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वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेरिस पैरालंपिक गेम्स 2024 के लिए भारतीय दल के साथ प्रधानमंत्री की बातचीत का मूल पाठ

Posted On: 19 AUG 2024 10:17PM by PIB Delhi

प्रस्‍तुतकर्ता- नमस्‍कार सर, इसके उपरांत सबसे पहले शीतल देवी जो हमारी आर्चर हैं, उनसे बातचीत की जाएगी सर। शीतल देवी

प्रधानमंत्री- शीतल नमस्‍ते,

शीतल- नमस्‍ते सर, जय माता दी।

प्रधानमंत्री- जय माता दी।

शीतल- मैं शीतल हूं।

प्रधानमंत्री- शीतल आप भारतीय दल की सबसे कम उम्र की एथलीट हैं। और ये आपका पहला पैरालंपिक होगा। मन में बहुत कुछ चलता होगा। आप बता सकती हो क्‍या चल रहा है? कुछ stress तो नहीं लग रहा है ना?

शीतल- नहीं सर, stress नहीं है और मुझे बहुत खुशी भी है कि इतनी छोटी उम्र में इतने छोटे समय में मैं पैरालंपिक में खेलूंगी। और ये बहुत खुशी की बात है सर कि इतनी छोटे समय में और इतनी छोटी उम्र में मैं खेल रही हूं यहां पर पैरालंपिक्‍स में। और यहां तक कि श्राइ न बोर्ड का बहुत ही बड़ा हाथ है उन्‍होंने बहुत ही अच्‍छा सपोर्ट किया है मुझे। सबका बहुत अच्‍छा सपोर्ट रहा। तब जाकर मैं सर यहां पर पहुंची।

प्रधानमंत्री- अच्‍छा शीतल, पैरिस पैरालंपिक में आपका अपना लक्ष्‍य क्‍या है और आपने इसके लिए तैयारी  क्‍या की है और कैसे की है?

शीतल- यस सर, मेरी तैयारी बहुत ही अच्‍छी चल रही है, ट्रेनिंग भी बहुत अच्‍छी चल रही है सर। और मेरा लक्ष्‍य यही है कि मैं अपने देश का तिरंगा यहां पर लहराऊं। अपना जो anthem है यहां पर बजाऊं। सर, मेरा यही लक्ष्‍य है। और इसके बढ़कर सर मेरा कुछ नहीं।

प्रधानमंत्री- शीतल आप जैसा मैंने पहले ही कहा है, इस दल में सबसे छोटी हैं। मेरी आपको सलाह होगी कि आप इतने बड़े इवेंट का दबाव बिल्‍कुल नहीं लीजिएगा। हार-जीत का दबाव लिए बिना अपना सर्वश्रेष्‍ठ प्रदर्शन करिएगा। पूरे देश की तरफ से, मेरी तरफ से, सबकी शुभकामनाएं आपके साथ हैं। और माताजी का आशीर्वाद तो हमेशा, माता वैष्णो देवी तुम पर कृपा बरसा ही रही हैं। तो मेरी तरफ से बहुत शुभकामनाएं।

शीतल- थैंक्‍यू सर, माता रानी का भी बहुत आशीर्वाद है मुझ पर, इसलिए इतने कम समय में मैं यहां पर पहुंची हूँ। बहुत आशीर्वाद है सर, माता रानी का। और सर, पूरे भारतीयों की दुआ है सर यहां पर, मैं इतने कम समय में यहां पर पहुंची आज। आपका आशीर्वाद है भी है सर। थैंक्‍यू सर।

प्रधानमंत्री- बहुत शुभकामनाएं।

प्रस्‍तुतकर्ता- सुश्री अवनि लेखरा

प्रधानमंत्री- अवनि नमस्‍ते।  

अवनि लेखरा- नमस्‍कार सर!

