिस्सा राज्यों को वितरित किया जाता है। पिछली सरकार के दौरान, अरुणाचल प्रदेश को दस वर्षों में केंद्रीय करों से केवल 6,000 करोड़ रुपये मिले थे। श्री मोदी ने ज़ोर देकर कहा कि इसके विपरीत हमारी सरकार के तहत अरुणाचल को इसी अवधि में 16 गुना अधिक - एक लाख करोड़ रुपये से अधिक प्राप्त हुए हैं - उन्होंने स्पष्ट किया कि यह आंकड़ा केवल कर हिस्सेदारी से संबंधित है, और इसमें राज्य में कार्यान्वित की जा रही विभिन्न योजनाओं और प्रमुख अवसंरचना परियोजनाओं के तहत अतिरिक्त व्यय शामिल नहीं है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यही कारण है कि अरुणाचल में आज इतना व्यापक और तेज़ विकास दिख रहा है।

इस बात पर बल देते हुए कि जब इरादे नेक और प्रयास ईमानदार हों, तो परिणाम स्पष्ट दिखाई देते हैं, श्री मोदी ने कहा कि पूर्वोत्तर सुशासन पर मजबूत फोकस के साथ राष्ट्र के विकास में एक प्रेरक शक्ति के रूप में उभर रहा है। उन्होंने पुष्टि की कि उनकी सरकार के लिए नागरिकों के कल्याण से बढ़कर कुछ भी नहीं है। श्री मोदी ने रेखांकित किया कि जीवन को सरल बनाने के लिए सरकार ईज ऑफ लिविंग; यात्रा की कठिनाइयों को कम करने के लिए, ईज़ ऑफ ट्रैवल; स्वास्थ्य सेवा की पहुंच में सुधार करने के लिए, ईज़ ऑफ मेडिकल ट्रीटमेंट; शिक्षा में सहायता के लिए, ईज़ ऑफ एजुकेशन; और व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिए, ईज़ ऑफ डूईंग बिज़नेस पर काम किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि केंद्र और राज्य की उनकी सरकारें इन लक्ष्यों को अर्जित करने के लिए सक्रिय रूप से प्रयास कर रही हैं। जिन क्षेत्रों में सड़कें कभी अकल्पनीय थीं, अब वहां गुणवत्तापूर्ण राजमार्गों का निर्माण हो रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सेला सुरंग जैसा बुनियादी ढांचा, जिसे कभी असंभव माना जाता था, अब अरुणाचल प्रदेश की प्रगति का प्रतीक बन गया है।

