शिक्षा मंत्रालय
कोविड-19 और उसके बाद लॉकडाउन के मद्देनजर विश्वविद्यालयों के लिए परीक्षा और शैक्षणिक कैलेंडर पर यूजीसी के दिशानिर्देश;
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री की मौजूदगी में दिशानिर्देश जारी किए गए
Posted On:
29 APR 2020 8:16PM by PIB Delhi
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने कोविड-19 और लॉकडाउन के मद्देनजर अकादमिक नुकसान से बचने और छात्रों के भविष्य को लेकर उचित उपाय करने के लिए परीक्षा और शैक्षणिक कैलेंडर से संबंधित मुद्दों पर विचार-विमर्श और सिफारिश करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है।
यूजीसी के पूर्व सदस्य, हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय महेंद्रगढ़, हरियाणा के पूर्व कुलपति प्रोफेसर आर.सी. कुहाड़ विशेषज्ञ समिति की अध्यक्षता कर रहे हैं। इस विशेषज्ञ समिति में अन्य सदस्य भी शामिल हैं।
आयोग ने 27.4.2020 को हुई बैठक में समिति की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया और परीक्षा और अकादमिक कैलेंडर पर दिशानिर्देशों को मंजूरी दे दी।

कोविड-19 और लॉकडाउन के मद्देनजर विश्वविद्यालयों के लिए परीक्षा और अकादमिक कैलेंडर पर यूजीसी के इन दिशानिर्देशों को आज नई दिल्ली में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' की उपस्थिति में जारी किया गया। इस अवसर पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय में उच्च शिक्षा सचिव श्री अमित खरे, मंत्रालय और यूजीसी के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
यूजीसी द्वारा आज जारी दिशानिर्देशों में मुख्य सिफारिशें निम्नलिखित हैं
- इंटरमीडिएट सेमेस्टर के छात्र: वर्तमान और पिछले सेमेस्टर के आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर इन छात्रों को ग्रेड प्रदान किए जाएंगे। जिन राज्यों में कोविड-19 की स्थिति सामान्य हुई है, वहां जुलाई के महीने में परीक्षा होगी।
- टर्मिनल सेमेस्टर के छात्र: जुलाई के महीने में परीक्षा आयोजित की जाएगी।
- प्रत्येक विश्वविद्यालय में एक कोविड-19 सेल का गठन किया जाएगा जो शैक्षणिक कैलेंडर और परीक्षाओं से संबंधित छात्रों के मुद्दों को सुलझाने में सक्षम होगा।
- तेजी से निर्णय लेने के लिए यूजीसी में एक कोविड-19 सेल बनाया जाएगा।
दिशानिर्देश की मुख्य बातें इस प्रकार हैं:
दिशानिर्देश की प्रकृति सलाहकारी है
विश्वविद्यालय कोविड-19 महामारी से संबंधित मुद्दों को ध्यान में रखते हुए अपनी कार्ययोजना की रूपरेखा तैयार कर सकते हैं।
सोशल डिस्टेंसिंग सुनिश्चित करें।
परीक्षाएं
विश्वविद्यालय द्वारा कम समय में प्रक्रिया को पूरा करने के लिए परीक्षाओं के लिए वैकल्पिक, सरलीकृत प्रणालियां और तरीके अपनाये जा सकते हैं।
विश्वविद्यालय परीक्षा के समय को 3 घंटे से घटाकर 2 घंटे करके परीक्षाओं के लिए कुशल और नवीन तरीकों को अपना सकते हैं।
विश्वविद्यालय अपने अध्यादेशों/ नियमों और अधिनियमों, परीक्षाओं की योजनाओं, सामाजिक दूरी अपनाने के दिशा-निर्देशों का अवलोकन करते हुए, अपने पास उपलब्ध संगत प्रणाली को ध्यान में रखते हुए और सभी छात्रों के लिए उचित अवसर को सुनिश्चित करते हुए ऑफलाइन/ ऑनलाइन रूप में त्रैमासिक/ माध्यमिक/ वार्षिक परीक्षाएं आयोजित कर सकते हैं।
स्नातकोत्तर/ पूर्वस्नातक पाठ्यक्रमों/ कार्यक्रमों के लिए त्रैमासिक सेमेस्टर/ वार्षिक परीक्षाएं विश्वविद्यालयों द्वारा आयोजित की जा सकती हैं जैसा कि अकादमिक कैलेंडर में सुझाया गया है। विश्वविद्यालयों द्वारा परीक्षा के समय पर उचित विचार किया जा सकता है और "सामाजिक दूरी" के दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखते हुए परीक्षाएं आयोजित की जा सकती हैं।
