उप राष्ट्रपति सचिवालय

उपराष्ट्रपति ने एसटीईएम- संबंधित रोजगार में लैंगिक आधार पर होने वाले भेदभाव को पाटने का आह्वान किया


डेटा विज्ञान क्रांति का लाभ पाने के लिए इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम को अद्यतन करने की आवश्यकता-उपराष्‍ट्रपति श्री नायडू

उपराष्‍ट्रपति ने संस्थानों से क्षेत्रीय भाषाओं में तकनीकी पाठ्यक्रम उपलब्‍ध कराने का आग्रह किया

शिक्षकों को गणित सेबच्चों को जोड़ने के लिए रचनात्मक तरीके अपनाने चाहिए- उपराष्ट्रपति

लोगों, विशेष रूप से बच्चों में वैज्ञानिक सोचविकसित करना समय की आवश्यकता है: उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपतिने गणितीय विज्ञान संस्थान, चेन्नई के छात्रों एवं शिक्षकों के साथ बातचीत की

उपराष्‍ट्रपति ने संस्थान की नई आवासीय विंग का उद्घाटन किया

Posted On: 05 JAN 2021 1:27PM by PIB Delhi

उपराष्ट्रपतिश्री एम. वेंकैया नायडू ने आज कहा कि जबकि भारत में विश्‍व में सबसे अधिक संख्‍या में महिलाएं विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अभियांत्रिकी और गणित (एसटीईएम) विषयों में स्नातक (लगभग 40 प्रतिशत) में उत्‍तीर्ण हो रही हैं।किन्‍तु देश में एसटीईएमसे जुड़े क्षेत्रों से संबंधित रोजगार में उनकी अत्‍यधिक कम भागीदारी यानी 14 प्रतिशत है, जिसमें सुधार लाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट अध्ययनों में भी महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत कम है, जिसे तेजी से सुधारने की जरूरत है।

इस संबंध में, श्री नायडू ने कहा कि आईआईटी में छात्राओं की संख्या में सुधार के लिए सरकार के प्रयासों का परिणाम सामने आया है।इसमें 2016 में महिलाओं की संख्या सिर्फ 8 प्रतिशत थी, जो अब बढ़कर लगभग 20 प्रतिशत हो गई है। उन्होंने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के महिला वैज्ञानिक कार्यक्रमकी भी सराहना की, क्‍योंकि यह एक ऐसी प्रशंसनीय पहल है, जो महिलाओं को विज्ञान और गणित में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित करती है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी महिला वैज्ञानिकों का स्‍वागत करना चाहिए और बालिकाओं के लिए विज्ञान के क्षेत्र में प्रेरणास्रोत तैयार करना चाहिए।

चेन्नई के गणितीय विज्ञान संस्थान (आईएमएस) में उपराष्ट्रपति ने एसटीईएम के रुझानों के बारे में बात की और कहा कि हम किस प्रकार रोजगार सृजन में डेटा विज्ञान क्रांति की क्षमता का दोहन कर सकते हैं। श्री नायडू ने कहा कि डेटा ने व्यापार करने के तरीके को बदल दिया है और हमें अपने युवा स्नातकों को इन नए कौशल-सेटों से लैस करने के लिए अपने पारंपरिक इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम से परे देखना होगा। उन्होंने कहा कि इस तरहहमें उद्योग की वर्तमान मांगों के लिए प्रासंगिक रहना चाहिए।

आईआईटी जैसे राष्ट्रीय संस्थानों द्वारा प्रस्तावित दूरस्थ शिक्षा पाठ्यक्रमों के प्रसार पर अपनी खुशी व्यक्त करते हुए उन्‍होंने कहा कि छात्रों को अधिक संख्या में लाभान्वित करने के लिए क्षेत्रीय भाषाओं में तकनीकी पाठ्यक्रमों की उपलब्‍धता सुनिश्चित की जाए।

विज्ञान की शिक्षा को स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध कराने के महत्व पर जोर देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह छात्रों को विषय को बेहतर ढंग से समझने के साथ-साथ नवाचार में भी मदद करेगा। यह कहते हुए कि किसी भी भाषा को थोपा या विरोध नहीं किया जाना चाहिए, उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि वे अधिक से अधिक भाषाएं सीखें लेकिन मातृभाषा को प्राथमिकता दें।

विषय में गणित और भारत की समृद्ध विरासत के महत्व के बारे में श्री नायडू ने महान भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन द्वारा किए गए अमूल्य योगदान के बारे में चर्चा की। बच्चों के बीच छिपी प्रतिभा का पता लगाने का आह्वान करते हुएउपराष्ट्रपति ने बताया कि बच्चों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है और यह कि प्रतिभा को खोजना और उसका पोषण करना महत्वपूर्ण है।

