वित्त मंत्रालय
मुख्य सेवा संकेतकों में लॉकडाउन के दौरान भारी गिरावट के बाद दिख रहा है ‘वी’ आकार का सुधार
वैश्विक उथल-पुथल के बावजूद भारत के सेवा क्षेत्र में सालाना आधार पर एफडीआई प्रवाह 34 प्रतिशत बढ़ा
बंदरगाहों तक जहाजों के आने व वापस जाने में लगने वाला समय 2010-11 के 4.67 दिन से लगभग आधा होकर 2019-20 में 2.62 दिन रह गया
बीते साल 12 नए यूनिकॉर्न सामने आने के साथ इनकी कुल संख्या 38 के स्तर पर पहुंची
Posted On:
29 JAN 2021 3:27PM by PIB Delhi
केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने 29 जनवरी, 2021 को संसद में आर्थिक समीक्षा 2020-21 पेश करते हुए कहा कि सेवा क्रय प्रबंधक सूचकांक, हवाई यात्री यातायात, रेल ढुलाई यातायात, बंदरगाह यातायात, विदेशी यात्रियों के आगमन और विदेशी विनिमय जैसे मुख्य संकेतक अपने निचले स्तर पर पहुंच गए हैं और उनमें वी आकार का सुधार दिख रहा है। समीक्षा के अनुसार, कोविड-19 महामारी के संपर्क से तेजी से फैलने के स्वभाव के चलते लगाए गए लॉकडाउन के कारण भारत के सेवा क्षेत्र में भारी गिरावट दर्ज की गई थी। वित्त वर्ष 2020-21 की पहली छमाही के दौरान इस क्षेत्र में लगभग 16 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी। मासिक आधार पर घरेलू यात्री यातायात में भी धीरे-धीरे सुधार आ रहा है, हालांकि बीते साल की तुलना में समग्र मांग सुस्त बनी हुई है। समीक्षा में वर्तमान में जारी टीकाकरण अभियान के चलते व्यापक संपर्क वाले सेवा क्षेत्रों के पुनरुत्थान का अनुमान व्यक्त किया गया है।
भारत में एफडीआई का प्रवाह:
समीक्षा के अनुसार, वैश्विक स्तर पर उथल-पुथल के बावजूद अप्रैल-सितंबर, 2020 के दौरान सालाना आधार पर भारत के सेवा क्षेत्र में एफडीआई प्रवाह 34 प्रतिशत की उल्लेखनीय बढ़ोतरी के साथ 23.6 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया है। इस बढ़ोतरी को कम्प्यूटर और हार्डवेयर उप-क्षेत्र से अच्छा समर्थन मिला, जिसमें समान अवधि के दौरान एफडीआई प्रवाह में 336 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। समीक्षा के अनुसार, खुदरा व्यापार, कृषि सेवा और शिक्षा जैसे उप-क्षेत्रों में भी एफडीआई प्रवाह में अच्छी बढ़ोतरी दर्ज की गई। विश्व निवेश रिपोर्ट 2020 के अनुसार, दुनिया में सबसे ज्यादा एफडीआई हासिल करने वाले देशों की सूची में भारत 2018 के 12वें पायदान से सुधरकर 2019 में 9वें पायदान पर पहुंच गया।
सकल मूल्य संवर्धन (जीवीए):
समीक्षा के अनुसार, भारत के जीवीए में 54 प्रतिशत और एफडीआई प्रवाह में 80 प्रतिशत योगदान से वर्तमान में सेवा क्षेत्र के महत्व का पता चलता है। 33 राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों में से 15 के सकल राज्य मूल्य संवर्धन में क्षेत्र का योगदान 50 प्रतिशत से ज्यादा है, वहीं दिल्ली और चंडीगढ़ में यह आंकड़ा और भी ज्यादा है। इसके अनुसार, जीएसवीए में तुलनात्मक रूप से सेवा क्षेत्र की कम हिस्सेदारी वाले राज्यों में हाल के वर्षों में सेवा क्षेत्रों में मजबूत बढ़ोतरी दर्ज की गई है। कुल निर्यात में सेवा क्षेत्र की 48 प्रतिशत हिस्सेदारी है और हाल के वर्षों में इसने वस्तुओं के निर्यात को पीछे छोड़ दिया है।
पर्यटन क्षेत्र :
समीक्षा के अनुसार, कोविड-19 की रोकथाम के चलते यात्रा प्रतिबंध, उपभोक्ता आत्म-विश्वास में कमी और वैश्विक संघर्ष के साथ वैश्विक यात्रा और पर्यटन पर खासा नकारात्मक असर पड़ा है और वर्तमान में जारी टीकाकरण अभियान के चलते इसके पुनरुत्थान का अनुमान है। ई-पर्टयक वीजा की व्यवस्था 2014 के 46 देशों से बढ़कर 169 देशों में होने से ई-वीजा पर भारत में आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या 2015 के 4.45 लाख से बढ़कर 2019 में 29.28 लाख हो गई है।
आईटी-बीपीएम सेवाएं :
समीक्षा के अनुसार, वर्ष 2020-21 में कई प्रमुख संरचनागत सुधार हुए हैं। दूरसंचार से संबंधित नियमों को आईटी-बीपीएम से अलग कर दिया गया और ई-कॉमर्स के लिए उपभोक्ता सुरक्षा नियम पेश किए गए। आईटी-बीपीएम उद्योग ने नवाचार और दक्षता को बढ़ावा देने के लिए ओएसपी दिशानिर्देशों और न्यू अम्ब्रेला एंटिटी को लचीला बनाए जाने जैसे नीतिगत सुधारों का भी स्वागत किया है।
स्टार्ट-अप इकोसिस्टम :
समीक्षा के अनुसार, कोविड-19 महामारी के बावजूद भारत के स्टार्ट-अप इकोसिस्टम में विकास देखने को मिल रहा है। यह इकोसिस्टम मुश्किल हालात से तेजी से उबरा है और बीते साल यूनिकॉर्न की सूची में रिकॉर्ड 12 स्टार्ट-अप ने जगह बनाई है, जिससे इनकी कुल संख्या बढ़कर 38 हो गई है।
नौवहन :
समीक्षा में बंदरगाहों तक जहाजों के आने व वापस जाने में लगने वाले समय में कमी का उल्लेख किया गया, जो 2010-11 के 4.67 दिन से लगभग आधा होकर 2019-20 में 2.62 दिन रह गया है। अंकटाड के ताजा आंकड़ों के अनुसार, वैश्विक स्तर पर मध्यवर्ती जहाज के लौटने में लगने वाले 0.97 दिन से पता चलता है कि भारत में बंदरगाहों की दक्षता में सुधार की अभी काफी गुंजाइश है।
अंतरिक्ष क्षेत्र :
समीक्षा के अनुसार, पिछले छह दशक में भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र ने अच्छा विकास दर्ज किया है। भारत ने 2019-20 में अंतरिक्ष कार्यक्रमों पर लगभग 1.8 अरब डॉलर व्यय किए हैं। हालांकि, देश इस क्षेत्र में अभी भी अमेरिका, चीन और रूस जैसे देशों से काफी पीछे है, जो लगभग छह गुना ज्यादा व्यय करते हैं। भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र निजी कंपनियों को जोड़ने और नवाचार व निवेश को आकर्षित करने जैसे कई नीतिगत सुधारों से गुजर रहा है।
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आर.मल्होत्रा/एम.गौतम/ए.एम./हिंदी इकाई –3
(Release ID: 1693228)
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