प्रधानमंत्री कार्यालय
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अहमदाबाद के कन्या छात्रालय, सरदारधाम फेज़-II के शिलान्यास समारोह में प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ

Posted On: 24 AUG 2025 10:24PM by PIB Delhi

केन्द्रीय मंत्री मंडल के मेरे सभी साथी, गुजरात सरकार के सभी मंत्रीगण, उपस्थित सभी सांसद साथी, सभी विधायक गण, सरदारधाम के प्रमुख भाई श्री गगजी भाई, ट्रस्टी वी.के.पटेल, दिलीप भाई, अन्य सभी महानुभाव, और मेरे प्यारे भाइयों-बहनों, विशेष रूप से प्यारी बेटियाँ।

सरदारधाम का नाम जितना पवित्र है, उतना ही उसका काम भी पवित्र है। आज बेटियों की सेवा के लिए, उनकी शिक्षा के लिए एक होस्टल का लोकार्पण हो रहा है। जो बेटियाँ इस होस्टल में रहेंगी, उनके अरमान होंगे, सपने होंगे, उसे पूरा करने के लिए अनेक अवसर उन्हें मिलेंगे। और इतना ही नहीं वे बेटियाँ जब अपने पैरों पर खड़ी होंगी, सामर्थ्यवान बनेंगी, तब राष्ट्र निर्माण में भी उनकी अहम भूमिका स्वाभाविक ही बनेगी, उनका परिवार भी समर्थ बनेगा। इसलिए सबसे पहले मैं इस होस्टल में रहने का जिनको अवसर मिलेगा, उन सभी बेटियों को उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभेच्छा देता हूँ, उनके परिवारजनों को भी शुभेच्छा देता हूँ।

साथियों,

ये मेरा सौभाग्य है कि गर्ल्स होस्टल फेज़ 2 की, इसकी आधारशिला रखने के लिए आपने मुझे अवसर दिया है। आज समाज के भगीरथ प्रयास से 3 हजार बेटियों के लिए उत्तम व्यवस्था, उत्तम सुविधा के साथ भव्य इमारत उनको मिल रही है। मुझे बताया गया है कि बडौदा में भी 2 हजार विद्यार्थियों के लिए होस्टल का काम चल रहा है, और पूरा होने की तैयारी में है। सूरत, राजकोट, मेहसाणा, वहां भी इस प्रकार के एजुकेशन के, लर्निंग के, ट्रेनिंग के अनेक सेंटर बनाये जा रहे हैं। इन सारे प्रयासों के लिए जो लोग इनमें अपना योगदान दे रहे हैं, वे सभी अभिनंदन के अधिकारी हैं, क्योंकि अपना देश समाज की शक्ति से ही आगे बढ़ता है। मैं आज इस अवसर पर सरदार साहब के चरणों में प्रणाम करता हूँ। जब मैं मुख्यमंत्री था, तब हमेशा कहता था कि भारत के विकास के लिए गुजरात का विकास और आज संयोग बना है कि देश के विकास में गुजरात ने मुझे जो सिखाया, गुजरात से जो मैंने सिखा है, वो काम में आ रहा है। आप सभी जानते हैं कि आज से 25-30 साल पहले हमारे यहां गुजरात में अनेक अनेक पैरामीटर में, कुछ बाते चिंताजनक थीं। गुजरात को विकास के साथ-साथ सामाजिक क्षेत्रों में भी अनेक संकटों में अपनी शक्ति लगानी पड़ती थी, चुनौतियों का सामना करना पड़ता था। और उसमें जब मैं नया नया मुख्यमंत्री बना था, तब पहली बार मेरे ध्यान में आया कि बेटियाँ शिक्षा के क्षेत्र में खूब पीछे हैं, और वह बात मेरे मन पर असर कर गई। अनेक परिवार बेटियों को स्कूल नहीं भेजते थे। जो स्कूल में दाखिला लेती थीं, वह भी जल्द ही स्कूल छोड़ देती थीं, ड्रोप आउट हो जाती थीं। 25 साल पहले आप सबने मेरा साथ दिया और पूरी स्थिति बदल गई। आप सबको याद होगा कि हम सब कन्या शिक्षा की रथयात्रा निकालते थे। मुझे याद है कि 40-42 डिग्री तापमान होता था, 13, 14, 15 जून, को गांव में जाना मतलब जाना, घर घर में जाना मतलब जाना, बेटियों को ऊँगली पकड़कर स्कूल ले आना मतलब ले ही आते थे। स्कूल के प्रवेशोत्सव के कितने बड़े कार्यक्रम किये। और मेरा सौभाग्य है कि इस कार्य ने खूब बड़ा लाभ हमें दिया। उसके कारण आज जरूरत पड़ने पर स्कूलों के इन्फ्रास्ट्रक्चर बने, स्कूलों को आधुनिक सुविधाएं मिली, सब प्रकार की व्यवस्थाएं विकसित हुई, शिक्षकों की भर्ती हुई। और समाज ने भी खूब आगे बढ़कर भाग लिया, जिम्मेदारी निभाई। और परिणाम यह मिला कि आज वे बेटे बेटियां जिनके हमने स्कूल में दाखिल किये थे, वे डॉक्टर बन गए ,इंजीनियर बन गए, ड्रोपआउट रेशियो कम हुआ और इतना ही नहीं पूरे गुजरात के कोने-कोने में अभ्यास की भूख जग गई। 

