विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

जैव प्रौद्योगिकी विभाग मायलैब को परीक्षण किट का उत्पादन बढ़ाने में सहयोग करता है

Posted On: 25 JUL 2020 12:00PM by PIB Delhi

पुणे स्थित मायलैब डिस्कवरी सॉल्यूशंस ने जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के नेशनल बायोफार्मा मिशन- बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल (बीआईआरएसी) के तहत रणनीतिक फंडिंग की मदद से कोविड​​-19 पैथोडेक्ट टेस्टिंग किट के अपने उत्पादन और विकास को आगे बढ़ाया है।

मायलैब डिस्कवरी सॉल्यूशंस के प्रबंध निदेशक हसमुख रावल ने कहा, ''जब कोई भी हम पर विश्वास नहीं कर रहा था, उस समय हमें सहारा देने के लिए बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल का हम बेहद आभारी हैं। इस राशि के साथ हम वास्तव में अपने उत्पादन की प्रक्रिया में तेजी लाने में सक्षम होंगे।”

डीबीटी की सचिव एवं बीआईआरएसी की चेयरपर्सन डॉ. रेणु स्वरूप ने कहा, ''वर्तमान महामारी के खिलाफ हमारी लड़ाई में, गुणात्मक आरटी-पीसीआर परीक्षण किटों की स्वदेशी आपूर्ति की पहचान देश भर में परीक्षण क्षमता बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण जरूरत के तौर पर की गई। इसलिए मायलैब के पैथोडेक्ट के उत्पादन में बढ़ोतरी का निर्णय डीबीटी द्वारा उस दिशा में बहुत पहले लिया गया एक कदम था। मायलैब में यह उत्पादन लाइन तेजी से उत्पादन करती है, खोज संबंधी उच्च दर्जे का प्लेटफॉर्म बनाती है और हमारे माननीय प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को आत्मसात करती है।”

वर्तमान में, मायलैब की उत्पादन क्षमता 2,00,000 आरटी-पीसीआर और 50,000 आरएनए परीक्षण की है। मायलैब ने एनएटी, एचआईवी, एचबीवी, एचसीवी के उत्पादन और नोवल कोरोनो वायरस 2019–एन कोव/सार्स–कोव-2 का पता लगाने के लिए सीडीएससीओ/इंडिया–एफडीए और आईसीएमआर से अनुमोदन प्राप्त किया है।

कंपनी ने हाल ही में एक मोलिक्यूलर लेबोरेटरी कॉम्पैक्ट एक्सएल लॉन्च किया है जो विभिन्न अभिकर्मकों का निर्माण कर सकता है और साथ ही एकल मशीन इकाई में कई मोलिक्यूलर परीक्षण कर सकता है। यह मशीन ग्रामीण भारत में मोलिक्यूलर डायग्नोस्टिक लैब स्थापित करने में देश की मदद करेगी क्योंकि न्यूनतम संख्या में कर्मचारी अधिक मात्रा में जांच कर सकने की वजह यह बुनियादी ढांचे की बड़ी लागत, कैपेक्स और ओपेक्स की लागत को खत्म करेगी।

डीबीटी के बारे में

जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी), विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहतकृषि, स्वास्थ्य सेवा, पशु विज्ञान, पर्यावरण एवं उद्योग के क्षेत्रों में जैव प्रौद्योगिकी के विकास एवं अनुप्रयोग सहित भारत में जैव प्रौद्योगिकी के विकास को बढ़ावा और गति देता है।

बीआईआरएसी के बारे में

बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल (बीआईआरएसी) जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी), भारत सरकार द्वारा स्थापित राष्ट्रीय स्तर पर प्रासंगिक उत्पाद विकास आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए रणनीतिक अनुसंधान और नवाचार की दिशा में बायो टेक्नोलॉजी एंटरप्राइज को मजबूत और सशक्त बनाने के लिए एक गैर-लाभकारी धारा 8, अनुसूची बी, सार्वजनिक क्षेत्र का एक उद्यम है।

राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन के बारे में

बायो फार्मास्यूटिकल के जल्द विकास के वास्ते खोज अनुसंधान में तेजी लाने के लिए कुल 250 मिलियन अमेरिकी डालर की लागत वाली मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित एवं विश्व बैंक द्वारा 50 प्रतिशत सह-वित्त पोषित जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी), भारत सरकार का उद्योग-अकादमिक सहयोगात्मक मिशन बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल (बीआईआरएसी) में लागू किया जा रहा है। यह कार्यक्रम भारत की आबादी के स्वास्थ्य मानकों में सुधार करने के उद्देश्य से राष्ट्र को किफायती उत्पाद वितरित करने के लिए समर्पित है। टीके, चिकित्सा उपकरण और डायग्नोस्टिक्स और बायो थेरेप्यूटिक्स इसके कुछ सबसे महत्वपूर्ण डोमेन हैं। इसके अलावा, इसका उद्देश्य देश में नैदानिक ​​परीक्षण क्षमता एवं प्रौद्योगिकी हस्तांतरण क्षमताओं को मजबूत करना है।

(अधिक जानकारी के लिए: डीबीटी / बीआईआरएसी के संचार प्रकोष्ठ से संपर्क करें

· @DBTIndia @BIRAC_2012

www.dbtindia.gov.in www.birac.nic.in)

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