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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर पर विशेष चर्चा के दौरान लोकसभा को संबोधित किया


विजय उत्सव भारतीय सशस्त्र बलों की वीरता और शक्ति का प्रमाण है: प्रधानमंत्री

मैं इस विजय उत्सव की भावना के साथ सदन में भारत का दृष्टिकोण प्रस्तुत करने के लिए खड़ा हुआ हूँ: प्रधानमंत्री मोदी

ऑपरेशन सिंदूर ने आत्मनिर्भर भारत की शक्ति को उजागर किया: प्रधानमंत्री

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, नौसेना, सेना और वायु सेना के तालमेल ने पाकिस्तान को अंदर तक हिला कर रख दिया: प्रधानमंत्री मोदी

भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी शर्तों पर आतंक का जवाब देगा, परमाणु ब्लैकमेल बर्दाश्त नहीं करेगा और आतंक के प्रायोजकों और षड्यंत्रकर्ताओं के साथ समान व्यवहार करेगा: प्रधानमंत्री

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, भारत को व्यापक वैश्विक समर्थन मिला: प्रधानमंत्री मोदी

ऑपरेशन सिंदूर जारी है, पाकिस्तान के किसी भी लापरवाह कदम का कड़ा जवाब दिया जाएगा:प्रधानमंत्री

सीमाओं पर एक मजबूत सेना एक जीवंत और सुरक्षित लोकतंत्र सुनिश्चित करती है: प्रधानमंत्री मोदी

ऑपरेशन सिंदूर पिछले एक दशक में भारत के सशस्त्र बलों की बढ़ती शक्ति का स्पष्ट प्रमाण है : प्रधानमंत्री

भारत बुद्ध की भूमि है, युद्ध की नहीं, हम समृद्धि और सद्भाव के लिए प्रयासरत हैं, यह जानते हुए कि स्थायी शांति शक्ति से आती है: प्रधानमंत्री मोदी

भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि रक्त और जल एक साथ नहीं बह सकते: प्रधानमंत्री

Posted On: 29 JUL 2025 10:37PM by PIB Delhi

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज लोकसभा में जम्मू-कश्मीर में पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत के सशक्त, सफल और निर्णायक 'ऑपरेशन सिंदूर' पर विशेष चर्चा के दौरान सदन को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने सदन को संबोधित करते हुए सत्र की शुरुआत में मीडिया जगत के साथ अपनी बातचीत का स्मरण करते हुए कहा कि उन्होंने सभी माननीय सांसदों से इस सत्र को भारत की विजय का उत्सव और भारत के गौरव को श्रद्धांजलि बताते हुए इसमें सम्मिलित होने की अपील की थी।

श्री मोदी ने आतंकवादी ठिकानों के समूल नाश का उल्लेख करते हुए कहा कि विजयोत्सव सिंदूर लगाकर ली गई पवित्र प्रतिज्ञा की पूर्ति का प्रतीक है - जो राष्ट्रीय भक्ति और बलिदान के प्रति श्रद्धांजलि है। उन्होंने बल देकर कहा, "विजय उत्सव भारत के सशस्त्र बलों के शौर्य और पराक्रम का प्रमाण है।" उन्होंने आगे कहा कि विजयोत्सव 140 करोड़ भारतीयों की एकता, दृढ़ इच्छाशक्ति और सामूहिक विजय का उत्सव है।

प्रधानमंत्री ने सदन में भारत का दृष्टिकोण प्रस्तुत करने के लिए विजय भावना के साथ खड़े होने की पुष्टि करते हुए कहा कि जो लोग भारत के दृष्टिकोण को समझने में विफल रहते हैं, उनके लिए वह एक आईना दिखाने के लिए खड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि वह 140 करोड़ नागरिकों की भावनाओं के साथ अपनी आवाज़ मिलाने आए हैं। श्री मोदी ने बल देकर कहा कि इन सामूहिक भावनाओं की गूंज सदन में सुनाई दे रही है, और वह उस गूंजती भावना में अपनी आवाज़ मिलाने के लिए खड़े हुए हैं।

प्रधानमंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत की जनता के अटूट समर्थन और आशीर्वाद के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वे राष्ट्र के ऋणी हैं। उन्होंने नागरिकों के सामूहिक संकल्प को स्वीकार किया और ऑपरेशन सिंदूर की सफलता में उनकी भूमिका की प्रशंसा की।

प्रधानमंत्री ने 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुई उस जघन्य घटना की निंदा की, जहाँ आतंकवादियों ने निर्दोष लोगों का धर्म पूछकर उन्हें बेरहमी से गोली मार दी थी| श्री मोदी ने इसे क्रूरता की पराकाष्ठा बताया। उन्होंने कहा कि यह भारत को हिंसा की आग में झोंकने और सांप्रदायिक अशांति भड़काने की एक सोची-समझी साज़िश थी। उन्होंने एकजुटता और दृढ़ता से इस साजिश को विफल करने के लिए भारत की जनता का आभार व्यक्त किया।

श्री मोदी ने याद दिलाया कि 22 अप्रैल के बाद, उन्होंने दुनिया के सामने भारत का रुख स्पष्ट करने के लिए अंग्रेजी में भी एक सार्वजनिक बयान जारी किया था। उन्होंने आतंकवाद को कुचलने के लिए भारत के दृढ़ संकल्प की घोषणा की और इस बात पर बल दिया षड्यंत्रकर्ताओं को भी कल्पना से भी अधिक सज़ा मिलेगी। प्रधानमंत्री ने बताया कि 22 अप्रैल को वे विदेश दौरे पर थे, लेकिन एक उच्च-स्तरीय बैठक बुलाने के लिए तुरंत लौट आए। उन्होंने कहा कि बैठक के दौरान आतंकवाद का निर्णायक जवाब देने के स्पष्ट निर्देश दिए गए थे| श्री मोदी ने दोहराया कि यह एक राष्ट्रीय प्रतिबद्धता है।