माध्यमिक सेमेस्टर/ वार्षिक छात्रों के लिए, विश्वविद्यालय अपनी तैयारियों का स्तर, छात्रों की आवासीय स्थिति, विभिन्न क्षेत्रों/ राज्यों पर कोविड-19 महामारी के फैलाव का व्यापक आकलन और अन्य कारकों की स्थिति का अवलोकन करने के बाद परीक्षाएं आयोजित कर सकते हैं।
अगर कोविड-19 के अनुसार स्थिति सामान्य नहीं दिखाई देती है, "सामाजिक दूरी" को बनाए रखने के लिए और छात्रों की सुरक्षा और स्वास्थ्य का ख्याल रखते हुए, विश्वविद्यालयों द्वारा छात्रों के लिए अपनाए गए आंतरिक मूल्यांकन पैटर्न के आधार पर 50 प्रतिशत अंकों की ग्रेडिंग दी जा सकती है और शेष 50 प्रतिशत अंक केवल पिछले सेमेस्टर में प्रदर्शन के आधार (अगर उपलब्ध है तो) पर दिए जा सकते हैं। यह आंतरिक मूल्यांकन, सतत मूल्यांकन, प्रीलिम्स, मिड-सेमेस्टर, आंतरिक मूल्यांकन या छात्र प्रगति के लिए जो भी नाम दिया गया हो, किया जा सकता है ।
उन स्थितियों में जहां पर पिछले सेमेस्टर या पिछले वर्ष के अंक उपलब्ध नहीं हैं, विशेष रूप से परीक्षाओं के वार्षिक पैटर्न के पहले वर्ष में, आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर 100% मूल्यांकन किया जा सकता है।
अगर छात्र अपनी ग्रेडिंग में सुधार करना चाहता है, तो वह अगले सेमेस्टर के दौरान ऐसे विषयों के लिए आयोजित विशेष परीक्षा में बैठ सकता है।
हालांकि, सभी हितधारकों की सुरक्षा और स्वास्थ्य को बनाए रखते हुए और परीक्षाओं की पवित्रता और गुणवत्ता बनाए रखते हुए, इंटरमीडिएट सेमेस्टर परीक्षाओं के लिए यह प्रावधान केवल चालू शैक्षणिक सत्र (2019-20) के लिए कोविड-19 महामारी को ध्यान में रखते हुए किये गए हैं।
लॉकडाउन की अवधि को सभी छात्रों/ शोध छात्रों द्वारा उपस्थित होने के रूप में' माना जा सकता है।
परियोजनाओं/ शोध कार्यों में लगे हुए स्नातकोत्तर/ पूर्वस्नातक छात्रों की सुविधा के लिए उपयुक्त रणनीति अपनाएं। विश्वविद्यालय इन छात्रों के लिए प्रयोगशाला आधारित प्रयोगों या क्षेत्र/ सर्वेक्षण-आधारित कार्य देने के बजाय समीक्षा-आधारित/ माध्यमिक डेटा-आधारित परियोजना या सॉफ़्टवेयर-संचालित परियोजना पर विचार कर सकते हैं।
विश्वविद्यालय स्काइप या अन्य मीटिंग ऐप्स के माध्यम से व्यावहारिक परीक्षा और मौखिक परीक्षा आयोजित कर सकते हैं, और इंटरमीडिएट सेमेस्टर के मामले में, आगामी सेमेस्टर के दौरान व्यावहारिक परीक्षा आयोजित की जा सकती है।
विश्वविद्यालय गूगल, स्काइप, माइक्रोसॉफ्ट टेक्नोलॉजीज या किसी अन्य विश्वसनीय और परस्पर रूप से सुविधाजनक तकनीक का उपयोग करके वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पीएचडी और एमफिल के छात्रों के लिए मौखिक परीक्षाओं का संचालन कर सकते हैं।
एमफिल या पीएचडी छात्रों को छह महीने का विस्तार दिया जा सकता है।
प्रत्येक विश्वविद्यालय कोविड-19 महामारी के दौरान परीक्षाओं और अकादमिक गतिविधियों से संबंधित छात्रों की शिकायतों का निपटारा करने के लिए एक प्रकोष्ठ स्थापित करेगा और उसके बारे में छात्रों को प्रभावी ढंग से सूचित करेगा।
यूजीसी द्वारा कोविड-19 महामारी के दौरान परीक्षाओं और अकादमिक गतिविधियों से संबंधित छात्रों की शिकायतों की निगरानी करने के लिए एक हेल्प लाइन जारी किया जाएगा।
शैक्षणिक कैलेंडर
शैक्षणिक सत्र 2019-20 के लिए निम्नलिखित कैलेंडर का सुझाव दिया जाता है:
