मंत्रिमण्डल
कैबिनेट ने पीएसबी द्वारा वित्तीय दृष्टि से मजबूत एनबीएफसी/एचएफसी से उच्च रेटिंग वाली संयोजित परिसम्पत्तियों की खरीद के लिए 'आंशिक ऋण गारंटी योजना' को स्वीकृति दी
Posted On:
11 DEC 2019 6:15PM by PIB Delhi
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने निम्नलिखित को मंजूरी दी है :-
- वित्तीय दृष्टि से मजबूत गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी)/आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) से उच्च रेटिंग वाली संयोजित परिसम्पत्तियों की खरीद के लिए 'आंशिक ऋण गारंटी योजना' को मंजूरी दी गई है, जिसकी पेशकश भारत सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) को करेगी। इसके तहत जो कुल गारंटी दी जाएगी, वह योजना के तहत बैंकों द्वारा खरीदी जा रही परिसम्पत्तियों के उचित मूल्यों के 10 प्रतिशत तक के प्रथम नुकसान अथवा 10,000 करोड़ रुपये, इनमें से जो भी कम हो, तक सीमित होगी, जैसा कि आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए) ने सहमति जताई है। इस योजना के दायरे में वे एनबीएफसी/एचएफसी आएंगी, जो 01 अगस्त, 2018 से पहले की एक वर्ष की अवधि के दौरान संभवत: 'एसएमए-0' श्रेणी में आ गई हैं। इसी तरह इस योजना के दायरे में वे संयोजित परिसम्पत्तियां आएंगी, जिन्हें 'बीबीबी+' अथवा उससे ज्यादा की रेटिंग प्राप्त है।
- भारत सरकार द्वारा पेशकश की गई एकबारगी आंशिक ऋण गारंटी की सुविधा 30 जून, 2020 तक अथवा बैंकों द्वारा 1,00,000 करोड़ रुपये मूल्य की परिसम्पत्तियां खरीद लिए जाने की तिथि तक खुली रहेगी, इनमें से जो भी पहले हो। इस योजना की दिशा में हुई प्रगति को ध्यान में रखते हुए इसकी वैधता अवधि को तीन माह तक बढ़ाने का अधिकार वित्त मंत्री को दिया गया है।
प्रमुख प्रभाव :
सरकार की ओर से प्रस्तावित गारंटी सहायता और इसके परिणामस्वरूप संयोजित परिसम्पत्तियों की खरीद (बायआउट) से एनबीएफसी/एचएफसी को अपनी अस्थायी तरलता (लिक्विडिटी) अथवा नकद प्रवाह में असंतुलन को दूर करने में मदद मिलेगी और इसके साथ ही वे ऋणों के सृजन में निरंतर योगदान करने और कर्जदारों को अंतिम विकल्प वाले ऋण को मुहैया कराने में समर्थ हो जाएंगे, जिससे आर्थिक विकास की गति तेज हो जाएगी।
पृष्ठभूमि :
केन्द्रीय बजट 2019-20 में यह घोषणा की गई थी कि :
'चालू वित्त वर्ष के दौरान वित्तीय दृष्टि से मजबूत एनबीएफसी की कुल एक लाख करोड़ रुपये मूल्य की उच्च रेटिंग वाली संयोजित परिसम्पत्तियों की खरीद के लिए सरकार 10 प्रतिशत तक के प्रथम नुकसान के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को एकबारगी 6 माह की आंशिक ऋण गारंटी देगी।'
उपर्युक्त बजट घोषणा को ध्यान में रखते हुए पीएसबी द्वारा एनबीएफसी/एचएफसी से परिसम्पत्तियों की खरीद के लिए पीएसबी को सरकारी गारंटी देने के लिए 10 अगस्त, 2019 को एक योजना (23 सितम्बर, 2019 को संशोधित) शुरू की गई थी, जिसके तहत गारंटी को इस योजना के तहत बैंकों द्वारा खरीदी गई परिसम्पत्तियों के उचित मूल्य के 10 प्रतिशत अथवा 10,000 करोड़ रुपये, इनमें से जो भी कम हो, तक सीमित किया गया। यह सुविधा इस योजना के शुरू होने की तिथि से लेकर 6 महीनों की अवधि अथवा बैंकों द्वारा 1,00,000 करोड़ रुपये मूल्य की परिसम्पत्तियों को खरीदे जाने की तिथि, इनमें से जो भी पहले हो, तक खुली रखी गई थी।
विभिन्न हितधारकों से प्राप्त सुझावों और उनके साथ हुई चर्चांओं के आधार पर विभिन्न संशोधनों वाली इस योजना के बारे में कैबिनेट की मंजूरी लेने का निर्णय लिया गया, जिनका उल्लेख नीचे किया गया है :
- उन एनबीएफसी/एचएफसी को पीएसबी द्वारा उनकी संयोजित परिसम्पत्तियों की खरीद के लिए समर्थ माना जाए, जो 01 अगस्त, 2018 से पहले (अर्थात आईएलएंडएफएस में गहराये संकट से पहले) की एक वर्ष की अवधि के दौरान संभवत: 'एसएमए-0' श्रेणी में आ गई हैं। इस अवधि के दौरान एसएमए-1 और एसएमए-2 के अंतर्गत आई 'एनबीएफसी/एचएफसी' आगे भी इस योजना के तहत पात्र नहीं मानी जाएंगी।
- पीएसबी द्वारा खरीदी जा रही अंतर्निहित संयोजित परिसम्पत्तियों की न्यूनतम रेटिंग को मौजूदा 'एए' से संशोधित कर 'बीबीबी+' कर दिया जाए।
- इस योजना को 30 जून, 2020 तक प्रभावी बनाए जाए। इसके लिए इस योजना की दिशा में हुई प्रगति को ध्यान में रखते हुए इस योजना की अवधि तीन माह और बढ़ाने का अधिकार वित्त मंत्री को दिया जाए।
कैबिनेट ने तदनुसार 'आंशिक ऋण गारंटी योजना' को अब मंजूरी दे दी है, जिनमें उपर्युक्त संशोधनों को शामिल कर लिया गया है।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को इस योजना की पेशकश की जा रही है, जिससे इस योजना के तहत सरकार की गारंटी सहायता से संयोजित परिसम्पत्तियों की खरीद संभव होने से दिवाला होने की स्थिति में आ चुकी एनबीएफसी/एचएफसी की अस्थायी तरलता/नकद प्रवाह में असंतुलन को दूर करने में मदद मिलेगी। ऐसी स्थिति में एनबीएफसी/एचएफसी को अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए अपनी-अपनी परिसम्पत्तियों की अंधाधुंध बिक्री करने के लिए विवश नहीं होना पड़ेगा। इससे अर्थव्यवस्था की ऋण संबंधी मांग का वित्त पोषण करने के साथ-साथ इस तरह की एनबीएफसी/एचएफसी के विफल या दिवालिया होने के प्रतिकूल असर से देश की वित्तीय प्रणाली को संरक्षित करने के लिए संबंधित एनबीएफसी/एचएफसी को आवश्यक तरलता प्राप्त होगी।
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