श्री मोदी ने भारतीय सशस्त्र बलों की क्षमताओं, शक्ति और साहस पर पूर्ण विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि सेना को समय, स्थान और प्रतिक्रिया के तरीके तय करने की पूरी स्वतंत्रता दी गई थी। प्रधानमंत्री ने बल देकर कहा कि उच्च-स्तरीय बैठक के दौरान इन निर्देशों को स्पष्ट रूप से बता दिया गया था और हो सकता है कि कुछ पहलुओं की मीडिया में भी रिपोर्टिंग हुई हो। उन्होंने गर्व के साथ कहा कि आतंकवादियों को दी गई सज़ा इतनी प्रभावशाली थी कि उनके आकाओं की अब भी नींद उड़ी हुई है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वह सदन के माध्यम से भारत की प्रतिक्रिया और उसके सशस्त्र बलों की सफलता को राष्ट्र के समक्ष प्रस्तुत करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि पहलगाम हमले के बाद, पाकिस्तानी सेना को भारत की बड़ी प्रतिक्रिया का अंदेशा था, जिसके कारण उन्होंने परमाणु धमकी जारी की। पहले आयाम को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार भारत ने 6 और 7 मई 2025 की मध्य रात्रि को अपना ऑपरेशन अंजाम दिया, जिससे पाकिस्तान प्रतिक्रिया करने में असमर्थ हो गया। श्री मोदी ने इस बात पर बल दिया कि भारतीय सशस्त्र बलों ने केवल 22 मिनट में अपने लक्षित उद्देश्यों को प्राप्त करके 22 अप्रैल के हमले का बदला लिया।

श्री मोदी ने सदन में भारत की रणनीतिक प्रतिक्रिया के दूसरे आयाम को और स्पष्ट करते हुए कहा कि हालांकि भारत ने अतीत में पाकिस्तान के साथ कई युद्ध लड़े हैं, यह पहली बार था जब ऐसी रणनीति अपनाई गई जो पहले अछूते स्थानों तक पहुँची। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों को निर्णायक रूप से निशाना बनाया गया, जिनमें ऐसे क्षेत्र भी शामिल थे जिनकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि भारत उन क्षेत्रों तक पहुँच सकता है। उन्होंने बहावलपुर और मुरीदके का विशेष रूप से उल्लेख किया और कहा कि इन ठिकानों को जमींदोज कर दिया गया, जिससे यह पुष्टि हुई कि भारत के सशस्त्र बलों ने आतंकवादी ठिकानों को सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया है।

श्री मोदी ने तीसरे आयाम पर बल देते हुए कहा कि पाकिस्तान की परमाणु धमकियां खोखली साबित हुई हैं और भारत ने दिखा दिया है कि परमाणु ब्लैकमेलिंग को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और ही भारत कभी उसके सामने झुकेगा।

प्रधानमंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर के अंतर्गत भारत की रणनीतिक प्रतिक्रिया के चौथे आयाम को रेखांकित करते हुए कहा कि भारत ने पाकिस्तानी क्षेत्र में अंदर तक सटीक हमले करके अपनी उन्नत तकनीकी क्षमताओं का प्रदर्शन कियाउन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप पाकिस्तान के हवाई ठिकानों को काफी नुकसान हुआ है, जिनमें से कई गंभीर स्थिति में हैं। उन्होंने कहा कि हम अब तकनीक संचालित युद्ध के युग में हैं और ऑपरेशन सिंदूर ने इस क्षेत्र में भारत की महारत सिद्ध कर दी है। इस बात पर बल देते हुए कि अगर भारत ने पिछले दस वर्षों की तैयारी नहीं की होती, तो देश को इस तकनीकी युग में भारी नुकसान उठाना पड़ सकता था, श्री मोदी ने पांचवें आयाम को प्रस्तुत किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि पहली बार, दुनिया ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान एक आत्मनिर्भर भारत की ताकत देखी है। उन्होंने भारत में निर्मित ड्रोन और मिसाइलों की प्रभावशीलता पर प्रकाश डाला, जिससे पाकिस्तान की हथियार प्रणालियों की कमजोरियां उजागर हुईं।

प्रधानमंत्री ने भारत की रक्षा संरचना में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि पर प्रकाश डालते हुए प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) की घोषणा का उल्लेख करते हुए कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में नौसेना, सेना और वायु सेना की संयुक्त कार्रवाई देखी गई और इन बलों के बीच तालमेल ने पाकिस्तान को पूरी तरह से हिला दिया।

श्री मोदी ने कहा कि भारत में पहले भी आतंकवादी घटनाएँ हुई हैं, लेकिन उनके षड्यंत्रकर्ता बेख़ौफ़ थे और बेख़ौफ़ होकर भविष्य के हमलों की योजना बनाते रहे। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि अब स्थिति बदल गई है। आज, हर हमले के बाद, षड्यंत्रकर्ताओं  की नींद उड़ जाती हैयह जानते हुए कि भारत जवाबी हमला करेगा और ख़तरों को सटीकता से ख़त्म कर देगा। प्रधानमंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि भारत ने एक "न्यू नॉर्मल" स्थापित किया है।

इस बात पर जोर देते हुए कि वैश्विक समुदाय अब भारत के रणनीतिक अभियानों के विशाल पैमाने और पहुंच को देख चुका है, उन्होंने कहा कि सिंदूर से सिंधु तक पूरे पाकिस्तान में हमले किए गए। श्री मोदी ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने एक नया सिद्धांत स्थापित किया है: भारत पर किसी भी आतंकवादी हमले का उसके षड्यंत्रकर्ताओं और स्वयं पाकिस्तान को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।

प्रधानमंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर से निकलने वाले तीन स्पष्ट सिद्धांतों को रेखांकित किया। पहला, भारत आतंकवादी हमलों का अपनी शर्तों पर, अपने तरीके से और अपने चुने हुए समय पर जवाब देगा। दूसरा, किसी भी तरह का परमाणु ब्लैकमेल अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। तीसरा, भारत आतंकवादियों के प्रायोजकों और ऐसे हमलों के पीछे के षड्यंत्रकर्ताओं के बीच कोई भेद नहीं करेगा।

श्री मोदी ने सदन को ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत की कार्रवाई को मिले वैश्विक समर्थन की स्पष्ट जानकारी दी। उन्होंने कहा कि दुनिया के किसी भी देश ने अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भारत द्वारा आवश्यक कार्रवाई करने पर आपत्ति नहीं जताई। प्रधानमंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से केवल तीन देशों ने ही ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के समर्थन में बयान जारी किए। उन्होंने कहा कि भारत को दुनिया भर के देशों से व्यापक समर्थन मिलाजिसमें क्वाड और ब्रिक्स जैसे रणनीतिक समूह और फ्रांस, रूस और जर्मनी जैसे देश शामिल हैं। प्रधानमंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय भारत के साथ मज़बूती से खड़ा है।