प्रधानमंत्री- अवनि पिछले पैरालंपिक में आपने एक गोल्‍ड मेडल समेत दो पदक जीतकर पूरे देश को गर्व से भर दिया था। इस बार क्‍या टारगेट सेट किया है।

अवनि लेखरा- सर, पिछली बार मेरा पहला पैरालंपिक गेम था तो उसी के हिसाब से मैं चार इवेंट में participate कर रही थी। Experience gain कर रही थी। अभी काफी इस बार ओलंपिक साइकिल में काफी मैच्‍योरिटी आई है, sport को लेकर भी technique को लेकर भी। कोशिश यही रहेगी कि इस बार भी मैं जिन भी इवेंट्स में participate कर रही हूं, उनमें मैं अपना बेस्‍ट दूं। और पूरे इंडिया का जो सपोर्ट रहा है, इतना प्‍यार मिला है, पिछले पैरालंपिक के बाद, आपका इतना सपोर्ट रहा है। उससे इतनी motivation मिलती है। एक responsibility भी आती है कि वहां जाकर अपना बेस्‍ट देना है और अच्‍छा करना है।

प्रधानमंत्री- अवनि जब आप टोक्‍यो से जीतकर आई थीं, तो उसके बाद जीवन कैसे बदला था? फिर से नई प्रतियोगिता के लिए आपने खुद को कैसे लगातार तैयार रखा?

अवनि लेखरा- सर, जब मैंने पिछली बार participate करा था तो एक बैरियर था कि मैं ये कर पाऊंगी या नहीं कर पाऊंगी? पर जब मैंने उसमें दो मेडल जीते तो तो वो बैरियर एक तरीके से टूट गया। और मुझे लगा कि अगर मैं एक बार कर सकती हूं तो अगर मैं मेहनत करूंगी तो मैं और कर सकती हूं। और जब मैं participate करती हूं इंडिया के लिए, especially on a wheel chair जब मैं जाती हूं और कंट्री को represent करती हूं तो इतनी अच्‍छी फीलिंग आती है कि फिर वो ही वापिस करने का मन करता रहता है।

प्रधानमंत्री- अवनि आपको खुद से और देश को आपसे बहुत उम्‍मीदें हैं। लेकिन मेरा बस इतना कहना है कि इन उम्‍मीदों को बोझ मत बनने दीजिए। उम्‍मीद को अपनी शक्ति बनाइयेगा। आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

अवनि लेखरा- धन्‍यवाद सर!

प्रस्‍तुतकर्ता- श्री मरियप्पन थंगावेलु

मरियप्पन थंगावेलु- वणकम्म सर।

प्रधानमंत्री-  मरियप्पन जी, वणकम्म। मरियप्पन आपने टोक्‍यो पैरालंपिक में रजत पदक जीता। इस बार तो सिल्‍वर को गोल्‍ड में बदलने का टारगेट लेकर चल रहे होंगे। पिछले अनुभव से आपको क्‍या कुछ और सीखने को मिला।

मरियप्‍पन- सर, मेरा जर्मनी में ट्रेनिंग करा सर। ट्रेनिंग अच्छा जा रहा है। लास्‍ट टाइम थोड़ा मिस्टेक हो गया, और सिल्वर आ गया। इस टाइम 100 पर्सेंट गोल्‍ड लेकर आएगा।

प्रधानमंत्री-  पक्‍का

मरियप्‍पन– पक्‍का सर, 100 पर्सेंट

प्रधानमंत्री- अच्‍छा मरियप्‍पन, आप खिलाड़ी भी है और कोच भी हैं। जब आप 2016 और अब पैरा एथलीटों की संख्‍या देखते हैं तो संख्‍या में भारी वृद्धि हुई है। इस बदलाव को आप कैसे देखते हैं।

मरियप्‍पन– सर, मेरा 2016 में फर्स्‍ट टाइम पैरालंपिक में एंट्री हुआ था। मेरे को थोड़ा डर लग रहा था कि only गोल्‍ड आ रहा नहीं, ये मेरा गोल्ड ले कर जा रहा है। ऐसे टाइम मेरा गोल्ड ले लिया। मैं आफ्टर गोल्‍ड ले लिया ज्‍यादा स्‍पोर्टसमैन का, entire staff पैरालंपिक का। ज्‍यादा people का sports क्‍या क्‍या रहा, ऐसा देखकर मेरे name में मेरा सपोर्ट्स देखकर ज्‍यादा people outside आ रहा है। now मेरा इंडिया के 100 मेडल लेकर आना चाहिए इंडिया के नाम पर लेकर आना चाहिए। ये 100 पर्सेंट आ रहा है सर। (09:47)

