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भारत और मालदीव: व्यापक आर्थिक एवं समुद्री सुरक्षा भागीदारी संबंधी विज़न

Posted On: 07 OCT 2024 2:39PM by PIB Delhi

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और मालदीव के राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज़ू की आज नई दिल्ली में मुलाकात हुई और दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों के सभी पहलुओं की व्यापक समीक्षा की, और साथ ही उन्होंने दोनों देशों द्वारा अपने ऐतिहासिक रूप से घनिष्ठ और विशेष संबंधों को और मजबूत करने में की गई प्रगति का उल्लेख किया, जिसने दोनों देशों के नागरिकों की बेहतरी में बड़ा योगदान दिया है।

2.     प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भारत की ‘पड़ोसी पहले’ नीति और विज़न सागर के तहत, मालदीव के साथ संबंधों को भारत द्वारा दिए गए महत्व को रेखांकित किया और मालदीव की विकास यात्रा और प्राथमिकताओं में मदद करने के लिए भारत की अटूट कटिबद्धता की पुनः पुष्टि की। मालदीव के राष्ट्रपति ने समय पर आपातकालीन वित्तीय मदद के लिए भारत को धन्यवाद दिया, जिसमें मई और सितंबर 2024 में एसबीआई द्वारा सब्सक्राइब किए गए 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर के टी-बिल को एक वर्ष की अवधि के लिए आगे बढ़ाना शामिल है, जिससे मालदीव को अपनी तत्काल वित्तीय जरूरतों को पूरा करने में अत्यावश्यक वित्तीय सहायता मिली। पिछले दशक में माले में 2014 के जल संकट और कोविड-19 महामारी के दौरान भारत ने मालदीव की मदद की थी और डॉ. मुइज़ू ने जरूरत के समय में मालदीव की मदद के लिए 'सबसे पहले खड़े होने वाले देश' के रूप में भारत की निरंतर सहायता करने वाली भूमिका को स्वीकार किया।

3.     मालदीव के राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज़ू ने द्विपक्षीय मुद्रा स्वैप समझौते के रूप में 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर और 30 बिलियन रुपये के रूप में समर्थन देने के भारत सरकार के निर्णय की प्रशंसा की, जो मालदीव की वर्तमान वित्तीय चुनौतियों से निपटने में सहायक है। दोनों नेताओं ने मालदीव को उसकी वित्तीय चुनौतियों से निपटने में मदद करने के लिए आगे के उपायों को लागू करने पर भी सहमति व्यक्त की।

4.     नेताओं ने माना कि यह दोनों पक्षों के लिए सहयोग हेतु एक नया ढांचा तैयार करने का उपयुक्त समय है, जिसका उद्देश्य द्विपक्षीय संबंधों को व्यापक रूप से एक व्यापक आर्थिक और समुद्री सुरक्षा भागीदारी में बदलना है, जो जन-केंद्रित, भविष्योन्मुखी है और यह हिंद महासागर क्षेत्र में स्थिरता के लिए एक लंगर के रूप में कार्य करेगा। इस प्रसंग में दोनों नेताओं ने निम्नलिखित निर्णय लिए हैं:

I. राजनीतिक आदान-प्रदान

नेतृत्व और मंत्रिस्तरीय स्तर पर आदान-प्रदान को तेज करने के लिए, दोनों पक्ष सांसदों और स्थानीय सरकार के प्रतिनिधियों के आदान-प्रदान को शामिल करने के लिए उनका विस्तार करेंगे। इसके अलावा, द्विपक्षीय संबंधों की बढ़ोतरी में साझा लोकतांत्रिक मूल्यों के योगदान को मान्यता प्रदान करते हुए, उन्होंने दोनों देशो की संसदों के बीच संस्थागत सहयोग को सक्षम बनाने के लिए एक समझौता ज्ञापन करने का निर्णय लिया।