इस बात पर गहरी निराशा व्यक्त करते हुए कि भारत को वैश्विक समुदाय से समर्थन तो मिला, लेकिन देश के सैनिकों के पराक्रम को विपक्ष का समर्थन नहीं मिला, श्री मोदी ने कहा कि 22 अप्रैल के आतंकवादी हमले के कुछ ही दिनों बाद, कुछ विपक्षी नेताओं ने सरकार का मज़ाक उड़ाना शुरू कर दिया और उस पर विफलता का आरोप लगाया। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह मज़ाक और पहलगाम नरसंहार के बाद भी राजनीतिक अवसरवाद में उनकी लिप्तता, राष्ट्रीय शोक के प्रति उपेक्षा को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि इस तरह के बयान केवल तुच्छ हैं, बल्कि भारत के सुरक्षा बलों का मनोबल भी गिराने वाले हैं। श्री मोदी ने बल देकर कहा कि कुछ विपक्षी नेताओं को तो भारत की ताकत पर और ही उसके सशस्त्र बलों की क्षमताओं पर विश्वास है और वे ऑपरेशन सिंदूर पर संदेह व्यक्त करते रहते हैं। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि सुर्खियों के पीछे भागने से राजनीतिक हित तो सध सकते हैं, लेकिन इससे लोगों का विश्वास या सम्मान नहीं मिलेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि 10 मई 2025 को भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के अंतर्गत अपनी कार्रवाई बंद करने की घोषणा की थी। उन्होंने स्वीकार किया कि इस घोषणा से तरह-तरह की अटकलें लगाई गईं, जिन्हें उन्होंने सीमा पार से फैलाया जा रहा दुष्प्रचार बताया। उन्होंने उन लोगों की आलोचना की जिन्होंने भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा प्रस्तुत तथ्यों पर भरोसा करने के बजाय पाकिस्तान के दुष्प्रचार को बढ़ावा देना चुना। श्री मोदी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत का रुख हमेशा स्पष्ट और दृढ़ रहा है।

पिछले कुछ वर्षों में भारत के लक्षित सैन्य अभियानों को याद करते हुए, रणनीतिक स्पष्टता और कार्यान्वयन पर ज़ोर देते हुए, श्री मोदी ने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान, भारत ने दुश्मन के इलाके में आतंकवादी ठिकानों को नष्ट करने का एक स्पष्ट लक्ष्य रखा था, जिसे सूर्योदय से पहले रात भर में पूरा किया गया। उन्होंने कहा कि बालाकोट हवाई हमलों में, भारत ने आतंकवादी प्रशिक्षण केंद्रों को निशाना बनाया और सफलतापूर्वक मिशन को अंजाम दिया। प्रधानमंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के अंतर्गत, भारत ने एक बार फिर स्पष्ट रूप से परिभाषित उद्देश्य के साथ काम कियाआतंक के केंद्र और पहलगाम घटना के हमलावरों के पीछे के बुनियादी ढाँचे पर हमला किया, जिसमें उनके योजना आधार, प्रशिक्षण केंद्र, धन स्रोत, ट्रैकिंग और तकनीकी सहायता और हथियारों की आपूर्ति श्रृंखलाएँ शामिल थीं। प्रधानमंत्री ने कहा, "भारत ने इन आतंकवादियों के केंद्र पर सटीक हमला किया और उनके अभियानों की जड़ों को ध्वस्त कर दिया।"

श्री मोदी ने ज़ोर देकर कहा, "एक बार फिर भारतीय सेना ने अपने लक्ष्यों को शत-प्रतिशत हासिल किया और देश की ताकत का परिचय दिया।" उन्होंने उन लोगों की आलोचना की जो जानबूझकर इन उपलब्धियों को भूल जाते हैं। उन्होंने कहा कि देश को अच्छी तरह याद है कि यह ऑपरेशन 6 मई की रात और 7 मई की सुबह हुआ था और 7 मई को सूर्योदय तक भारतीय सेना ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मिशन पूरा होने की घोषणा की। प्रधानमंत्री ने दोहराया कि भारत के उद्देश्य पहले दिन से ही स्पष्ट थे। श्री मोदी ने कहा कि भारत का लक्ष्य आतंकवादी नेटवर्क, उनके मास्टरमाइंड और उनके सैन्य केंद्रों को ध्वस्त करना था, और यह मिशन योजना के अनुसार पूरा हुआ। केंद्रीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह का हवाला देते हुए, प्रधानमंत्री ने पूरे विश्वास के साथ दोहराया कि भारत के सशस्त्र बलों ने मिनटों में ही पाकिस्तान को अपनी सफलता बता दी, जिससे इरादे और परिणाम स्पष्ट हो गए। उन्होंने बल देकर कहा कि आतंकवादियों के साथ खुलेआम खड़े होने का पाकिस्तान का फैसला विवेक की कमी को दर्शाता है। अगर उन्होंने समझदारी से काम लिया होता, तो वे ऐसी बड़ी गलती नहीं करते। प्रधानमंत्री ने बल देकर कहा कि हालाँकि भारत पूरी तरह तैयार है और सही समय का इंतज़ार कर रहा है, लेकिन उसका लक्ष्य आतंकवाद का खात्मा है, किसी देश के साथ संघर्ष नहीं। हालाँकि, जब पाकिस्तान ने आतंकवादियों के समर्थन में युद्ध के मैदान में उतरने का फ़ैसला किया, तो भारत ने एक शक्तिशाली जवाबी हमले से उत्तर दिया। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि 9 मई की आधी रात और 10 मई की सुबह, भारतीय मिसाइलों ने पाकिस्तान पर इतना ज़ोरदार हमला किया कि उनकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।

प्रधानमंत्री ने सदन में आगे कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के अंतर्गत भारत की निर्णायक कार्रवाई ने पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने याद दिलाया कि कैसे पाकिस्तानी नागरिकों ने आश्चर्य व्यक्त किया, जिनकी प्रतिक्रियाएँ टेलीविजन पर व्यापक रूप से दिखाई गईं। श्री मोदी ने कहा कि पाकिस्तान इस प्रतिक्रिया से इतना अभिभूत था कि उसके सैन्य अभियान महानिदेशक (डीजीएमओ) ने सीधे भारत को फोन किया और आक्रमण रोकने की विनती की, यह स्वीकार करते हुए कि वे और अधिक हमला बर्दाश्त नहीं कर सकते। उन्होंने दोहराया कि भारत ने 7 मई की सुबह प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान स्पष्ट रूप से कहा था कि उसके उद्देश्य पूरे हो गए हैं और आगे कोई भी उकसावे की कार्रवाई महंगी साबित होगी। प्रधानमंत्री ने घोषणा की, "भारत की नीति सोची-समझी, सुविचारित और अपने सशस्त्र बलों के साथ समन्वय में तैयार की गई थी - विशेष रूप से आतंकवाद, उसके प्रायोजकों और उनके ठिकानों को खत्म करने पर केंद्रित थी। भारत की कार्रवाई नपी तुली और गैर-उत्तेजक थी।"