प्रधानमंत्री-  मरियप्‍पन, हमारी कोशिश है कि हमारे खिलाड़ियों को किसी तरह की कोई कमी न रहने पाए। आप सिर्फ अपने प्रदर्शन पर ध्‍यान दीजिएगा। देश आपके साथ है। आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

मरियप्‍पन– थैंक्‍यू सर।

प्रस्‍तुतकर्ता– श्री सुमित अंतिल

प्रधानमंत्री- सुमित नमस्‍ते।

सुमित अंतिल– नमस्‍ते सर। अच्‍छा सर।

प्रधानमंत्री- सुमित आपने एशियाई पैरा खेलों और टोक्‍यो पैरालंपिक में स्‍वर्ण पदक जीतकर एक के बाद एक, विश्‍व रिकॉर्ड बनाए हैं। आपको अपना ही रिकॉर्ड तोड़ने की प्रेरणा कहां से मिलती है?

सुमित अंतिल- सर, मेरे को लगता है कि भारत में inspirations की कोई कमी नहीं है, जैसे हमारे पीसीआई के प्रेजिडेंट देवेन्द्र झांझरिया भाई साहब भी हैं, नीरज चोपड़ा भाई साहब भी हैं, और भी बहुत सारे एथलीट ऐसे हैं जिन्‍होंने मेरे से पहले देश का गौरव बढ़ाया है, उन्‍हीं से प्रेरणा मिलती है सर। But inspiration से ज्‍यादा self-discipline और self-motivation ने back to back world record तोड़ने में ज्‍यादा काम किया है सर।

प्रधानमंत्री- सुमित देखिए, सोनीपत की तो मिट्टी ही बहुत खास है। और यहां से आप जैसे कई विश्‍व रिकॉर्डधारी और एथलीट्स निकलते हैं। हरियाणा के स्पोर्ट्स कल्‍चर से आपको कितनी मदद मिली है? 

सुमित अंतिल- बिल्‍कुल सर, जिस तरह से लोग यहां पर सपोर्ट करते हैं और गवर्नमेंट जिस तरह से सपोर्ट करती है, उसका बहुत बड़ा असर है कि सर हरियाणा से इतने सारे एथलीट इंटरनेशनल स्‍टेज पर कंट्री को रिप्रेजेंट करते हैं और देश का गौरव बढ़ाते हैं। गवर्नमेंट का भी काफी बड़ा सपोर्ट रहा है सर, जिस तरह से लोगों ने यहां एक स्‍पोर्टिंग कल्‍चर बना रहा है, I think उससे ज्‍यादा फायदा मिल रहा है सर।

प्रधानमंत्री- सुमित, आप विश्‍व चैंपियन हैं। इससे भी बड़ी बात है कि आप पूरे देश के लिए प्रेरणा हैं। मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हमेशा रहेंगी। अपना शानदार प्रदर्शन जारी रखें। पूरा देश आपके साथ खड़ा है। बहुत-बहुत शुभकामनाएं!

सुमित अंतिल- बहुत-बहुत धन्‍यवाद सर।

प्रस्‍तुतकर्ता– सुश्री अरुणा तंवर

अरुणा तंवर- नमस्कार सर! आपको रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं!

प्रधानमंत्री- अरुणा जी, आपको भी हार्दिक शुभकामनाएं!

अरुणा तंवर- धन्यवाद सर!

प्रधानमंत्री- अरुणा मैंने सुना है कि आपकी सफलता में आपके पिता ने बड़ी भूमिका निभाई। उनके सपोर्ट और अपनी इस जर्नी के बारे में कुछ बताएंगी?

