प्रधानमंत्री कार्यालय

प्रधानमंत्री ने जयपुर में पत्रिका गेट का उद्घाटन किया; संवाद उपनिषद् और अक्षरयात्रा पुस्तकों का विमोचन किया


भारतीय संस्थानों को भी उसी तरह के पुरस्कार देने चाहिए जैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिए जाते हैं : प्रधानमंत्री

समाज को न केवल एक पत्रकार के रूप में रचनात्मक योगदान देना आवश्यक है बल्कि एक व्यक्ति के रूप में भी जरूरी है : प्रधानमंत्री

उपनिषदों का ज्ञान और वेदों का चिंतन, न केवल आध्यात्मिक आकर्षण का क्षेत्र है, बल्कि विज्ञान का एक दृष्टिकोण भी है: प्रधानमंत्री

Posted On: 08 SEP 2020 2:25PM by PIB Delhi

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कांफ्रेंस के जरिए जयपुर में पत्रिका गेट का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने पत्रिका समूह के चेयरमैन श्री गुलाब कोठारी द्वारा लिखी गई दो पुस्तकों संवाद उपनिषद् और अक्षर यात्रा का भी विमोचन किया।

 

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि इस गेट में राजस्थान की संस्कृति की झलक मिलती है और यह घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए आकर्षण के एक प्रमुख केन्द्र में बदल जाएगा।

 

दोनों पुस्तकों का उल्लेख करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि ये भारतीय संस्कृति और दर्शन का सच्चा प्रतिनिधित्व करती हैं और लेखक ने समाज को शिक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

 

प्रधानमंत्री ने उन सभी वरिष्ठ स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया जो अपनी रचनाओं को लिखने और लोगों का मार्गदर्शन करने में शामिल थे।

 

उन्होंने भारतीय संस्कृति, भारतीय सभ्यता, मूल्यों को सुरक्षित रखने के अपने प्रयासों के लिए पत्रिका समूह की सराहना की।

 

प्रधानमंत्री ने पत्रिका समूह के संस्थापक श्री कर्पूर चंद्र कुलिश के पत्रकारिता में योगदान और बाद में समाज में वेदों के ज्ञान को फैलाने की उनकी कोशिश की सराहना की।

 

श्री कुलिश के जीवन और समय का उल्लेख करते हुए, प्रधान मंत्री ने कहा कि प्रत्येक पत्रकार को सकारात्मकता के साथ काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वास्तव में प्रत्येक व्यक्ति को सकारात्मकता के साथ काम करना चाहिए ताकि वह समाज के लिए कुछ सार्थक कर सके।

 

दोनों पुस्तकों का उल्लेख करते हुए, प्रधान मंत्री ने कहा कि वेदों में निहित विचार कालातीत हैं और संपूर्ण मानव जाति के लिए हैं। उन्होंने कामना की कि उपनिषद संवत और अक्षर यात्रा व्यापक रूप से पढ़ी जाएगी।

 

प्रधान मंत्री ने नई पीढ़ी को गंभीर ज्ञान से दूर न होने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने वेदों और उपनिषदों को केवल आध्यात्मिक ज्ञान का अवतार ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक ज्ञान भी कहा।

 

प्रधान मंत्री ने गरीबों को शौचालय प्रदान करने, उन्हें कई बीमारियों से बचाने के लिए स्वच्छ भारत अभियान की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने उज्जवला योजना के महत्व के बारे में भी बताया जिसका उद्देश्य माताओं और बहनों को धुएं से बचाना है और हर घर को पानी उपलब्ध कराने के लिए जल जीवन मिशन की भी जानकारी दी।

 

जनता की अभूतपूर्व सेवा करने और कोरोना के बारे में जागरूकता बढ़ाने में भारतीय मी‍डिया के योगदान की सराहना करते हुए, प्रधान मंत्री ने कहा कि यह जमीनी स्तर पर सरकार के कार्यों का सक्रिय रूप से प्रसार कर रहा है और उनमें खामियां भी निकाल रहा है।

 

प्रधानमंत्री ने खुशी जाहिर की कि मीडिया "आत्मनिर्भर भारत" अभियान को आकार दे रहा है जो "वोकल फॉर द लोकल" होने पर जोर देता है। उन्होंने इस संकल्‍पना को और विस्तार देने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने दोहराया कि भारत के स्थानीय उत्पाद वैश्विक हो रहे हैं लेकिन भारत की आवाज भी अधिक वैश्विक होनी चाहिए।

 

उन्होंने उल्लेख किया कि दुनिया अब भारत को अधिक ध्यान से सुनती है। ऐसे में भारतीय मीडिया को भी वैश्विक होने की जरूरत है। भारतीय संस्थानों को भी उसी तरह के पुरस्कार देने चाहिए जैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिए जाते हैं।

 

प्रधान मंत्री ने श्री कर्पूर चंद्र कुलिश के सम्मान में अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार शुरू करने के लिए पत्रिका समूह को बधाई दी।

                                                                                 

 

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