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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का स्वतंत्रता दिवस पर संबोधन: सुधार, आत्मनिर्भरता और प्रत्येक भारतीय को सशक्त बनाने का एक दृष्टिकोण

Posted On: 15 AUG 2025 10:23AM by PIB Delhi

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी आज 79 वें स्वतंत्रता दिवस पर दिल्ली के लाल किला के प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित किया। श्री मोदी ने अपने संबोधन में भारत की आत्मनिर्भरता और परिवर्तन की यात्रा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक में भारत में रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांस्फॉर्म हो रहा है, लेकिन अब और भी मजबूती के साथ आगे बढ़ने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि सरकार एक आधुनिक, कुशल और नागरिक-अनुकूल इकोसिस्टम बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, जहां कानूनों, विनियमों और प्रक्रियाओं को सरल बनाया जाए, उद्यमिता को प्रोत्साहित किया जाए और प्रत्येक भारतीय विकसित भारत के निर्माण में योगदान दे सके।

कानूनों और अनुपालन को सरल बनाना

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत में कहा कि पिछले वर्षों में, सरकार ने सुधारों का एक ऐतिहासिक अभियान चलाया है और 40,000 से अधिक अनावश्यक अनुपालनों को समाप्त कर दिया है। श्री मोदी ने कहा कि 1,500 से अधिक पुराने कानूनों को निरस्त कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि संसद में दर्जनों अन्य कानूनों को सरल बनाया गया, जिसमें नागरिकों के हितों को सदैव सबसे आगे रखा गया।

श्री मोदी ने कहा कि केवल वर्तमान सत्र में, 280 से अधिक प्रावधानों को हटा दिया गया, जिससे शासन को हर भारतीय के लिए सरल और अधिक सुलभ बनाया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने जोर देकर कहा कि सुधार केवल अर्थशास्त्र के बारे में नहीं है, यह नागरिकों के रोजमर्रा के जीवन को बदलने के बारे में भी है।

कुछ प्रमुख उपलब्धियों पर जिन पर उन्होंने प्रकाश डाला:

  • आयकर सुधार और फेसलेस मूल्यांकन, प्रणाली को पारदर्शी और कुशल बनाना
  • 12 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर शून्य कर एक ऐसा लाभ जिसकी कुछ वर्ष पहले तक कोई भी कल्पना भी नहीं कर सता  था
  • भारतीय न्याय संहिता के साथ पुराने आपराधिक कानूनों का प्रतिस्थापन, न्याय और कानूनी प्रक्रियाओं को सरल बनाना

ये सुधार एक आधुनिक, नागरिक-केंद्रित सरकार का संकेत देते हैं जहाँ आम लोग सुगमता, निष्पक्षता और सशक्तिकरण का अनुभव कर सकें। प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर बल दिया कि भारत संरचनात्मक, नियामक, नीतिगत, प्रक्रिया और प्रक्रियागत सुधारों के लिए प्रतिबद्ध है और एक ऐसे राष्ट्र का निर्माण कर रहा है जहाँ शासन जनता के लिए काम करे, न कि जनता शासन के लिए काम करे।

उद्यमियों और एमएसएमई को सशक्त बनाना

सरकार के सुधारों का उद्देश्य स्टार्टअप, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) और उद्यमियों के लिए अनुपालन लागत को कम करने के साथ साथ पुराने कानूनी प्रावधानों के डर से मुक्ति सुनिश्चित करना है। यह व्यवसाय विकास के लिए अधिक अनुकूल वातावरण बनाता है, नवाचार और आर्थिक आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करता है।

अगली पीढ़ी के सुधार और कार्य बल

प्रधानमंत्री मोदी ने अगली पीढ़ी के सुधारों के लिए एक कार्य बल के गठन की घोषणा की, जो आर्थिक गतिविधियों से संबंधित सभी मौजूदा कानूनों, नियमों और प्रक्रियाओं का मूल्यांकन करेगा। कार्य बल  एक निर्धारित समय-सीमा के भीतर काम करेगा:

  • स्टार्टअप, एमएसएमई और उद्यमियों के लिए अनुपालन लागत कम करना
  • मनमानी कानूनी कार्रवाइयों के डर से मुक्ति प्रदान करना
  • व्यापार करने में सुगमता के लिए कानूनों को सुव्यवस्थित करना सुनिश्चित किया जाए

इन सुधारों का उद्देश्य नवाचार, उद्यमिता और आर्थिक विकास के लिए एक सहायक इकोसिस्टम बनाना है।

अगली पीढ़ी के वस्तु और सेवाकर सुधार

प्रधानमंत्री मोदी ने इस दिवाली तक अगली पीढ़ी के वस्तु और सेवाकर (जीएसटी) सुधारों को पेश करने की घोषणा की। इसका उद्देश्य दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर करों को कम करना है। उन्होंने कहा, '’सरकार अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधार लाएगी, जिससे आम आदमी पर कर का बोझ कम होगा। यह आपके लिए दिवाली का तोहफा होगा।’' उन्होंने स्पष्ट किया कि इन सुधारों से नागरिकों को सीधे तौर पर लाभ मिले और आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन मिले।

भविष्य के लिए परिकल्पना

प्रधानमंत्री मोदी ने दोहराया कि दूसरों की सीमाओं पर ध्यान केंद्रित करने की बजाय, भारत को प्रगति की अपनी रेखा का विस्तार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि बढ़ते आर्थिक स्वार्थ की दुनिया में, भारत की क्षमताओं को मजबूत करने, अवसरों का विस्तार करने और नागरिकों को सशक्त बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। ये सुधार शासन परिवर्तन के एक त्वरित चरण की शुरुआत का प्रतीक हैं, जो यह सुनिश्चित करते हैं कि भारत अधिक लचीला, समावेशी और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बने।

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