अरुणा तंवर- सर परिवार के बिना तो हम एक नॉर्मल टूर्नामेंट नहीं खेल सकते। मैं तो पैरालंपिक्स सेकेंड टाइम खेलने के लिए जा रही हूं। पापा का starting से बहुत सपोर्ट रहा है। साथ-साथ मेरी मम्‍मी का भी बहुत सपोर्ट रहा है क्‍योंकि जब सोशल जो प्रेशर होता है, लोग दिव्‍यांग को एक अलग नजरिये से देखते हैं कि ये कुछ भी नहीं कर सकती, पर मेरे मम्‍मी-पापा ने मुझे विश्‍वास दिलाया कि मैं बहुत कुछ कर सकती हूं। आज मेरे घर में सर मुझे अपने भाइयों से कम नहीं समझा जाता। मम्‍मी बोलती है हम तीन भाई हैं, तो फैमिली का मुझे starting से बहुत सपोर्ट रहा है सर।

प्रधानमंत्री- अरुणा पिछले पैरालंपिक्स में आप एक महत्‍वपूर्ण मैच से ठीक पहले घायल हो गईं थीं। इस चोट के बाद आपने खुद को कैसे प्रेरित रखा और कैसे इससे बाहर निकल पाईं?

अरुणा तंवर- सर जब आप एक मेन टूर्नामेंट को represent करते हैं, जब आप इंडिया को represent करते हैं, वो भी इकलौते गेम में। मैंने पूरे टाइकोंडो कमिटी को पैरालंपिक्स में represent किया, but कहीं न कहीं injury की वजह से पीछे हो गई। But सर एक injury आपके गेम को नहीं रोक सकती क्‍योंकि मेरा aim बहुत बड़ा है। जब तक injuries नहीं आएंगी आपको sports में मजा भी नहीं आएगा। Injuries तो सर sports में गहना है एक athletes का तो come back करना इतना मुश्‍किल नहीं था सर, बस मैंने खुद को strong रखा। मेरे कोचेस, जो संध्‍या भारती मैम हैं, और मेरे पेरेंट्स ने मुझे यही बोला कि एक पैरालंपिक्स तेरा future decide नहीं करता, अभी तो बहुत सारे पैरालंपिक्स खेलने हैं।

प्रधानमंत्री- अरुणा आप injury को गहना समझती हो, यही आपकी मनोभूमिका सबको प्रेरित करने वाली है। लेकिन मैं नहीं चाहता हूं कि आप ऐसा गहना पहनें। अरुणा आप फाइटर हैं। अपने खेल में भी और अपने जीवन में भी। आपने देश के लिए तो पदक जीता है पर आपने लाखों बेटियों को भी प्रेरित किया है। आप फाइटर मानसिकता से पेरिस में शानदार प्रदर्शन करें। पूरे देश की शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

अरुणा तंवर- Thank you so much sir.

प्रधानमंत्री- अच्‍छा भई अब मैं कुछ सवाल खुद पूछना चाहता हूं, जिसका जवाब आप में से कोई भी दे सकता है। विशेष तौर पर मैं चाहूंगा कि वो लोग जरूर बोलें जो अब तक चुप रहे हैं। अच्‍छा आप में से काफी athlete अपने पहले पैरालंपिक्स खेलों के लिए पेरिस जा रहे हैं। क्‍या कोई बता सकता है कि पहली बार ऐसे वैश्‍विक आयोजन में अपने देश का प्रतिनिधित्‍व करना आपको कैसा लगता है? जो अभी तक बोले नहीं वो बोलेंगे!

अशोक मलिक- सर मेरा नाम अशोक है! सर मैं first time जा रहा हूं सर! हर athlete का सर सपना होता है...

प्रधानमंत्री- क्‍या शुभ नाम?

अशोक मलिक- अशोक मलिक सर!

प्रधानमंत्री- अशोक जी, हां बताइए!

अशोक मलिक- हर प्‍लेयर का सर एक सपना होता है ओलंपिक खेलने का और सर मेरा भी ये सपना पूरा होने जा रहा है। मैं भी अपने देश के लिए सर पेरिस पैरालंपिक में जा रहा हूं सर। वहां अच्‍छा बेस्‍ट performance करूंगा सर, हो सका तो अपने देश के लिए एक मेडल भी ले कर आऊंगा सर।

प्रधानमंत्री- अशोक आप हैं कहां से?

अशोक मलिक- हरियाणा से सर, सोनीपत से!

प्रधानमंत्री- सोनीपत से, आप भी सोनीपत से ही हैं।

अशोक मलिक- जी सर!

