प्रधानमंत्री कार्यालय

पंडित दीनदयाल पेट्रोलियम विश्वविद्यालय के 8 वें दीक्षांत समारोह पर प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ

Posted On: 21 NOV 2020 4:20PM by PIB Delhi

गुजरात के मुख्यमंत्री श्री विजय रुपानी जी,पंडित दीन दयाल पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी बोर्ड ऑफ गवर्नेंस के चेयरमैन श्री मुकेश अंबानी जी, स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन श्री डी राजगोपालन जी, डायरेक्टर जनरल प्रोफेसर एस सुंदर मनोहरन जी, फैकल्टी मेंबर्स, पैरेंट्स और मेरे युवा सभी साथियों!

पंडित दीनदयाल उपाध्याय पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी के 8वें Convocation के अवसर पर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई!जो साथी आज ग्रेजुएट हो रहे हैं,उनको और उनके माता-पिता को भी बहुत-बहुत शुभकामनाएं। आज देश को आप जैसे industry ready ‘graduates मिल रहे हैं। आपको बधाई आपके परिश्रम के लिए,आपने जो इस यूनिवर्सिटी में सीखा है उसके लिए,और शुभकामनाएं,Nation Building के जिस बड़े लक्ष्य को लेकर आज आप यहां से प्रस्‍थान कर रहे हैं उस म‍ंजिल के लिए, नए सफर के लिए।

मुझे विश्वास है कि आप अपनी Skill, अपने Talent, अपने प्रोफेशनलिज्म से आत्मनिर्भर भारत की बड़ी ताकत बनके उभरेंगे। आज PDPU से जुड़े 5 अलग-अलग प्रोजेक्ट्स का भी उद्घाटन और शिलान्यास हुआ है। ये नई सुविधाएं, PDPU को देश के Energy Sector का ही नहीं, बल्कि Professional Education, Skill Development और Start-Up ecosystem का एक अहम सेंटर बनाने वाली हैं।

साथियों,

मैं बहुत शुरुआत काल से इस यूनिवर्सिटी के प्रोजेक्‍ट्स से जुड़ा रहा हूं और इसलिए मुझे ये देखकर बहुत खुशी होती है कि आज PDPU देश ही नहीं बल्कि विश्व में भी अपनी एक जगह बना रहा है, अपनी पहचान दर्ज कर रहा है। मैं आज यहां चीफ गेस्ट के तौर पर नहीं बल्कि आपके इस महान संकल्‍प का जो परिवार है उस परिवार के एक सदस्य के तौर पर आपके बीच आया हूं।

और मुझे ये देखकर बहुत गर्व होता है कि ये यूनिवर्सिटी अपने समय से बहुत आगे चल रही है। एक समय था जब लोग सवाल उठाते थे कि इस तरह की यूनिवर्सिटी कितना आगे बढ़ पाएगी? लेकिन यहां के Students ने, Faculty Members ने, यहां से निकले प्रोफेशनल्स ने, अपने कर्तत्‍व से इन सारे सवालों के जवाब दे दिए हैं।

बीते डेढ़ दशक में PDPU ने 'Petroleum' sector के साथ-साथ पूरे energy spectrum और अन्य क्षेत्रों में भी अपना विस्तार किया है। और PDPU की प्रगति देखते हुए आज मैं गुजरात सरकार को भी अनुरोध करता हूं कि जब मैं इस काम के शुरू में सोच रहा था तब मेरे मन में था कि पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी क्‍योंकि गुजरात पेट्रोलियम क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहता था , लेकिन अब जिस प्रकार से देश और दुनिया की requirement है, जिस प्रकार से इस यूनिवर्सिटी ने अपना रूप लिया है, मैं गुजरात सरकार से आग्रह करूंगा कि कानून में अगर आवश्‍यक हो तो परिवर्तन करके इसको सिर्फ पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी के बजाय, अच्‍छा होगा अब इसको हम एक Energy University के रूप में convert करें उसका नाम। क्‍योंकि उसका रूप-दायरा बहुत विस्‍तार होने वाला है। और आप लोगों ने इतने कम समय में जो कमाया है, जो देश को दिया है, शायद Energy University ये इसका विस्‍तार बहुत बड़ा लाभकर्ता देश को होगा। पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी की कल्‍पना मेरी ही थी और मेरी ही कल्‍पना का विस्‍तार करते हुए मैं पेट्रोलियम की जगह पर पूरे एनर्जी सेक्टर को इसके साथ जोड़ने के लिए आप से आग्रह कर रहा हूं। आप लोग विचार की कीजिए और अगर ठीक लगता है ये मेरा सुझाव तो उस पर देखिए।

