प्रधानमंत्री कार्यालय

पेरिस ओलंपिक दल के साथ प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की बातचीत का मूल पाठ

Posted On: 16 AUG 2024 12:22PM by PIB Delhi

प्रधानमंत्री- हम तो भाई आप लोगों से गप्पे लगाएंगे। अच्‍छा आप में से कितने हैं जो हार करके आए हैं। सबसे पहले तो दिमाग में से निकाल दीजिए कि आप हार करके आए हैं। आप देश का झंडा ऊंचा करके आए हैं और आप कुछ सीख करके आए हैं। और इसलिए खेल ही एक ऐसा क्षेत्र है दोस्‍तो कि जहां कभी कोई हारता नहीं है। हर कोई सीखता है। और इसलिए मैं पहला तो आप लोगों से आग्रह से कहूंगा, इसलिए मैंने जानबूझ करके कहा जरा हाथ ऊपर करो। लेकिन अच्‍छा हुआ 80 पर्सेंट लोगों ने हाथ ऊपर नहीं किया, मतलब वो मेरी बात को समझते हैं। जिन्‍होंने हाथ ऊपर किया उन्‍होंने नम्रता के कारण किया है, विवेक के कारण किया है। लेकिन मैं उनसे भी आग्रह करूंगा क‍ि हमें ये सोचना नहीं है कि हम पीछे रह गए हैं; हम बहुत कुछ सीख करके आए हैं। तो मेरी बात आपको मंजूर है? ऐसे नहीं, जोर से बताइए, खिलाड़ी हैं आप तो।

खिलाड़ी- Yes Sir...

प्रधानमंत्री- अच्छा, मैं तो कुछ जानना चाहता हूं भई, जो मैदान में आपने किया वो तो पूरी दुनिया ने देखा। मैदान के सिवाय क्‍या-क्‍या किया, वो बताइए। दुनिया के कई प्‍लेयरों से दोस्ती हुई होगी, बहुत कुछ जाना होगा। आपको लगा होगा यार हमारे यहां भी ऐसा होता तो अच्‍छा होता। ऐसा कुछ हुआ होगा ना? तो मैं ऐसा कुछ सुनना चाहता हूं आप लोगों से। कौन बताएगा?

लक्ष्य - जी सर, सबसे पहले नमस्ते आपको एंड

प्रधानमंत्री- – लक्ष्य को जब मैं पहली बार मिला तो इतना छोटा था, आज काफी बड़ा हो गया।

लक्ष्य – जैसा कि टूर्नामेंट मेरा रहा, काफी लंबे matches रहे वहां पर शुरुआत के दिन से। तो ज्यादा करके मेरा फोकस matches पर रहता था but Yes..जब भी हमें फ्री टाइम मिलता था हम लोग सबके साथ डिनर करने जाते थे और काफी सारे Athletes वहां पर मिले जिनको देखकर I think काफी कुछ सीखा और हमने उनके साथ एक डाइनिंग रूम शेयर किया। I think वो एक बड़ी बात थी, and I think और जो वो वहां का माहौल था, I think ये मेरा सबसे पहला ओलंपिक्‍स था और जो मैंने experience किया वहां पर वो काफी अच्छा था, जैसे कि इतने बड़े स्टेडियम में खेलना, इतना crowd आपको देख रहा है तो फर्स्‍ट दो-तीन matches में थोड़ा नर्वस भी था but जैसे ही टूर्नामेंट चलता गया मेरा वो better होता गया but I think मेरे लिए एक बहुत बड़ा experience था। 

प्रधानमंत्री – अरे भई तुम तो देवभूमि से हो। लेकिन आपको मालूम है इस बार आप एकदम से सेलिब्रिटी बन गए हो?

लक्ष्य – जी सर, मेरा, matches के टाइम तो मेरा फोन प्रकाश सर ने ले लिया था और बोला कि अभी जब तक matches नहीं हो जाते, तब तक फोन नहीं मिलेगा, but Yes उसके बाद I think काफी लोगों ने सपोर्ट दिया, but मैं यही कहना चाहूंगा मेरा एक अच्‍छा learning experience था। थोड़ा heart breaking भी था कि मैं इतने क्‍लोज आकर रह गया, but मैं आगे आने वाले टाइम में और better करूंगा अपना रिजल्ट।

प्रधानमंत्री – तो प्रकाश सर इतने disciplined strict थे तो अगली बार मैं उन्‍हीं को भेजूंगा।