प्रधानमंत्री- अच्‍छा आप में से कितने लोग अपने दूसरे या तीसरे पैरालंपिक्स या अधिक खेलों के लिए जा रहे हैं? या आपके पहले पैरालंपिक्स में कितना अलग लगता है क्‍योंकि आप पहले भी गए हैं, अब भी गए हैं, कौन बताएगा?

अमित सरोहा- सर नमस्‍कार!

प्रधानमंत्री- नमस्‍कार जी!

अमित सरोहा- सर अमित सरोहा हूं सर और ये मेरा चौथा पैरालंपिक्स गेम है और टीम का सबसे सीनियर एथलीट हूं मैं, जो चौथी बार पैरालंपिक्स गेम्स के लिए जा रहा है। सर change सबसे बड़ा ये आया है सर कि हम लोग जब 2012 में गए थे, तो हमारा सिर्फ एक मेडल आया था और उसके बाद मैं दूसरा-तीसरा ओलंपिक खेला हूं, पैरालंपिक गेम गया हूं सर, वहां हम लोगों के मेडल की और टीम की बढ़ती चली गई performance और अभी हम लोग 84 एथलीट जा रहे हैं सर। इसमें बहुत बड़ा रोल रहा है सर SAI का क्‍योंकि जो सपोर्ट, जो हमारी टीम को Financially Support मिल रहे थे, वो बहुत बढ़ गए हैं सर। और कहीं न कहीं TOPS के आने से 2015 के बाद इतना सपोर्ट मिला है कि सर अब हम लोग foreign में कहीं भी ट्रैवल करके, कहीं भी ट्रेनिंग कर सकते हैं। Even हमारे तो पर्सनल कोचेस, पर्सनल फिजिओ, पर्सनल supporting staff, जो भी requirement है सर, वो पूरी हो रही हैं और उसी के कारण कहीं न कहीं हम लोग इतना अच्‍छा perform कर पा रहे हैं कि आज हम उम्‍मीद कर रहे हैं कि हम हर बार के रिकॉर्ड से ज्‍यादा इस बार मेडल जीत पाएंगे सर।

प्रधानमंत्री- अच्‍छा मैं इस समूह में कई युवाओं को देख रहा हूं जो अभी भी अपने स्‍कूल या कॉलेज में हैं। आप अपनी पढ़ाई के साथ-साथ खेल का प्रबंधन कैसे करते हैं?

रूद्रांश खंडेलवाल: मेरा नाम रूद्रांश खंडेलवाल है। मैं भरतपुर राजस्‍थान से हूं और इस साल ही मैंने 12 बोर्ड्स के एग्‍जाम दिए थे और बहुत अच्‍छे मार्क्स से मैं पास हुआ, 83% मेरी बनी थी और उस टाइम पर मेरे नई दिल्‍ली में वर्ल्‍ड कप भी चल रहे थे तो मैं साथ में दोनों चीजें मैनेज कर रहा था। तो मुझे लगता है कि एजुकेशन और sports दोनों ही बहुत important role play करते हैं life में, क्‍योंकि sports आपका एक character develop करता है, आपको रोज improve करता है और education भी आपको life कैसे जीनी है और आपके rights क्‍या हैं, वो सब चीजें समझाता है। तो मुझे लगता है सर दोनों को मैनेज करना इतना भी मुश्‍किल नहीं है और दोनों ही बहुत important हैं।

प्रधानमंत्री- अच्‍छा पैरा एथलीट्स के सुझाव पर ही हमने दिसम्‍बर 2023 में पहली बार खेलों इंडिया पैरागेम्‍स का आयोजन किया। क्‍या कोई मुझे बता सकता है कि इस तरह का आयोजन sports ecosystem में कैसे मदद करता है?

भाविना: नमस्‍कार सर!

प्रधानमंत्री- नमस्‍ते?

भाविना: भाविना सर

प्रधानमंत्री- जी भाविना, कैसी हैं आप?

भाविना: अच्छी हूँ सर, आप कैसे हैं?

प्रधानमंत्री- हां भाविना, बताइए!