यहां स्थापित होने जा रहा 45 मेगावॉट का Solar Panel Manufacturing प्लांट हो या Centre of Excellence on Water Technology, देश के लिए PDPU के Larger Vision को भी ये प्रकट करता है।

साथियों,

आज आप ऐसे समय में इंडस्ट्री में कदम रख रहे हैं, यूनिवर्सिटी से निकल करके इंडस्‍ट्री की तरफ बढ़ रहे हैं, जब pandemic के चलते पूरी दुनिया के Energy sector में भी बड़े बदलाव हो रहे हैं। ऐसे में आज भारत में Energy Sector में Growth की, Enterprise spirit की, Employment की, असीम संभावनाएं हैं। यानी आप सभी सही समय पर, सही सेक्टर में पहुंचे हैं। इस दशक में सिर्फ Oil and gas sector में ही लाखों करोड़ रुपए का निवेश होने वाला है। इसलिए आपके लिए Research से लेकर Manufacturing तक अवसर ही अवसर हैं।

साथियों,

आज देश अपने carbon footprint को 30 से 35 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रहा है। दुनिया के सामने जब ये बात मैं ले करके गया दुनिया को अचरज था क्‍या भारत ये कर सकता है? प्रयास ये है कि इस दशक में अपनी ऊर्जा ज़रूरतों में Natural Gas की हिस्सेदारी को हम 4 गुना तक बढ़ाएंगे। देश की oil refining capacity को भी आने वाले 5 सालों में करीब-करीब दोगुना करने के लिए काम किया जा रहा है। इसमें भी आप सभी के लिए अनेक-अनेक संभावनाएं हैं। देश की Energy Security से जुड़े Startup Ecosystem को मजबूत करने के लिए भी लगातार काम हो रहा है। इस सेक्टर के आप जैसे Students और Professionals के लिए एक विशेष फंड भी बनाया गया है। अगर आपके पास भी कोई आइडिया हो, कोई Product है या कोई Concept है, जिसे आप Incubate करना चाहते हैं तो ये फंड आपके लिए एक बेहतरीन अवसर भी है, एक सरकार की तरफ से तोहफा भी है।

वैसे मुझे ऐहसास है कि आज जब मैं आपसे ये बातें कर रहा हूं तो थोड़ी चिंता भी होगी। आप सोच रहे होंगे कि कोरोना का समय है, पता नहीं कब सब ठीक होगा। और इनमें से आपके मन में जो चिंताएं आती हैं वो स्‍वाभाविक भी हैं। एक ऐसे समय में graduate होना जब पूरी दुनिया इतने बड़े संकट से जूझ रही है, ये कोई आसान बात नहीं है। लेकिन याद रखिए,आपकी ताकत,आपकी क्षमताएँ इन चुनौतियों से कहीं ज्यादा बड़ी हैं। इस विश्‍वास को कभी खोना मत।

Problems क्या हैं, इससे ज्यादा महत्वपूर्ण ये है कि आपका purpose क्या है, आपकी Preferences क्या है और आपका plan क्या है? और इसलिए, ये जरूरी है कि आपके पास एक purpose हो, Preferences तय हो और उसके लिए बहुत ही परफेक्‍ट प्लान भी हो। क्योंकि ऐसा नहीं है कि आप अपने जीवन में पहली बार किसी कठिनाई का सामना कर रहे होंगे। ऐसा भी नहीं कि ये चुनौती भी आखिरी चुनौती होगी। ऐसा नहीं है कि सफल व्यक्तियों के पास समस्याएं नहीं होतीं, लेकिन जो चुनौतियों को स्वीकार करता है,जो चुनौतियों का मुकाबला करता है, जो चुनौतियों को हराता है, समस्याओं का समाधान करता है,आखिर जिंदगी में वो सफल होता है। कोई भी सफल व्‍यक्ति देख लीजिए, हर कोई चुनौतियों से मुकाबला करके ही चल पड़ा है।

