वित्‍त मंत्रालय

सेवा क्षेत्र भारत के विकास में निरंतर व्‍यापक योगदान दे रहा है,  वित्त वर्ष 2024 में देश की समग्र अर्थव्यवस्था में इसकी लगभग 55 प्रतिशत हिस्सेदारी रही 


अनंतिम अनुमान के अनुसार, वित्त वर्ष 2024 में सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है: आर्थिक समीक्षा 2024 

मार्च 2024 में सेवा पीएमआई काफी बढ़कर 61.2 अंक हो गया, जो लगभग 14 वर्षों में इस क्षेत्र की सर्वाधिक महत्वपूर्ण बिक्री और व्यावसायिक गतिविधि विस्तार में से एक है

Posted On: 22 JUL 2024 2:30PM by PIB Delhi

पिछले तीन दशकों के तेज उतार-चढ़ाव के दौरान सेवा क्षेत्र भारत में आर्थिक विकास का मुख्‍य आधार बना रहा। नीतिगत एवं प्रक्रियागत सुधारों, भौतिक अवसंरचना और लॉजिस्टिक्स पर ध्यान केंद्रित करने से समस्‍त महत्वपूर्ण व्यवसायिक, व्यक्तिगत, वित्तीय और अवसंरचना-आधारित सेवाएं काफी मजबूती के साथ महामारी से उबरी हैं हालांकि, यह बदलाव दरअसल ऑनलाइन भुगतान, ई-कॉमर्स एवं मनोरंजन प्लेटफॉर्म जैसी डिजिटल सेवाओं की ओर काफी तेजी से हो रहे अग्रसर होने में निहित है, और इसके साथ ही अन्य उत्पादक गतिविधियों में इनपुट के रूप में उच्च तकनीक सेवाओं की मांग काफी बढ़ गई है। केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा आज संसद में पेश की गई आर्थिक समीक्षा 2023-2024 में इस पर प्रकाश डाला गया।

 

 

आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि सेवा क्षेत्र भारत के विकास में निरंतर व्‍यापक योगदान दे रहा है, वित्त वर्ष 2024 में समग्र अर्थव्यवस्था में इसकी लगभग 55 प्रतिशत हिस्‍सेदारी रही। देश में व्‍यापक मांग, तेजी से शहरीकरण, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों के विस्तार की बदौलत लॉजिस्टिक्स की आवश्यकता काफी बढ़ गई और इसके साथ ही डिजिटल से जुड़ी सेवाएं ऐसे महत्वपूर्ण कारक हैं, जिन्होंने देश में सेवाओं की मांग निर्धारित की है। आर्थिक समीक्षा में यह भी कहा गया है कि सरकार ने अनुकूल माहौल बनाकर, निवेश को बढ़ावा देकर, कौशल बढ़ाकर और बाजार तक पहुंच को सुगम बनाकर भारत में सेवाओं के विकास और प्रतिस्पर्धी क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

सेवा क्षेत्र में सकल मूल्य वर्धित (जीवीए)  

पिछले एक दशक में समग्र जीवीए में सेवा क्षेत्र का योगदान उल्लेखनीय रूप से बढ़ गया है। वैश्विक स्तर पर भारत के सेवा क्षेत्र ने 6 प्रतिशत से भी अधिक की वास्तविक वृद्धि दर्ज की है और वर्ष 2022 में विश्व के वाणिज्यिक सेवा निर्यात में सेवा निर्यात का योगदान 4.4 प्रतिशत रहा।

 

कोविड से पहले एक दशक तक सेवा क्षेत्र की वास्तविक वृद्धि दर लगातार समग्र आर्थिक विकास दर से अधिक रही थी। कोविड के बाद गैर-संपर्क गहन सेवाओं, मुख्यत: वित्तीय, सूचना प्रौद्योगिकी और प्रोफेशनल सेवाओं की बदौलत सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर ने वित्त वर्ष 2023 और वित्त वर्ष 2024 में समग्र जीवीए वृद्धि दर को पीछे छोड़ दिया, जिससे अर्थव्यवस्था को विकास की ओर अग्रसर करने में इसकी भूमिका फि‍र से सुनिश्चित हुई।