लक्ष्‍य – जरूर सर जरूर।

प्रधानमंत्री– लेकिन बहुत कुछ सीखा होगा ना, क्‍योंकि देखिए मैं बताता हूं। अच्छा होता आप जीत करके आते होते, लेकिन आपके खेल को जिनको पता भी नहीं है खेल क्‍या है, वो भी घंटों तक देखते रहते हैं। बार-बार रील देखते हैं। जिस प्रकार से आपने खेला है, लोगों ने कहा- नहीं विदेश के लोग खेलते हैं ऐसा नहीं है, हमारे बच्चे भी खेलते हैं, ये भाव पैदा हुआ है। 

लक्ष्य – जी सर, I think वो एक दो शॉर्ट मैंने ऐसे खेले थे जो काफी famous हो गए थे। But I think overall जैसा मैंने टूर्नामेंट खेला, मैं चाहूंगा कि और आगे जो आने वाले बच्‍चे हैं जो बैडमिंटन लेते हैं, मैं उनको और inspire करूं और ऐसे ही खेलता रहूं।

प्रधानमंत्री – बहुत बढ़िया। अच्‍छा एसी नहीं था और गर्मी बहुत लगती थी तो सबसे पहले कौन चिल्‍लाया था? कि ये क्‍या कर रहा था, मोदी बातें तो बड़ी करता है, हैं, एसी भी नहीं है कमरे में, हम क्‍या करें? कौन-कौन थे जिसको सबसे ज्‍यादा परेशानी हुई? लेकिन मुझे पता चला उसके कुछ ही घंटों में आपका वो काम भी पूरा कर दिया था। सबको‍ मिल गया था ना एसी तुरंत? देखिए! इतना ख्‍याल रखा जाता है हर खिलाड़ियों का इसका। सब लोग तुरंत एक्‍ट करते हैं।

अंजू मोडगिल- नमस्‍कार सर, मेरा नाम अंजू मोडगिल है, मैं शूटिंग स्‍पोर्ट्स से हूं। तो मैं बस general experience जो मेरा सेकेंड ओलंपिक्‍स था और कुछ प्‍वाइंट्स से मेरा फाइनल में नहीं रहा। But as an Indian और as an athlete मैंने ये चीज experience की जी, जो athletes हर दिन experience करते हैं कि एकदम खुशी अपना कोई goal achieve करने में और एकदम से निराशा। वो ओलंपिक्‍स के टाइम पर इंडिया की performance की वजह से पूरे देश ने experience किया। एक दिन मनु के मेडल पर एकदम खुश फिर काफी incidents हुए जिसमें 4th रहे और विनेश की जो पूरी स्‍टोरी थी, वो बहुत ही disheartening थी। फिर और जो हॉकी का मैच था, उसके बाद जो खुशी, जो एथलीट्स हम नॉर्मल लाइफ में हर दिन experience करते हैं, different- different emotions, वो पूरे देश ने experience किया इस दस दिन में। और I think एक इंडिया में sports culture बढ़ाने के लिए ये गेम्स बहुत ही अच्छे टाइम पर आए and I think इससे आगे से लोग बहुत अच्छे से हमारी sporting journey को समझेंगे और जो भी positive changes हैं वो और भी better होंगे आगे के टाइम पर।

प्रधानमंत्री – आपकी बात सही है, सिर्फ आप लोगों ने नहीं, हिन्‍दुस्‍तान के हर कोने में वो ही मिजाज था, सब लोग अगर थोड़ा सा हल्‍का-फुल्‍का दिखता तो यहां बेचैन हो जाते थे। वो यहीं पर जैसे कार चलाते हैं ना, अगर हमें ड्राइविंग आता है और हम पीछे बैठे हैं तो ब्रेक तो आगे वाले को लगानी है, लेकिन पैर हम दबाते हैं पीछे। तो वैसे ही खिलाड़ी वहां खेलते थे और लोग हाथ-पैर इधर ऊपर-नीचे कर रहे थे। श्रीजेश आपने ये रिटायर होने का निर्णय पहले ही कर लिया था मन में कि क्‍या था?