साथियों,

अगर आप सौ वर्ष पहले के समय को याद करेंगे, और मैं चाहता हूं कि आज मेरे देश के नौजवान उस कालखंड को याद करें सौ साल पहले के। आज हम 2020 में हैं, सोच लीजिए 1920 में जो आपकी उम्र का था, आप आज 2020 में उस उम्र के हैं। 1920 में जो आपकी उम्र का था उसके सपने क्‍या थे? 1920 में जो आपकी उम्र का था उसका जज्‍बा क्‍या था, उसकी सोच क्‍या थी? जरा सौ साल पुराने इतिहास पर नजर करें। याद करेंगे तो 1920 से शुरू हुआ समय भारत की आजादी के लिए बहुत महत्वपूर्ण रहा।

वैसे तो आजादी की लड़ाई गुलामी के कालखंड में कोई साल ऐसा नहीं कि आजादी की जंग लड़ी न गई हो, 1857 का स्वतंत्रता संग्राम इसका एक टर्निंग प्वाइंट बना लेकिन 1920 से लेकर 1947 का जो समय था, वो बिल्‍कुल ही अलग था। हमें उस दौर में इतना घटनाएं दिखती हैं, देश के हर कोने में, हर क्षेत्र में, हर वर्ग में, यानी पूरे देश का बच्‍चा–बच्‍चा, हर तबके के व्‍यक्ति, गांव हो, शहर हो, पढ़े-लिखे हों, अमीर हो, गरीब हो, हर कोई आजादी के जंग का सिपाही बन गया था। लोग एकजुट हो गए थे। खुद के जीवन के सपनों को लोगों ने आहूत कर दिया था और संकल्‍प लिया था आजादी का। और हमने देखा है 1920 से 1947 तक कि युवा पीढ़ी थी  जिन्‍होंने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया था। आज कई बार हमें तब की युवा पीढ़ी से ईर्ष्या भी होती है। कभी मन में होता होगा काश! मेरा जन्‍म भी 1920 से 1947 के कालखंड में होता, मैं भी देश के लिए भगतसिंह बन कर चल पड़ा होता। याद करेंगे तो होता होगा। लेकिन दोस्‍तों, हमें उस समय देश के लिए मरने का मौका नहीं मिला, आज हमें देश के लिए जीने का मौका मिला है।

उस समय के नौजवान भी अपना सब कुछ देश के लिए अर्पित करके, सिर्फ एक लक्ष्य के लिए काम कर रहे थे और लक्ष्‍य क्‍या था, एक ही लक्ष्‍य था- भारत की आजादी। मां भारती को गुलामी को जंजीरों से मुक्‍त कराना और उसमें कई धाराएं थीं,अलग-अलग विचार के लोग थे, लेकिन सब धाराएं एक दिशा में चल रही थीं और वो दिशा थी मां भारती की आजादी की। चाहे महात्‍मा गांधी का नेतृत्‍व हो, चाहे सुभाष बाबू का नेतृत्‍व हो, चाहे भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू का नेतृत्‍व हो, चाहे वीर सावरकर का नेतृत्‍व हो, हर कोई; धाराएं अलग-अलग होंगी, मार्ग अलग होंगे, रास्‍ते अलग होंगे, लेकिन मंजिल एक थी- मां भारती की आजादी।

कश्मीर से लेकर कालापानी तक, हर काल कोठरी में, हर फांसी के फंदे पर से की एक ही आवाज उठती थी, दीवारें एक ही बात से गूंजती थीं, फांसी की रस्सियां एक ही नारे से सुशोभित होती थीं, और वो नारा होता था, वो संकल्‍प होता था, वो जीवन की श्रृद्धा होती थी- मां भारती की आजादी।

मेरे नौजवान साथियों,

आज हम उस दौर में नहीं हैं लेकिन आज भी मातृभूमि की सेवा का अवसर वैसा ही है। अगर उस समय नौजवानों ने अपनी जवानी आजादी के लिए खपाई तो हम आत्मनिर्भर भारत के लिए जीना सीख सकते हैं, जी करके दिखा सकते हैं। आज हमें आत्मनिर्भर भारत के लिए खुद ही एक आंदोलन बन जाता है, एक आंदोलन का सिपाही बनना है, एक आंदोलन का नेतृत्‍व करना है। आज हमें आत्मनिर्भर भारत के लिए हर हिन्‍दुस्‍तानी को, खास करके मेरे नौजवान साथियो, आपसे मेरी अपेक्षा है, हमें अपने-आपको खपाना है।