प्रधानमंत्री ने कहा कि किसी भी वैश्विक नेता ने भारत के अभियानों पर आपत्ति नहीं जताई। उन्होंने खुलासा किया कि 9 मई की रात, जब वे भारतीय रक्षा अधिकारियों के साथ एक उच्च-स्तरीय बैठक में थे, तब अमेरिकी उपराष्ट्रपति ने कई बार उनसे संपर्क करने की कोशिश की। प्रधानमंत्री को फोन पर जवाब देने पर, उन्हें बताया गया कि पाकिस्तान एक बड़ा हमला कर सकता है। उन्होंने स्पष्ट रूप से जवाब दिया: "अगर पाकिस्तान की यही मंशा है, तो उन्हें इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।" उन्होंने दृढ़ता से कहा कि भारत और भी ज़ोरदार तरीके से जवाबी कार्रवाई करेगा। श्री मोदी ने कहा, "हम गोलियों का जवाब गोलों से देंगे।" प्रधानमंत्री ने पुष्टि की कि भारत ने 9 मई की रात और 10 मई की सुबह ज़बरदस्त जवाबी कार्रवाई की और पाकिस्तान के सैन्य ढाँचे को ज़बरदस्त तरीके से ध्वस्त कर दिया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अब पूरी तरह समझ गया है कि भारत की हर प्रतिक्रिया पिछली प्रतिक्रिया से ज़्यादा मज़बूत होगी। श्री मोदी ने कहा, "अगर पाकिस्तान ने फिर से दुस्साहस किया, तो उसे मुँहतोड़ और करारा जवाब मिलेगा। ऑपरेशन सिंदूर अभी भी सक्रिय और दृढ़ है।"

प्रधानमंत्री ने कहा, "आज का भारत आत्मविश्वास से भरा हुआ है और आत्मनिर्भरता की भावना के साथ तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।" उन्होंने कहा कि देश आत्मनिर्भरता की ओर भारत के बढ़ते कदम को देख रहा है, लेकिन साथ ही विपक्ष की अपनी राजनीतिक नीतियों के लिए पाकिस्तान पर बढ़ती निर्भरता का दुर्भाग्यपूर्ण रुझान भी देख रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि 16 घंटे चली चर्चा के दौरान विपक्ष पाकिस्तान से मुद्दे आयात करता हुआ दिखाई दिया, जो बेहद खेदजनक है।

युद्ध के बदलते स्वरूप को रेखांकित करते हुए, जहाँ सूचना और आख्यान-निर्माण की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, प्रधानमंत्री ने आगाह किया कि आर्टिफिशियल इंटैलिजेंस (एआई) से संचालित दुष्प्रचार अभियानों का इस्तेमाल सशस्त्र बलों का मनोबल कम करने और जनता में अविश्वास पैदा करने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि विपक्ष और उसके सहयोगी प्रभावी रूप से पाकिस्तान के दुष्प्रचार के प्रवक्ता बन गए हैं, जिससे भारत के राष्ट्रीय हित कमज़ोर हो रहे हैं।

श्री मोदी ने भारत की सैन्य उपलब्धियों पर सवाल उठाने और उन्हें कमतर आंकने की लगातार कोशिशों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत की सफल सर्जिकल स्ट्राइक के बाद, विपक्षी नेताओं ने सशस्त्र बलों से सबूत मांगे। उन्होंने कहा कि जैसे ही जनता की भावना सेना के पक्ष में हुई, विपक्षी नेताओं ने अपना रुख बदलते हुए दावा किया कि उन्होंने भी ऐसे हमले किए थे, तथा अलग-अलग संख्या में सर्जिकल स्ट्राइक किए गए थे, जिनकी संख्या तीन से लेकर पंद्रह तक थी।

प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की कि बालाकोट हवाई हमलों के बाद, विपक्ष इस ऑपरेशन को सीधे चुनौती नहीं दे सका, बल्कि इसके बजाय फ़ोटोग्राफ़िक सबूत मांगने लगा। उन्होंने कहा कि वे बार-बार पूछ रहे थे कि हमला कहाँ हुआ, क्या नष्ट हुआ, कितने लोग मारे गए। उन्होंने बताया कि ये सवाल पाकिस्तान की अपनी बयानबाज़ी से मिलते-जुलते थे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जब भारतीय वायु सेना के पायलट अभिनंदन को पाकिस्तान ने पकड़ लिया था, तो उस देश में जश्न की उम्मीद थी। हालाँकि, भारत के भीतर कुछ लोगों ने कानाफूसी शुरू कर दी, यह कहते हुए कि प्रधानमंत्री मुश्किल में हैं और सवाल उठा रहे थे कि क्या अभिनंदन को वापस लाया जाएगा। प्रधानमंत्री ने इस बात पर बल दिया कि अभिनंदन की भारत वापसी "दृढ़ संकल्प" के साथ सुनिश्चित हुई, और उनकी स्वदेश वापसी पर ऐसे आलोचक चुप हो गए।

श्री मोदी ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद, जब पाकिस्तान ने एक बीएसएफ जवान को बंदी बना लिया, तो कुछ समूहों ने सोचा कि उन्हें सरकार को घेरने का एक बड़ा मौका मिल गया है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि उनके इकोसिस्टम ने सोशल मीडिया पर कई तरह की बातें फैलाईं; जहाँ जवान के भाग्य, उसके परिवार की स्थिति और उसकी वापसी की संभावना को लेकर अटकलें लगाई गईं। उन्होंने बल देकर कहा कि इन कोशिशों के बावजूद, भारत ने स्पष्टता और गरिमा के साथ जवाब दिया, गलत सूचनाओं को दूर किया और हर सैनिक की सुरक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

श्री मोदी ने पहलगाम की घटना के बाद पकड़े गए बीएसएफ जवान के भी सम्मान और गरिमा के साथ लौटने का उल्लेख करते हुए कहा कि आतंकवादी शोक मना रहे थे, उनके आका शोक मना रहे थे, और उन्हें देखकर, भारत के भीतर भी कुछ लोग शोक मनाते दिखाई दिए। उन्होंने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान राजनीतिक खेल खेलने की कोशिशें की गईं, जो सफल नहीं हो पाईं। एयर स्ट्राइक के दौरान भी ऐसी ही कोशिशें की गईं, लेकिन वे भी नाकाम रहीं। उन्होंने कहा कि जब ऑपरेशन सिंदूर हुआ, तो आलोचकों ने अपना रुख फिर बदल दिया, पहले तो ऑपरेशन को स्वीकार करने से इनकार कर दिया, फिर सवाल उठाया कि इसे क्यों रोका गया। उन्होंने कहा कि विरोध करने वाले हमेशा विरोध करने का कोई कोई कारण ढूंढ ही लेते हैं।