श्रीजेश - सर, नमस्‍ते सर। थोड़े साल से सोच रहा था सर। मेरे टीम वालों ने भी बोल दिया भाई, कब छोड़ेगा, यही question आ रहा था मेरे ऊपर। But मुझे ऐसा लग रहा था सर, I mean मैंने 2002 में पहली बार गेम में गया और 2004 में फर्स्ट इंटरनेशनल खेला जूनियर टीम में। तब से खेलता आ रहा हूं, तो मेरा सोचा बीस साल से अपने देश के लिए खेल रहा हूं तो एक अच्‍छे प्‍लेटफॉर्म से रिटायरमेंट लेना है। तो ओलंपिक्‍स ऐसा एक प्‍लेटफॉर्म है सर, जहां पर पूरी दुनिया अपना फेस्टिवल मनाती है, तो सोचा इससे अच्‍छा तो मौका मिलेगा नहीं। इसलिए तो एक अच्‍छा decision लिया।

प्रधानमंत्री – लेकिन मैं बताता हूं ये टीम आपको तो मिस करेगी ही करेगी, लेकिन टीम ने आपकी विदाई शानदार की।

श्रीजेश – यस सर,

प्रधानमंत्री – ये टीम को बधाई है। सरपंच साहब ने बड़ा

श्रीजेश– सच में सर, ऐसा ही हम एक सपना ही देख सकता है सर, क्‍योंकि हमारे लिए थोड़ा hard था जब हम लोग सेमीफाइनल में हार गए थे। क्योंकि यह टीम इस बार जब पेरिस लिए गई थी, हमारी उम्मीद इतनी थी कि हम लोग फाइनल खेलेंगे या गोल्ड के लिए हम लोग लायक हैं। But जब सेमीफाइनल हार गए, एकदम से थोड़ा दर्द लगा सबको, But आखिर जब लास्‍ट मैच खेलने के लिए हम लोग उतरे तो सब लोगों ने यही बोला कि यार ये मैच श्री भाई के लिए जीतना है। तो मेरे लिए तो सबसे गर्व की बात यही है सर। क्‍योंक‍ि इतने साल की जो मेहनत की है अपने देश के लिए किया है। ये भाई लोगों ने मेरा साथ दिया और हम लोगों ने, मैंने especially वो पोर्डेयिम से अपनी टीम को थैंक्‍यू बोला और गुड बाय बोला सर।

प्रधानमंत्री – अच्‍छा मुझे बताइए भई, जब ये आपको ब्रिटेन के सामने दस लोगों के भरोसे लड़ना था तब क्‍या यानी शुरू में ही demoralized हो गए होंगे, सरपंच साहब जरा बताइए। कुछ तो हुआ होगा, ये बड़ा कठिन था।

हरमनप्रीत सिंह – नमस्‍कार सर, जी बिल्‍कुल सर, काफी कठिन था। क्‍योंकि पहले ही क्‍वार्टर में कार्ड हो गया था हमारे प्‍लेयर को। And but I think, जो कोचिंग स्टाफ हैं हमारे, उन्‍होंने काफी हेल्‍प की है हमारी। और हम visualize करते थे कि हर सिचुएशन को क्‍योंकि ओलंपिक में कुछ भी हो सकता है सर, सरप्राइजली। तो हमारा mind set था कि अगर हम ऐसी कोई सिचुएशन आती भी है जो हमारे plans हैं ना हम उस पर strict रहेंगे और सारी टीम का जोश और बढ़ गया सर। क्‍योंकि जीबी के साथ हमारा थोड़ा रहता है कि थोड़ी फाइट भी होती रहती है। तो वो mentality है कि  प्रधानमंत्री- वो डेढ़ सौ साल से चली आ रही है।

हरमनप्रीत सिंहवो ही सर, हम परम्‍परा निभा रहे हैं सर। तो बिल्‍कुल ये सर, और ये था मन में कि नहीं हम ये मैच जीतेंगे आज। तो बहुत अच्‍छा रहा कि वन-ऑन ड्रॉ रहा सर, और उसके बाद शूटर पर हम जीते हैं। तो एक वो, क्‍योंकि ये ऐसा कभी सारी हिस्‍ट्री में नहीं हुआ है सर ओलंपिंक में। And एक और खुशी की बात थी कि हमने जो ऑस्‍ट्रेलिया को हराया सर। वो भी हमारे लिए बहुत बड़ी बात थी कि 52 years के बाद हमने बड़े प्‍लेटफॉर्म पर ऑस्‍ट्रेलिया को हराया।

प्रधानमंत्री – वैसे भी आपने सारे रिकॉर्ड तोड़े हैं 52 साल के। दो बार ओलंपिक में लगातार, ये भी बहुत बड़ा काम है।