दूसरी बड़ी चिंता थी भ्रूण हत्या का पाप। यह इतना बड़ा कलंक था हम पर, कई बार तो हमारे समाज में चिंता होती थी, इस बात की पर समाज ने मुझे समर्थन दिया और आंदोलन खड़ा किया। हमने सूरत से यात्रा निकाली थी, उमिया माता तक ले गये थे। बेटा बेटी एक समान- इस भावना को मजबूत बनाया। हमारा गुजरात तो शक्ति की उपासना करने वाला गुजरात, यहाँ हमारे यहाँ उमिया माता हो, माँ खोडल हो, माँ काली हो, माँ अंबा हो, माँ बहुचर हो, और उनके आशीर्वाद हो ऐसे समाज में भ्रूण हत्या कलंक थी। यह भावना जब जगी, और सबका समर्थन मिला तब आज गुजरात में बेटा-बेटी की संख्या में जो बड़ा अंतर था, उसको धीरे-धीरे कम करने में हम सफल रहे हैं।

साथियों,

बड़े उद्देश्यों के साथ जब प्रयास किए जाते हैं और पवित्रता के साथ होते हैं, समाज की भलाई के लिए होते हैं, तब ईश्वर भी साथ देता है, और ईश्वर रूपी समाज भी साथ देता है। और परिणाम भी मिलता है। आज समाज में एक नवीन जागृति आई है। हम अपने आप आगे आते हैं, बेटियों को पढ़ाने के लिए, उनका मान-सम्मान बढ़े, उनके लिए हम सुविधा खड़ी कर रहे हैं, भव्य होस्टल बना रहे हैं। हमने गुजरात में जो बीज बोया था, वह आज पूरे देश में बेटी-बेटियों, बेटी पढ़ाओ– जनआंदोलन बन चुका है। महिलाओं की सुरक्षा के लिए, महिला सशक्तिकरण के लिए देश में ऐतिहासिक रूप से काम हो रहा है। हमारी बेटियाँ, ऑपरेशन सिंदूर की जब बात होती है तब बेटियों की आवाज़ सुनाई देती है, उनके सामर्थ्य की बात हमारे कानों तक पहुँचती है, गाँवों में लखपति दीदी, 3 करोड़ का लक्ष्य था, 2 करोड़ तक पहुँच गये, ड्रोन दीदी आदि से समग्र गाँव में बहनों की ओर देखने का दृष्टिकोण बदल गया। बैंक सखी, बीमा सखी, ऐसी अनेक योजनाएँ आज ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए हमारी मातृशक्ति काम कर रही हैं।

