आर्थिक मामलों की मंत्रिमण्‍डलीय समिति (सीसीईए)
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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विपणन सत्र 2023-24 के दौरान खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को स्वीकृति दी

Posted On: 07 JUN 2023 2:56PM by PIB Delhi

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने विपणन सत्र 2023-24 के दौरान सभी स्वीकृत खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है।

सरकार ने फसल उत्पादकों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने और फसलों में विविधीकरण को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से विपणन सत्र 2023-24 हेतु खरीफ फसलों के एमएसपी में वृद्धि की है, जैसा कि नीचे दी गई तालिका में दर्शाया जा रहा है:

खरीफ विपणन सत्र (केएमएस) 2023-24 के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य

                                                                                          (रु. प्रति क्विंटल)

फसलें

एमएसपी  2014-15

एमएसपी  2022-23

एमएसपी  2023-24

लागत* केएमएस 2023-24

2022-23 के मुकाबले एमएसपी में बढ़ोतरी

लागत से अधिक लाभ प्रतिशत में

धान - सामान्य

1360

2040

2183

1455

143

50

धान-ग्रेड ए ^

1400

2060

2203

-

143

-

ज्वार-हाइब्रिड

1530

2970

3180

2120

210

50

ज्वार-  मालदांडी ^

1550

2990

3225

-

235

-

बाजरा

1250

2350

2500

1371

150

82

रागी

1550

3578

3846

2564

268

50

मक्का

1310

1962

2090

1394

128

50

तुअर/अरहर

4350

6600

7000

4444

400

58

मूंग

4600

7755

8558

5705

803

50

उड़द

4350

6600

6950

4592

350

51

मूंगफली

4000

5850

6377

4251

527

50

सूरजमुखी के बीज

3750

6400

6760

4505

360

50

सोयाबीन (पीला)

2560

4300

4600

3029

300

52

तिल

4600

7830

8635

5755

805

50

काला तिल

3600

7287

7734

5156

447

50

कपास (मध्यम  रेशा)

3750

6080

6620

4411

540

50

कपास (लंबा रेशा)

4050

6380

7020

-

640

-

*लागत को संदर्भित करता है, जिसमें भुगतान किये गए सभी व्यय जुड़े हुए होते हैं। उदाहरण के तौर पर इनमें किराए पर लिया गया मानव श्रम, बैल श्रम / मशीन श्रम, भूमि पर पट्टे के लिए भुगतान किया गया खर्च, फसल उत्पादन में इस्तेमाल सामग्री जैसे बीज, उर्वरक, खाद, सिंचाई शुल्क, उपकरणों एवं कृषि भवनों पर मूल्यह्रास, कार्यशील पूंजी पर ब्याज, पंप सेटों के संचालन के लिए डीजल/बिजली आदि पर किए गए खर्च, विविध मूल्य तथा पारिवारिक श्रम के अनुमानित व्यय को शामिल किया जाता है।

^ धान (ग्रेड ए), ज्वार (मालदंडी) और कपास (लंबा रेशा) के लिए अलग से लागत डेटा संकलित नहीं किया गया है।

विपणन सत्र 2023-24 के दौरान खरीफ फसलों के दौरान एमएसपी में वृद्धि किसानों को उचित पारिश्रमिक मूल्य उपलब्ध कराने के लिए केंद्रीय बजट 2018-19 की अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत के कम से कम 1.5 गुना के स्तर पर एमएसपी तय करने की घोषणा के अनुरूप है। बाजरा (82%) के बाद तुअर (58%), सोयाबीन (52%) और उड़द (51%) के मामले में किसानों को उनकी उत्पादन लागत पर अपेक्षित लाभ सबसे अधिक होने का अनुमान है। शेष अन्य फसलों के लिए किसानों को उनकी उत्पादन लागत पर कम से कम 50% मार्जिन प्राप्त होने का अनुमान है।

हाल के वर्षों में, सरकार लगातार इन फसलों के लिए उच्च न्यूनतम समर्थन मूल्य की पेशकश करके दलहनों, तिलहनों और अन्य पोषक धान्य/श्री अन्न जैसे अनाजों के अलावा कई फसलों की खेती को बढ़ावा दे रही है। इसके अतिरिक्त, सरकार ने किसानों को उनकी फसलों में विविधता लाने के उद्देश्य से प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई), राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) जैसी विभिन्न योजनाएं एवं गतिविधियां भी शुरू की हैं।

देश में 2022-23 के तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार कुल खाद्यान्न उत्पादन रिकॉर्ड 330.5 मिलियन टन होने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष 2021-22 की तुलना में 14.9 मिलियन टन अधिक है। यह बीते 5 वर्षों में होने वाली सबसे अधिक वृद्धि को दर्शाता है।

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