हरमनप्रीत सिंह – जी सर।

प्रधानमंत्री – आप तो भाई youngest हैं।

अमन शेरावत - नमस्‍ते सर जी,

प्रधानमंत्री – सब कहते होंगे ये मत करो, वो मत करो, आप थोड़े डर जाते होंगे।

अमन शेरावत - इस कम उम्र में जी बहुत बुरा समय देखा है जी मैंने तो। मेरे मम्‍मी-पापा दस साल के थे, हम छोड़ कर चले गए थे, देश को सौंप गए थे। फिर बस यही सपना था कि उनका ओलंपिक में मेडल लाए और मेरा भी यही सपना, भाई ओलंपिक में मेडल देना है देश को। तो बस यही सोचकर प्रैक्टिस करते रहे और TOP से और SAI और रेसलिंग फेडरेशन WFI का भी बहुत योगदान रहा जी इस मॉडल में।

प्रधानमंत्री – अभी मूड क्‍या है?

अमन शेरावत – बहुत अच्‍छा है जी, अच्‍छा लग रहा है।

प्रधानमंत्री – कोई पसंद की चीज घर आकर खाई कि नहीं खाई?

अमन शेरावत – अभी तो घर गए ही नहीं जी।

प्रधानमंत्री – घर गए ही नहीं। तो हमें बोलते तो हम कुछ बनवा देते कुछ भाई।

अमन शेरावत – घर जाकर चूरमा खाएंगे जी।

प्रधानमंत्री - अच्‍छा जैसे हमारे सरपंच साहब का nickname है ऐसे आप में से और कौन है जिसके nickname हैं?

श्रेयसी सिंह – प्रणाम सर, मैं श्रेयसी सिंह हूं और वर्तमान में बिहार से विधायक भी हूं तो टीम के सब लोग विधायक दीदी करके बुलाते हैं।

प्रधानमंत्री – विधायक कहते हैं।

श्रेयसी सिंह – जी सर।

प्रधानमंत्री – तो सरपंच भी है, विधायक भी है। अच्‍छा आप में से मैंने देखा है कि इन दिनों काफी समय मोबाइल पर चिपके रहते हैं। ऐसा है क्‍या, सही है मेरी जानकारी? रील्‍स देखते हैं और रील बनाते हैं। हैं, रील बना रहे हैं ना? कितने लोग हैं जो रील्‍स बना रहे हैं? 

हरमनप्रीत सिंह- सर, actually मैं एक मैसेज देना चाहूंगा क्‍योंकि सारी टीम ने हमने decide किया था throughout the Olympic हम मोबाइल फोन यूज नहीं करेंगे। सोशल मीडिया यूज नहीं करेंगे। 

प्रधानमंत्री – वाह, शाबाश, बहुत बढ़िया काम किया!

हरमनप्रीत सिंह – बिल्कुल सर! क्‍योंकि सर अगर कोई अच्‍छे कमेंट आ रहे हैं चाहे बुरे कमेंट आ रहे हैं, दोनों effect करते हैं। तो हमारा mindset था कि हम as a team हमने decide किया कि हम बिल्‍कुल सोशल मीडिया यूज नहीं करेंगे।

प्रधानमंत्री – ये अच्‍छा किया आप लोगों ने।

हरमनप्रीत – जी सर।

प्रधानमंत्री - और मैं चाहूंगा कि देश के नौजवानों को भी आप ये बताएं कि उससे जितना दूर रहें, अच्‍छा ही है। वरना ज्‍यादा लोग, उसी में उनका समय जाता है, उसी में फंसे रहते हैं। आप बेटा बहुत निराश लग रही हो?

रितिका हुड्डा - हां जी सर, पहली बार मैं गई थी और मैं मतलब एक-एक से हार गई थी bout और उससे जीत जाती तो मैं फाइनल तक जाती। गोल्‍ड भी ला सकती थी। पर वो मेरा badluck था। दिन अच्‍छा नहीं था तो सर में लूज हो गई उसमें।