भाविना: सर खेलो इंडिया अभियान ने पिछले कुछ सालों में भारत में एक खेल विकास में एक अहम भूमिका निभाई है, जिसकी वजह से ग्रास रूट से कई सारी खेल प्रतिभाएं सामने आईं हैं। जब से खेलो इंडिया में पैरा खेलों को शामिल किया है, तब से पैरा खिलाड़ियों को एक अच्‍छा प्‍लेटफॉर्म मिला है और उनको एक नई दिशाएं मिली हैं। उसका best example मैं बता सकती हूं कि पेरिस पैरालंपिक्स में हमारे खेलो इंडिया से 16 खिलाड़ी qualify किए हैं।

प्रधानमंत्री- वाह! अच्‍छा खिलाड़ियों के लिए injury एक बहुत बड़ी समस्‍या होती है। पैरालंपिक्स की तैयारी के दौरान एथलीट्स चोट से कैसे निपटते हैं? खुद को प्रेरित कैसे रखते हैं?

तरुण ढिल्लो: सर नमस्‍कार!

प्रधानमंत्री- नमस्‍ते?

तरुण ढिल्लो: सर मेरा नाम तरुण ढिल्लो हैं सर। मैं हरियाणा हिसार से हूं सर! सर मेरा बैडमिंटन गेम है सर और सर आपने injury से रिलेटेड पूछा तो मैं अपना एक experience बताऊंगा सर। सर 2022 में Canada International Tournament में मैच के दौरान सर मेरा knee का ligament टूट गया था सर जो एक बैडमिंटन खिलाड़ी के लिए थोड़ी severe injury होती है सर, ज्‍यादा injury होती है और सर मैं बहुत खुशकिस्मत हूं सर कि मैं TOPS का एथीलीट हूं सर और सभी एथलीट्स को और सर आपको मैं ये बताना चाहूंगा कि सर कि TOPS में होने की वजह से उस टाइम पर सर मुझे मेरी चोट लगने से लेकर सर SAI के officials और Sports SAI की टीम ने मेरी बहुत मदद करी और वहां से मुझे business class में मुझे plane की ticket से specially request पर मुझे लाया गया इंडिया, best doctor से मेरा surgery हुआ। Dr. Dinshaw Mumbai में हैं सर वो। और बहुत कम समय में मेरा चोट का surgery भी हो गया और SAI के officials सर मेरा Physical health और mental health के लिए उन्‍होंने जो सपोर्ट मुझे करा, surgery के बाद मेरा सर जो एक खिलाड़ी के लिए सबसे जरूरी होता है वापस खेल में जाना, तो उसके लिए सर rehabilitation के लिए सर मुझे ground पर एक physio दिया गया सर SAI के द्वारा सर, TOPS की स्‍कीम के द्वारा। और सर मेरे डॉक्‍टर ने मुझे बोला कि 10-11 महीने लगेंगे रिकवर करने में but सर SAI के सपोर्ट की वजह से मैं बोलूंगा सर 7 महीने में रिकवर करके 8वें महीने में सर मैं International Tournament खेलने गया और सर मैंने वहां पर गोल्‍ड मेडल जीता। तो सर मुझे लगता है कि आज के समय में सर TOPS की स्‍कीम की वजह से एक हम जैसे मध्‍य वर्ग की फैमिली से आते हैं, वो लोग सर इतनी बड़ी-बड़ी injuries को हम easily ठीक करके सर दोबारा sports में जाकर के अपना जो ड्रीम है सर, उसको हम अचीव कर पाते हैं easily.

प्रधानमंत्री- बहुत बधाई आपको! अच्‍छा आप में से कई लोगों के सोशल मीडिया पर बहुत फॉलोवर हैं, क्‍या आप में से कोई मुझे बता सकता है कि सोशल मीडिया पैरा स्पोर्ट्स में कैसे मदद करता है?

