पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
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श्री भूपेन्द्र यादव कोत दिव्वार के आबिदजान में यूनाइटेड नेशंस कनवेंशन टू कॉम्बेट डेजर्टीफिकेशन (यूएनसीसीडी) के 15वीं कॉन्फ्रेंस ऑफ दी पार्टीज (कॉप-15) में हिस्सा लेने के लिये भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं


श्री यादव शिखर सम्मेलन में शीर्ष प्रतिनिधियों सहित अन्य गणमान्यों को सम्बोधित करेंगे

कोविड महामारी के बावजूद, भारत ने यूएनसीसी कॉप-14 के अध्यक्ष होने  के नाते भूमि की गुणवत्ता के क्षरण को रोकने और उसे पुनः पूर्व स्थिति में लाने के वैश्विक लक्ष्य को पूरा करने के लिये देशों को साथ लाने में भरपूर योगदान कियाः श्री भूपेन्द्र यादव

Posted On: 10 MAY 2022 10:16AM by PIB Delhi

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेन्द्र यादव की अगुवाई में भारतीय प्रतिनिधिमंडल कोत दिव्वार के आबिदजान पहुंच गया है। प्रतिनिधमंडल यहां 9 मई से 20 मई, 2022 तक यूनाइटेड नेशंस कनवेंशन टू कॉम्बेट डेजर्टीफिकेशन (यूएनसीसीडी) के 15वीं कॉन्फ्रेंस ऑफ दी पार्टीज (कॉप-15) में हिस्सा लेगा।

उल्लेखनीय है कि भारत ने जमीन को रेतीला होने से रोकने के सम्बंध में संयुक्त राष्ट्र के समझौते पर कॉप-14 सम्मेलन की मेजबानी की थी। यह सम्मेलन नई दिल्ली में दो सितबंर से 13 सितंबर, 2019 तक हुआ था। भारत मौजूदा समय में भी इसका अध्यक्ष है।

कॉप-14 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने घोषणा की थी कि भारत भूमि की गुणवत्ता के क्षरण की स्थिति को रोकने और उसे बहाल करने के लिये अपनी जमीन का रकबा अब से 2030 के बीच 21 मिलियन हेक्टेयर से बढ़ाकर 26 मिलियन हेक्टेयर करेगा। उस समय प्रधानमंत्री ने कहा था कि .....इसके तहत सबसे ज्यादा परती और कमजोर जमीनों के 26 मिलियन हेक्टेयर रकबे के इको-सिस्टम को दुरुस्त करने तथा जमीन की उत्पादकता को बहाल करने पर ध्यान दिया जायेगा। इसमें कृषि योग्य परती जमीन, वन और अन्य फालतू पड़ी जमीनों पर जोर दिया जायेगा तथा उनकी बहाली का काम किया जायेगा।

कोविड महामारी के बावजूद, भारत ने यूएनसीसी कॉप-14 के अध्यक्ष होने के दौरान भूमि की गुणवत्ता के क्षरण को रोकने और उसे पुनः पूर्व स्थिति में लाने के वैश्विक लक्ष्य को पूरा करने के लिये देशों को साथ लाने में भरपूर योगदान किया है।

संयुक्त राष्ट्र आम सभा में उच्चस्तरीय संवाद का आयोजन 14 जून, 2021 को हुआ था, जिसमें प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जमीन का रेतीला होने, जमीन की गुणवत्ता के क्षरण और सूखे पर चर्चा की थी। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने भूमि की गुणवत्ता कम होने की स्थिति को रोकने के सम्बंध में भारत द्वारा उठाये कदमों तथा उन प्रयासों में मिली सफलता को रेखांकित किया था।

भारत की अध्यक्षता के कालखंड के दौरान एक अन्य महत्त्वपूर्ण घटना के तौर पर जी-20 नेतृत्व ने भी भूमि की गुणवत्ता के क्षरण को रोकने तथा कार्बन को रोकने के लिये प्राकृतिक पर्यावरण के महत्त्व को स्वीकार किया था। जी-20 ने सामूहिक रूप से एक खरब पेड़ लगाने का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया था, तथा अन्य देशों से आग्रह किया था कि वे 2030 तक जी-20 द्वारा निर्धारित इस लक्ष्य को पूरा करने के लिये जुट जायें।

इसके अलावा 23/कॉप-14 के तहत जमीन के रेतीला होने की स्थिति का मुकाबला करने के लिये संयुक्त राष्ट्र समझौते के तहत सूखे के निदान के बारे में कारगर नीति तथा कार्यान्वयन उपायों के हवाले से एक अंतर-सरकारी कार्यसमूह का भी गठन पहली बार किया गया था। रिपोर्ट का मसौदा तैयार कर लिया गया है और कॉप-15 के मौजूदा सम्मेलन के दौरान उस पर चर्चा की जायेगी।

कोत दिव्वार के आबिदजान में नौ मई से 20 मई, 2022 तक चलने वाले यूएनसीसीडी के कॉप-15 में दुनिया भर का शीर्ष नेतृत्व, निजी सेक्टर, सिविल सोसायटी और अन्य प्रमुख हितधारक जुटेंगे। इस दौरान जमीनों के भावी सतत प्रबंधन में प्रगति का जायजा लिया जायेगा तथा भूमि और अन्य प्रमुख महत्त्वपूर्ण मुद्दों के बीच कड़ियों की पड़ताल की जायेगी।

इन मुद्दों पर 9-10 मई, 2022 को एक उच्चस्तरीय बैठक में चर्चा की जायेगी। इस बैठक में देशों के शीर्ष प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। इस दौरान उच्चस्तरीय गोल-मेज वार्ता भी होगी तथा संवाद सत्रों का आयोजन किया जायेगा। साथ ही सम्मेलन के साथ कई अन्य विशेष कार्यक्रम भी होंगे।

सूखे, भूमि बहाली और भू-स्वामित्व, लैंगिक समानता और युवा सशक्तिकरण जैसे अन्य मुद्दों पर भी सम्मेलन में बातचीत की जायेगी। यूएनसीसीडी के 197 पक्षों ने जो निर्णय स्वीकार किये हैं, इसके मद्देनजर कॉप-15 में भूमि बहाली और सूखे से मुकाबला करने के लिये समाधान किया जायेगा। इसके तहत जमीन के इस्तेमाल में भविष्य में कोई कमी न होने पाये, इसके बारे में पूरा ध्यान दिया जायेगा।

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