प्रधानमंत्री – कोई बात नहीं, अभी तो उम्र छोटी है बेटा, बहुत करना है।

रितिका हुड्डा - हां जी सर।

प्रधानमंत्री – और हरियाणा की मिट्टी ऐसी है करके दिखाओगी।

रितिका हुड्डा - हां जी सर।

डॉ. दिनशॉ पारदीवाला- प्रधानमंत्री जी नमस्कार। मुझे लगता है कि इस बार हमारी पूरी contingent में जो injuries हुई थी वो काफी कम थी। एक या दो serious injuries थी, पर नहीं तो usually क्‍या होता है कि सब गेम्स में से तीन-चार major injuries होती हैं जिनका ऑपरेशन करना पड़ता है। पर इस बार fortunately सर, एक था तो वो अच्छी बात थी। एक सीखने का था कि जब ये ओलंपिक के जो विलेज में जो polyclinic रहता है, उसमें थोड़ी facilities रहती हैं। पर इस बार हमने सब जो facilities थीं वो हमारे विलेज में ही, हमारे बिल्डिंग में ही रखी थी और इसलिए काफी एथलीट जो थे वो उनका जो कुछ भी रिकवरी करना था, injury मैनेजमेंट करना था, preparation भी जो करना था, वो बहुत ही आसानी से कर सके। I think बहुत सारे एथलीट को वो preferable था और I think उससे वो confidence था कि हमारे पास सब कुछ है। I think इससे भी फ्यूचर में भी ऐसा ही हम करते गए तो हम सपोर्ट दे सकेंगे हमारे athletes को।     

प्रधानमंत्री – देखिए साहब, डॉक्‍टर ने मुझे बहुत महत्वपूर्ण बात बताई कि इस बार हमारी टीम में पहले की तुलना में minimum injuries थी। Injury कम हुई है, इसका मतलब है कि खेल की हर चीज में आपके expertise आ गई है। Injury होने का कारण वही होता है कि हमें खेल के संबंध में कुछ हमारा अज्ञान होता है जो हमें खुद को कभी-कभी damage कर देता है। ये सिद्ध हो रहा है कि आप लोगों ने खुद अपने-आप को तैयार किया है और छोटे-मोटे jerk आए भी, कठिनाई आई, तो भी आपकी बॉडी को आपने ऐसा बनाया है कि आप major injury से बच गए। तो मैं पक्‍का मानता हूं आप लोगों ने काफी trained किया होगा अपनी बॉडी को, काफी मेहनत की होगी, तब जाकर ये हुआ होगा। तो इसके लिए तो आप सब बधाई के पात्र हैं।

प्रधानमंत्री –साथियों,

मेरे साथ हमारे मनसुख मांडविया जी हैं, खेल राज्‍यमंत्री बहन रक्षा खडसे जी हैं। हमारी खेल जगत में जिन्होंने देश का नाम रोशन किया, पीटी ऊषा जी हैं। पेरिस से आप सब वापस आए हैं, आप सबका और आप सबके साथियों का भी मेरे यहां हृदय से बहुत-बहुत स्‍वागत है। मैंने जिस उमंग से आपको पेरिस के लिए विदाई दी थी, उतनी ही उमंग से मैं आज आपका फिर से स्वागत कर रहा हूं। और इसका कारण ये नहीं है कि कोई मेडल का tally कितना हुआ। उसका कारण ये होता है कि विश्व भारत के खिलाड़ियों की तारीफ कर रहा है। उनके हौसले, उनके discipline, उनके behavior, मेरे कानों को सब जगह से बातें आती हैं।  और ये सुनता हूं तो बड़ा गर्व होता है जी। मेरे देश के खिलाड़ी मेरे देश के लिए ही खेलते हैं। मेरे देश के नाम को रत्ती भी खरोंच आ जाए, ये मेरा देश का एक भी खिलाड़ी नहीं चाहता है। और यही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। और उसके लिए ये पूरी टीम बहुत-बहुत बधाई की पात्र है।

साथियों,

आप सबका पूरी दुनिया में भारत के तिरंगे की शान बढ़ा करके देश वापिस लौटना और मेरे निवास पर आपका स्‍वागत करने का मुझे अवसर मिलना, मैं इसे मेरा अपना गौरव मानता हूं। और पेरिस जाने से पहले जो जाते हैं उनको भी पता होता है कि हमें अपना बेस्‍ट देना है। और मैंने हमेशा यही कहा है सबको कि आपको अपना बेस्‍ट देना है और आपने दिया है। दूसरी बात है हमारे खिलाड़ी उम्र में बहुत छोटे हैं और अभी से ये अनुभव मिला है तो आगे हमारे पास एक लंबा समय है अधिक achieve करने का और वो आप जरूर करेंगे। इस अनुभव का लाभ देश को मिलेगा।

