नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय

भारत ने 2005 के स्तर पर 2030 तक 35 प्रतिशत के लक्ष्य के मुकाबले 28 प्रतिशत उत्सर्जन की कमी को पहले ही प्राप्त कर लिया है


भारतीय विद्युत क्षेत्र के लिए स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के 100 गीगावाट की प्रतिष्ठित उपलब्धि प्राप्त करना आनंद और गर्व की बात है

बढ़ती मांग के लिए विद्युत प्रणाली के लचीलेपन और विभिन्न भंडारण तकनीकों की शुरुआत की आवश्यकता है

भारत एक वैश्विक ऊर्जा परिवर्तन की सहायता का नेतृत्व कर रहा है जो समावेशी और न्यायसंगत है

केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री आरके सिंह ने 'भारत-आईएसए ऊर्जा परिवर्तन संवाद 2021' में प्रमुख भाषण दिया

Posted On: 25 AUG 2021 1:00PM by PIB Delhi

भारत ने एनडीसी (राष्ट्रीय स्तर पर दृढ़ सहयोग) में अपने 2005 के स्तर पर 2030 तक 35 प्रतिशत के लक्ष्य के मुकाबले 28 प्रतिशतउत्सर्जन की कमी को पहले ही प्राप्त कर लिया है। यह भारत को वैश्विक स्तर पर उन कुछ देशों में से एक बनाता है, जिन्होंने नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में तेजी से बढ़ोतरी के साथ-साथ पेरिस जलवायु परिवर्तन (सीओपी 21) की प्रतिबद्धताओं को पूरा किया है।ऊर्जा क्षेत्र में विकास की गति को ध्यान में रखते हुए, भारत न केवल लक्ष्य प्राप्त करने के लिए, बल्कि तय समय सीमा के भीतर अपनी एनडीसी प्रतिबद्धताओं को अच्छी तरह से प्राप्त करने के लिए दृढ़ है। इन बातों का उल्लेखकेंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री व अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के अध्यक्ष श्री आरके सिंह ने भारत-आईएसए ऊर्जा परिवर्तन संवाद 2021के अपने प्रमुख भाषण में किया। इस संवाद का आयोजन कल अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) और केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने किया था। इस उद्घाटन सत्र में मंत्रालय में सचिव श्री इंदु शेखर चतुर्वेदी ने उद्घाटन भाषण दिया औरअंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के महानिदेशक डॉ. अजय माथुर ने संदर्भ को व्यवस्थित किया।

श्री आर के सिंह ने इस बात को रेखांकित किया कि भारत सरकार ने समय-समय पर स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए अनुकूल नीतियों और विनियमनों को लागू किया है।भारत पिछले दो दशकों से अभिनव बाजार तंत्र और व्यापार मॉडल, संस्थागत सुदृढ़ीकरण और क्षमता निर्माण के संयोजन के साथ-साथ मांग निर्माण उपायों के सम्मिलन के माध्यम से ऊर्जा दक्षता में सुधार के लिए आक्रामक रूप से जोर दे रहा है।

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श्री सिंह ने आगे कहा कि आपूर्ति पक्ष मजबूत होने, प्रौद्योगिकी विकसित होने और प्रतिस्पर्धी बाजार की पकड़ मजबूत होने, जिसके परिणामस्वरूप कीमतों में गिरावट आती हैव उद्योगखुद से टिकाऊ हो जाता है, तक क्षेत्र को नियामक और नीतिगत समर्थन की अनुमति देना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि यह अनुमान है कि 2050 तकभारत की कुल विद्युत क्षमता का 80-85 प्रतिशतहिस्सा नवीकरणीय ऊर्जा से प्राप्त होगा। भारत पहले ही 200 गीगावाट की चरम मांग के स्तर पर पहुंच चुका है। कोविड से पहले जितनी मांग थी, उसको पार किया जा चुका है और उम्मीद है कि विद्युत की मांग में बढ़ोतरी जारी रहेगी। यह हमें अधिक नवीकरणीय क्षमता जोड़ने के लिए जगह देता है, लेकिन इसके लिए विद्युत प्रणाली के लचीलेपन और विभिन्न भंडारण तकनीकों की शुरुआत करने की आवश्यकता होगी।

 

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मंत्री ने सदस्यों को इस बात की जानकारी दी कि 100 गीगावाट की स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता की प्रतिष्ठित उपलब्धि प्राप्त करना भारतीय विद्युत क्षेत्र के लिए बेहद आनंद और गर्व की बात है। वहीं 31 जुलाई 2021 तक 100 गीगावाटक्षमता स्थापित और परिचालित की गई है, 50 गीगावाटअतिरिक्त क्षमता स्थापना और अन्य 27 गीगावाटनिविदा प्रक्रिया के अधीन हैं।भारत की स्थापित विद्युत उत्पादन क्षमता का 38.5 प्रतिशतस्वच्छ नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर आधारित है और इस गति से हम 2023 तक 40 प्रतिशत के लक्ष्य तक पहुंच जाएंगे।वर्तमान में भारत सौर ऊर्जा में स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) क्षमता के मामले में विश्व में चौथे, सौर ऊर्जा क्षमता में पांचवें और पवन ऊर्जा क्षमता में चौथे स्थान पर है।