श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि केंद्र सरकार अरुणाचल प्रदेश और पूर्वोत्तर के सुदूर इलाकों में हेलीपोर्ट स्थापित करने और इन क्षेत्रों को उड़ान योजना के अंतर्गत एकीकृत करने के लिए काम कर रही है, कहा कि होलोंगी हवाई अड्डे पर एक नया टर्मिनल भवन बनाया गया है, जहां से अब दिल्ली के लिए सीधी उड़ानें उपलब्ध हैं। इस विकास से न केवल नियमित यात्रियों, छात्रों और पर्यटकों को, बल्कि स्थानीय किसानों और छोटे उद्योगों को भी लाभ होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि फलों, सब्जियों और अन्य उत्पादों को देश भर के प्रमुख बाजारों तक पहुंचाना अब बहुत सुगम हो गया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्र 2047 तक एक विकसित देश बनने के लक्ष्य की दिशा में सामूहिक रूप से काम कर रहा है और यह विजन तभी साकार हो सकता है जब प्रत्येक राज्य राष्ट्रीय उद्देश्यों के अनुरूप प्रगति करे। उन्होंने संतोष व्यक्त किया कि पूर्वोत्तर इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। प्रधानमंत्री ने बिजली क्षेत्र का एक प्रमुख उदाहरण देते हुए कहा कि भारत ने 2030 तक सौर, पवन और जल विद्युत सहित गैर-पारंपरिक स्रोतों से 500 गीगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा है। श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि अरुणाचल प्रदेश इस मिशन में सक्रिय रूप से योगदान दे रहा है। उन्होंने दो नई बिजली परियोजनाओं के शिलान्यास की घोषणा की जो एक बिजली उत्पादक के रूप में अरुणाचल की स्थिति को मजबूत करेंगी, हजारों युवाओं के लिए रोजगार सृजित करेंगी और विकासात्मक गतिविधियों के लिए किफायती बिजली उपलब्ध कराएंगी। प्रधानमंत्री ने कठिन विकास कार्यों को टालने की विपक्षी दल की लंबे समय से चली आ रही प्रवृत्ति की आलोचना की, जिसका अरुणाचल और पूरे पूर्वोत्तर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कहा कि चुनौतीपूर्ण भूभाग - पर्वतीय क्षेत्र, वन क्षेत्र - को अक्सर विपक्षी दल द्वारा पिछड़ा और उपेक्षित घोषित किया जाता है। श्री मोदी ने कहा कि पूर्वोत्तर के जनजातीय क्षेत्रों और जिलों को सबसे ज़्यादा नुकसान हुआ है। सीमावर्ती गांवों को "अंतिम गांव" बताकर खारिज कर दिया गया, जिससे पिछली सरकारों को ज़िम्मेदारी से बचने और अपनी विफलताओं को छिपाने का अवसर मिल गया। इस उपेक्षा के कारण जनजातीय और सीमावर्ती क्षेत्रों से लोगों का निरंतर पलायन हुआ।

क्षेत्रीय विकास के प्रति अपनी पुरानी सोच में बदलाव का उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने कहा कि पिछली सरकारों द्वारा "पिछड़े" कहे जाने वाले जिलों को अब "आकांक्षी जिलों" के रूप में पुनर्परिभाषित किया गया है और विकास को प्राथमिकता दी गई है। सीमावर्ती गांव जिन्हें कभी "अंतिम गांव" माना जाता था, अब देश के "प्रथम गांव" के रूप में पहचाने गए हैं। प्रधानमंत्री ने इस बदलाव के सकारात्मक परिणामों पर प्रकाश डाला और सीमावर्ती क्षेत्रों में विकास की तीव्र गति का उल्लेख किया। वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम की सफलता ने जीवन की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार किया है। अकेले अरुणाचल प्रदेश में ही, ऐसे 450 से अधिक सीमावर्ती गांवों में तेज़ी से विकास हुआ है और अब इन क्षेत्रों में सड़क, बिजली और इंटरनेट जैसी आवश्यक बुनियादी सुविधाएं पहुंच रही हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि जहां सीमावर्ती क्षेत्रों से शहरों की ओर पलायन कभी आम बात थी, वहीं अब ये गांव पर्यटन के नए केंद्र के रूप में उभर रहे हैं।

अरुणाचल प्रदेश में पर्यटन की अपार संभावनाओं पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि जैसे-जैसे नए क्षेत्रों तक कनेक्टिविटी का विस्तार हो रहा है, पर्यटन भी लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि पिछले एक दशक में अरुणाचल आने वाले पर्यटकों की संख्या दोगुनी हो गई है। उन्होंने सम्मेलन और कंसर्ट पर्यटन में वैश्विक रूप से वृद्धि को संदर्भित करते हुए कहा कि अरुणाचल की पर्यटन शक्ति प्रकृति और संस्कृति से कहीं आगे तक फैली हुई है। इस संदर्भ में, श्री मोदी ने घोषणा की कि तवांग में बनने वाला आधुनिक कन्वेंशन सेंटर राज्य के पर्यटन परिदृश्य में एक नया आयाम जोड़ेगा। उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा आरंभ किया गया वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम सीमावर्ती गांवों के लिए एक मील का पत्थर साबित हो रहा है, जो अरुणाचल के विकास में महत्वपूर्ण रूप से सहायक है।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर बल देते हुए कि आज अरुणाचल प्रदेश में जो तेज़ विकास दिखाई दे रहा है, वह दिल्ली और ईटानगर, दोनों जगहों पर कार्यरत उनकी सरकारों का परिणाम है, कहा कि केंद्र और राज्य की संयुक्त ऊर्जा विकास में लग रही है। उन्होंने कैंसर संस्थान के निर्माण कार्य के शुभारंभ और क्षेत्र में मेडिकल कॉलेजों की स्थापना का ज़िक्र किया। श्री मोदी ने कहा कि आयुष्मान भारत योजना के तहत, असंख्य नागरिकों को नि:शुल्‍क उपचार प्राप्‍त हुआ है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि ये उपलब्धियां केंद्र और राज्य दोनों स्‍थानों पर उनकी सरकारों के कारण ही संभव हुई हैं।