प्रधानमंत्री ने सशस्त्र बलों के प्रति विपक्ष के लंबे समय से नकारात्मक रवैये पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हाल ही में कारगिल विजय दिवस के उपलक्ष्य में भी, विपक्ष ने तो इस विजय का जश्न मनाया और ही इसके महत्व को स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है कि डोकलाम गतिरोध के दौरान, जहाँ भारतीय सेना ने साहस का परिचय दिया, वहीं विपक्षी नेता गुप्त रूप से संदिग्ध स्रोतों से जानकारी ले रहे थे।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी आश्चर्य व्यक्त किया कि विपक्ष पाकिस्तान को क्लीन चिट देता दिख रहा है। उन्होंने पहलगाम के आतंकवादियों के पाकिस्तानी नागरिक होने के सबूत की विपक्ष द्वारा उठाई गई मांग पर सवाल उठाया और कहा कि यही मांग खुद पाकिस्तान भी कर रहा है। उन्होंने कहा कि विपक्ष में भी ऐसी ही आदतें और दुस्साहस मौजूद हैं, जो बाहरी बयानों की प्रतिध्वनि हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज, जनता के सामने सबूतों और तथ्यों की कोई कमी नहीं है, फिर भी कुछ लोग संदेह पैदा कर रहे हैं। उन्होंने सवाल किया कि अगर ऐसे स्पष्ट सबूत उपलब्ध होते तो ये लोग कैसी प्रतिक्रिया देते, जिसका अर्थ है कि उनकी प्रतिक्रियाएँ और भी भ्रामक या गैर-ज़िम्मेदाराना होतीं।

श्री मोदी ने इस बात पर बल दिया कि जहाँ अक्सर चर्चाएँ ऑपरेशन सिंदूर के एक हिस्से पर केंद्रित होती हैं, वहीं राष्ट्रीय गौरव और शक्ति प्रदर्शन के ऐसे क्षण भी हैं जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने भारत की वायु रक्षा प्रणालियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि दुनिया भर में उनकी व्यापक मान्यता है और उन्होंने पाकिस्तान की मिसाइलों और ड्रोनों को "तिनके की तरह" नष्ट कर दिया। उन्होंने 9 मई को पाकिस्तान द्वारा भारत को निशाना बनाकर लगभग एक हज़ार मिसाइलों और सशस्त्र ड्रोनों से किए गए एक बड़े हमले का हवाला दिया। प्रधानमंत्री ने बल देकर कहा कि अगर ये मिसाइलें गिर जातीं, तो व्यापक विनाश होता। लेकिन भारत की वायु रक्षा प्रणाली ने उन सभी को हवा में ही मार गिराया। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि हर नागरिक को गौरवान्वित करती है।

श्री मोदी ने पाकिस्तान द्वारा आदमपुर एयरबेस पर हमले के बारे में झूठी खबरें फैलाने और उस झूठ को व्यापक रूप से प्रचारित करने के प्रयास की आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने अगले ही दिन आदमपुर का व्यक्तिगत दौरा किया और जमीनी स्तर पर झूठ का पर्दाफाश किया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि इस तरह की गलत सूचनाएं अब सफल नहीं होंगी।

प्रधानमंत्री ने विपक्ष की आलोचना करते  हुए कहा कि मौजूदा विपक्ष ने लंबे समय तक भारत पर शासन किया है और प्रशासनिक व्यवस्थाओं के कामकाज से पूरी तरह वाकिफ है। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस अनुभव के बावजूद, उन्होंने लगातार आधिकारिक स्पष्टीकरण स्वीकार करने से इनकार कर दिया। श्री मोदी ने कहा कि चाहे विदेश मंत्रालय का बयान हो, विदेश मंत्री के बार-बार दिए गए जवाब हों, या गृह और रक्षा मंत्रियों के स्पष्टीकरण हों, विपक्ष उन पर भरोसा करने से इनकार करता है। उन्होंने सवाल किया कि दशकों तक शासन करने वाली पार्टी देश की संस्थाओं में इतना अविश्वास कैसे दिखा सकती है। उन्होंने बल देकर कहा कि ऐसा लगता है कि विपक्ष अब पाकिस्तान के रिमोट कंट्रोल के अनुसार काम कर रहा है और उसका रुख भी उसी के अनुसार बदल रहा है।

श्री मोदी ने विपक्ष के उन वरिष्ठ नेताओं की आलोचना की जो लिखित बयान तैयार करते हैं और युवा सांसदों से अपनी बात मनवाते हैं। उन्होंने ऐसे नेतृत्व की निंदा की क्योंकि उनमें खुद बोलने का साहस नहीं है और उन्होंने 26 लोगों की जान लेने वाले एक क्रूर आतंकवादी हमले के जवाब में शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर को "एक तमाशा" बताया। उन्होंने इस बयान को एक भयावह घटना की स्मृति पर तेज़ाब डालने जैसा बताया और इसे एक शर्मनाक कृत्य बताया।

श्री मोदी ने बताया कि पहलगाम हमले में शामिल आतंकवादियों को भारतीय सुरक्षा बलों ने पिछले दिन ऑपरेशन महादेव के अंतर्गत मार गिराया था। उन्होंने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि ऑपरेशन के समय को लेकर पूछे गए सवालों पर हँसी-मज़ाक का दौर चला और व्यंग्यात्मक लहजे में पूछा गया कि क्या यह सावन के महीने के किसी पवित्र सोमवार को निर्धारित था। उन्होंने इस रवैये की कड़ी आलोचना करते हुए इसे घोर निराशा और हताशा का प्रतीक बताया और कहा कि यह विपक्ष के बिगड़ते रवैये को दर्शाता है।

श्री मोदी ने प्राचीन ग्रंथों का हवाला देते हुए कहा कि जब कोई राष्ट्र शस्त्रों से सुरक्षित होता है, तो ज्ञान और दार्शनिक विमर्श की खोज फल-फूल सकती है। श्री मोदी ने कहा, "सीमाओं पर एक मज़बूत सेना एक जीवंत और सुरक्षित लोकतंत्र सुनिश्चित करती है।"

प्रधानमंत्री ने कहा, "ऑपरेशन सिंदूर पिछले एक दशक में भारत की सैन्य शक्ति में हुई वृद्धि का प्रत्यक्ष प्रमाण है।" उन्होंने कहा कि यह शक्ति अनायास नहीं उभरी, बल्कि केंद्रित प्रयासों का परिणाम थी। उन्होंने विपक्ष के कार्यकाल की तुलना उस समय से की, जब रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता पर विचार तक नहीं किया गया था। उन्होंने कहा कि आज भी गांधीवादी दर्शन में निहित "आत्मनिर्भरता" शब्द का मज़ाक उड़ाया जाता है।