II. विकास सहयोग

वर्तमान में चल रही विकासात्मक भागीदारी परियोजनाओं की प्रगति को ध्यान में रखते हुए, जो पहले से ही मालदीव के लोगों को ठोस लाभ पहुंचा चुकी हैं, दोनों पक्षों ने निर्णय लिया:

i.   बंदरगाहों, हवाई अड्डों, आवास, अस्पतालों, सड़क नेटवर्क, खेल सुविधाओं, स्कूलों और जल एवं सीवरेज सहित क्षेत्रों में मालदीव की जरूरतों और आवश्यकताओं के अनुसार विकासात्मक भागीदारी को आगे बढ़ाने में एक साथ काम करेंगे;

ii.   आवास चुनौतियों का समाधान करने और भारत की मदद से चल रही सामाजिक आवास परियोजनाओं में तेजी लाने में मालदीव को सहायता प्रदान करेंगे;

iii.  महत्वपूर्ण ग्रेटर माले कनेक्टिविटी परियोजना (जीएमसीपी) को समय पर पूरा करने के लिए पूर्ण समर्थन प्रदान करेंगे और विस्तार के रूप में थिलाफुशी और गिरावारु के द्वीपों को जोड़ने के लिए व्यवहार्यता अध्ययन करेंगे;

iv.   माले बंदरगाह को भीड़भाड़ से मुक्त करने और थिलाफुशी में बेहतर कार्गो हैंडलिंग क्षमता प्रदान करने के लिए थिलाफुशी द्वीप पर एक अत्याधुनिक वाणिज्यिक बंदरगाह के विकास में सहयोग करेंगे;

v.   मालदीव के इहावनधिप्पोलु और गाधू द्वीपों पर मालदीव आर्थिक गेटवे परियोजना में योगदान देने वाली ट्रांसशिपमेंट सुविधाओं और बंकरिंग सेवाओं के विकास के लिए सहयोग की संभावना तलाश करेंगे;

vi.   मालदीव के अन्य हवाई अड्डों के साथ-साथ, भारतीय सहायता से विकसित किए जा रहे हनीमाधू और गण हवाई अड्डों की पूरी क्षमता का दोहन करने के लिए संयुक्त रूप से काम करेंगे। इस दिशा में, दोनों पक्ष हवाई संपर्क को मजबूत करने, निवेश आकर्षित करने और इन हवाई अड्डों के कुशल प्रबंधन के लिए सहयोग करने के उपायों पर भी विचार करेंगे;

vii.    भारतीय सहायता से हा धालू एटोल में "कृषि आर्थिक क्षेत्र" और पर्यटन निवेश तथा हा अलीफू एटोल में मछली प्रसंस्करण और डिब्बाबंदी सुविधा स्थापित करने में संयुक्त रूप से काम करना;

viii.   भारत-मालदीव जन-केंद्रित विकास भागीदारी को मालदीव के हर भाग तक ले जाने के लिए सफल उच्च प्रभाव सामुदायिक विकास परियोजनाओं को अतिरिक्त वित्तपोषण के जरिए आगे बढ़ाएंगे।

III.व्यापार और आर्थिक सहयोग

द्विपक्षीय व्यापार और निवेश की महत्वपूर्ण अप्रयुक्त क्षमता को देखते हुए, दोनों पक्षों ने सहमति व्यक्त की:

i.      दोनों देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं के व्यापार पर ध्यान केंद्रित करते हुए, एक द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते पर विचार-विमर्श शुरू करेंगे;

ii.     व्यापार संबंधों को और मजबूत करने तथा विदेशी मुद्राओं पर निर्भरता को कम करने के उद्देश्य से, स्थानीय मुद्राओं में भारत और मालदीव के बीच व्यापार लेनदेन के निपटान को चालू करेंगे;

iii.     दोनों देशों के बिजनेस चेंबर्स और संस्थाओं के बीच द्विपक्षीय निवेश और घनिष्ठ जुड़ाव को बढ़ावा देंगे; निवेश के अवसरों से संबंधित जानकारी का प्रसार करने और व्यापार करने में सुगमता संबंधी सुधार करने के लिए कदम उठाए जाएंगे;

iv.     कृषि, मत्स्य पालन, समुद्र विज्ञान और समुद्री अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों में मालदीव के साथ सहयोग को मजबूत करके उसकी अर्थव्यवस्था के विविधीकरण की दिशा में उसके प्रयासों का समर्थन करेंगे, जिसमें अकादमिक संबंध स्थापित करना तथा अनुसंधान एवं विकास सहयोग का विस्तार करना शामिल है;

v.     विपणन अभियानों और सहयोगात्मक प्रयासों के जरिए दोनों देशों के बीच पर्यटन को बढ़ावा देने के प्रयासों को बेहतर बनाएंगे,

