पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय

कम कार्बन उत्सर्जन वाले उपक्रमों में परिवर्तित होने के लिए उद्योगों की स्वैच्छिक भागीदारी महत्वपूर्ण: श्री प्रकाश जावडेकर

Posted On: 01 DEC 2020 5:46PM by PIB Delhi

केन्द्रीय पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और वन मंत्री श्री प्रकाश जावडेकर ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को कम करने की दिशा में सरकारी प्रयासों में आम लोगों और उद्योगों की प्रमुख भूमिका है।

उद्योगों के कम कार्बन उत्सर्जन के लिए प्रोत्साहित करने के वास्ते आयोजित लीडरशिप ग्रुप आफ इंडस्ट्रीज ट्रां​जिशन शिखर सम्मेलन में उच्चस्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए श्री जावडेकर ने कहा कि उद्योग वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में लगभग 30 प्रतिशत का योगदान करते हैं। ऐसे में उद्योगों को कम कार्बन उत्सर्जन के लिए तैयार करना जलवायु परिवर्तन से निबटने के लिए बहुत जरुरी है।

श्री जावड़ेकर ने बताया कि कार्बन उत्सर्जन को देश के शीर्ष उद्योगों द्वारा स्वेच्छा से बिना किसी जोर जबरदस्ती के कम किया गया है और इसके साथ ही नवीकरणीय ऊर्जा के इस्तेमाल को कई कंपनियों द्वारा देश में सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया जा रहा है।

 

पर्यावरण मंत्री ने कहा, "यह आगे का रास्ता तय करने का तरीका है। हमें कार्बन उत्सर्जन में कटौती की दिशा में उद्योगों की स्वैच्छिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने की जरूरत है।"

वित्तीय संसाधनों के मुद्दे पर बोलते हुए श्री जावडेकर ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की समस्या से निबटने के लिए बड़े पैमाने पर आर्थिक संसाधन जुटाए जाने चाहिए और इसके साथ ही प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल भी होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि विकासशील देशों के साथ सस्ती तकनीकों और शोध अध्ययनों को साझा करने की आवश्यकता है ताकि वे पर्यावरण को बचाने की दिशा में काम कर सकें।

श्री जावडेकर ने कहा कि, देशों को यह नहीं भूलना चाहिए कि कोई भी ऐसा कदम जो जलवायु परिवर्तन का कारण बनता है की सबको कीमत चुकानी पड़ती है। अगर हम जलवायु परिवर्तन को आपदा मानते हैं तो किसी को भी इस आपदा से फायदा नहीं उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे लाभ कमाने की कोशिश करना विकासशील देशों के गरीबों पर एक तरह से दोहरा कर लगाने जैसा होगा। यह जलवायु परिर्तन के प्रति न्यायसंगत नहीं होगा।

शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए, स्वीडन की उप प्रधानमंत्री इसाबेल लेविन ने कहा, भारत और स्वीडन को जलवायु परिवर्तन के मुद्दे से निपटने के लिए एक साथ काम करना होगा। उन्होंने कहा, कार्बन उत्सर्जन में कटौती के लिए सबसे बेहतरीन तौर तरीकों और अनुभवों को साझा करने की आवश्यकता है। स्वीडन की उप प्रधानमंत्री ने कार्बन उत्सर्जन से निपटने के लिए वित्तीय संसाधन जुटाने की बात की और कहा कि कि स्वीडन सरकार इस दिशा में काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।

कार्यक्रम का आयोजन लीडरशिप ग्रुप फॉर इंडस्ट्री ट्रांज़िशन (लीडआईटी) द्वारा किया गया था। लीडआईटी का शुभारंभ भारत और स्वीडन द्वारा विश्व आर्थिक मंच के साथ ही 2019 में संयुक्त राष्ट्र महासचिव जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन के मौके पर स्टॉकहोम पर्यावरण संस्थान के समर्थन से किया गया था। वर्तमान में 13 देश और भारत की डालमिया सीमेंट, महिंद्रा समूह और स्पाइसजेट सहित 15 कंपनियां इसके सदस्य हैं जो कम कार्बन उत्सर्जन के प्रति प्रतिबद्ध हैं।

लीडआईटी ने पेरिस समझौते के पांच साल पूरे होने के उपलक्ष्य में उद्योगों को कम कार्बन उत्सर्जन वाले उपक्रमों में बदलने की प्रक्रिया में तेजी लाने के उद्देश्य से वर्चुअल माध्यम से इस शिखर सम्मेलन का आयोजन किया था। इस दौरान उद्योगों को ज्यादा से ज्यादा पर्यावरण अनुकूल बनाने के लिए बाकायदा इसे एक व्यावसायिक रूप देने के लिए  आवश्यक प्रौद्योगिकी अपनाए जाने के मुद्दों पर प्रकाश डाला गया। 

सम्मेलन में विश्व स्तर की कंपनियों जैसे स्कैनिया, एफएलस्मिथ, एलकेएबी, लाफार्जहोलसीम, एसएसएबी, वेटनफॉल के साथ-साथ डालमिया और महिंद्रा समूह जैसी भारतीय कंपनियों के प्रमुखों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम में ब्रिटेन, लक्समबर्ग, यूरोपीय संघ और जर्मनी जैसे देशों के वैश्विक थिंक टैंक और मंत्रियों / प्रतिनिधियों की भागीदारी भी देखी गई।

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