संस्‍कृति मंत्रालय

संस्कृति मंत्रालय ने केंद्र प्रायोजित कला संस्कृति विकास योजना (केएसवीवाई) के विभिन्न घटकों के तहत  आभासी / ऑनलाइन मोड में सांस्कृतिक कार्यक्रम / गतिविधियाँ आयोजित करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए


ये दिशा-निर्देश कलाकारों को वर्चुअल मोड में भी इन योजनाओं के तहत लाभ प्राप्त करने में सक्षम बनाएंगे और वर्तमान संकट से निपटने के लिए वित्तीय सहायता सुनिश्चित करेगें

Posted On: 16 OCT 2020 11:25AM by PIB Delhi

कोविड के प्रकोप का मंचन कलाओं और सांस्कृतिक क्षेत्र पर व्यापक प्रभाव पड़ा है जिसके कारण इनसे जुड़े कई कार्यक्रम या तो रद्द करने पड़े या उन्हें स्थगित करना पड़ा। मौजूदा स्थितियों में कलाकारों और निष्पादन कलाओं को डिजिटल प्लेटफॉर्मों के माध्यम से प्रस्तुति देने के लिए वैकल्पिक या अतिरिक्त अवसर प्रदान करने के लिए संस्कृति मंत्रालय के संस्थानों द्वारा गहन प्रयास किए गए जाते रहे हैं। संस्कृति मंत्रालय (प्रदर्शन कला ब्यूरो) ने अपनी कला संस्कृति विकास योजना (केएसवीवाई) के तहत कई योजनाओं शुरु कर रखी हैं जिनके तहत ऐसे कार्यक्रम / गतिविधियाँ आयोजित करने के लिए अनुदान स्वीकृत किए जाते हैं, जिसमें बड़ी संख्या में दर्शक शामिल होते हैं।

सीमित संख्या में दर्शकों वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने की जहां हाल ही में अनुमति दी गई है वहीं मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए संस्कृति मंत्रालय ने उन कलाकारों / संगठनों को वर्चुअल तरीके से अपनी प्रस्तुतियां देने के लिए दिशानिर्देश भी जारी किए हैं जिनके लिए पहले से ही कला संस्कृति विकास योजना के विभिन्न घटकों के तहत अनुदान मंजूर किया जा चुका है। नए दिशा निर्देशों के अनुसार ऐसे कलाकार और संगठन पहले की तरह भौतिक तरीके से कार्यक्रमों का मंचन करने में सक्षम न होने के बावजूद योजना के तहत मिलने वाले लाभ प्राप्त कर सकेंगे जिससे वर्तमान संकट से निबटने के लिए उन्हें निरंतर वित्तीय मदद मिलती रहेगी।

 

1. नई व्यवस्था के तहत पहले से ही अनुदान प्राप्त कर चुके कलाकारों / संगठनों को योजनाओं के विभिन्न घटकों के तहत कला और शिल्प पर फेसबुक और यूट्यूब आदि जैसे सोशल ​मीडिया के माध्यमों के जरिए वर्चुअल कार्यशालाएं आयोजित करने, व्याख्यान-सह-प्रदर्शन, वेबिनार, ऑनलाइन कार्यक्रम / त्यौहार आदि मनाए जाने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। नयी व्यवस्था का योजनावार विवरण अनुलग्नक में दिया गया है।

2. योजना का लाभ लेने के लिए इसके तहत समाहित गतिविधियों से संबंधित दस्तावेजों की हार्ड कॉपी प्रस्तुत करने की जरुरत को फिलहाल निलंबित रखा गया है और अनुदान की मंजूरी के लिए साफ्ट कॉपी स्वीकार की जा रही है।

3. जो संगठन वर्चुअल तरीके से कार्यक्रमों का आयोजन कर रहे हैं वह अगर कार्यक्रम के विवरण से संबधित वीडियो लिंक / रिकॉर्डिंग प्रस्तुत कर देते हैं तो उन्हें इनके प्रमाण के तौर पर कार्यक्रम के बारे में समाचार-पत्रों में छपी खबरों की कतरन जमा करने से छूट मिल सकती है। विवरण में डिजिटल माध्यम से ऐसे कार्यक्रम की पहुंच कितने दर्शकों तक हुई इसका उल्लेख भी करना जरुरी है।

4. यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट में खर्च का जो ब्यौरा दिया गया है वह वर्चुअल प्लेटफॉर्म के माध्यम से आयोजित कार्यक्रम के संदर्भ में तर्कसंगत ठहराया जाना चाहिए।

5. जनरल वित्तीय नियम जीएफआर के प्रावधानों के अनुसार:

(i) यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट को जीएफआर 12- ए प्रोफार्मा में जमा किया जाना चाहिए।

(ii) जिस वर्ष के लिए सर्टिफिकेट जमा किया जा रहा है उस वर्ष में प्रदर्शन के निर्धारित लक्ष्य और उन्हें हासिल किए जाने के लिए हुए खर्च का पूरा ब्यौरा जीएफआर 12-ए प्रोफार्मा के अनुलग्नक- I में संलग्न किया जाना चाहिए।