साथियों,

शिक्षा का सबसे बड़ा उद्देश्य समाज में सकारात्मक योगदान देने वाले लोगों का निर्माण करना है, ऐसे लोगों की योग्यता बढ़ाना है। खूब तेज गति से आज जब ये सारी बात हम कर रहे हैं, तब यह प्रासंगिक बन हो गई है। अब हमारे बीच स्किल की स्पर्धा होनी चाहिए, हुनर की स्पर्धा होनी चाहिए। वैसे भी समाज की ताकत तो हुनर ही होता है। आज स्किल मेन पावर पूरी दुनिया में भारत के स्किल मेन पावर की मांग बढ़ी है। दशकों तक भूतकाल में सरकार ने यह ढुलमुल रवैया शिक्षा पद्धति के प्रति रखा, हमने इसमें बड़ा परिवर्तन किया, पुरानी पद्धति से बाहर निकल कर हम उस परिस्थिति को बदल रहे हैं। और नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति जो हमने लागू की है, इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति में सबसे बड़ा बल स्किल पर है, हुनर पर है। स्किल इंडिया मिशन हमने लॉन्च किया है। इसके अंतर्गत करोड़ों युवाओं को अलग अलग फिल्ड में स्किल्ड मेन पावर तैयार हो, इस पर हम काम कर रहे हैं। दुनिया में बड़ी मांग है– आज दुनिया का सबसे बड़ा हिस्सा ऐजिंग की समस्या से घिरा है, उसे युवाओं की जरूरत है, और भारत के पास विश्व को देने का यह सामर्थ्य है। हमारे युवा स्किल्ड हो तो उनके लिए रोजगार की अनेक संभावनाए बनती हैं। उनका आत्मविश्वास, आत्मनिर्भरता, उसके लिए सामर्थ्य उसमें से आता है। सरकार का ज़ोर युवाओं को रोजगार, अधिक से अधिक रोजगार इसके लिए अवसर तैयार करने का है। 11 वर्ष पहले हमारे देश में गिने चुने स्टार्टअप्स थे, आज भारत में स्टार्ट अप की संख्या लगभग 2 लाख तक पहुंचने वाली है। इसमें भी टियर टु, टियर थ्री हमारे यहाँ छोटे-छोटे शहरों में यह स्टार्टअप शुरू होने लगे हैं। हमने एक मुद्रा योजना शुरू की, बैंक से लोन  मिले, बिना गारंटी के लोन मिले, जिसके कारण 33 लाख करोड़ रूपया, सोचिए 33 लाख करोड़ रुपए युवाओं के हाथ में स्वरोजगार के लिए दिये गए हैं, जिसके परिणाम स्वरूप आज लाखों युवा खुद आत्मनिर्भर बने हैं और खुद के साथ एक, दो अन्य लोगों को भी रोज़गार दे रहे हैं। और आप जानते हैं, इस बार 15 अगस्त को मैंने कहा था और एक योजना की घोषणा की थी, और 15 अगस्त के दिन वह लागू भी हो गई। प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना एक लाख करोड़ रूपये की यह योजना है। इसके अंतर्गत प्राईवेट सेक्टर में आप किसी को भी नौकरी देते हैं, तब पहले वेतन में 15 हजार रूपये सरकार उसे देगी।

साथियों,

आज देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेन्ट का जो काम चल रहा है, रिकॉर्ड गति पर चल रहा है। पीएम सूर्य घर मुफ़्त बिजली योजना, इसके अंतर्गत सोलर सिस्टम लगाने का काम बड़े पैमाने पर हो रहा है। भारत में ड्रोन और डिफेन्स इंडस्ट्रीज़ में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। और सरकार का सबसे बड़ा फोकस, ज़ोर मिशन मेन्युफेक्चरिंग पर है। ये सारे अभियान गुजरात में भी रोजगार के नवीन अवसर पैदा करते हैं।

साथियों,

दुनिया आज भारत के श्रम के साथ-साथ भारत की प्रतिभा को खूब अच्छा मानती है, उसके महत्व को समझती है। इसलिए विश्व के अलग-अलग देशों में अनेक अवसर तैयार हो रहे हैं। हमारे युवा हेल्थकेयर, एजुकेशन, स्पेस जैसे अनेक सेक्टर में अपनी छवि से दुनिया को चकित कर रहे हैं।