शायद यह पेरिस ओलंपिक्‍स भारत के लिए कई मायनों में ऐतिहासिक रहा है। इस ओलंपिक्‍स में देश के लिए जो records बने हैं, वो देश के कोटि-कोटि नौजवानों को प्रेरणा देंगे। आप देखिए, ओलंपिक्‍स के करीब सवा सौ साल के इतिहास में ये मनु हमारी पहली बेटी ऐसी है, जिसमें भारतीय खिलाड़ी के रूप में individual event में दो मेडल जीते हैं। हमारा नीरज पहला ऐसा भारतीय खिलाड़ी है, जिन्होंने individual event में गोल्ड और सिल्वर जीते हैं। हॉकी में भारत ने 52 साल बाद लगातार दो बार मेडल जीते हैं continuously. अमन ने केवल 21 साल की उम्र में मेडल जीत करके देश को बिल्कुल इतना प्रसन्न कर दिया है और अमन के जीवन के विषय में आज देश जानने लगा है तो उनको लग रहा है कि भई व्यक्तिगत जीवन की कठिनाइयों से भी इंसान अपनी यात्रा को, स्वप्न को, संकल्प को सिद्ध कर सकता है। कठिनाइयां अपने-आप अपनी जगह पर रह जाती हैं, अमन ने करके दिखाया है। विनेश पहली ऐसी भारतीय बनी, जो कुश्ती में फाइनल तक पहुंची। ये भी हमारे लिए बड़ा गर्व का विषय है। ओलंपिक्‍स में सात shooting events में इंडियन शूटर्स फाइनल्‍स में पहुंचे और ये भी पहली बार हुआ है। इसी तरह तीरंदाजी में धीरज और अंकिता पदक के लिए खेलने वाले पहले भारतीय तीरंदाज बने। और लक्ष्य, हमारा लक्ष्य सेन, आपके मैच ने तो पूरे देश का जोश बढ़ा दिया है। हमारे लक्ष्य भी ओलंपिक्‍स में सेमी फाइनल तक पहुंचने वाले एकमात्र पुरुष बैडमिंटन खिलाड़ी बने हैं। हमारे अविनाश साबले, इसने स्टीपलचेज के फाइनल में क्वालीफाई किया है। इस फॉर्मेट में ये भी फर्स्‍ट टाइम रहा है।

साथियों,

हमारे ज्यादातर medalist जैसा मैंने कहा अपनी 20’s में हैं, बहुत छोटी आयु के हैं। आप सभी बहुत युवा हैं। आपके पास बहुत समय है, बहुत ऊर्जा है। और ये भी सही है कि टोक्यो के और पेरिस के बीच में नॉर्मली चार साल का समय रहता है, इस बार तीन साल का ही समय था तो हो सकता है आपको एक साल और अगर मिला होता प्रैक्टिस का तो शायद आप और नया कमाल करके दिखा देते। अभी लंबे करियर में आप कई बड़े टूर्नामेंट खेलेंगे, खेलना बंद नहीं करना चाहिए, रुकना भी नहीं चाहिए। एक भी मैच छोड़ना नहीं चाहिए। ये युवा दल इस बात का प्रमाण है कि स्पोर्ट्स में भारत का भविष्य कितना उज्‍ज्‍वल रहने वाला है। मुझे विश्वास है पेरिस ओलंपिक्‍स भारतीय स्‍पोर्ट्स की इस उड़ान के लिए एक लॉन्‍च पैड साबित होने वाला है, ये टर्निंग प्वाइंट है हमारा। उसके बाद विजय ही विजय है दोस्तों। हम रुकने वाले नहीं हैं।

साथियों,

आज भारत अपने यहां वर्ल्‍ड क्‍लास स्पोर्ट्स इकोसिस्टम डेवलप करने की प्राथमिकता दे रहा है। Grassroots से आने वाले खिलाड़ियों को उनको तलाशना, उनको तराशना ये बहुत जरूरी है। हमने गांव-गांव, शहर-शहर से युवा प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने के लिए खेलो इंडिया मुहिम शुरू की है और मुझे खुशी है कि खेलो इंडिया से निकले 28 खिलाड़ी इस ओलंपिक समूह का हिस्सा बने हैं। अमन है, अनंतजीत है, धीरज है, सर्वजोत है। इन सबने खेलो इंडिया एथलीट के रूप में अपनी journey शुरू की थी और इससे हुआ ये है कि खेलो इंडिया में खेलना और जी भर के जीतना ये एक बहुत बड़ा हिन्‍दुस्‍तान का अहम कार्यक्रम बन चुका है जी।

