संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय

ट्राई ने उपभोक्ताओं को स्पैम एवं धोखाधड़ी से बचाने के लिए जेसीओआर की बैठक बुलाई


अधिक सुरक्षित एवं कुशल दूरसंचार परिवेश सुनिश्चित करने पर जोर

Posted On: 28 AUG 2024 9:01AM by PIB Delhi

भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने 27 अगस्त, 2024 को नई दिल्ली स्थित अपने मुख्यालय में विनियामकों की संयुक्त समिति (जेसीओआर) की बैठक बुलाई। इस बैठक में भाग लेने वाले जेसीओआर के सदस्‍यों में आईआरडीएआई, पीएफआरडीए, आरबीआई, सेबी, नागरिक उड्डयन मंत्रालय, इले‍क्‍ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और ट्राई के प्रतिनिधि शामिल थे। इसके अलावा दूरसंचार विभाग और गृह मंत्रालय के प्रतिनिधि विशेष अतिथि के रूप में शामिल हुए। जेसीओआर डिजिटल युग में नियामकीय निहितार्थों की जांच करने और नियामकीय ढांचे पर साथ मिलकर काम करने के लिए एक सहयोगी प्‍लेटफॉर्म के रूप में कार्य करता है।

ट्राई के चेयरमैन श्री अनिल कुमार लाहोटी ने अपने संबोधन में स्पैम मैसेज एवं अनचाही कॉल की समस्या से निपटने के लिए संयुक्त प्रयास करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने नियामकों से इन मुद्दों पर चर्चा करने और उन्‍हें लागू करने आग्रह किया: (i) एसएमएस में भेजे जाने वाले यूआरएल, एपीके, ओटीटी लिंक और कॉल बैक वाले नंबरों को व्‍हाइटलिस्‍ट में शामिल किया जाए, (ii) 140 श्रृंखलाओं में प्रोमोशनल कॉल करने वाले मौजूदा टेलीमार्केटर का डीएलटी प्लेटफॉर्म पर स्‍थानांतरण किया जाए और (iii) पीई-टीएम चेन बाइंडिंग के लिए उनके द्वारा नियोजित टेलीमार्केटर की पूरी श्रृंखला की घोषणा की जाए।

बैठक में दूरसंचार संसाधनों के जरिये किए जाने वाले अनचाही वाणिज्यिक संचार यानी यूसीसी एवं धोखाधड़ी से निपटने के लिए संभावित संयुक्‍त प्रयासों एवं रणनीतियों पर चर्चा की गई। चर्चा के प्रमुख मुद्दे इस प्रकार थे:

  • कंटेंट टेम्प्लेट में यूआरएल, एपीके, ओटीटी लिंक और कॉल बैक नंबर की व्हाइटलिस्टिंग में संस्थाओं की भूमिका और प्रेषक से प्राप्तकर्ताओं तक सभी मैसेजों की पहचान सुनिश्चित करना क्‍योंकि हेडर एवं टेम्प्लेट के दुरुपयोग के कई मामले सामने आए हैं। मैसेजे के वेरिएबल भागों का उपयोग करते हुए मालिसियस लिंक भेजबर धोखाधड़ी की जाती है। हेडर एवं कंटेंट टेम्प्लेट के दुरुपयोग के मामले में ट्रैफिक को आगे बढ़ाने वाली संस्था को ढूंढना मुश्किल है। इसलिए, यूआरएल, एपीके, ओटीटी लिंक या कॉल बैक नंबर की अनिवार्य व्हाइटलिस्टिंग और ट्राई के ताजा निर्देश के तहत निर्धारित समयसीमा के अनुसार पीई-टीएम चेन बाइंडिंग के लिए उनके द्वारा नियोजित टेलीमार्केटर्स की पूरी श्रृंखला की घोषणा किए जाने को अनिवार्य बनाने की आवश्यकता है।
  • अनचाहे कॉल करने के लिए पीआरआई/ एसआईपी चैनलों का उपयोग करने वाली संस्थाओं की समस्‍या को दूर करना। कई व्यावसायिक संस्थाएं ट्राई के नियमों का उल्लंघन करते हुए सैकड़ों इंडिकेटर्स के साथ एसआईपी/ पीआरआई लाइनों का उपयोग करते हुए वाणिज्यिक वॉयस कॉल करती हैं। इन संस्थाओं को प्रचार-प्रसार संबंधी कॉल करने के लिए निर्दिष्ट 140 श्रृंखला में स्थानांतरित किया जाना चाहिए। इसके अलावा, उन स्पैमर्स के खिलाफ बिना देरी किए सख्त कार्रवाई करने की तत्काल आवश्यकता है जो प्रचार-प्रसार संबंधी वॉयस कॉल/ रोबो कॉल/ प्री-रिकॉर्डेड कॉल करने के लिए पीआरआई/ एसआईपी /बल्क कनेक्शन का उपयोग कर रहे हैं।
  • उपभोक्ताओं से डिजिटल सहमति लेने के लिए दूरसंचार कंपनियों द्वारा स्थापित डीसीए प्रणाली का फायदा उठाना। डीसीए प्रणाली संस्थाओं के लिए बहुत उपयोगी होगी और यह न केवल मैसेजिंग सेवाओं के लिए, बल्कि वॉयस कॉल के लिए भी फायदेमंद साबित होगी। यह प्राप्तकर्ताओं को उनकी डीएनडी प्राथमिकता के बावजूद मैसेज एवं कॉल की डिलीवरी की अनुमति देता है। अब डीसीए के लिए तकनीकी बुनियादी ढांचा भी मौजूद है। नियामकों से अनुरोध किया गया कि वे अपने अधिकार क्षेत्र के दायरे में आने वाली संस्थाओं से समयबद्ध तरीके से इस सुविधा का उपयोग शुरू करने के लिए कहें।
  • उपभोक्ताओं द्वारा आसान पहचान सुनिश्चित करने के लिए सेवा एवं लेन-देन संबंधी कॉल करने के लिए संस्थाओं द्वारा 160 श्रृंखला का उपयोग करना। यह 160 श्रृंखला विशेष रूप से सेवाओं एवं लेन-देन संबंधी कॉल के लिए आवंटित की गई है। विभिन्न विकल्पों की तकनीकी व्यवहार्यता निर्धारित करने के लिए ट्राई और आरबीआई द्वारा एक पायलट अध्ययन शुरू किया गया था, जिसके परिणामों पर चर्चा की गई।
  • दूरसंचार संसाधनों का उपयोग करके धोखाधड़ी पर लगाम लगाने के लिए नियामकों के बीच सूचनाओं के आदान-प्रदान को बढ़ाना देना। विभिन्न नियामकों के पास उनके प्लेटफॉर्मों पर उपलब्ध सूचनाओं के आदान-प्रदान और धोखाधड़ी पर लगाम लगाने के लिए उनके प्रभावी उपयोग पर जोर दिया गया।

जेसीओआर का उद्देश्य सामूहिक रूप से इन मुद्दों को निपटाते हुए उपभोक्ताओं को स्पैम एवं धोखाधड़ी के नुकसान से बचाना और अधिक सुरक्षित एवं कुशल दूरसंचार परिवेश सुनिश्चित करना है।

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