शैक्षणिक कैलेंडर प्रकृति में सांकेतिक है। विश्वविद्यालय छात्रों की तैयारी के स्तर, आवासीय स्थिति,उनके नगर/क्षेत्र/राज्य में फैले कोविड-19 महामारी की स्थिति और अन्य कारकों का एक व्यापक आकलन करने के बाद इसे अपना/रूपांतरित कर सकते हैं।
सम सेमेस्टर का आरंभ
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01.01.2020
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कक्षाओं का आस्थगन
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16.03.2020
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विभिन्न तरीकों जैसे आनलाइन लर्निंग/दूरस्थ शिक्षा/सोशल मीडिया (व्हाट्सअप/यूट्यूब)/ई-मेल/वीडियो कांफ्रेंसिंग/मोबाइल ऐप्स/डीटीएच पर स्वयंप्रभा चैनल आदि जैसे विभिन्न तरीकों के जरिये शिक्षण-अध्ययन की निरंतरता
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16.03.2020 से 31.05.2020
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शोध निबंध का समापन/प्रोजेक्ट वर्क/इंटर्नशिप रिपोर्ट/ई-लैब्स/ सिलेबस का समापन/ आंतरिक मूल्यांकन/एसाइनमेंट/ स्टूडेंट प्लेसमेंट ड्राइव आदि
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01.06.2020 से 15.06.2020
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ग्रीष्म अवकाश #
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16.06.2020 से 30.06.2020
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परीक्षाओं का संचालन
टर्मिनल सेमेस्टर/ वर्ष
इंटरमीडिएट सेमेस्टर/वर्ष
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01.07.2020 से 15.07.2020
16.07.2020 से 31.07.2020
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मूल्यांकन एवं परीक्षा का परिणाम
टर्मिनल सेमेस्टर/ वर्ष
इंटरमीडिएट सेमेस्टर/वर्ष
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31.07.2020
14.08.2020
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# अगर ऐसी स्थिति आती है, तो विश्वविद्यालय 01.06.2020 से 30.06.2020 तक 30 दिनों का ग्रीष्म अवकाश कर सकते हैं। उस मामले में विभिन्न तरीकों से शिक्षण-अध्ययन 15.05.2020 तक रोका जा सकता है और उसके बाद शोध पत्र का समापन आदि को 16.05.2020 से 31.05.2020 तक पूरा किया जा सकता है।
2. शैक्षणिक सत्र 2020-21 पुराने छात्रों के लिए 01.08.2020 से और नए छात्रों के लिए 01.09.2020 से आरंभ किया जा सकता है।
शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए निम्नलिखित कैलेंडर का सुझाव दिया जाता है
नामांकन प्रक्रिया
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01.08.2020 से 31.08.2020 तक
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कक्षाओं का आरंभ
दूसरे/तीसरे वर्ष के छात्र
नया बैच (पहला सेमेस्टर/वर्ष)
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01.08.2020
01.09.2020
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परीक्षाओं का संचालन
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01.01.2021 से 25.01.2021 तक
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सम सेमेस्टर के लिए कक्षाओं का आरंभ
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27.01.2021
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कक्षाओं का प्रसार
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25.05.2021
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परीक्षाओं का संचालन
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26.05.2021 से 25.06.2021 तक