आज का भारत, परिवर्तन के एक बड़े दौर से गुजर रहा है। आपके पास वर्तमान के साथ ही भविष्य के भारत का निर्माण करने की भी बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। आप सोचिए, कैसे Golden period मैं हैं आप। शायद आपने भी नहीं सोचा होगा भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष 2022 में हो रहे हैं और भारत की आजादी के 100 साल 2047 में हो रहे हैं, मतलब कि ये 25 साल आपके जीवन के सबसे महत्वपूर्ण साल हैं। देश के 25 महत्वपूर्ण साल और आपके महत्वपूर्ण 25 वर्ष एक साथ हैं, in tune हैं। ऐसा सौभाग्‍य शायद ही किसी को‍ मिलेगा जो आपको मिला है।

आप देखिए जीवन में वही लोग सफल होते है, वही लोग कुछ कर दिखाते है जिनके जीवन में Sense of Responsibility का भाव होता है। सफलता की सबसे बड़ी शुरूआत, उसकी पूंजी Sense of Responsibility होती है। और कभी बारीकी से आप देखोगे जो विफल वो होते है उनके जीवन की तरफ देखोगे, आपके दोस्‍तों की तरफ देखोगे, तो उसका कारण होगा, उनके मन में हमेशा Sense of Responsibility के बजाय Sense of Burden इसके बोझ के नीचे दबे हुए हैं। 

देखिए दोस्‍तों, Sense of Responsibility का भाव व्यक्ति के जीवन में Sense of Opportunity को भी जन्म देता है। उसको रास्ते में रुकावटें कभी नहीं बल्कि अवसर ही अवसर दिखते है। Sense of Responsibility व्यक्ति के Purpose of life के साथ tuned हो, उनके बीच में contradiction नहीं होना चाहिए। उनके बीच में संघर्ष नही होना चाहिए। Sense of Responsibility और Purpose of life दो ऐसी पटरियाँ है जिन पर आपके संकल्पों की गाड़ी बहुत तेज़ी से दौड़ सकती है।

मेरा आपसे आग्रह है कि अपने भीतर एक Sense of Responsibility को जरूर बनाए रखिएगा। ये Sense of Responsibility, देश के लिए हो, देश की जरूरतों को पूरा करने के लिए हो। आज देश अनेक सेक्टर्स में तेजी के साथ आगे बढ़ रहा है।

साथियों,

इच्छाओं के अंबार से, संकल्प की शक्ति अपरंपार होती है। करने को बहुत कुछ है, देश के लिए पाने को बहुत कुछ है,पर आपका संकल्प,आपके लक्ष्य, Fragmented नहीं होने चाहिए, टुकड़ों में बिखरे पड़े नहीं होने चाहिए। आप कमिटमेंट के साथ आगे बढ़ेंगे, आप खुद में Energy का एक विशाल भंडार भी महसूस करेंगे। आपके भीतर का जो Energy का Pool है, वो आपको दौड़ाएगा, नए-नए Ideas देगा, नई ऊंचाई पर पहुंचाएगा। और एक बात को आपको ध्यान में रखना चाहिए, आज हम जो भी हैं, जहां भी पहुंचे हैं थोड़ा मन को पूछिएगा क्‍या इसलिए आप पहुंचे हैं कि आप अच्‍छे मार्क्‍स ले आए थे, क्‍या इसलिए पहुंचे हैं कि आपके मां-बाप के पास पैसे बहुत थे, क्‍या इसलिए पहुंचे हैं कि आपके पास प्रतिभा थी। ठीक है, इन सारी बातों का योगदान होगा, लेकिन अगर ये सोच है, तो उसकी ये सोच बहुत अधूरी है। आज हम जहां भी हैं, जो भी हैं, हमसे ज्‍यादा हमारे अगल-बगल के लोगों का योगदान है, समाज का योगदान है, देश का योगदान है, देश के गरीब से गरीब का योगदान है, तब जाकर मैं आज यहां पहुंचा हूं। कभी-कभी हमें इसका एहसास ही नहीं होता है।