IV. डिजिटल और वित्तीय सहयोग

यह देखते हुए कि डिजिटल और वित्तीय क्षेत्रों में विकास का शासन और सेवाओं की डिलीवरी पर परिवर्तनकारी प्रभाव पड़ता है, दोनों पक्षों ने सहमति व्यक्त की:

i.      डिजिटल और वित्तीय सेवाओं के कार्यान्वयन पर विशेषज्ञता साझा करेंगे;

ii.     भारत के एकीकृत भुगतान इंटरफ़ेस (यूपीआई), विशिष्ट डिजिटल पहचान, गति शक्ति योजना और अन्य डिजिटल सेवाओं की शुरुआत करने के जरिए डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) के क्षेत्र में सहयोग करेंगे, जो मालदीव के लोगों के लाभ के लिए डिजिटल डोमेन के माध्यम से ई-गवर्नेंस और सेवाओं की डिलीवरी को बेहतर बनाएगा;

iii.    मालदीव में रूपे कार्ड के शुभारंभ का स्वागत करते हुए, जो मालदीव आने वाले भारतीय पर्यटकों के लिए भुगतान को आसान बनाएगा, भारत आने वाले मालदीव के नागरिकों के लिए समान सेवाओं का विस्तार करने के लिए मिलकर काम करेंगे।

V. ऊर्जा सहयोग

सतत विकास सुनिश्चित करने में ऊर्जा सुरक्षा की भूमिका को देखते हुए, दोनों पक्षों ने ऊर्जा लागत को कम करने और मालदीव को अपने एनडीसी लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम बनाने के लिए सौर ऊर्जा तथा अन्य नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा दक्षता परियोजनाओं के कार्यान्वयन के जरिए सहयोग का पता लगाने पर सहमति व्यक्त की, दोनों पक्ष संस्थागत भागीदारी के लिए एक रूपरेखा स्थापित करेंगे जिसमें, प्रशिक्षण, यात्राओं का आदान-प्रदान, संयुक्त अनुसंधान, तकनीकी परियोजनाएं और निवेश को बढ़ावा देना शामिल होगा।

इस दिशा में, दोनों पक्ष उन उपायों की पहचान करने के लिए एक व्यवहार्यता अध्ययन भी करेंगे, जो मालदीव को वन सन वन वर्ल्ड वन ग्रिड पहल में हिस्सा लेने में सक्षम बनाएंगे।

VI.स्वास्थ्य सहयोग


दोनों पक्ष सहमत हुए:

i. भारत में मालदीव के लोगों को सुरक्षित, गुणवत्तायुक्त और वहनीय स्वास्थ्य सेवाओं के माध्यम से दोनों देशों के बीच चल रहे स्वास्थ्य सहयोग को और बढ़ावा देना और भारत में अस्पतालों और सुविधाओं के बीच संबंधों को बढ़ावा देना और मालदीव में स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए मालदीव में आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में सुधार करना;

ii. मालदीव सरकार द्वारा भारतीय औषधि कोष (फार्माकोपिया) को मान्यता देने की दिशा में काम करना, भारत से सस्ती और गुणवत्तायुक्त जेनेरिक दवाओं की उपलब्धता से मालदीव के स्वास्थ्य सुरक्षा प्रयासों में योगदान देने के लिए मालदीव में भारत-मालदीव जन औषधि केंद्रों की स्थापना करना;

iii. मालदीव की केंद्रीय और क्षेत्रीय मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं और सहायता प्रणालियों में सुधार के लिए मिलकर काम करना;

iv. कौशल और ज्ञान बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से सहयोग करना;