आर्थिक समीक्षा में यह भी कहा गया है कि अनंतिम अनुमानों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024 में सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत होने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2024 में जीएसटी का सकल संग्रह बढ़कर 20.18 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 11.7 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है, और जो देश में मजबूत व्यापार गतिविधि को रेखांकित करता है।  

परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्‍स (पीएमआई) - सेवाएं

देश में सेवा क्षेत्र में कारोबारी गतिविधि ने महामारी की बाधाओं के साथ-साथ दुनिया भर में अन्य व्यवधानों को भी पार कर लिया। मार्च 2024 में सेवा पीएमआई काफी बढ़कर 61.2 अंक पर पहुंच गया, जो लगभग 14 वर्षों में इस क्षेत्र की सबसे महत्वपूर्ण बिक्री और व्यावसायिक गतिविधि विस्तार में से एक है। जैसा कि चार्ट XI.6 (नीचे) में देखा जा सकता है, सेवा पीएमआई अगस्त 2021 से ही लगातार 50 अंक से ऊपर बना हुआ है, जिसका मतलब यही है कि पिछले 35 महीनों से इसमें निरंतर विस्तार हो रहा है।

 

 

सेवा क्षेत्र में व्यापार

 

आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि महामारी के बाद सेवा निर्यात ने निरंतर तेज गति बनाए रखी है और वित्त वर्ष 2024 में भारत के कुल निर्यात में इसकी हिस्सेदारी 44 प्रतिशत रही। सेवाओं के निर्यात में भारत पांचवें स्थान पर रहा, अन्य देशों में यूरोपीय संघ (यूरोपीय संघ के अंदर होने वाले व्यापार को छोड़कर), संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, और चीन शामिल हैं। .

बहुराष्ट्रीय कंपनियों के वैश्विक क्षमता केंद्रों (जीसीसी) के लिए पसंदीदा गंतव्य के रूप में भारत की बढ़ती प्रतिष्ठा से सॉफ्टवेयर और व्यावसायिक सेवाओं के निर्यात को काफी बढ़ावा मिला है। वैश्विक स्तर पर डिजिटल रूप से मुहैया कराई जाने वाली सेवाओं के निर्यात में भारत की हिस्सेदारी वर्ष 2019 के 4.4 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2023 में 6.0 प्रतिशत हो गई। सेवाओं के निर्यात में वृद्धि और आयात में गिरावट की बदौलत वित्त वर्ष 2024 के दौरान सालाना आधार पर शुद्ध सेवा प्राप्तियों में वृद्धि दर्ज की गई जिससे भारत के चालू खाता घाटे को कम करने में मदद मिली।

सेवा क्षेत्र की गतिविधियों के लिए वित्तपोषण के स्रोत

सेवा क्षेत्र देश में अपनी वित्तपोषण आवश्यकताओं को निम्नलिखित माध्यमों से पूरा करता है

  1. घरेलू बैंकों से ऋण और पूंजी बाजार: वित्त वर्ष 2024 के दौरान सेवा क्षेत्र में ऋण प्रवाह में वृद्धि दर्ज की गई,  अप्रैल 2023 से ही हर महीने दरअसल सालाना आधार पर वृद्धि दर 20 प्रतिशत के आंकड़े को पार कर रही है।

  1. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और बाह्य वाणिज्यिक उधारियों (ईसीबी) के माध्यम से: वित्त वर्ष 2024 में बाह्य वाणिज्यिक उधारियों (ईसीबी) के कुल प्रवाह में सेवा क्षेत्र की हिस्सेदारी 53 प्रतिशत रही। वित्त वर्ष 2024 में इस क्षेत्र में 14.9 अरब अमेरिकी डॉलर का प्रवाह हुआ, जिसमें सालाना आधार पर 58.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।

 

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एमजी/आरआरएस



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