आज भी जिस यूनिवर्सिटी में हैं, उसे बनाने में कितने ही मजदूरों भाई-बहनों ने अपना पसीना बहाया है, कितने ही मध्‍यमवर्गीय परिवारों ने अपना टैक्‍स दिया होगा, तब जा करके ये यूनिवर्सिटी बनी होगी, इस यूनिवर्सिटी में आपकी पढ़ाई होगी, ऐसे कई लोग होंगे जिनके नाम आपको पता भी नहीं होंगे लेकिन उनका भी आपकी जिंदगी में कुछ न कुछ योगदान है। हमें हमेशा ये ऐहसास होना चाहिए कि हम उन लोगों के भी ऋणी हैं, हम पर उनका भी कर्ज है। हमें समाज ने, देश ने यहां तक पहुंचाया है। इसलिए हमें भी संकल्प लेना होगा कि हम भी, देश का जो ऋण मुझ पर है उस ऋण को मैं उतारूंगा, मैं उसे समाज को वापस करूंगा।

साथियों, मानव जीवन के लिए गति और प्रगति अनिवार्य है। साथ-साथ हमें भावी पीढ़ी के लिए प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा करना भी उतना ही आवश्यक है। जैसे Clean Energy उज्ज्वल भविष्य की आशा है, वैसे ही जीवन में भी दो बातें जरूरी हैं- एक clean slate और और दूसरा clean heart.हम अक्सर सुनते हैं, आप भी बोलते होंगे, आप भी सुनते होंगे, छोड़ो यार,ये तो ऐसा ही है, छोड़ो यार कुछ नहीं होगा, अरे यार अपना क्‍या है चलो एडजस्‍ट कर लो, चलो, चलते चलो। नहीं हो पाएगा। कई बार लोग बोलते हैं कि देश में ये सब ऐसे ही चलेगा, हमारे यहां तो ऐसे ही होता रहा है, अरे भाई ये ही तो अपनी परम्‍परा है, ऐसे ही होना है।

साथियों,

ये सारी बातें हारे हुए मन की बातें हैं, ये टूटे हुए मन की बातें होती हैं, एक प्रकार से जिसको जंग लग गया ऐसे मस्तिष्‍क की बातें हैं। ये सारी बातें कुछ लोगों के मन-मस्तिष्क में चिपक जाती हैं, वो इसी अप्रोच के साथ हर काम करते हैं। लेकिन आज की जो पीढ़ी है, 21वीं सदी का जो युवा है, उसको एक Clean Slate के साथ आगे बढ़ना होगा। कुछ लोगों के मन में ये जो पत्थर की लकीर बनी हुई है, कि कुछ बदलेगा नहीं, उस लकीर को Clean करना होगा। उसी प्रकार से clean heart, इसका अर्थ मुझे नहीं समझाना पड़ेगा। clean heart का मतलब ये है साफ नीयत।

साथियों,

जब आप Pre-conceived notions के साथ आगे बढ़ते हैं, तो किसी भी नई चीज के लिए दरवाजे आप खुद ही बंद कर देते हैं।

साथियों,

अभी से बीस साल पहले का समय था जब मैं पहली बार गुजरात का मुख्यमंत्री बना था। अनेक चुनौतियां थीं, अनेक स्तर पर काम हो रहा था। अब मैं नया-नया मुख्‍यमंत्री बना, मैं पहले दिल्‍ली में रहता था, अचानक गुजरात आना पड़ा, मेरे पास रहने की लिए तो कोई जगह नहीं थी तो गांधी नगर के सर्किट हाउस में मैंने कमरा बुक कर लिया, अभी शपथ होना बाकी था। लेकिन तय हो चुका था मैं मुख्‍यमंत्री बनने जा रहा हूं। तो स्‍वाभाविक है लोग गुलदस्‍ते ले करके आज जाते हैं, मिल जाते हैं। उसी दौर में जब लोग मेरे पास मिलने के लिए आते । लेकिन जो भी आते थे वो बातचीत में अक्‍सर मुझे कहते थे‍ कि मोदी जी आप मुख्‍यमंत्री बन रहे हैं एक काम जरूर कीजिए। करीब-करीब 70-80 प्रतिशत लोग यही कहते थे, आपको भी सुन करके आश्‍चर्य होगा। वो कहते थे कि मोदीजी कुछ भी कीजिए, कम से कम शाम को खाना खाते समय बिजली मिले, इतना तो करिए। इससे आप सोच सकते हैं कि बिजली की क्‍या हालत थी उस समय।