केंद्र और राज्य सरकारों के प्रयासों को रेखांकित करते हुए, श्री मोदी ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश कृषि और बागवानी के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति कर रहा है। उन्होंने कहा कि कीवी, संतरा, इलायची और अनानास जैसे स्थानीय उत्पाद राज्य को एक नई पहचान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री-किसान सम्मान निधि योजना इस क्षेत्र के किसानों के लिए अत्‍यधिक लाभप्रद साबित हो रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि माताओं, बहनों और बेटियों को सशक्त बनाना उनकी सरकार की प्रमुख प्राथमिकता है। उन्होंने देश भर में तीन करोड़ "लखपति दीदी" बनाने के अपने मिशन को दोहराया और इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि मुख्यमंत्री श्री पेमा खांडू और उनकी टीम इस मिशन को सक्रिय रूप से आगे बढ़ा रही है। उन्होंने राज्य में कई कामकाजी महिला छात्रावासों की शुरुआत का भी उल्‍लेख किया, जिससे युवतियों को अत्‍यधिक लाभ होगा।

कार्यक्रम में महिलाओं की भारी उपस्थिति की सराहना करते हुए और जीएसटी बचत महोत्सव के लिए एक बार फिर बधाई देते हुए, श्री मोदी ने कहा कि अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधारों का उन पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि अब परिवारों को अपने मासिक बजट में काफ़ी राहत मिलेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि रसोई का सामान, बच्चों के लिए शिक्षा सामग्री, जूते-चप्पल और कपड़े जैसी आवश्‍यक वस्‍तुएं अब अधिक सस्ती हो गई हैं।

प्रधानमंत्री ने नागरिकों से 2014 से पहले के दौर को याद करने का आग्रह करते हुए और उस समय की अनेक चुनौतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि उस समय मुद्रास्फीति आसमान छू रही थी, बड़े-बड़े घोटाले हो रहे थे और तत्कालीन सरकार जनता पर कर का बोझ लगातार बढ़ा रही थी। उन्होंने बताया कि 2014 से पहले की सरकार में 2 लाख रुपये की वार्षिक आय पर भी आयकर लगता था और कई आवश्यक वस्तुओं पर 30 प्रतिशत से अधिक की दर से कर लगता था।

नागरिकों की आय और बचत दोनों को बढ़ाने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को याद करते हुए, श्री मोदी ने कहा कि वर्षों से बड़ी चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, उनकी सरकार ने आयकर की दरों में लगातार कमी की है। इस वर्ष, 12 लाख रुपये तक की वार्षिक आय को पूरी तरह से कर-मुक्त कर दिया गया है। उन्होंने घोषणा की कि जीएसटी को अब केवल दो स्लैब - 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत - तक सीमित कर दिया गया है। श्री मोदी ने ज़ोर देकर कहा कि कई वस्तुएँ कर-मुक्त हो गई हैं और अन्य वस्तुओं पर करों में उल्लेखनीय कमी की गई है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि घर बनाना, स्कूटर या बाइक खरीदना, बाहर खाना और यात्रा करना, ये सभी अब अधिक किफ़ायती हो गए हैं। उन्होंने कहा कि जीएसटी बचत महोत्सव लोगों के लिए एक यादगार उपलब्धि होगी।