v. कैंसर और बांझपन सहित आम स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान करने के लिए स्वास्थ्य अनुसंधान पहल पर मिलकर काम करना;

vi. नशीली दवाओं की लत से छुटकारा पाने के लिए और पुनर्वास उपायों पर विशेषज्ञता साझा करने के साथ-साथ मालदीव में पुनर्वास केंद्रों की स्थापना में सहायता करने के लिए मिलकर काम करना;

vii. आपातकालीन चिकित्सा स्थितियों में प्रभावित लोगों को त्वरित आधार पर निकालने में मालदीव की क्षमता बढ़ाने के लिए मिलकर काम करना।

VII. रक्षा और सुरक्षा सहयोग

भारत और मालदीव के समक्ष हिंद महासागर क्षेत्र में कुछ ऐसी चुनौतियां हैं, जिनका दोनों देशों की सुरक्षा और विकास के लिए बहुआयामी प्रभाव है। प्राकृतिक साझेदार के रूप में भारत और मालदीव अपने नागरिकों के साथ-साथ हिंद महासागर क्षेत्र में बड़े लाभ के लिए समुद्री और सुरक्षा सहयोग को आगे बढ़ाने में मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।

मालदीव, अपने विशाल विशेष आर्थिक क्षेत्र के साथ, समुद्री डकैती, अवैध, अप्रतिबंधित और अनियमित रूप से मछली पकड़ना, नशीली दवाओं की तस्करी और आतंकवाद सहित पारंपरिक और गैर-पारंपरिक समुद्री चुनौतियों का सामना कर रहा है। दोनों देश इस बात पर सहमत हुए कि भारत एक विश्वसनीय और भरोसेमंद साझेदार के रूप में मालदीव की आवश्यकताओं के अनुरूप विशेषज्ञता साझा करने, क्षमताओं को बढ़ाने और संयुक्त सहयोगी उपाय करने में मालदीव के साथ मिलकर काम करेगा। दोनों देश भारत की सहायता से उथुरु थिला फल्हु (यूटीएफ) में जारी मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल (एमएनडीएफ) 'एकथा' बंदरगाह परियोजना की परिचालन क्षमताओं को बढ़ाने और इसे समय पर पूरा करने में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए सहमत हुए है।

दोनों पक्ष सहमत हुए -

  1. दोनों पक्ष एमएनडीएफ की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए रक्षा मंचों और परिसंपत्तियों की उपलब्धता के साथ मालदीव को समर्थन देने और साथ ही मालदीव सरकार की राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप अपनी समुद्री और सुरक्षा आवश्यकताओं को आगे बढ़ाने में
    आपसी सहयोग के लिए भी सहमत हुए;
  2. रडार सिस्टम और अन्य उपकरणों की उपलब्धता के साथ एमएनडीएफ की निगरानी क्षमता बढ़ाने में मालदीव का समर्थन करना।
  3. मालदीव सरकार की आवश्यकताओं के अनुसार क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण के माध्यम से जलीय क्षेत्रों के मापन से जुड़े मामलों पर मालदीव का समर्थन करना।
  4. आपदा प्रतिक्रिया और जोखिम न्यूनीकरण के क्षेत्र में पारस्परिक सहयोग को मजबूत करना, जिसमें बेहतर अंतर-संचालन क्षमता प्राप्त करने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) और अभ्यास का विकास शामिल है;
  5. बुनियादी ढांचे, प्रशिक्षण और सर्वोत्तम कार्यविधियों को साझा करने और क्षमताओं के विकास का समर्थन करने के माध्यम से सूचना के क्षेत्र में मालदीव की सहायता करना।
  6. रक्षा मंत्रालय की आधुनिक अवसंरचना क्षमता को बढ़ाने के लिए माले में निर्मित अत्याधुनिक मालदीव रक्षा मंत्रालय (एमओडी) भवन का शीघ्र उद्घाटन करना;
  7. आईटीईसी कार्यक्रमों और भारत द्वारा चलाए गए प्रशिक्षण कार्यक्रमों के तहत एमएनडीएफ, मालदीव पुलिस सेवा (एमपीएस) और मालदीव के अन्य सुरक्षा संगठनों के लिए क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण केंद्रों को बढ़ाना;
  • viii. अवसंरचना को विकसित और उन्नत करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना।

