सूक्ष्‍म, लघु एवं मध्‍यम उद्यम मंत्रालय

केंद्रीय सूक्ष्‍म, लघु एवं मध्‍यम उद्योग मंत्रालय ने इंडिया इंक के प्रयासों के श्रेष्‍ठ नतीजों के मद्देनजर उससे पुरजोर आग्रह किया है कि वह सूक्ष्‍म, लघु एवं मध्‍यम उद्योगों को उसके देय धन का भुगतान करें : 2800 से ज्‍यादा निगमों को इन उद्योगों के बकाए का भुगतान करने के लिए पत्र भेजा  


सूक्ष्‍म, लघु एवं मध्‍यम उद्योग मंत्रालय द्वारा केंद्रीय मंत्रालयों सीपीएसई एवं राज्‍य सरकारों से की गहन बातचीत और देश के 500 शीर्ष निगमों से किए प्रत्‍यक्ष संवाद के चलते बहुत ही अच्‍छे परिणाम सामने आए

सितंबर 2020 में सीपीएसई की तरफ से सूक्ष्‍म, लघु एवं मध्‍यम उद्योगों को 37,00 करोड़ रूपये अदा किए गए : एक महीने का यह सर्वोच्‍च है, इस तरह पिछले पांच महीनों में अब तक कुल 13,400 करोड़ रूपये का भुगतान किया गया

Posted On: 19 OCT 2020 9:56AM by PIB Delhi

केंद्रीय सूक्ष्‍म, लघु एवं मध्‍यम उद्योग (एमएसएमई) मंत्रालय ने इंडिया इंक के प्रयासों के श्रेष्‍ठ नतीजों के मद्देनजर उससे आग्रह किया है कि वह सूक्ष्‍म, लघु एवं मध्‍यम उद्योगों को उसके द्वारा दिए उत्‍पादों और सेवाओं के लिए धन का भुगतान करें।

सूक्ष्‍म, लघु एवं मध्‍यम उद्योग मंत्रालय ने 2800 से ज्‍यादा निगमों के शीर्ष अधिकारियों को नि‍जी तौर पर पत्र भेजकर उनसे इन उद्योगों के बकाए का भुगतान करने के लिए कहा।

पिछले महीने एमएसएमई मंत्रालय ने भारत के शीर्ष 500 निगमों को एमएसएमई के बकाए के भुगतान के लिए पत्र भेजा। मंत्रालय ने कहा कि इन निगमों से बहुत अच्‍छी प्रतिक्रिया प्राप्‍त हुई है। पिछले 5 महीनों में  एमएसएमई को सर्वाधिक भुगतान सितंबर 2020 में मिला है। सिर्फ यही नहीं इस अवधि में सितंबर महीने तक खरीद और कारोबार भी सर्वाधिक हुआ। एमएसएमई मंत्रालय ने बताया कि पिछले सिर्फ 5 महीनों में केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्रों के उपक्रमों (सीपीएसई) ने ही 13,400 करोड़ रूपये से ज्‍यादा का भुगतान किया। इसमें से 3700 करोड़ रूपये की राशि का भुगतान मात्र सितंबर महीने में किया गया। मंत्रालय ने इसके लिए देश के निगमित क्षेत्र की प्रशंसा की।

एमएसएमई मंत्रालय ने अपनी तरफ से इन उद्योगों को विभिन्‍न खरीददारों के बकाए का भुगतान कराने के उद्देश्‍य से अथक प्रयास किए, जिसमें व्‍यक्तिगत पहल और डिजिटल संवाद स्‍थापित करना शामिल है।

देश के व्‍यापक निगमित समुदाय के लिए अपने ताजा संदेश में एमएसएमई मंत्रालय ने इस तरह का भुगतान इस समय किए जाने के महत्‍व को रेखांकित किया और कहा कि यह लघु उद्योगों को आगामी त्‍यौहारी सत्र के दौरान व्‍यावसायिक अवसरों का लाभ उठाने में मदद करेगा। वास्‍तव में, कुछ एमएसएमई पूरे साल के अपने सतत विकास के लिए ऐसे समय की प्रतीक्षा करते हैं। अत: इस मौके पर, समय पर की गई अदायगी, न सिर्फ इन उद्योगों और उन पर निर्भर अन्‍य उद्योगों को मदद करेगी बल्कि, वह इनमें से कई को पूरे साल अपने कामकाज को बरकरार रखने में भी मदद करेगी। इसलिए मंत्रालय ने निगमों से आग्रह किया है कि वे इस पर विचार करें और जल्‍द से जल्‍द, हो सके तो इसी महीने उनका भुगतान करें।

इसके अतिरिक्‍त केंद्रीय एमएसएमई मंत्रालय ने एमएसएमई को भुगतान के संदर्भ में बहुत से महत्‍वपूर्ण प्रशासनिक, कानूनी और फिनटैक आधारित प्रावधानों की ओर भी कॉरपोरेट इंडिया का ध्‍यान आकर्षित किया है:

 

·        यह आदर्श स्थिति होगी कि भुगतान निर्धारित अवधि में किया जाए। हालांकि इसकी गैर मौजूदगी में एमएसएमई के नकद प्रवाह की समस्‍या समाधान के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने ट्रेड्स नाम से एक बिल डिस्‍काउंटिंग तंत्र तैयार किया है। ऐसे सभी सीपीएसई और कंपनियां जिनका कुल कारोबार 500 करोड़ रूपये से अधिक है, उन्‍हें अनिवार्य रूप से इस प्‍लेटफॉर्म में शामिल होना होगा। हालांकि अभी बहुत सी कंपनियां इसमें शामिल नहीं हुई हैं या उन्‍होंने इसके जरिए भुगतान शुरू नहीं किया है। निगमों से आग्रह किया गया है कि वह इस बात की जांच कर लें कि उनके ग्रुप या कंपनी ने ट्रेड्स प्‍लेटफॉर्म में शिरकत करना शुरू कर दिया है और वे इसके जरिए भुगतान कर रहे हैं या नहीं।

 

·        मंत्रालय ने निगमों को एमएसएमई विकास कानून 2006 के कानूनी प्रावधानों के बारे में भी याद दिलाया है। कानून में यह तय किया गया है कि एमएसएमई को 45 दिनों के अंदर ही भुगतान किया जाए। इसी के अनुरूप नियमों के तहत निगमित उद्योगों को निगमित कार्य मंत्रालय में एक अर्द्धवार्षिक रिटर्न भी जमा करना होगा, जिसमें एमएसएमई के बकाए के बारे में जानकारी होगी। बहुत से मामलों में अभी तक यह भी नहीं किया गया है। मंत्रालय ने निगमों से आग्रह किया है कि वे इस ओर ध्‍यान दें और जरूरी कारवाई करें।

 

मंत्रालय ने इस बात को दोहराया कि सरकार चाहती है कि एमएसएमई को उनका देय भुगतान समय पर किया जाए, उसने इस संदर्भ में आत्‍मनिर्भर भारत पैकेज के तहत की गई घोषणा की ओर भी उनका ध्‍यान आकर्षित किया। मंत्रालय का मत है कि इस समय एमएसएमई को किया गया भुगतान लाखों घरों और करोड़ों चेहरों पर मुस्‍कान लाने में बहुत मददगार साबित हो सकता है।

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