साथियों,

इस बार स्वतंत्रता दिवस पर मैंने लाल किले से स्वदेशी पर खूब जोर दिया है, बहुत आग्रह किया है, भारत आत्मनिर्भर बनना चाहिए, भाई। और आज समाज के सारे लोग मेरे सामने बैठे हैं। भूतकाल में मैंने आप सबको जो काम बताये, काम बताने का भले ही मुझे पुण्य मिला हो, पर मुझे आज कहना चाहिए कि आपने सारे काम किए हैं और मुझे वो सारे काम पूरे करके दिखाए हैं। और 25 वर्षों का मेरा अनुभव है कि मेरी कोई भी अपेक्षा आपने पूरी न की हो ऐसा कभी नहीं हुआ है, इसलिए मेरी भूख भी थोड़ी बढ़ती जाती है। हर बार कुछ न कुछ काम सौंपने की इच्छा बढ़ जाती है। आज मैं खास बात करना चाहता हूँ, कि आज के विश्व की जो अस्थिरता है, उसमें भारत के लिए उत्तम से उत्तम मार्ग है- आत्मनिर्भर बनने का। आत्मनिर्भर बनने का अर्थ है, हम स्वदेशी चीजों के आग्रही बनें। मेक इन इंडिया के लिए हमारा उत्साह बढ़ना चाहिए।

स्वदेशी का आंदोलन 100 साल पुराना नहीं है, हमारे भविष्य को मजबूती देने वाला आंदोलन है। और उसका नेतृत्व आप को करना चाहिए। हमारे समाज के युवाओं को बेटे-बेटियों को करना चाहिए। यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अब हमारे परिवार में, घर में एक भी विदेशी चीज नहीं आयेगी। मैंने बीच में वेड इन इंडिया कहा था, तब अनेक लोगों ने विदेशों में अपने विवाह को cancel करके भारत में आकर, हॉल बुक करके यहां विवाह किये थे। एक बार विचार करने पर देश के लिए भावना अपने आप जगती है। मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत में हम सबकी सफलता है, हम सबकी शक्ति है। हमारी आने वाली पीढियों का भविष्य है उसमें। इसलिए आप निश्चित करना मित्रों हमेशा और एक बार भारतीय चीज लेने लगेंगे, तब उसमें क्वॉलिटी में अपने आप सुधार होगा। क्योंकि मार्केट में टिकने के लिए सब अच्छा बनाएंगे, अच्छा पैकेजिंग करेंगे, सस्ता देंगे। इसलिए हमारा रूपया बाहर जाये वो हमारे लिए ठीक बात नहीं। और मुझे विश्वास है कि ये जो छोटा सा कार्य मैंने आपको सौंपा है, समाज में जागृति लाकर आप उस काम को पूरा करेंगे और देश को नवीन शक्ति देंगे।

व्यापारियों से भी मेरी विनती है, अब हमारा समाज सिर्फ किसान का नहीं रहा है, व्यापारी भी बन गया है। व्यापारी के रूप में मेरा कहना है कि हम एक बोर्ड लगाएं कि मेरी दुकान में सिर्फ स्वदेशी चीजें मिलती हैं, जिसको स्वदेशी चीजें खरीदनी हैं, वे हमारे यहां आए और हमें भी स्वदेशी माल ही बेचना चाहिए। यह भी देशभक्ति ही है। सिर्फ ऑपरेशन सिंदूर देशभक्ति है ऐसा नहीं है, यह भी देशभक्ति है। मैं अपनी इस भावना को आप लोगों तक पहुंचा रहा हूँ, आप वादा कीजिये, आप इसमें अपना योगदान देकर इसे जरूर पूरा करेंगे। आप सबके बीच आने का मुझे अवसर मिला है, मैं बहुत आभारी हूँ। आप सबको अनेकों शुभेच्छाए देता हूँ। और बेटियों को अनेक-अनेक आशीर्वाद। नमस्कार।

डिस्क्लेमर- प्रधानमंत्री द्वारा दिया गया भाषण मूलतः गुजराती भाषा में है, जिसका यहाँ भावानुवाद किया गया है।

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MJPS/ST/DK


(Release ID: 2160411)