श्री मोदी ने कहा कि विपक्ष के शासन के दौरान, हर रक्षा सौदा निजी लाभ का अवसर था। उन्होंने कहा कि भारत बुनियादी उपकरणों के लिए भी विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भर रहा। उन्होंने बुलेटप्रूफ जैकेट और नाइट विज़न कैमरों की कमी जैसी कमियों का ज़िक्र किया और बताया कि जीप से लेकर बोफोर्स और हेलीकॉप्टर तक, हर रक्षा खरीद में घोटाले जुड़े हुए थे। प्रधानमंत्री ने इस बात पर बल दिया कि भारतीय सेनाओं को आधुनिक हथियारों के लिए दशकों तक इंतज़ार करना पड़ा। श्री मोदी ने सदन को याद दिलाया कि ऐतिहासिक रूप से भारत रक्षा निर्माण में अग्रणी रहा है। उन्होंने कहा कि तलवारबाज़ी के दौर में भी, भारतीय हथियारों को श्रेष्ठ माना जाता था। उन्होंने कहा कि आज़ादी के बाद, भारत के मज़बूत रक्षा निर्माण इकोसिस्टम को जानबूझकर कमज़ोर किया गया और व्यवस्थित रूप से ध्वस्त किया गया।

श्री मोदी ने कहा कि अनुसंधान और विनिर्माण के रास्ते वर्षों से अवरुद्ध थे और अगर यही नीतियाँ जारी रहतीं, तो भारत 21वीं सदी में ऑपरेशन सिंदूर की कल्पना भी नहीं कर पाता। उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में, भारत को समय पर हथियार, उपकरण और गोला-बारूद ढूँढने में कठिनाई होती और सैन्य कार्रवाई के दौरान रुकावटों का डर बना रहता। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि पिछले एक दशक में, मेक इन इंडिया पहल के अंतर्गत बने हथियारों ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता में निर्णायक भूमिका निभाई।

प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि एक दशक पहले, भारतीयों ने एक मज़बूत, आत्मनिर्भर और आधुनिक राष्ट्र बनाने का संकल्प लिया था, जिसके परिणामस्वरूप आज़ादी के बाद पहली बार कई सुरक्षा सुधार लागू किए गए। उन्होंने कहा कि प्रमुख रक्षा अध्यक्ष की नियुक्ति एक बड़ा सुधार था, जिस पर दुनिया भर में लंबे समय से बहस और अभ्यास चल रहा था, लेकिन भारत में इसे कभी लागू नहीं किया गया। उन्होंने तीनों सेनाओं द्वारा इस प्रणाली के पूरे दिल से समर्थन और स्वीकृति की प्रशंसा की।

इस बात पर बल देते हुए कि आज की सबसे बड़ी ताकत संयोजन और एकीकरण में निहित है, श्री मोदी ने कहा कि नौसेना, वायुसेना और थलसेना के एकीकरण से भारत की रक्षा क्षमता में कई गुना वृद्धि हुई है और ऑपरेशन सिंदूर इस परिवर्तन की सफलता को दर्शाता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अशांति और हड़तालों सहित शुरुआती प्रतिरोध के बावजूद, सरकारी स्वामित्व वाली रक्षा उत्पादन कंपनियों में सुधार लागू किए गए। उन्होंने राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखने, सुधारों को अपनाने और अत्यधिक उत्पादक करने के लिए कर्मचारियों की प्रशंसा की। उन्होंने आगे बताया कि भारत ने अपने रक्षा क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोल दिया है और आज, निजी क्षेत्र उल्लेखनीय प्रगति कर रहा है। श्री मोदी ने बताया कि रक्षा क्षेत्र में सैकड़ों स्टार्टअप, जिनमें से कई का नेतृत्व टियर 2 और टियर 3 शहरों के 27-30 वर्ष की आयु के युवा पेशेवरों द्वारा किया जा रहा है - जिनमें युवतियाँ भी शामिल हैं - नवाचार में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ड्रोन क्षेत्र में गतिविधियों का नेतृत्व मुख्य रूप से 30-35 वर्ष की आयु के व्यक्तियों द्वारा किया जाता है और ऑपरेशन सिंदूर में उनका योगदान महत्वपूर्ण साबित हुआ। उन्होंने ऐसे सभी योगदानकर्ताओं की प्रशंसा की और उन्हें आश्वासन दिया कि देश निरंतर आगे बढ़ता रहेगा।

रक्षा क्षेत्र में 'मेक इन इंडिया' को केवल एक नारा मानते हुए, श्री मोदी ने कहा कि बजट में वृद्धि, नीतिगत बदलाव और नई पहल एक स्पष्ट दृष्टिकोण के साथ की गईं, जिससे स्वदेशी रक्षा निर्माण में तेज़ी से प्रगति हुई। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि पिछले एक दशक में भारत का रक्षा बजट लगभग तीन गुना बढ़ गया है। पिछले 11 वर्षों में रक्षा उत्पादन में लगभग 250 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और रक्षा निर्यात 30 गुना से भी अधिक बढ़ा है, जो अब लगभग 100 देशों तक पहुँच रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ महत्वपूर्ण पड़ावों का इतिहास पर गहरा प्रभाव पड़ा है और ऑपरेशन सिंदूर ने भारत को वैश्विक रक्षा बाज़ार में मज़बूती से स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि भारतीय हथियारों की बढ़ती माँग घरेलू उद्योगों को मज़बूत करेगी, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को सशक्त बनाएगी और युवाओं के लिए रोज़गार के अवसर पैदा करेगी। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि युवा भारतीय अब अपने नवाचारों के माध्यम से भारत की शक्ति का प्रदर्शन कर रहे हैं।

श्री मोदी ने स्पष्ट किया कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता केवल राष्ट्रीय हित के लिए, बल्कि आज के प्रतिस्पर्धी युग में वैश्विक शांति के लिए भी आवश्यक है। श्री मोदी ने कहा, "भारत बुद्ध की भूमि है, युद्ध की नहीं, और हालांकि राष्ट्र समृद्धि और शांति चाहता है, लेकिन दोनों के मार्ग पर चलने के लिए शक्ति और संकल्प की आवश्यकता होती है।" उन्होंने भारत को महान योद्धाओं, छत्रपति शिवाजी महाराज, महाराजा रणजीत सिंह, राजेंद्र चोल, महाराणा प्रताप, लचित बोरफुकन और महाराजा सुहेलदेव की भूमि बताया और इस बात पर बल दिया कि विकास और शांति के लिए रणनीतिक शक्ति अत्यंत महत्वपूर्ण है।