    VIII. क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण

मालदीव की मानव संसाधन विकास संबंधी आवश्यकताओं की दिशा में सकारात्मक योगदान के लिए जारी विभिन्न क्षमता निर्माण पहल कार्यक्रम की समीक्षा करते हुए, दोनों पक्ष मालदीव की आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं के अनुसार प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के लिए समर्थन का और विस्तार करने पर सहमत हुए।

मालदीव में सिविल सेवकों और स्थानीय सरकार के प्रतिनिधियों की आवश्यकताओं के अनुरूप प्रशिक्षण कार्यक्रम जारी रखना।

मालदीव की महिला उद्यमियों द्वारा मालदीव की अर्थव्यवस्था में उनकी बढ़ी हुई भागीदारी के लिए कौशल प्रशिक्षण प्रदान करके महिला-नेतृत्व वाले विकास को बढ़ावा देने के लिए एक नया कार्यक्रम शुरू करना;

युवाओं के कौशल का बेहतर इस्तेमाल करने के लिए मालदीव में स्टार्ट-अप इनक्यूबेटर-एक्सेलेरेटर की स्थापना में सहयोग करना।

IX. लोगों के बीच संबंध

भारत और मालदीव के लोगों के बीच संबंध दोनों देशों के बीच घनिष्ठ संबंधों का आधार बने हुए हैं । दोनों पक्ष इन संबंधों को बढ़ावा देने पर सहमत हुए।

व्यापार और आर्थिक सहयोग और अधिक से अधिक लोगों के बीच संपर्क के विस्तार में योगदान देने के लिए बेंगलुरु में मालदीव का एक वाणिज्य दूतावास और अड्डू शहर में भारत का एक वाणिज्य दूतावास स्थापित करने की दिशा में सकारात्मक रूप से काम करना,

ii. यात्रा को आसान बनाने, आर्थिक जुड़ाव का समर्थन करने और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हवाई और समुद्री संपर्क को बढ़ाना; iii. मालदीव की आवश्यकताओं के अनुसार उच्च शिक्षा संस्थानों, कौशल केंद्रों और उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना करना;

iv. मालदीव राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में आईसीसीआर चेयर स्थापित करने की दिशा में काम करना

X. क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग

भारत और मालदीव के बीच घनिष्ठ सहयोग से दोनों देशों को क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर लाभ हुआ है और साझा हितों के मुद्दों पर दोनों देशों ने एक-दूसरे की आवाज बुलंद की है। हाल ही में कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन (सीएससी) के चार्टर पर हस्ताक्षर करने के साथ, भारत और मालदीव ने सीएससी के संस्थापक सदस्यों के रूप में एक सुरक्षित, संरक्षित और शांतिपूर्ण हिंद महासागर क्षेत्र को प्राप्त करने के उद्देश्य से अपने साझा समुद्री और सुरक्षा हितों को आगे बढ़ाने में मिलकर काम करने की पुष्टि की। दोनों पक्षों ने बहुपक्षीय मंचों पर मिलकर काम करना जारी रखने पर भी सहमति व्यक्त की।

4. दोनों नेताओं ने भारत और मालदीव के अधिकारियों को उल्लेखित क्षेत्र में सहयोग को उचित और कुशल तरीके से लागू करने का निर्देश दिया, जिसका उद्देश्य भारत और मालदीव के नागरिकों के साथ-साथ हिंद महासागर क्षेत्र के साझा लाभ के लिए दोनों देशों के बीच व्यापक आर्थिक और समुद्री सुरक्षा साझेदारी को आगे बढ़ाना है। उन्होंने इस दृष्टिकोण परिपत्र के कार्यान्वयन में प्रगति की निगरानी के लिए एक नए उच्च स्तरीय कोर समूह का गठन करने का निर्णय लिया, जिसे दोनों पक्ष पारस्परिक रूप से तय करेंगे।

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