वित्‍त मंत्रालय

महामारी और रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण कमोडिटी के वैश्विक संकट में कमी आने के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था के अगले दशक में तेजी से बढ़ने की संभावना


बैंकिंग, गैर-बैंकिंग और कॉरपोरेट क्षेत्र की बैलेंस सीट में सुधार के साथ ताजा ऋण साइकिल शुरू हुआ, यह पिछले कुछ महीनों में बैंक ऋण में दोहरे अंकों की वृद्धि से पता चलता है

डिजिटल प्रौद्योगिकी आधारित आर्थिक सुधार, ऊंचे वित्तीय समावेशन और आर्थिक अवसरों के निर्माण से भारतीय अर्थव्यवस्था को लाभ हो रहा है

भारत की प्रगति महामारी से पूर्व स्तर तक पहुंचने की आशा और इसके मध्यावधि में अपनी पूरी क्षमता से बढ़ने के लिए तैयार

मजबूत मध्यावधि वृद्धि से भारत की आर्थिक वृद्धि का विकास होगा

2014 से 2022 के दौरान कई सुधारों से भारतीय अर्थव्यवस्था सुदृढ़ हुई

व्यापार और जीवन यापन में आसानी पर प्रमुख रूप से ध्यान

Posted On: 31 JAN 2023 1:59PM by PIB Delhi

केन्‍द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज 31 जनवरी, 2023 को संसद में आर्थिक समीक्षा 2022-23 पेश करते हुए बताया कि 2014 से 2022 के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था व्यापक संरचनात्मक और प्रशासनिक सुधारों के दौर से गुजरी, जिसमें अर्थव्यवस्था की समग्र दक्षता बढ़ी और अर्थव्यवस्था के मूल सिद्धांत सशक्त हुए। यह प्रणाली जीवन और व्यापार में सुगमता के सुधारों पर बल देने सहित सार्वजनिक वस्तुओं के निर्माण, विश्वास आधारित शासन अपनाने, विकास के लिए निजी क्षेत्र के साथ सह-भागीदारी और कृषि उत्पादकता में सुधार के व्यापक सिद्धांतों पर आधारित थी।

नये भारत के लिए सुधार – सबका साथ सबका विकास

     2014 से पहले किए गए सुधार मुख्य रूप से उत्पाद और पूंजी बाजार क्षेत्र के लिए किए गए थे। इन्हें 2014 के बाद भी जारी रखना आवश्यक था। सरकार ने पिछले आठ वर्षों में इन सुधारों को नया आयाम प्रदान किया। जीवन यापन और व्यवसाय की सुविधा बढ़ाने की दिशा में सुधार अच्छी तरह से स्थापित किए गए। इस विकास प्रक्रिया के विभिन्न हितधारकों के बीच साझेदारी पर बल दिया गया, जहां प्रत्येक सुधार से विकास होता और इसका लाभ मिलता है (सबका साथ सबका विकास)।

सार्वजनिक वस्तुओं के लिए अवसरों में वृद्धि, क्षमता और जीवन यापन में आसानी

     पिछले कुछ वर्षों के दौरान सार्वजनिक डिजिटल बुनियादी ढांचे को तैयार करके व्यक्तियों और व्यवसायों की आर्थिक क्षमता को बढ़ाना एक प्रमुख परिवर्तनकारी रहा है। इसके लिए सरकार ने अगले दशक में निजी निवेश और वृद्धि में बढ़ावा देने के लिए कई प्रयास किए हैं। भौतिक अवसंरचना में वृद्धि के लिए सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में सार्वजनिक डिजिटल अवसंरचना के विकास पर बल दिया है।

 

विश्वास आधारित प्रशासन

     आर्थिक समीक्षा के अनुसार सरकार और नागरिकों/व्यापारों के बीच विश्वास निर्माण के लिए सुधरे निवेश, व्यापार में सुगमता और अधिक प्रभावी प्रशासन पर बल दिया गया है। पिछले आठ वर्षों के दौरान इस दिशा में लगातार सुधार किए जा रहे हैं। एकीकृत जीएसटी, कॉरपोरेट कर दरों में कमी जैसे कर सुधारों से अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलने की आशा है।

विकास में सह-भागीदार के रूप में निजी क्षेत्र को बढ़ावा

     समीक्षा के अनुसार 2014 के बाद सरकार की नीति का मूलभूत सिद्धांत विकास प्रक्रिया में निजी क्षेत्र को भागीदार के रूप में अपनाया है। पिछले आठ वर्षों में सरकार ने विनिवेश नीति को हिस्सेदारी की बिक्री और शेयर बाजार में पीएसई की सकल लिस्टिंग के साथ पुनर्जीवित किया है। भारत की विनिर्माण क्षमताओं और उद्योगों में निर्यात को बढ़ावा देने के लिए आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया जैसी योजनाएं शुरू की गईं।

कृषि क्षेत्र में उत्पादकता में वृद्धि

     पिछले छह वर्षों के दौरान भारत का कृषि क्षेत्र 4.6 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ रहा है। यह वृद्धि आंशिक रूप से अच्छे मॉनसून और सरकार के विभिन्न सुधारों के कारण हुई है। किसान उत्पादक संगठनों और राष्ट्रीय कृषि बाजार के विस्तार ने किसानों को सशक्त बनाया है।

2014 से 2022 के दौरान अर्थव्यवस्था को लगे झटके

     1998 से 2002 के बीच परिवर्तनकारी सुधार शुरू किए गए थे, लेकिन इसके कम मात्रा में लाभ मिले। इस घटना को बाहरी कारकों और घरेलू वित्तीय क्षेत्र के समावेशन से उत्पन्न झटकों के श्रृंखला के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था, जिसने 1998 से 2002 तक के विकास रिटर्न को पीछे छोड़ दिया। 2003 में इन झटकों की समाप्ति के बारे में भारत ने वैश्विक उछाल में भाग लिया और उच्च दर से विकास किया।

2023 से 2030 के दशक में वृद्धि

महामारी के वैश्विक झटकों और 2022 में वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि के कम होने से भारतीय अर्थव्यवस्था आने वाले दशकों में अपनी क्षमता से बढ़ने के लिए पूरी तरह तैयार है। बैंकिंग, गैर-बैंकिंग और कॉरपोरेट क्षेत्र की बैलेंस सीट में सुधार के साथ ताजा ऋण साइकिल शुरू हुआ, यह पिछले कुछ महीनों में बैंक ऋण में दोहरे अंकों की वृद्धि से पता चलता है। यह प्रमुख कारण है कि भारत की वृद्धि दर महामारी से पहले के वर्षों के समान होने की आशा है। इस प्रकार भारतीय अर्थव्यवस्था ने अपना उत्साह नहीं खोया और न ही सरकारी सुधार में उनका प्रभाव मापा।

 

इस प्रकार भारत की वृद्धि महामारी से पूर्व के वर्षों से बेहतर होने की आशा है और भारतीय अर्थव्यवस्था मध्यावधि में अपने क्षमता के अनुसार वृद्धि के लिए तैयार।

***

आरएम/एमजी/आरएनएम/एएम



(Release ID: 1894967) Visitor Counter : 2105