प्रधानमंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि विपक्ष के पास राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए कभी कोई स्पष्ट दृष्टिकोण नहीं रहा और उसने लगातार उससे समझौता किया है। उन्होंने कहा कि जो लोग अब सवाल उठा रहे हैं कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को वापस क्यों नहीं लिया गया, उन्हें पहले यह बताना चाहिए कि आख़िर पाकिस्तान को उस पर कब्ज़ा करने की इजाज़त किसने दी।

स्वतंत्रता के बाद के उन फैसलों की कड़ी आलोचना करते हुए, जो देश पर बोझ बने हुए हैं, श्री मोदी ने इस बात पर बल दिया कि गलत फ़ैसलों के कारण अक्साई चिन में 38,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय ज़मीन का नुकसान हुआ, जिसे ग़लती से बंजर भूमि बता दिया गया। उन्होंने कहा कि 1962 और 1963 के बीच, तत्कालीन सत्तारूढ़ दल के नेताओं ने जम्मू-कश्मीर के पुंछ, उरी, नीलम घाटी और किशनगंगा सहित प्रमुख क्षेत्रों को सौंपने का प्रस्ताव रखा था।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर बल दिया कि आत्मसमर्पण का प्रस्ताव "शांति रेखा" की आड़ में रखा गया था। उन्होंने 1966 में कच्छ के रण पर मध्यस्थता स्वीकार करने के लिए विपक्ष की आलोचना की, जिसके परिणामस्वरूप विवादित छड़-बेट क्षेत्र सहित लगभग 800 वर्ग किलोमीटर ज़मीन पाकिस्तान को सौंप दी गई। उन्होंने याद दिलाया कि हालाँकि 1965 के युद्ध में भारतीय सेना ने हाजीपीर दर्रे पर पुनः कब्ज़ा कर लिया था, लेकिन तत्कालीन सत्तारूढ़ दल ने उसे वापस कर दिया, जिससे देश की रणनीतिक जीत कमज़ोर हो गई।

प्रधानमंत्री ने बल देकर कहा कि 1971 के युद्ध के दौरान, भारत ने हज़ारों वर्ग किलोमीटर पाकिस्तानी ज़मीन पर कब्ज़ा कर लिया था और 93,000 युद्धबंदी बनाए थे। उन्होंने कहा कि अनुकूल परिस्थितियों के बावजूद, पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर (पीओके) को वापस पाने का मौका गँवा दिया गया। यहाँ तक कि सीमा के पास स्थित करतारपुर साहिब भी सुरक्षित नहीं हो सका। उन्होंने 1974 में कच्चातीवु द्वीप को श्रीलंका को दान करने के फ़ैसले पर खेद व्यक्त किया और इस हस्तांतरण के कारण तमिलनाडु के मछुआरों को हो रही कठिनाइयों का ज़िक्र किया।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर बल दिया कि विपक्ष दशकों से सियाचिन से भारतीय सेना को हटाने की मंशा रखता रहा है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता हो रहा है।

प्रधानमंत्री ने सदन को याद दिलाया कि 26/11 के भयावह मुंबई हमलों के बाद, तत्कालीन सरकार ने कथित तौर पर विदेशी दबाव में, त्रासदी के कुछ ही हफ़्तों बाद पाकिस्तान के साथ बातचीत फिर से शुरू करने का फैसला किया था। उन्होंने कहा कि 26/11 की भयावहता के बावजूद, तत्कालीन सरकार ने एक भी पाकिस्तानी राजनयिक को निष्कासित नहीं किया और ही एक भी वीज़ा रद्द किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवादी हमले बेरोकटोक जारी रहे, फिर भी तत्कालीन सरकार के कार्यकाल में पाकिस्तान को "सर्वाधिक तरजीही वाले राष्ट्र" का दर्जा मिलता रहा, जिसे कभी रद्द नहीं किया गया।

श्री मोदी ने बल देकर कहा कि जब देश मुंबई के लिए न्याय की माँग कर रहा था, तब तत्कालीन सत्तारूढ़ दल पाकिस्तान के साथ व्यापार में लगा हुआ था। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि जब पाकिस्तान तबाही मचाने के लिए आतंकवादी भेज रहा था, तब तत्कालीन सरकार भारत में शांतिप्रिय कवि सम्मेलन आयोजित कर रही थी।

प्रधानमंत्री ने बल देकर कहा कि उनकी सरकार ने पाकिस्तान का तरजीही राष्ट्र (एमएफएन) का दर्जा रद्द करके, वीज़ा पर रोक लगाकर और अटारी-वाघा सीमा बंद करके आतंकवाद और गलत आशावाद के इस एकतरफ़ा कारोबार को ख़त्म कर दिया है। उन्होंने सिंधु जल संधि का उदाहरण देते हुए, भारत के राष्ट्रीय हितों को बार-बार गिरवी रखने के लिए विपक्ष की आलोचना की। उन्होंने बताया कि यह संधि तत्कालीन प्रधानमंत्री द्वारा की गई थी, जिसमें भारत से निकलने वाली नदियाँ शामिल थींये नदियाँ लंबे समय से भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का हिस्सा रही हैं।

श्री मोदी ने कहा कि सिंधु और झेलम जैसी नदियाँ, जो कभी भारत की पहचान का पर्याय थीं, भारत की अपनी नदियाँ और जल होने के बावजूद, मध्यस्थता के लिए विश्व बैंक को सौंप दी गईं। उन्होंने इस कदम की निंदा करते हुए इसे भारत के स्वाभिमान और सांस्कृतिक मूल्यों के साथ विश्वासघात बताया।

भारत के जल अधिकारों और विकास, विशेष रूप से सिंधु जल संधि के अंतर्गत समझौता करने वाले ऐतिहासिक कूटनीतिक फैसलों की निंदा करते हुए, प्रधानमंत्री ने इस बात पर बल दिया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री भारत से निकलने वाली नदियों का 80 प्रतिशत पानी पाकिस्तान को आवंटित करने पर सहमत हुए थे, जबकि भारत जैसे विशाल राष्ट्र के लिए केवल 20 प्रतिशत ही बचा था। उन्होंने इस व्यवस्था के पीछे के औचित्य पर सवाल उठाते हुए इसे बुद्धिमत्ता, कूटनीति और राष्ट्रीय हित की विफलता बताया।

श्री मोदी ने कहा कि भारतीय धरती से निकलने वाली नदियाँ नागरिकों, विशेष रूप से पंजाब और जम्मू-कश्मीर के किसानों के लिए हैं। उन्होंने कहा कि तत्कालीन सत्तारूढ़ सरकार के समझौते ने देश के एक बड़े हिस्से को जल संकट में धकेल दिया और राज्य-स्तरीय आंतरिक जल विवादों को जन्म दिया, जबकि पाकिस्तान ने इसका भरपूर फायदा उठाया।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर बल दिया कि इन नदियों के साथ भारत के सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंधों की उपेक्षा की गई तथा सबसे अधिक प्रभावित लोगों, भारत के किसानों को उनकी उचित पहुंच से वंचित किया गया।

