प्रधानमंत्री कार्यालय

धर्म चक्र दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री के संबोधन का मूलपाठ

Posted On: 04 JUL 2020 10:43AM by PIB Delhi

आदरणीय राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद जी, अन्य विशिष्ट अतिथि। आषाढ़ पूर्णिमा के अवसर पर अभिवादन के साथ अपनी बात शुरू करना चाहता हूं। इसे गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। यह हमारे गुरुओं को याद करने का दिन है, जिन्होंने हमें शिक्षा दी है। इसी भावना के साथ हम भगवान बुद्ध को श्रद्धांजलि देते हैं।

मुझे खुशी है कि मंगोलियाई कंजूर की प्रतियां मंगोलिया सरकार को प्रस्तुत की जा रही हैं। मंगोलिया में मंगोलियाई कंजूर का बहुत सम्मान किया जाता है। ज्यादातर मठों में इसकी एक प्रति है।

दोस्तों, भगवान बुद्ध का अष्ट मार्ग कई समाजों और राष्ट्रों को उनकी बेहतरी की दिशा दिखाता है। इसमें करुणा और दया के महत्व की अहमियत बताई गई है। भगवान बुद्ध के उपदेश हमारे विचार और क्रिया दोनों में सादगी के महत्व का गुणगान करते हैं। बौद्ध धर्म हमें सम्मान करना सिखाता है। लोगों के लिए सम्मान। गरीबों का सम्मान करें। महिलाओं का सम्मान। शांति और अहिंसा का सम्मान। इसलिए, बौद्ध धर्म के उपदेश एक चिरस्थायी ग्रह का साधन हैं।

दोस्तों, भगवान बुद्ध ने सारनाथ में अपने पहले उपदेश में और उसके बाद के उपदेशों में दो चीजों - आशा और उद्देश्य पर बातें की। उन्होंने इन दोनों के बीच गहरा संबंध पाया। आशा से उद्देश्य की भावना आती है। भगवान बुद्ध के लिए यह मानवीय पीड़ा को दूर करने वाला था। हमें आज इस अवसर पर जागना होगा और लोगों के बीच आशा को बढ़ाने के लिए हम जो कुछ भी कर सकते हैं, वो करें।

दोस्तों, मैं 21वीं सदी को लेकर बहुत आशान्वित हूं। यह उम्मीद मेरे युवा मित्रों- हमारी युवा पीढ़ी से मिलती है। यदि आप इस बारे में एक बेहतरीन उदाहरण देखना चाहते हैं कि आशा, नवाचार और करुणा कैसे दुख को दूर कर सकती हैं तो आपको हमारे स्टार्ट-अप सेक्टर पर नजर डालनी चाहिए। उज्ज्वल युवा दिमाग वैश्विक समस्याओं का समाधान ढूंढ रहे हैं। भारत का स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र दुनिया के बड़े स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्रों में से एक है।

मैं अपने युवा मित्रों से भी आग्रह करूंगा कि वे भगवान बुद्ध के विचारों से जुड़े रहें। भगवान बुद्ध के विचार उन्हें प्रेरित करेंगे और आगे का रास्ता भी दिखाएंगे। कभी-कभी वे आपको शांत भी करेंगे और आपको खुश करेंगे। दरअसल, भगवान बुद्ध का अप्प: दीपो भव: का उपदेश स्वयं आपका मार्गदर्शक है और यह प्रबंधन का एक अद्भुत पाठ है।

दोस्तों, आज दुनिया असाधारण चुनौतियों से जूझ रही है। इन चुनौतियों के स्थायी समाधान भगवान बुद्ध के आदर्शों से मिल सकते हैं। भगवान बुद्ध के आदर्श अतीत में प्रासंगिक थे। वे वर्तमान में भी प्रासंगिक हैं। और, भविष्य में भी वे प्रासंगिक बने रहेंगे।

मित्रों, यह समय की मांग है कि अधिक से अधिक लोगों को बौद्ध धरोहर स्थलों से जोड़ा जाए। हमारे भारत में बौद्ध धर्म से जुड़ी ऐसी कई जगहें हैं। आप जानते हैं कि लोग मेरे संसदीय क्षेत्र वाराणसी को और किस रूप में जानते हैं? सारनाथ के घर के रूप में। हम बौद्ध स्थलों की कनेक्टिविटी पर ध्यान देना चाहते हैं। कुछ दिनों पहले भारतीय मंत्रिमंडल ने घोषणा की थी कि कुशीनगर हवाई अड्डे को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाया जाएगा। इससे बहुत सारे लोग, तीर्थयात्री और पर्यटक आएंगे। यह कई लोगों के लिए आर्थिक अवसर भी पैदा करेगा।

भारत आपका इंतजार कर रहा है!

दोस्तों, एक बार फिर से आप सभी को मेरा अभिवादन। भगवान बुद्ध के विचार और अधिक उज्ज्वलता, एकजुटता और भाईचारे को बढ़ाए। उनका आशीर्वाद हमें अच्छा करने के लिए प्रेरित करे।

धन्यवाद। आपका बहुत बहुत धन्यवाद।

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एसजी/एएम/एक/एसएस



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