स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय
केंद्र ने घरेलू इस्तेमाल और टीकाकरण की गति एवं दायरा बढ़ाने के लिए टीकों के विकल्प बढ़ाने के उद्देश्य से विदेशों में बने उन कोविड-19 टीकों को आपातकालीन मंजूरी देने का काम तेज किया जिन्हें अन्य देशों में आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दी जा चुकी है
Posted On:
13 APR 2021 1:11PM by PIB Delhi
भारत कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण अपना रहा है। इस संदर्भ में, मई 2020 की शुरुआत में, भारत ने वैक्सीन निर्माण के लिए अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) को प्रोत्साहित करने उद्देश्य से प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार की अध्यक्षता में एक टास्क फोर्स का गठन किया था और कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम की शुरुआत करने में मदद के लिए नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) की अध्यक्षता में अगस्त, 2020 में एक विशेषज्ञ समिति गठित की थी। इन रणनीतियों की वजह से ही भारत घरेलू टीकाकरण अभियान के लिए दो "मेड इन इंडिया" (स्वदेशी) कोविड टीकों का इस्तेमाल करने वाला पहला देश बन गया।
टीकाकरण, केंद्र द्वारा अपनाई गई कोविड नियंत्रण और प्रबंधन रणनीति के महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक है। इस समय राष्ट्रीय नियामक (ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया) से दो टीकों को आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी मिली हुई है। इनमें भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड (बीबीआईएल) का ‘कोवैक्सिन’ और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) की ‘कोविशिल्ड’ शामिल है।
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी के पॉल की अध्यक्षता में 11 अप्रैल, 2021 को हुई कोविड-19 के टीकाकरण संबंधी राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह (एनइजीवीएसी) की 23 वीं बैठक में महामारी से लड़ने के लिए उपलब्ध टीकों के विकल्प को बढ़ाने के साथ-साथ घरेलू टीकाकरण कार्यक्रम की रफ्तार और दायरे में तेजी लाने पर चर्चा की गयी।
विशेषज्ञ समूह ने व्यापक विचार-विमर्श के बाद सिफारिश की कि कोविड-19 के लिए उन टीकों को भारत में इस्तेमाल की मंजूरी दी जा सकती है जिनका विदेशों में विकास किया गया है एवं जिन्हें विदेशों में बनाया जा रहा है और जिन्हें यूएसएफडीए, ईएमए, यूके एमएचआरए, पीएमडीए जापान से सीमित इस्तेमाल की आपातकालीन मंजूरी दी गयी है या जिन्हें विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सूचीबद्ध किया है। ऐसा न्यू ड्रग्स एंड क्लिनिकल ट्रायल नियम 2019 की दूसरी अनुसूची के तहत निर्धारित प्रावधानों के अनुरूप स्थानीय क्लीनिकल ट्रायल के संचालन के स्थान पर अनुमोदन के बाद समानांतर क्लीनिकल ट्रायल की जरूरत को मान्यता देते हुए किया जाएगा।
इसके अलावा, ऐसे विदेशी टीकों के पहले 100 लाभार्थियों का स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए सात दिनों तक मूल्यांकन करने के बाद देश में टीकाकरण कार्यक्रम के लिए इन टीकों का आगे इस्तेमाल किया जाएगा।
केंद्र सरकार ने उचित विचार-विमर्श के बाद विशेषज्ञ समिति एनइजीवीएसी की सिफारिशों को मंजूर किया है।
इस फैसले से भारत को ऐसे विदेशी टीकों तक तेजी से पहुंच मिलेगी और थोक दवा सामग्री के आयात, घरेलू उपयोग और क्षमता के इष्टतम उपयोग आदि सहित आयात को बढ़ावा मिलेगा जिससे टीका निर्माण क्षमता और घरेलू इस्तेमाल के लिए टीकों की कुल उपलब्धता में तेजी आएगी।
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