ये मैं इसको, मैं मानता हूं मैं खेलो इंडिया को और तवज्जो देनी है, और ताकत देनी है। उसी में से हमें अच्‍छे, नए होनहार खिलाड़ी मिलने वाले हैं। आपकी तरह ही खेलो इंडिया एथलीट्स की एक बड़ी फौज देश के लिए तैयार हो रही है। हमारे खिलाड़ियों को सुविधाओं और संसाधनों की कमी न पड़े, ट्रेनिंग में दिक्कत न आए, इसके लिए बजट भी लगातार बढ़ाया जा रहा है। सबको पता है कि किसी भी खिलाड़ी के लिए ज्‍यादा से ज्‍यादा कम्‍पीटीशन में हिस्‍सा लेना कितना आवश्‍यक है। मुझे संतोष है कि ओलंपिक से पहले आपको अनेकों इंटरनेशनल कम्‍पीटीशन का एक्‍सपोज़र मिला है। इतने सारे कोच और एक्सपर्ट्स- डाइट, उपकरण और कोचिंग, सब पर इतनी बारीकी से ध्‍यान, वर्ल्‍ड क्‍लास facilities देने का प्रयास; इस तरह की सुविधाओं के बारे में हमारे यहां पहले सोचा नहीं जाता था। खिलाड़ी अपने नसीब पर मेहनत करता था, देश के लिए कुछ करके आता था। लेकिन अब पूरा एक इकोसिस्टम बना है। ये केवल स्‍पोर्ट्स में देश की नीतियों का बदलाव है इतना ही नहीं है, ये उस भरोसे का प्रतीक भी है जो देश अब अपनी युवा पीढ़ी पर बहुत ज्‍यादा भरोसा करता है, उसकी अभिव्‍यक्ति है।

साथियों,

आप सब देश के युवाओं के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा हैं। मैं मानता हूं आप में से हर किसी के बारे में देश को, देश के युवाओं को ज्‍यादा से ज्‍यादा जानना चाहिए। यहां भी मेरी इच्‍छा है कि मैं हर किसी का नाम लेकर उसकी चर्चा करूं, विशेषकर हमारी बेटियां। पिछली बार की तरह इस बार भी बेटियों ने ही ओलंपिक में भारत की जीत का श्रीगणेश किया है। मनु को जिस तरह पिछली बार तकनीकी कारणों से निराश होना पड़ा था, फिर उन्‍होंने जो वापसी की, अंकिता ने जिस तरह से सीजन का अपना सर्वश्रेष्‍ठ प्रदर्शन किया, मनिका बत्रा और श्रीजा अकुला ने भी सबका ध्‍यान खींचा है। इसी तरह बाकी खिलाड़ी भी रहे, खासकर नीरज ने अपनी लगन और अनुशासन से जिस तरह consistency दिखाई है, स्‍वप्निल ने कठिनाइयों को पार कर जिस तरह मेडल जीता है, हॉकी में हमारे सरपंच साहब, उनकी टीम ने दिखा दिया कि भारत की ताकत क्‍या है। पीआर श्रीजेश ने ये बता दिया है कि the ball क्यों है। जो मेडल जीता या जो एक प्‍वाइंट या कुछ सेकेंड से चूका, उस सबने एक ही संकल्‍प दोहराया। ये सिलसिला गोल्‍ड से पहले नहीं रुकेगा। मैं मानता हूं, इससे देश के युवाओं को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।

साथियों,

हमारा भारत 2036 ओ‍लंपिक्‍स की मेजबानी हासिल करने के लिए तैयारी कर रहा है। मैंने आज भी वहां भी लाल किले से भी बोला है, हम पूरी तैयारी कर रहे हैं। ऐसे में कई ऐसे एथलीट्स जो पिछले ओलंपिक्‍स में भी खेल चुके हैं, उनके इनपुट बहुत महत्‍वपूर्ण हैं। आपने वहां बहुत कुछ observe किया होगा, बहुत कुछ देखा होगा। ओलंपिक की प्‍लानिंग से ले करके वहाँ की व्‍यवस्‍थाओं तक, स्‍पोर्ट्स मैनेजमेंट से लेकर इवेंट के मैनेजमेंट तक आपके अनुभव, आपके observations हमें इसको लिख कर रखना चाहिए और सरकार को साझा करना चाहिए ताकि हमें 2036 की तैयारी ये जो छोटी-छोटी बारीक चीजें खिलाड़ी ले करके आता है उससे, और जो कमी नजर आती है, वो भी हमें 2036 की तैयारी के लिए काम आएंगी। तो एक प्रकार से आप मेरी 2036 की टीम के फौजी हैं, आप सबको मेरी मदद करनी है, ताकि हम 2036 में दुनिया में अब तक न हुआ हो, ऐसा ओलंपिक करके, मेजबानी करके दिखाना है। मैं चाहूंगा कि खेल मंत्रालय इसके लिए एक ड्राफ्ट बनाए और सभी खिलाड़ियों से उनके डिटेल में फीडबैक लें, उनके सुझाव लें तो हम जरूर तैयारी अच्‍छी तरह कर पाएंगे।