उन्होंने आगे कहा कि माननीय प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत ने स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में इस गति को जारी रखने की योजना बनाई है, जिससे अपने मौजूदा लक्ष्य 2022 तक 175 गीगावाटसे 2030 तक 450 गीगावाटनवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने के अपने लक्ष्य को व्यवस्थित रूप से बढ़ाया जा सके।100गीगावाटकी उपलब्धि न केवल 2030 तक 450गीगावाट के अपने लक्ष्य की ओर भारत की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है,बल्कि इससे अधिक प्राप्त करने और वैश्विक स्तर पर ऊर्जा परिवर्तन की दिशा में आगे बढ़ने वाले अग्रणी देशों में शामिल होने का भी विश्वास पैदा होता है।

मंत्री ने कहा कि सक्रिय निजी क्षेत्र क्षमता निर्माण की कवायद के माध्यम से आपूर्ति पक्ष को मजबूत करना जारी रखता है। ऊर्जा भंडारण और हरित हाइड्रोजन जैसी उन्नत तकनीकों के साथ आने वाले वर्षों में इस कहानी को दोहराए जाने की उम्मीद है। मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए समर्पित हरित ऊर्जा गलियारे ने नवीकरणीय ऊर्जा डेवलपर्स के लिए ग्रिड कनेक्टिविटी का लाभ उठाना और भारत के नवीकरणीय ऊर्जा-समृद्ध हिस्सों से बड़े पैमाने पर 40,000 मेगावाट तक की नवीकरणीय ऊर्जा काउत्पादन करना आसान बना दिया है। आगे बढ़ते हुए, पूरेदेश के जल निकायों और जलाशयों में तैरते सौर ऊर्जा संयंत्रों को अपनाने व स्थापित करने पर जोर देने के लिए इसी तरह की पहल की जाएगी।

श्री सिंह ने कहा कि भारत ऊर्जा परिवर्तन के लिए एक वैश्विक चैंपियन के रूप में एक वैश्विक ऊर्जा परिवर्तन के लिएसहायताका नेतृत्व कर रहा है जो समावेशी और न्यायसंगत है और अन्य देशों के साथ इस बात की चर्चा करने में खुशी होगी कि वे डीकार्बोनाइजेशन के लिए कौन से रास्ते अपना रहे हैं। उन्होंने अन्य देशों को शुद्ध शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने के लिए ठोस योजनाओं के साथ आने के लिए प्रेरित किया।

मंत्री ने पूरे विश्व के देशों से मुख्य मुद्दों पर चर्चा करने और वास्तविक ऊर्जा परिवर्तनव उच्च नवीकरणीय ऊर्जा निवेश को सुविधाजनक बनाने के तरीकों को अपनाने का आग्रह किया।उन्होंने कहा, "मुझे उम्मीद है कि यह संवाद भारत और आईएसए सदस्य देशों के बीच सर्वश्रेष्ठअभ्यासों के आदान-प्रदान की शुरुआत करेगा, साथ ही जलवायु संबंधित लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में एक सामूहिक कदम के रूप में भविष्य के रोडमैप को भी रेखांकित करेगा।मुझे उम्मीद है कि इससे कई देशों के लिए परिवर्तन की राह आसान हो जाएगी, जहां अभी भी कई समुदाय जीवाश्म ईंधन पर निर्भर हैं और आसानी से परिवर्तन के लिए राष्ट्रीय डीकार्बोनाइजेशन रणनीतियों की जरूरत है।

इस संवाद में दो पैनल चर्चाएं और नागरिक केंद्रित ऊर्जा परिवर्तन- भारत की कहानी पर नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) की एक प्रस्तुति शामिल थी। इस प्रस्तुति में भारत की ऊर्जा परिवर्तन यात्रा को रेखांकित किया गया।

पहली पैनल चर्चा की विषयवस्तु "उच्च नवीकरणीय ऊर्जा परिवर्तन की सुविधा के लिए ग्रिड एकीकरण मुद्दों को संबोधित करना"था। इसेअंतरराष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी (आईआरईएनए) की उप महानिदेशक सुश्री गौरी सिंह ने संचालित किया। वहीं विश्व बैंक समूह के वरिष्ठ ऊर्जा विशेषज्ञ डॉ. अमित जैन ने दूसरे पैनल चर्चा की विषयवस्तु "आरई में तेजी लाने के लिए ढांचे" का संचालन किया।

इस संवाद में आईएसए के सदस्य देशों के प्रतिनिधियों, वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों, उद्योग भागीदारों, शिक्षाविदों, नवप्रवर्तकों, शोधकर्ताओं और पूरे विश्व के विभिन्न वित्तीय संस्थानों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इससंवाद ने आईएसए सदस्य देशों के बीच ऊर्जा के क्षेत्र में परिवर्तन के लिए वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा हितधारकों के बीच आपसी पहल और ऊर्जा परिवर्तन के लिए सदस्य देशों को अपनी रणनीतियों की समीक्षा को आसान बनाया है। ऊर्जा परिवर्तन पर यूएन एचएलडीई और सीओपी26 जैसे उच्चस्तरीय बातचीत के लिए प्रयासों को बढ़ाया और मजबूत बनाया जा रहा है।

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