अरुणाचल प्रदेश की देशभक्ति की भावना की सराहना करते हुए, श्री मोदी ने कहा कि यहां के लोग "नमस्कार" से पहले ही "जय हिंद" कहते हैं, और राष्ट्र को स्वयं से ऊपर रखते हैं। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि जैसे-जैसे देश विकसित भारत के निर्माण के लिए सामूहिक रूप से प्रयासरत है, आत्मनिर्भरता की राष्ट्रीय अपेक्षा भी बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि भारत तभी विकसित होगा जब वह आत्मनिर्भर बनेगा, और इसके लिए "स्वदेशी" का मंत्र आवश्यक है। प्रधानमंत्री ने नागरिकों से स्वदेशी अपनाने का आग्रह किया और केवल भारत में बने उत्पादों को खरीदने और बेचने तथा उन्हें गर्व से स्वदेशी घोषित करने के महत्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि इस मंत्र का पालन करने से राष्ट्र, अरुणाचल प्रदेश और पूरे पूर्वोत्तर का विकास गति पकड़ेगा। उन्होंने हाल ही में आरंभ की गई विकास परियोजनाओं के लिए शुभकामनाएं देते हुए अपने भाषण का समापन किया।

इस कार्यक्रम में अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल के.टी. परनाइक (सेवानिवृत्त), अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री पेमा खांडू, केंद्रीय मंत्री श्री किरेन रिजिजू सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

प्रधानमंत्री ने क्षेत्र में विशाल जलविद्युत क्षमता का दोहन करने और सतत ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ईटानगर में 3,700 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली दो प्रमुख जलविद्युत परियोजनाओं की आधारशिला रखी। हीओ जलविद्युत परियोजना (240 मेगावाट) और टाटो-I जलविद्युत परियोजना (186 मेगावाट) अरुणाचल प्रदेश के सियोम उप-बेसिन में विकसित की जाएंगी।

प्रधानमंत्री ने तवांग में एक अत्याधुनिक कन्वेंशन सेंटर की आधारशिला भी रखी। सीमांत जिले तवांग में 9,820 फीट से भी अधिक की ऊँचाई पर स्थित यह केंद्र राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों, सांस्कृतिक उत्सवों और प्रदर्शनियों के आयोजन के लिए एक महत्वपूर्ण सुविधा केन्द्र के रूप में कार्य करेगा। 1,500 से अधिक प्रतिनिधियों की मेजबानी करने की क्षमता वाला यह केंद्र वैश्विक मानकों को पूरा करेगा और क्षेत्र की पर्यटन एवं सांस्कृतिक क्षमता को बढ़ावा देगा।

प्रधानमंत्री ने 1,290 करोड़ रुपये से अधिक की कई प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का भी शुभारंभ किया, जो कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य, अग्नि सुरक्षा, कामकाजी महिलाओं के लिए छात्रावासों सहित विभिन्न क्षेत्रों को लाभान्वित करेंगी। इन पहलों से क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों को गति मिलने, जीवन स्तर में सुधार होने और कनेक्टिविटी बढ़ने की उम्मीद है।

व्यवसाय में सुगमता सुनिश्चित करने और एक जीवंत उद्यमशील इको-सिस्टम को बढ़ावा देने के अपने विजन के अनुरूप, प्रधानमंत्री ने हाल ही में जीएसटी दर युक्तिकरण के प्रभाव पर चर्चा करने के लिए स्थानीय करदाताओं, व्यापारियों और उद्योग प्रतिनिधियों के साथ परस्पर बातचीत की।

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पीके/केसी/एसकेजे/एसवी


(Release ID: 2169618)