इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी मंत्रालय
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सरकार की इलेक्ट्रॉनिक्स घटक विनिर्माण योजना को घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय उद्योग जगत से अभूतपूर्व प्रतिक्रिया मिली, 1,15,351 करोड़ रुपये के निवेश के आवेदन प्राप्त हुए


केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्यों से इस अवसर का लाभ उठाने और अपने राज्यों में इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण उद्योग को विकसित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इससे बड़ी संख्या में युवाओं को रोज़गार मिलेगा।

यह शानदार प्रतिक्रिया भारत के आत्मनिर्भर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण दृष्टिकोण के प्रति घरेलू उद्योग की गहरी प्रतिबद्धता और भारत में बढ़ते वैश्विक विश्वास का प्रमाण है

Posted On: 02 OCT 2025 4:57PM by PIB Delhi

इलेक्ट्रॉनिक्स घटक विनिर्माण योजना को घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय उद्योग जगत के दिग्गजों से शानदार प्रतिक्रिया मिली है। यह वैश्विक मंच पर भारत के बढ़ते कद और घरेलू उद्योग, जिसमें एमएसएमई भी शामिल हैं, के बढ़ते आत्मविश्वास को दिखाता है, जिन्होंने देश को इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में आत्मनिर्भर बनाने में गहरी रुचि दिखाई है।

इस योजना से 91,600 के लक्ष्य से कहीं अधिक, 1,42,000 प्रत्यक्ष रोज़गार और कई गुना अधिक अप्रत्यक्ष रोज़गार पैदा होने का अनुमान है, जो बड़े पैमाने पर रोज़गार सृजन की इसकी क्षमता को दर्शाता है।

इस उत्साहजनक प्रतिक्रिया पर खुशी जताते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्यों से इस सुनहरे मौके का लाभ उठाने और अपने क्षेत्रों में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिए एक अनुकूल ढाँचा तैयार करने का आग्रह किया। नई दिल्ली स्थित इलेक्ट्रॉनिक्स निकेतन में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण उद्योग युवाओं के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोज़गार के अहम मौके पैदा करता है।

1 मई 2025 को कैबिनेट द्वारा 22,919 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ अनुमोदित इस योजना के लिए, 1,15,351 करोड़ रुपये की अनुमानित निवेश प्रतिबद्धता के साथ, 249 आवेदन मिले हैं। यह प्रतिक्रिया योजना के तहत लक्षित 59,350 करोड़ रुपये से करीब दोगुनी है। अगले छह सालों में इस योजना के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स घटकों का अनुमानित उत्पादन करीब 10,34,700 करोड़ रुपये होगा। यह प्रतिक्रिया योजना के तहत लक्षित 4,56,000 करोड़ रुपये के उत्पादन का 2.2 गुना है।

इस भारी प्रतिक्रिया से देश के लोगों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोज़गार के अवसर भी बढ़ेंगे। आवेदन की अवधि 1 मई 2025 से शुरू होकर 3 महीने की शुरुआती अवधि के लिए खुली थी, जिसे बाद में 30 सितंबर 2025 तक बढ़ा दिया गया।

भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण व्यवस्था को मिली मज़बूती

श्री अश्विनी वैष्णव ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि ईसीएमएस योजना का सफल शुभारंभ, देश को, माननीय प्रधानमंत्री के 2030-31 तक 500 अरब डॉलर का घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण व्यवस्था स्थापित करने के दृष्टिकोण को हासिल करने में मदद करेगा। ईएमसी, एसपीईसीएस और मोबाइल फोन व आईटी हार्डवेयर के लिए उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना जैसी योजनाओं से उत्पन्न गति को आगे बढ़ाते हुए, ईसीएमएस सरकार के रणनीतिक दृष्टिकोण की स्वाभाविक तरक्की को दर्शाता है।

उन्होंने कहा कि प्रत्येक योजना ने भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण व्यवस्था तंत्र को मजबूत किया है, और ईसीएमएस अब मूल्य श्रृंखला एकीकरण को पूरा करने के लिए तैयार है, जो भारत को एक व्यापक वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करेगा।

घरेलू मूल्य श्रृंखलाओं का विस्तार

इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव श्री एस. कृष्णन ने ज़ोर देते हुए कहा कि मूल विचार भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण की मूल्य श्रृंखला को गहन बनाना और यह देखना है कि कुल मिलाकर, घरेलू मूल्य-वर्धन घटक में पर्याप्त वृद्धि हो। इसके बाद, वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं के साथ एकीकरण पर खास ध्यान दिया जाएगा।

इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सभी घरेलू और वैश्विक उद्योग भागीदारों की, भारत की इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण व्यवस्था में उनके अपार विश्वास के लिए सराहना की। बड़े स्तर पर निवेश, भारत की विनिर्माण क्षमता, नीतिगत स्थिरता और प्रतिस्पर्धी लाभों में व्यावसायिक समुदाय के बढ़ते विश्वास का प्रतीक है। यह उपलब्धि भारत में एक मजबूत, आत्मनिर्भर और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण आधार बनाने के लिए हमारे उद्योग भागीदारों की सामूहिक प्रतिबद्धता को दर्शाती है। मंत्रालय ने पात्र आवेदकों के लिए अनुमोदन प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी है।

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पीके/केसी/एनएस


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