अब मैं भी जिस तरह के परिवार से आता हूं, मुझे भी ये बात अच्छी तरह पता थी कि बिजली का होना और न होना कितना महत्‍व रखता है। मैंने सोचा कि इसका Permanent Solution क्या है? अब मैं अफसरों से बात कर रहा था, चर्चाएं कर रहा था लेकिन वो ही, अरे भई ये तो ऐसे ही रहेगा। हमारे पास बिजली जितनी है, उसमें हम ऐसा ही कर सकते हैं। जब ज्‍यादा बिजली पैदा करेंगे तब देखेंगे, यही जवाब आते थे। मैंने कहा भाई Given situation में कोई solution है क्‍या? अब ईश्‍वर की कृपा से एक विचार मन में आया स्थितियों को देखते हुए। मैंने कहा भाई एक काम कर सकते हैं क्‍या? जो Agriculture Feeder हैं और जो Domestic Feeder हैं क्‍या हम दोनों को अलग कर सकते हैं क्‍या? क्‍योंकि लोग एक ऐसी हवा बनाकर बैठे थे कि साहब खेती में बिजली की चोरी होती है, ये होता है, वो होता है, भांति-भांति की बातें मैं सुनता था। अब मैं वैसे नया था तो मुझे हर बात समझाने में दिक्‍कत भी रहती थी थोड़ी क्‍योंकि ये बड़े-बड़े बाबू लोग बात समझेंगे कि नहीं समझेंगे।

मेरी इस बात से Officers सहमत नहीं हुए। क्‍योंकि Pre-conceived notions थे, ये नहीं हो सकता। किसी ने कहा ये संभव ही नहीं है। किसी ने कहा आर्थिक स्थिति नहीं है, किसी ने कहा बिजली नहीं है। आप हैरान हो जाएंगे इसके लिए जो फाइलें चलीं, वो फाइलों का मुझे लगता है वजन भी 5-7-10 किलो तक शायद पहुंच गया होगा। और हर बार, हर ऑप्‍शन नेगेटिव होता था।

अब मैं लगा रहा था कि कुछ करना है मुझे। इसके बाद मैंने एक Second Option पर काम करना शुरू किया। मैंने उत्‍तर गुजरात में एक सोसायटी से,जिनके साथ 45 गांव जुड़े थे, उनको बुलाया। मैंने कहा, मेरा एक सपना है क्‍या आप कर सकते हैं क्‍या? उन्‍होंने कहा हमें सोचने दीजिए । मैंने कहा इंजीनियरिंग वगैरह की मदद लीजिए। मेरी इतनी इच्‍छा है कि गांव में जो बिजली जाती है, वहां मैं Domestic और Agriculture में Feeder अलग करना चाहता हूं। वो दोबारा आए, उन्‍होंने कहा साहब हमें कोई मदद की जरूरत नहीं। हमें 10 करोड़ रुपए इस पर खर्च करने की गुजरात सरकार हमें मंजूरी दे दे। मैंने कहा ये मेरी जिम्‍मेदारी। हमने permission दी।

उन्‍होंने ये काम शुरू किया। मैंने इंजीनियरों को जरा आग्रह सा किया कि जरा करिए इस काम को। और उन 45 गांवों में Domestic Feeder और Agriculture Feeder को अलग कर दिया। इसका नतीजा ये हुआ कि खेती में जितना समय बिजली देनी थी देते थे, वो अलग टाइम था, घरों में 24 घंटे बिजली पहुंचने लगी। और फिर मैंने एजुकेशन यूनिवर्सिटियों की मदद से नौजवानों को भेजकर उसका जरा third party assessment करवाया। आप हैरान हो जाएंगे जिस गुजरात में रात को खाने के समय बिजली मिलना भी मुश्किल था, 24 घंटे बिजली मिलने के साथ एक इकोनॉमी शुरू हुई। टेलर भी अपनी सिलाई मशीन को पैर से नहीं इलेक्ट्रिक मशीन से चलाने लगा। धोबी भी इलेक्ट्रिक प्रेस से काम करने लगा। किचन में भी बहुत सारी इलेक्ट्रिक चीजें आने लग गईं। लोग AC खरीदने लगे, पंखा खरीदने लगे, टीवी खरीदने लगे। एक तरह से पूरा जीवन बदलना शुरू हो गया। सरकार की इनकम में भी बढ़ोतरी हुई।