उन्होंने कहा कि अगर यह स्थिति बनती, तो पश्चिमी नदियों पर कई बड़ी जल परियोजनाएँ विकसित की जा सकती थीं। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली के किसानों को भरपूर पानी मिलता और पेयजल की कमी नहीं होती। इसके अलावा, भारत औद्योगिक प्रणालियों के माध्यम से बिजली का उत्पादन कर सकता था।

प्रधानमंत्री ने कहा कि तत्कालीन सरकार ने नहरें बनाने के लिए पाकिस्तान को करोड़ों रुपये भी दिए, जिससे भारत के हितों को और नुकसान पहुँचा। श्री मोदी ने बताया कि सरकार ने अब राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखते हुए सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा, "भारत ने तय कर लिया है कि खून और पानी साथ-साथ नहीं बहेंगे।"

2014 से पहले देश में असुरक्षा के निरंतर साये का उल्लेख करते हुए, श्री मोदी ने याद दिलाया कि कैसे सार्वजनिक स्थानों, रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों, हवाई अड्डों, मंदिरों पर लगातार घोषणाएँ की जाती थीं और बम के डर से लोगों को लावारिस वस्तुओं से दूर रहने की चेतावनी दी जाती थी। उन्होंने इसे पूरे देश में व्याप्त भय का माहौल बताया। उन्होंने बल देकर कहा कि तत्कालीन सत्तारूढ़ सरकार के कमजोर शासन के कारण अनगिनत नागरिक हताहत हुए। उन्होंने कहा कि सरकार अपने नागरिकों की सुरक्षा करने में विफल रही। श्री मोदी ने कहा कि आतंकवाद पर अंकुश लगाया जा सकता था और उन्होंने पिछले 11 वर्षों में हुई प्रगति को प्रमाण के रूप में प्रस्तुत किया। श्री मोदी ने वर्ष 2004 से 2014 के बीच देश में व्याप्त आतंकवादी घटनाओं में भारी गिरावट पर प्रकाश डाला।

प्रधानमंत्री ने सवाल किया कि अगर आतंकवाद पर नियंत्रण संभव था, तो पिछली सरकारों ने इसके लिए प्रभावी कदम क्यों नहीं उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि उन सरकारों ने तुष्टिकरण और वोट बैंक की राजनीति के चलते आतंकवाद को पनपने दिया।

श्री मोदी ने याद दिलाया कि 2001 में जब देश की संसद पर हमला हुआ था, तब विपक्ष के एक वरिष्ठ नेता ने अफजल गुरु को संदेह का लाभ देने की बात कही थी।। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे 26/11 के मुंबई हमलों का इस्तेमाल, आतंकवादी अजमल कसाब की गिरफ्तारी और उसकी पाकिस्तानी नागरिकता की वैश्विक मान्यता के बावजूद, "भगवा आतंकवाद" के आख्यान को आगे बढ़ाने के लिए किया गया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि तत्कालीन सत्तारूढ़ पार्टी के एक नेता ने एक शीर्ष अमेरिकी राजनयिक से कहा था कि हिंदू समूह लश्कर--तैयबा से भी बड़ा खतरा हैं और इसे विदेश में उनके द्वारा गढ़े जा रहे कथानक का उदाहरण बताया था।

उन्होंने जम्मू-कश्मीर में भारतीय संविधान के पूर्ण कार्यान्वयन को रोकने के लिए विपक्ष की कड़ी निंदा की और कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से लगातार समझौता करने वाली तुष्टीकरण की राजनीति के कारण बाबा साहेब आंबेडकर के संविधान को इस क्षेत्र में प्रवेश करने से रोक दिया गया है।

श्री मोदी ने एकजुटता की भावना का आह्वान करते हुए कहा कि राजनीतिक मतभेद भले ही बने रहें, लेकिन राष्ट्रहित में उद्देश्य की एकता बनी रहनी चाहिए। पहलगाम त्रासदी का उल्लेख करते हुए, प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे इसने राष्ट्र को गहरा आघात पहुँचाया और ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से भारत को निर्णायक प्रतिक्रिया के लिए प्रेरित किया, जो साहस, आत्मनिर्भरता और राष्ट्रीय संकल्प का प्रतीक है।

उन्होंने भारतीय प्रतिनिधिमंडलों की प्रशंसा की, जिन्होंने दृढ़ विश्वास और स्पष्टता के साथ विश्व स्तर पर राष्ट्र का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने कहा कि उनकी वकालत उस 'सिंदूर भावना' की प्रतिध्वनि थी जो अब भारत की सीमाओं के भीतर और बाहर, दोनों जगह, स्थिति का मार्गदर्शन करती है।

भारत के मुखर वैश्विक संदेश का कथित रूप से विरोध करने वाले कुछ विपक्षी नेताओं की प्रतिक्रिया पर निराशा व्यक्त करते हुए, प्रधानमंत्री ने सदन में राष्ट्र के पक्ष में बोलने वालों को चुप कराने के प्रयासों पर खेद व्यक्त किया। इस मानसिकता पर बात करते हुए, उन्होंने एक काव्यात्मक अभिव्यक्ति साझा की जिसमें साहसी और उद्देश्यपूर्ण संवाद का आह्वान किया गया।

श्री मोदी ने विपक्ष से राजनीतिक दबाव छोड़ने का आग्रह किया, जिसके कारण कथित तौर पर पाकिस्तान के प्रति नरमी बरती गई तथा राष्ट्रीय विजय के क्षणों को राजनीतिक उपहास में बदलने के खिलाफ चेतावनी दी।

प्रधानमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा, भारत आतंकवाद को जड़ से उखाड़ फेंकेगा। ऑपरेशन सिंदूर अभी भी जारी है, जो पाकिस्तान के लिए एक सीधी चेतावनी है, जब तक सीमा पार आतंकवाद नहीं रुकता, भारत अपनी जवाबी कार्रवाई जारी रखेगा।

श्री मोदी ने भारत के भविष्य को सुरक्षित और समृद्ध बनाए रखने के दृढ़ संकल्प के साथ अपने भाषण का समापन किया और लोगों की भावनाओं को प्रतिबिंबित करने वाले सार्थक विचार-विमर्श के लिए सदन के प्रति गहरा आभार व्यक्त किया।

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पीके/एके/केसी/एमकेएस/


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