योगेश कथूनिया: नमस्‍कार सर! हर हर महादेव! मेरा नाम योगेश कथूनिया, मैं बहादुरगढ़, हरियाणा से हूं। तो सर देखा जाए तो सोशल मीडिया का impact बहुत ज्‍यादा positive रहा है पैरा स्‍पोर्ट्स के ऊपर, काफी सारी चीजें सबसे नंबर वन पर आती है वो awareness बढ़ी हैं जो लोगों में पहले नहीं थी, धीरे-धीरे इंडिया के लोग जान पर रहे हैं कि पैरा स्‍पोर्ट्स भी चीज है और काफी सारी जो नए एथलीट्स आना चाहते हैं वो मतलब सोशल मीडिया से देखते हैं और पैरा स्‍पोर्ट्स की तरफ आते हैं। तो कई सारे जो मतलब दिव्यांगजन थे वो सिर्फ सोचते थे कि हमें पढ़ाई करनी है और ये चीजें ही करनी हैं लेकिन धीरे-धीरे हम देख रहें हैं कि संख्‍या बढ़ती जा रही है और काफी सारे लोग पैरा स्‍पोर्ट्स की तरफ भी आ रहे हैं। और बहुत सारी visibility भी बढ़ती है पैरा स्‍पोर्ट्स की सोशल मीडिया की वजह से और लोगों से जुड़ने का एक मौका मिलता है सोशल मीडिया से तो हमारे जितने भी चाहने वाले हैं और जितने भी लोग देखते हैं वो हमारी वीडियो देखकर मोटिवेट होते हैं, आने वाले जो नए ग्रास रूट लेवल के एथलीट हैं वो अगर वीडियो को देखते हैं तो उसे अपनी exercise में add भी कर सकते हैं। तो मतलब काफी सोशल मीडिया का impact रहा है पैरा स्पोर्ट्स की ग्रोथ में।

प्रस्‍तुतकर्ता– सर आपसे अनुरोध होगा कि हमारे खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाने के लिए कुछ आशीर्वचन कहें सर। धन्यवाद सर।

प्रधानमंत्री- देश के खेल मंत्री श्री मनसुख मांडविया जी, खेल राज्यमंत्री रक्षा खडसे जी। दुनिया के कोने-कोने में उपस्थित पैरालंपिक एथलीट्स, कोचेस एवं स्टाफ। मुझे बहुत अच्छा लगा आज आप लोगों से गपशप करने का अवसर मिल गया। हम सब VC के माध्यम से भी अब दूर-दूर फाइनल कोचिंग की अवस्था में हैं, उस समय भी आप तो मुझे मिलने का मौका मिल गया। देखिए आप सभी भारत के ध्वजवाहक बनकर पेरिस जा रहे हैं। ये यात्रा आपने जीवन की, आपके करियर की बेहद महत्वपूर्ण यात्रा होने जा रही है, साथ ही आपकी ये यात्रा देश के लिए भी उतनी ही अहम है। पेरिस में आपकी उपस्थिति से देश का गौरव जुड़ा हुआ है। इसलिए, आज पूरा देश आपको आशीर्वाद दे रहा है, और हमारे यहां तो परंपराएं हैं, जब इस प्रकार से आशीर्वाद देते हैं तो लोग कहते हैं- विजयी भव:। 140 करोड़ देशवासी आपको आशीर्वाद दे रहे हैं- विजयी भव:। आपका उत्साह बता रहा है कि आप सब टोक्यो और एशियन पैरा गेम्स की तरह ही नए रिकॉर्ड बनाने को आतुर हैं। निकल पड़िए और दिखा दीजिए कि हिम्मत और हौसले की ताकत क्या होती है। आप सभी को पेरिस पैरालंपिक के लिए बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।

साथियों,

किसी भी खेल का खिलाड़ी जब इतने बड़े मंच तक पहुंच जाता है तो उसके पीछे साहस, समर्पण और त्याग की पूरी गाथा होती है। कोई भी खिलाड़ी हो उसकी बुनियाद हौसलों से बनती है। खिलाड़ी अनुशासन की शक्ति से आगे बढ़ता है। उसकी सफलता, उसके आत्मविश्वास और आत्म नियंत्रण की गवाह होती है। लेकिन जब बात पैरा एथलीट्स की होती है तो ये सच्चाई और ये चुनौती कई गुना बड़ी हो जाती है। आपका यहां तक पहुंचना बताता है कि आप भीतर से कितने मजबूत हैं। आपकी सफलता बताती है कि आप विपरीत हवाओं का ही नहीं, विपरीत तूफानों का मुकाबला करने का माद्दा रखते हैं। आपने समाज की स्थापित मान्यताओं को हराया है, आपने शरीर की चुनौतियों को हराया है। इसलिए, सफलता के मंत्र भी आप ही हैं, सफलता के उदाहरण भी आप स्वयं हैं और सफलता के प्रमाण भी आप ही हैं। आप पूरे आत्मविश्वास के साथ मैदान में उतरिएगा फिर आपको जीत से कोई नहीं रोक सकता।