इस प्रयोग ने हमोर सभी उस समय के अफसरों के दिमाग को बदला। आखिरकार निर्णय हुआ कि रास्‍ता सही है। और पूरे गुजरात में एक हजार दिन का कार्यक्रम बनाया। एक हजार दिन में Agriculture Feeder और Domestic Feeder को अलग किए जाएंगे। और एक हजार दिन के भीतर-भीतर सारे गुजरात में 24 घंटे घरों में बिजली पहुंचना संभव हुआ। अगर मैंने वो Pre-conceived notions को पकड़ा होता तो ये नहीं होता,clean-slate था मैं। नए सिरे से मैं सोचता था और उसी का परिणाम हुआ।

साथियो,एक बात मानकर चलिए Restrictions don't matter, your response matters.मैं आपको एक और उदाहरण देता हूं। गुजरात पहला राज्य था जिसने अपने स्तर पर सोलर पॉलिसी बनाई थी। तब ये बात आई थी कि सोलर बिजली की कीमत प्रति यूनिट 12-13 रुपए तक आएगी। ये कीमत उस समय के हिसाब से बहुत ज्यादा थी क्‍योंकि थर्मल की जो बिजली थी वो दो, ढाई, तीन रूपये तक मिल जाती थी। वो ही बिजली अब 13 रुपये, अब आप जानते हैं आजकल जिस प्रकार से हो-हल्‍ला करने का फैशन है, हर चीज में नुक्‍स निकालने का फैशन है, उस समय तो और मेरे लिए तो बड़ी परेशानियां रहती थीं। अब मेरे सामने विषय आया। कि साहब ये तो बहुत बड़ा तूफान खड़ा हो जाएगा। हां 2-3 रुपये वाली बिजली और कहां 12-13 रुपये वाली बिजली।

लेकिन साथियो, मेरे सामने एक ऐसा पल था कि मुझे मेरी प्रतिष्‍ठा की चिंता करनी है कि मेरी भावी पीढ़ी की चिंता करनी है। मुझे मालूम था कि इस प्रकार के निर्णय की मीडिया में बहुत बुराई होगी। भांति-भांति के करप्‍शन के आरोप लगेंगे, बहुत कुछ होगा। लेकिन मैं clean-heart था। मैं Genuinely मानता था हमें कुछ न कुछ तो लाइफ स्‍टाइल बदलने के लिए करना पड़ेगा।

आखिरकार हमने फैसला लिया। सोलार एनर्जी की तरफ जाने का फैसला लिया। और हमने ईमानदारी के साथ ये निर्णय किया। उज्‍ज्‍वल भविष्‍य के लिए किया, एक विजन के साथ किया।

गुजरात में सोलार पलांट की शुरूआत हुई, बहुत बड़ी मात्रा में हुई। लेकिन उसी समय जब गुजरात ने पॉलिसी बनाई, तो भारत सरकार ने भी फुलस्‍टॉप कौमा के साथ वो ही पॉलिसी उस समय बनाई। लेकिन उन्‍होंने क्‍या किया, उन्‍होंने 18-19 रुपए दाम तय किया। अब हमारे अफसर आए, बोले साहब हम 12-13 देंगे, ये 18-19 देंगे तो हमारे यहां कौन आएगा। मैंने कहा बिल्‍कुल नहीं, मैं 12-13 पर ही टिका रहूंगा, 18-19 मैं देने को तैयार नहीं हूं, लेकिन हम डेवलपमेंट के लिए एक ऐसा eco-system देंगे, transparency देंगे, speed करेंगे। दुनिया हमारे यहां आएगी, एक अच्‍छे गवर्नेंस के मॉडल के साथ आगे बढ़ेंगे और आज देख रहे हैं आप कि गुजरात ने जो सोलार का initiative लिया आज गुजरात solar power generation में कहां पहुंचा है, वो आपके सामने साक्षी है। और आज स्‍वयं यूनिवर्सिटी इस काम को आगे बढ़ाने के लिए आगे आई है।  

जो 12-13 रुपए से शुरू हुआ था वो पूरे देश में Solar movement बन गया। और यहां आने के बाद तो मैंने International Solar Alliance, एक ऐसी संस्‍था का निर्माण किया है जिसमें दुनिया के करीब 80-85 देश उसके मेम्‍बर बन गए हैं और पूरी दुनिया में movement का कारण बन गए हैं। लेकिन एक लेकिन ये conviction clean heart के साथ करनी चाहिए उसका ये परिणाम है कि आज हिंदुस्‍तान सोलार के अंदर बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। आज प्रति यूनिट कीमत 12-13 से कम हो करके दो रुपए से भी कम पहुंच गई है।