(iii) जीआईए के माध्यम से एक ही मंत्रालय अन्य मंत्रालयों से अनुदान प्राप्त करने वाले संगठनों / एजेंसी द्वारा निष्पादित विभिन्न योजनाओं परिणामों और विवरणों को जीएफआर 12-ए प्रोफार्मा के अनुलग्नक II प्रारुप के अनुसार दिया जाना होगा।

 

अनुलग्नक

(1.) रिपर्टरी ग्रांट: रिपर्टरी ग्रांट के तहत, कलाकारों का उनके संबंधित प्रशिक्षकों द्वारा प्रशिक्षण और सांस्कृतिक गतिविधियों का प्रदर्शन ऑनलाइन आयोजित किया जा सकता है। उपयोगिता प्रमाण पत्र (यूसी) प्रयोजन के लिए हॉल, पोशाक, प्रकाश, डिजाइन, कलाकारों की पारिश्रमिक की रसीदें रेपर्टरी ग्रांट से संबंधित अनुदान जारी करने के लिए स्वीकार की जाएंगी।

(2.) राष्ट्रीय उपस्थिति: राष्ट्रीय उपस्थिति के तहत, कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम / त्योहार / सेमिनार आदि ऑनलाइन आयोजित किए जा सकते हैं। उपयोगिता प्रमाण पत्र (यूसी) के उद्देश्य के लिए हॉल, थिएटर, कलाकारों को पारिश्रमिक, उपकरणों की खरीद आदि के लिए किराए की रसीदें, योजनाओं के घटकों को संचालित करने से संबंधित विभिन्न अन्य गतिविधियों के प्रदर्शन के लिए किए गए व्यय को योजना के दिशानिर्देशों के तहत अनुदान जारी करने के लिए स्वीकार किया जाएगा।

(3.) सीएफपीजी:  कल्चरल फंक्शन एंड प्रोडक्शन ग्रांट (सीएफपीजी) के तहत, सेमिनार, कॉन्फ्रेंस, रिसर्च, वर्कशॉप,फेस्टिवल, प्रदर्शनियां, सिम्पोजिया, डांस प्रोडक्शन, ड्रामा-थिएटर, म्यूजिक आदि और भारतीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं पर छोटे शोध प्रोजेक्ट संचालित किए जा सकते हैं। ऑनलाइन यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट (यूसी) के उद्देश्य के लिए हॉल, थिएटर, कलाकारों को पारिश्रमिक, उपकरणों की खरीद आदि के लिए किराया रसीदें, योजनाओं के घटकों को संचालित करने से संबंधित विभिन्न अन्य गतिविधियों के प्रदर्शन के लिए किए गए खर्च को योजना के दिशानिर्देशों के तहत अनुदान जारी करने के लिए स्वीकार किया जाएगा।

(4.) हिमालय धरोहर: हिमालय की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और विकास के लिए वित्तीय सहायता के तहत, अध्ययन और अनुसंधान, संरक्षण और प्रलेखन, ऑडियो विजुअल कार्यक्रम के माध्यम से प्रसार, पारंपरिक और तह कला में प्रशिक्षण ऑनलाइन आयोजित किया जा सकता है। उपयोगिता प्रमाण पत्र (यूसी) के लिए, हिमालय योजना के इन घटकों से संबंधित  गतिविधियों को अनुदान जारी करने के लिए स्वीकार किया जाएगा।

(5.) बौद्ध / तिब्बती: बौद्ध / तिब्बती कला के विकास के लिए वित्तीय सहायता के तहत, अनुसंधान परियोजना, पुस्तकों की खरीद, प्रलेखन और कैटलॉगिंग, भिक्षुओं को छात्रवृत्ति, विशेष पाठ्यक्रमों और संस्कृति की धारण, ऑडियो-विजुअल रिकॉर्डिंग / प्रलेखन, आईटी उन्नयन प्रशिक्षण एड्स मठवासी के लिए, शिक्षकों को वेतन ऑनलाइन किया जा सकता है। उपयोगिता प्रमाणपत्र (यूसी) के लिए बौद्ध योजना के इन घटकों से संबंधित उद्देश्य गतिविधियों को अनुदान जारी करने के लिए स्वीकार किया

(6.) छात्रवृत्ति / फैलोशिप: कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए छात्रवृत्ति और फैलोशिप की योजना के तहत, भारतीय शास्त्रीय संगीत, भारतीय शास्त्रीय नृत्य, रंगमंच, माइम, दृश्य कलापारंपरिक और स्वदेशी कला और प्रकाश शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में भारत के भीतर उन्नत प्रशिक्षण और अनुसंधान ऑनलाइन किया जा सकता है और रिपोर्ट की सॉफ्ट कॉपी भी प्रस्तुत की जा सकती है।

 

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