साथियों,

भारतीय स्‍पोर्ट्स में और कैसे improvement हो सकता है, इससे आइडियाज़ भी जो चीज खिलाड़ी बता सकता है, जो चीज कोच बता सकता है, वो हम मैनेजर लोग नहीं बता सकते जी। और इसलिए आप लोगों के इनपुट बहुत जरूरी हैं, आपके आइडियाज़ बहुत जरूरी हैं। आप पर भविष्‍य के खिलाड़ियों को motivate करने, उन्‍हें आगे बढ़ाने का भी दायित्‍व है। और लोग तैयार होने चाहिए, आगे बढ़ने चाहिए। आप सोशल मीडिया spaces पर युवाओं से जुड़ सकते हैं और जुड़ते भी हैं, करते भी हैं, उनको प्रेरित‍ करें। खेल मंत्रालय और दूसरी संस्‍थाएं भी इस तरह से interaction session आयोजित करवा सकती हैं अलग-अलग ग्रुप के लोगों के साथ। तो ये लोग अपना अनुभव शेयर करेंगे। मेरे सामने शायद बोलते नहीं हैं, लेकिन बाहर तो बहुत कुछ बोल सकते हैं ये लोग।

साथियों,

आप सबसे मुझे मिलने का अवसर मिला, और जब आप आए और मैं आपको ऐसे ही जाने दूं तो फिर तो बात अधूरी रह जाएगी। और इसलिए मैं तो कुछ न कुछ आपके जिम्‍मे काम छोड़ने ही वाला हूं। और पहले भी जब भी मैंने आपको कुछ कहा है, आपने जरूर उसको पूरा करने का प्रयास किया है। देखिए, जो साथी टोक्‍यो ओलंपिक के बाद आए थे उन्‍हें मैंने स्‍कूलों में जाने और युवाओं से मिलने का आग्रह किया था और उन्‍होंने किया था, उसका लाभ भी हुआ है। आज देश पर्यावरण की रक्षा के लिए ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान चला रहा है। मैं आप सबसे कहूंगा आप भी उससे जुड़ें। अपनी मां को ले करके एक पेड़ लगाइए। पेरिस को भी याद कीजिए और पेड़ लगाइए। अगर मां नहीं है तो मां की तस्‍वीर ले करके खड़े रहिए और पेड़ लगाइए। आप में से ज्‍यादातर खिलाड़ी गांव की पृष्‍ठभूमि से हैं, सामान्‍य परिवार की पृष्‍ठभूमि से हैं। आपने पेरिस में भी देखा है और इस बार के पेरिस की ओलंपिक की विशेषता थी वो पर्यावरण को promote कर रहे थे। उन्‍होंने environment friendly सारा वहां पर इकोसिस्‍टम डेवलप किया था। आप भी अपने गांव जाएं तो वहां के लोगों को प्राकृतिक खेती, केमिकल फ्री खेती, हमारी धरती माता की भी रक्षा हमको करनी है, ये बात उनको बताइए। और इन सबके साथ आप दूसरे नौजवान साथियों को स्‍पोर्ट्स से जुड़ने के लिए, फिटनेस के लिए उनको प्रेरित करना चाहिए। फिटनेस की तरफ आप ही उनको गाइड कर सकते हैं। और मैं मानता हूं कि इससे बहुत बड़ा लाभ होगा।

साथियों,

मुझे विश्‍वास है आप सब सदा-सर्वदा देश का नाम रोशन करेंगे। विकसित भारत की हमारी यात्रा युवा प्रतिभाओं की सफलता से और ज्‍यादा खूबसूरत बनने वाली है। इसी कामना के साथ मेरी फिर से एक बार आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं। मेरे लिए आप सब achiever हैं। आपमें से कोई ऐसा नहीं है, जिसने कोई achieve नहीं किया है। और जब मेरे देश से ऐसे नौजवान कोई achieve करके आते हैं ना तो उसी के भरोसे देश भी achieve करने की तैयारी कर लेता है।

बहुत-बहुत बधाई, बहुत-बहुत शुभकामनाएं दोस्तों।

 

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MJPS/ST/NS



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