रेल मंत्रालय
भारतीय रेलवे 'मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड' कल्पना के तहत बोगियों, कोचों, रेल के इंजनों और संचालन शक्ति प्रणालियों के वैश्विक निर्यातक के रूप में तेजी से उभर रहा है: अश्विनी वैष्णव
केन्द्रीय रेल मंत्री ने वडोदरा में अल्सटॉम के सावली संयंत्र के रखरखाव कार्यों का मूल्यांकन करने के साथ इसके संचालन की समीक्षा की
सरकार की 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' पहलों के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता के साथ, एल्सटॉम भारत से 3,800 से अधिक बोगियों और 4,000 से अधिक फ्लैटपैक (मॉड्यूल्स) का निर्यात करता है ताकि विश्व के लिए डिजाइन, विकास और वितरण की कल्पना को हकीकत में बदला जा सके
श्री अश्विनी वैष्णव ने सावली में भारतीय रेलवे, एल्सटॉम और गति शक्ति विश्वविद्यालय के बीच प्रशिक्षण सहयोग की वकालत की
Posted On:
27 JUL 2025 7:30PM by PIB Delhi
केन्द्रीय रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने वडोदरा, गुजरात स्थित एल्सटॉम के सावली संयंत्र का दौरा किया, जो भारत में रेलवे वाहनों के निर्माण का एक प्रमुख केन्द्र है। उन्होंने सावली संयंत्र में एल्सटॉम के संचालन की समीक्षा की और रखरखाव प्रक्रियाओं का गहन मूल्यांकन किया। उन्होंने प्रत्येक ऑर्डर के लिए विशिष्ट व्यवसाय की जरूरतों को तैयार करने की एल्सटॉम की कार्यप्रणाली की सराहना की - एक ऐसा नवाचार जिसका भारतीय रेलवे अनुसरण कर सकता है - और एक रचनात्मक एवं सहयोगात्मक ढाँचे के माध्यम से गति शक्ति विश्वविद्यालय के साथ एक संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम विकसित करने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि सभी उत्पादन इकाइयों के महाप्रबंधक एल्सटॉम की सावली इकाई का प्रशिक्षण और अध्ययन-आधारित दौरा करें। निवारक रखरखाव के लिए सेंसर और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग पर भी चर्चा हुई।

सावली संयंत्र सरकार की मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत पहलों के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता के साथ नियमित लंबी दूरी तय करने वाले यात्रियों के लिए अत्याधुनिक और ट्रांजिट ट्रेन कारों का उत्पादन कर रहा है। नवाचार और विनिर्माण उत्कृष्टता पर विशेष ध्यान देते हुए, भारत के 3,400 से अधिक इंजीनियर दुनिया भर में 21 एल्सटॉम संयंत्रों के साथ सक्रिय रूप से सहयोग कर रहे हैं। 2016 से, भारत ने विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय परियोजनाओं के लिए 1,002 रेल कारों का सफलतापूर्वक निर्यात किया है, जिससे आधुनिक रेल प्रणालियों के एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में देश की स्थिति मजबूत हुई है। सावली में 450 रेल कारों का निर्माण किया गया और क्वींसलैंड मेट्रो परियोजना के लिए ऑस्ट्रेलिया को निर्यात किया गया।
महत्वपूर्ण रेल घटकों का निर्यात
सावली इकाई ने जर्मनी, मिस्र, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया और ब्राज़ील सहित कई देशों को 3,800 से ज़्यादा बोगियों का सफलतापूर्वक निर्यात किया है, साथ ही वियना, ऑस्ट्रिया को 4,000 से ज़्यादा फ्लैटपैक (मॉड्यूल) भी उपलब्ध कराए हैं। मनेजा इकाई ने विभिन्न वैश्विक परियोजनाओं को 5,000 से ज़्यादा संचालन शक्ति प्रणालियाँ निर्यात करके महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

भारत में डिज़ाइन, कई देशों में स्थापित
भारत वर्तमान में 27 अंतर्राष्ट्रीय सिग्नलिंग परियोजनाओं का नेतृत्व कर रहा है और दुनिया भर में 40 अतिरिक्त परियोजनाओं को सहायता प्रदान कर रहा है। बैंगलोर का डिजिटल एक्सपीरियंस सेंटर दुनिया भर में 120 से अधिक परियोजनाओं में सहयोग करके नवाचार को बढ़ावा दे रहा है, और आईओटी, एआई ब्लॉकचेन और साइबर सुरक्षा का उपयोग करके अगली पीढ़ी की सिग्नलिंग पर ध्यान केन्द्रित कर रहा है।
"भारत से दुनिया भर में डिज़ाइन, विकास और वितरण" की कल्पना के तहत भारत के रेल उत्पादों का निर्यात बढ़ रहा है।
- मेट्रो कोच: ऑस्ट्रेलिया, कनाडा को निर्यात किए गए
- बोगियां: यूके, सऊदी अरब, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया भेजी गईं
- संचालक शक्ति प्रणालियाँ: फ्रांस, मैक्सिको, रोमानिया, स्पेन, जर्मनी और इटली को आपूर्ति की गई
- यात्री कोच: मोजाम्बिक, बांग्लादेश और श्रीलंका को वितरित
- रेल के इंजन : मोजाम्बिक, सेनेगल, श्रीलंका, म्यांमार, बांग्लादेश और गिनी गणराज्य को निर्यात किए गए
स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा
सावली के निकट विनिर्माण इकोसिस्टम अग्रणी आपूर्तिकर्ताओं के एक मज़बूत नेटवर्क द्वारा सहयोग प्राप्त है। प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं में इंटीग्रा, एनोवी, हिंद रेक्टिफायर, हिताची एनर्जी और एबीबी शामिल हैं, जो निर्माण, आंतरिक सज्जा और विद्युत प्रणालियों में विशेषज्ञता रखते हैं।
मीडिया से बात करते हुए, केन्द्रीय रेल मंत्री ने कहा कि "मेक इन इंडिया और मेक फॉर द वर्ल्ड" पहल का प्रभाव भारतीय रेलवे के विनिर्माण क्षेत्र में स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कई देशों को रेलवे के कलपुर्जों का निर्यात भारत में रोज़गार के महत्वपूर्ण अवसर पैदा कर रहा है। मंत्री ने आगे कहा कि भारतीय इंजीनियर और कर्मचारी अब अंतर्राष्ट्रीय मानकों में विशेषज्ञता हासिल कर रहे हैं, जिसे उन्होंने मेक इन इंडिया मिशन की एक बड़ी सफलता बताया।
****
पीके/एके/केसी/केपी/एसएस
(Release ID: 2149131)