देश की भी एक प्रमुख प्राथमिकता सोलर पावर बन गया है। और हमने 2022 तक 175 गिगा वाट renewable energy के लिए संकल्‍प किया हुआ है और मुझे विश्‍वास है कि हम 2022 से पहले इसको पूरा कर लेंगे। और 2030 तक renewable energy का हमारा लक्ष्‍य है 450 गिगा वाट, बहुत बड़ा लक्ष्‍य है। ये भी समय से पहले पूरा होगा, ये मेरा विश्‍वास है।

There is no such thing as cannot happen. There is either -I will make it happen’ or I will not make it happen. ये विश्वास आपको हमेशा काम आएगा।

साथियों,

बदलाव चाहे खुद में करना हो या दुनिया में करना हो, बदलाव कभी एक दिन,एक हफ्ते या एक साल में नहीं होता। बदलाव के लिए थोड़ा ही प्रयास लेकिन थोड़ा-थोड़ा निरंतर प्रयास sustain हमें हर दिन लगातार करना पड़ता है। नियमित होकर किए गए छोटे-छोटे काम, बहुत बड़े बदलाव लाते हैं। अब जैसे कि आप अगर हर दिन कम कम से 20 मिनट कुछ नया पढ़ने या लिखने की आदत डाल सकते हैं। इसी तरह आप ये भी सोच सकते हैं कि क्यों न हर दिन 20 मिनट कुछ नया सीखने के लिए dedicate किए जाएँ!

एक दिन में अगर आप देखेंगे तो ये केवल 20 मिनट्स की ही बात होगी। लेकिन यही बीस मिनट एक साल में 120 घंटों के बराबर हो जाएंगे। ये 120 घंटों का प्रयास आपके भीतर कितना बड़ा बदलाव कर देगा, ये महसूस करके आप खुद भी हैरान हो जाएंगे।

साथियों,

आपने क्रिकेट में भी देखा होगा। जब किसी टीम को बहुत बड़ा टार्गेट चेज़ करना होता है तो वो ये नहीं सोचती कि उसे टोटल कितने रन बनाने हैं। बैट्समैन ये सोचते हैं कि उसे हर ओवर में कितने रन बनाने चाहिए।

यही मंत्र financial planning में भी बहुत लोग लेकर चलते हैं। हर महीने पाँच हजार रुपए जमा करते हैं, और दो साल में एक लाख से ज्यादा रुपए इकट्ठा हो जाते हैं। इस तरह के सतत प्रयास, sustained efforts आपके अंदर वो capabilities build कर देते हैं जिसका असर short term में तो नहीं दिखता, लेकिन long run में ये बहुत बड़ी आपकी अमानत बन जाता है, बहुत बड़ी आपकी शक्ति बन जाता है।

राष्ट्रीय स्तर पर जब देश भी ऐसे ही sustained efforts के साथ चलता है तो उसके भी ऐसे ही परिणाम आते हैं। उदाहरण के तौर पर स्वच्छ भारत अभियान को ही लीजिये। हम सफाई के बारे में केवल गांधी जयंती पर, केवल October में ही नहीं सोचते हैं, बल्कि हम हर दिन इसके लिए प्रयास करते हैं। मैंने भी 2014 से 2019 के बीच लगभग मन की बात के हर कार्यक्रम में सफाई को लेकर लगातार देशवासियों से बात की है, चर्चा की है, उनसे आग्रह भी किया है। हर बार अलग अलग मुद्दों पर बात थोड़ी थोड़ी बात होती रही। लेकिन लाखों-करोड़ों लोगों के छोटे-छोटे प्रयासों से स्वच्छ भारत एक जनआंदोलन बन गया। Sustained efforts का यही प्रभाव होता है। ऐसे ही परिणाम आते हैं।

साथियों,

21वीं सदी में दुनिया की आशाएं और अपेक्षाएं भारत से हैं और भारत की आशा और अपेक्षा आपके साथ जुड़ी हैं। हमें तेज गति से चलना ही होगा, आगे बढ़ना ही होगा। पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी ने अंत्योदय का विजन दिया, Nation First के जिन सिद्धांतों को लेकर वो चले, हमें मिलकर उन्हें और मजबूत करना है। हमारा हर काम, राष्ट्र के नाम हो, इसी भावना के साथ हमें आगे बढ़ना है।

एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई और उज्जवल भविष्य के लिए अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद !!

 

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DS/AJ/NS/AK



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