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ग्रीष्म अवकाश
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01.07.2021 से 30.07.2021 तक
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अगले शैक्षणिक सत्र का आरंभ
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02.08.2021
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कुछ सामान्य दिशानिर्देश
1. विश्वविद्यालय 6 दिन के सप्ताह की पद्धति का अनुसरण कर सकते हैं
2. छात्रों को लैबोरेट्ररी एसाइनमेंट/वर्चुअल लैबोरेट्ररी के जरिये प्रैक्टिकल एक्सपेरिमेंट, लैबोरेट्ररी वर्क के रिकार्डेड विजुअल्स को साझा करने एवं इस उद्वेश्य के लिए उपलब्ध डिजिटल रिसोर्सेज का एक्सपोजर दिया जा सकता है।
3. साईंस/इंजीनियरिंग/टेक्नोलाजी विषयों के छात्रों की सुविधा के लिए वर्चुअल लैबोरेट्ररी के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए लिंक भी ऐसे उद्वेश्यों के लिए उपयुक्त हो सकते हैं।
4. वर्चुअल क्लासरूम एवं वीडियो कांफ्रेंसिंग सुविधा का विकास करें और सभी शिक्षण कर्मचारियों को प्रौद्योगिकी के उपयोग का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
5. विश्वविद्यालयों को ई-कंटेंट/ई-लैब एक्सपेरिमंट तैयार करना चाहिए और अपनी वेबसाइटों पर अपलोड करना चाहिए।
6. मेंटर-मेंटी काउंसलिंग के तंत्र को सुदृढ़ बनाना चाहिए।
7. विश्वविद्यालय को उस अवधि के लिए कर्मचारियों एवं छात्रों की यात्रा/ठहराव के इतिहास को रिकार्ड करने के लिए एक प्रोफार्मा बनाना चाहिए जब वे लाकडाउन के कारण विश्वविद्यालय से दूर थे।
8. संकाय को आईसीटी एवं आनलाइन टीचिंग टूल्स के उपयोग के लिए पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए जिससे कि वे आनलाइन शिक्षण के जरिये 25 प्रतिशत एवं आमने सामने के शिक्षण के जरिये 75 प्रतिशत सिलेबस को पूरा कर सकें।
नोट
वर्तमान परिदृश्य एवं भविष्य की अनिश्चितताओं को देखते हुए, विश्वविद्यालय छात्रों, शैक्षणिक संस्थानों एवं समस्त शिक्षा प्रणाली के सर्वोच्च हित में विशिष्ट स्थिति से निपटने के लिए बदलाव/परिवर्धन/संशोधन/रूपांतरण करने के जरिये पारदर्शी तरीके से इन दिशानिर्देशों को अपना सकते हैं/अनुकूल बना सकते हैं। अगर कानूनी रूप से मान्य हो तो विश्वविद्यालय नामांकन प्रक्रिया के वैकल्पिक तरीकों को अपना सकते हैं। ऐसे स्थानों पर स्थित शैक्षणिक संस्थानों जहां सरकार (केंद्र/राज्य) ने आम जनता के इकट्ठे होने पर प्रतिबंध लगा रखा है, संस्थान तदनुरूप योजना बना सकते हैं। किसी भी स्थिति में अनुशंसाएं उपयुक्त सरकार/सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी दिशानिर्देशों/निर्देशों पर किसी प्रतिबंध का कारण नहीं बनेंगी।
यूजीसी द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति की अध्यक्षता यूजीसी के पूर्व सदस्य प्रो. आर.सी.कुहाद एवं हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय, महेंद्रगढ़, हरियाणा द्वारा की गई तथा शैक्षणिक नुकसान से बचने एवं छात्रों के भविष्य के लिए उपयुक्त उपाय करने के लिए परीक्षाओं एवं शैक्षणिक कैलेंडर से संबंधित मुद्वों पर विचार करने एवं अनुशंसा करने के लिए रिपोर्ट प्रस्तुत की गई।
कोविड-19 एवं बाद के लाकडाउन को देखते हुए विश्वविद्यालयों के लिए परीक्षाओं एवं शैक्षणिक कैलेंडर पर विस्तृत यूजीसी दिशानिर्दशों के लिए यहां क्लिक करें।
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एएम/एसकेजे/डीए
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