साथियों,

भारत की सफलता और पैरा गेम्स में भारत का दबदबा बीते वर्षों में कैसे बढ़ा है, आप सभी इसके साक्षी हैं। 2012 में लंदन पैरालंपिक में भारत ने केवल एक मेडल जीता था। हमें कोई गोल्ड नहीं मिला था। 2016 में रियो में भारत ने 2 गोल्ड और कुल 4 मेडल जीते। और...टोक्यो पैरालंपिक में हमने रिकॉर्ड 19 मेडल जीते। 5 गोल्ड, 8 सिल्वर और 6 ब्रॉन्ज भारत को मिले थे। आपमें कई खिलाड़ी हमारे उस contingent का हिस्सा थे और मेडल भी जीतकर लाए थे। पैरालंपिक के इतिहास में अब तक भारत ने जो 31 मेडल जीते हैं, उनमें से 19 अकेले टोक्यो में आए थे। आप अंदाजा लगा सकते हैं, पिछले 10 वर्षों में भारत ने sports में और पैरा गेम्स में कितनी ऊंची उड़ान भरी है।

साथियों,

Sports में भारत की उपलब्धियां खेलों को लेकर समाज के बदलते नजरिए का प्रतिबिंब हैं। एक समय था, खेलों को खाली समय का काम माना जाता था, जो खाली है वो खेलता है। और आज जो खेलता है, वो खिलता है। घर-परिवार में भी ज्यादा खेलने वाले को डांट पड़ती थी, sports को करियर नहीं, करियर में बाधा माना जाता था, sports में अवसर ना के बराबर होते थे। मेरे दिव्यांग भाई-बहनों को भी कमजोर और आश्रित माना जाता था। हमने इस सोच को बदला उनके लिए ज्यादा अवसर बनाए। आज पैरा गेम्स को भी उतनी ही प्राथमिकता मिलती है, जितनी दूसरे sports को मिलती है। अब देश में ‘खेलो इंडिया पैरा गेम्स’ की भी शुरूआत हुई है। पैरा एथलीटों की मदद के लिए ग्वालियर में एक पैरा खेल प्रशिक्षण केंद्र भी स्थापित किया है। हमारे पैरा एथलीट्स को TOPS और खेलों इंडिया सुविधाओं का लाभ मिल रहा है। मुझे खुशी है कि इस समूह में 50 एथलीट्स TOPS योजना से जुड़े हैं और 16 खिलाड़ी खेलों इंडिया एथलीट्स हैं। आपकी special needs को देखते हुए विदेशी कोच, एक्सपर्ट और सहायक कर्मचारी भी नियुक्त किए गए हैं। और इस बार आपको पेरिस में एक शानदार चीज और देखने को मिलेगी। पेरिस पैरालंपिक गेम्स विलेज में भी आप सभी के लिए एक खास recovery center बनाया गया है। मुझे उम्मीद है ये recovery center भी आपके लिए बहुत मददगार साबित होगा।

साथियों,

पेरिस 2024 पैरालंपिक और भी कई मायनों में देश के लिए खास है। कई खेलों में हमारे स्लॉटस बढ़े हैं, हमारी भागीदारी बढ़ी है। मुझे विश्वास है पेरिस पैरालंपिक खेलों में भारत की स्वर्णिम यात्रा का बड़ा milestone साबित होगा। आप जब नए रिकॉर्ड बनाकर देश लौटेंगे तो आपसे एक बार फिर मुलाकात होगी। आप सभी को एक बार फिर पूरे देश की तरफ से बहुत-बहुत शुभकामनाएं। और देश आपके लिए एक ही मंत्र कह रहा है- विजयी भव:। विजयी भव:। विजयी भव:।

धन्यवाद। 

 

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MJPS/ST/NS/AV/RK


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