कोविड-19 के लिए स्वदेशीवैक्सीन बनाने वाले वैज्ञानिकों की प्रशंसा करते हुएश्री नायडू ने इसे भारत के लिए विज्ञान की एक बड़ी उपलब्धि बताई। उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि हमारे वैज्ञानिकों द्वारा किए जा रहे जबरदस्त प्रयासों और युवा शोधकर्ताओं के उत्साह के कारण वह राष्ट्र के भविष्य के बारे में आश्वस्त महसूस करते हैं। उनका विचार था कि सभी अनुसंधान एवं विकास का उद्देश्य लोगों के जीवन की बेहतरी है।

मौजूदा कोविड-19 महामारी की चर्चा करते हुए उपराष्ट्रपति ने प्रकृति का सम्मान करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने आगाह किया कि जलवायु परिवर्तन वास्तविक है और इसके नकारात्मक प्रभाव हमारे जीवन को प्रभावित करेंगे। श्री नायडू ने प्रकृति के साथ सद्भाव से रहने की आवश्यकता पर जोर देते हुए लोगों से योग का अभ्यास करके सुपाच्‍य और पौष्टिक भोजन करके स्वस्थ जीवन शैली अपनाने का आह्वान किया।

श्री नायडू ने युवाओं के बीच मोबाइल फोन के अधिक उपयोग की बढ़ती प्रवृत्ति पर भी चिंता व्यक्त की क्योंकि इससे अनावश्यक भटकाव होता है। उन्होंने यह भी कहा कि छात्रों की समग्र प्रगति और विकास के लिए, स्कूलों को अपने पाठ्यक्रम में योग, बागवानी और सामाजिक कार्य जैसी गतिविधियों को शामिल करने की आवश्यकता है।

इस बात की चर्चा करते हुए कि कई बच्चे गणित से भयभीत हो जाते हैं और विषय को सीखने की संभावना पर भय और चिंता विकसित करते हैं, उन्होंने शिक्षकों से रचनात्मक तरीकों और हाथों पर गतिविधियों के साथ रॉट मेमोराइजेशन की परम्‍परा को आगे बढ़ाने का आग्रह किया, ताकि बच्चों को संख्याओं के साथ दोस्ताना बनाया जा सके।

इस उपलब्धि को प्राप्त करने के क्रम में, उपराष्ट्रपति ने सुझाव दिया कि नई शिक्षा नीति के प्रावधानों को पूरी तरह से लाभ उठाना चाहिए और प्राथमिक शिक्षा में शैक्षणिक परिवर्तन लाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विज्ञान में करियर बनाने के लिए बच्चों को प्रोत्साहित करके एक मजबूत नींव वाले एसटीईएम विषयों को पूरक बनाया जाना चाहिए। उन्होंने एसटीईएम अनुसंधान को मजबूत करने के लिए शैक्षणिक संस्थानों के साथ निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी करने का भी आग्रह किया।

उपराष्ट्रपति ने गुणवत्ता मौलिक अनुसंधान को आगे बढ़ाने में विशेष रूप से भारत-आधारित न्यूट्रिनो ऑब्जर्वेटरी (आईएनओ), मेगा-विज्ञान परियोजना में इसकी भागीदारीके संदर्भ में आईएमएससी के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि यह महत्वाकांक्षी परियोजना वैज्ञानिक अनुसंधान में एक प्रकाश स्‍तंभ के रूप में विश्‍वभर में भारत केदर्जे को ऊंचा उठाएगी।

श्री नायडू ने तमिलनाडु में विज्ञान के आउटरीच कार्यक्रमों के लिए संस्थान की सराहना की और कहा कि लोगों में, विशेषकर बच्चों में वैज्ञानिक सोच को विकसित करनासमय की आवश्यकता है।

इस अवसर परउपराष्ट्रपति ने चेन्नई के पल्लवारम स्थित डीएई नोडल सेंटर में आईएमएससी की नई आवासीय विंग का उद्घाटन भी किया।

तमिलनाडु के उच्च शिक्षा मंत्रीश्री के.पी. अंबलगन, आईएमएससी के निदेशक प्रो. वी.अरविंद, परमाणु ऊर्जा विभागकलपक्कम (आईजीसीएआर) के निदेशक डॉ. अरुण कुमार भादुड़ी,तमिलनाडु के उच्‍च शिक्षा विभाग की प्रधान सचिवश्रीमती सेल्वी अपूर्वा, आईएमएस के कुलसचिव श्री एस. विष्‍णु प्रसाद, छात्र तथा कर्मचारी इस अवसर पर उपस्थि‍त थे।

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